बहन का लौड़ा -14
(Bahan Ka Lauda -14)
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अभी तक आपने पढ़ा..
राधे नहाने में मस्त हो गया और मीरा अलमारी से कुछ कपड़े निकालने लगी तो एक बैग देख कर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।
राधे जब बाहर आया तो मीरा ने उसे देख कर एक कंटीली मुस्कान दी।राधे- क्या हुआ मेरी जान.. बड़ी क़ातिल मुस्कान दे रही हो?
मीरा- कुछ नहीं.. अब जल्दी से ये ड्रेस पहन लो.. मैं तब तक नहा कर आती हूँ।राधे ने जब बैग में देखा.. तो चौंक गया.. उसमे एक शेरवानी थी।
राधे- अरे यह कहाँ से आई.. और शादी मेरी थोड़े है.. जो मैं ऐसे कपड़े पहनूँ.. तुम ये लाई कहाँ से हो?मीरा- इसे मैंने आज ही लिया है.. तुम जब बाहर चले गए थे तब.. अब बहस मत करो.. बस पहन लो.. मैं नहाकर आती हूँ।
मीरा चली गई और राधे तैयार होने लगा.. आधा घंटा बाद मीरा भी नहाकर बाहर आ गई.. उसने अपने जिस्म पर बस एक तौलिया ही बाँध रखा था।
अब आगे..
राधे- हाय.. मेरी जान.. ऐसी बिजलियाँ मत गिराओ.. अपने दीवाने पर.. नहीं तो कोई गुस्ताखी हो जाएगी।
मीरा- बस ज़्यादा मत बोलो.. आज तुम्हें एक तोहफा मिलेगा.. सब्र करो..
मीरा कमरे में चली गई और अन्दर से लॉक लगा लिया और रेडी होने लगी। राधे बाहर बैठा बस सोच रहा था.. किसकी शादी में जाना है आज.. क्या हो गया मीरा को.. क्या तोहफा देगी यह?
इन्हीं ख्यालों में आधा घंटा निकल गया.. जब राधे का सब्र टूट गया तो वो दरवाजे के पास खड़ा हो गया।
राधे- अरे मीरा.. सो गई क्या.. कितनी देर हो गई है?
मीरा- बस तैयार हो गई हूँ.. अब तुम मेरे प्यारे जानू हो ना.. तो प्लीज़ मेरी एक बात मानोगे? मैं दरवाजा खोल रही हूँ.. तुम अपनी आँखें बन्द रखना.. प्लीज़.. प्लीज़!
राधे- अब क्या करोगी तुम.. चलो आ जाओ.. मेरी आँखें बन्द हैं…
मीरा ने धीरे से दरवाजा खोला.. राधे आँखें बन्द किए खड़ा था। मीरा ने जल्दी से काली पट्टी उसकी आँखों पर बाँध दी।
राधे- अरे.. ये क्या कर रहो हो तुम.. क्या हुआ बोलो तो!
मीरा- ससस्स.. चुप रहो.. बोलो मत.. आज तुम्हें तोहफा मिलेगा.. अब चुपचाप मेरे साथ कमरे में अन्दर चलो।
राधे कुछ नहीं बोला और मीरा उसे अन्दर ले गई।
मीरा- राधे आज के दिन के लिए मैंने तुम्हें बताया था ना.. दरअसल आज किसी और की नहीं.. हमारी शादी होगी।
राधे- क्क्क..क्या.. लेकिन ये सब कैसे होगा.. मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा?
मीरा- देखो जरूरी नहीं कि पंडित मन्त्र पढ़े और हम अग्नि के सात फेरे लें.. तभी शादी होगी.. अगर हम सच्चे दिल से एक-दूसरे को अपना जीवन साथी मान लें.. तो भी शादी हो जाती है।
राधे- हाँ जान.. बात तो सही है.. चलो आज हम ऐसे ही शादी कर लेते हैं.. बताओ मुझे क्या करना है?
मीरा ने राधे को कसमें दिलाईं और दिल से दोनों ने एक-दूसरे को अपना मान लिया। मीरा बहुत खुश थी कि आज उसका सपना पूरा हो गया है।
राधे- जानेमन.. अब शादी तो हो गई.. मुझे तुमने दूल्हा बना कर बैठा दिया.. अब तो मेरी आँख खोल दो.. ताकि मैं अपनी दुल्हन को देख सकूं।
मीरा- रूको थोड़ी देर.. मुझे पहले ठीक से बैठ जाने दो।
राधे ने कहा- ठीक है..
उसके बाद मीरा ने उसको कहा- अब अपनी पट्टी खोल दो और देख लो अपनी दुल्हन को..
राधे ने जब आँखें खोलीं.. उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.. क्योंकि मीरा बिस्तर पर बैठी थी.. उसने लाल रंग की बहुत खूबसूरत साड़ी पहनी हुई थी.. और घूँघट निकाल रखा था।
राधे- वाह.. मेरी जान.. मान गया तुम्हें.. मज़ा आ गया.. तुम सच में इस साड़ी में बहुत खूबसूरत लग रही हो। अब अपना चाँद सा मुखड़ा भी दिखा दो..
मीरा शर्मा रही थी और राधे उसके पास जाकर बैठ गया। उसका घूँघट हटाया उसकी तारीफ की और एक लंबा सा चुम्बन उसको कर दिया।
मीरा- लो आज मैं कुछ नहीं कहूँगी.. बना लो मुझे अपना.. कर लो अपनी चाहत पूरी.. आज हमारी सुहागरात है.. डाल दो अपना लौड़ा चूत में.. कर दो मुझे बेहाल.. अब मैं तुम्हारी हूँ..
राधे- हाँ मेरी जान.. आज तुम्हारी सील तोड़ कर.. तुझे लड़की से औरत बना दूँगा.. मगर ये शादी तो पहले भी हो सकती थीं.. फिर इन्तजार क्यों?
मीरा- बुद्धू राम.. पापा के रहते शादी तो हो जाती.. मगर सुहागरात कैसे होती.. मुझे पता है.. पहली बार चुदाई में बड़ा दर्द होता है.. अब दर्द होगा.. तो चीखें भी निकलेगीं.. और पापा के रहते में कैसे चीख पाती?
राधे- अरे किसने कहा कि दर्द होगा.. मैं अपनी जान को बड़े प्यार से चोदूँगा ना.. और थोड़ा दर्द होगा तो मैं अपने होंठों से तुम्हारे होंठ बन्द कर दूँगा..
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मीरा- बस बस.. मुझे उल्लू मत बनाओ.. तुम्हारा घोड़े जैसा लौड़ा.. जब मेरी छोटी सी चूत में जाएगा.. तो मेरी जान निकल जाएगी.. और जो चीखें मेरी निकलेगीं ना.. उसका अंदाज़ा तुम नहीं लगा सकते। अब पापा के रहते मैं कैसे चुदवा लेती?
राधे- ओये होये.. मेरी जान को सब पता है.. लेकिन मैं मुँह बन्द कर दूँगा तो चीखें कहाँ से निकलेगीं?
मीरा- अरे पागल मुझे चीखना है.. मुँह बन्द नहीं करना.. यही मेरा सपना है.. कि बस ज़ोर-ज़ोर से चीखूँ.. मैं अपनी सील तुड़ाई वाली चुदाई को खूब एँजाय करूँ.. अब ज़्यादा बातें मत करो.. आ जाओ.. जब से तुम्हारा लौड़ा देखा है.. मेरी चूत हरदम पानी-पानी रहती है।
राधे- क्या बात है मीरा.. इतना कंट्रोल किया तुमने.. चल आजा आज तेरी चूत के चीथड़े उड़ा देता हूँ..
राधे मीरा को प्यार करने लगा.. धीरे-धीरे उसकी साड़ी निकाल दी.. उसका गोरा पेट चूमने लगा.. अब ब्लाउज और पेटीकोट भी निकाल दिया। मीरा बस लाल रंग की ब्रा-पैन्टी में थी। उसका कसा हुआ जिस्म.. राधे को पागल बना रहा था। उसका लौड़ा बाहर आने को बेताब हो रहा था।
मीरा- आह्ह.. रूको मेरे आशिक.. मुझे पूरी नंगी कर दोगे क्या.. अपने कपड़े भी तो निकालो।
मीरा के कहने भर की देर थी कि राधे ने अंडरवियर के अलावा सब कुछ उतार दिया, अब दोनों बिस्तर पर एक-दूसरे की बाँहों में चुम्मा-चाटी कर रहे थे, राधे होंठों से लेकर चूत तक अपने होंठों की छाप छोड़ रहा था।
मीरा- आह्ह.. ससस्स.. उईईइ.. मज़ा आ रहा सस्सस्स है.. करो आह्ह.. अब बर्दास्त नहीं होता.. निकाल दो ब्रा को.. कर दो आ..आज़ाद मेरे मम्मों को.. आह्ह.. चूस लो आह्ह.. इनका पूरा रस.. आह्ह..
राधे ने ब्रा अलग कर दी.. अब वो मीरा के मम्मों को रगड़ने लगा। उनको दबा-दबा कर चूसने लगा.. जैसे उनमें से आज सारा दूध निकाल कर पी जाएगा।
अब उसने पैन्टी भी निकाल दी और बरफी जैसी चिकनी चूत को होंठों में दबा कर चूसने लगा।
मीरा- आह आईईइ.. मर गई मैं आह्ह.. चूसो आह्ह.. राधे उईह.. आज मुझे अपनी रानी आ बना लो आह्ह..
राधे का लौड़ा कड़क होकर चड्डी फाड़ने को बेताब था.. तो राधे ने उसको आज़ाद कर दिया।
अब दो नंगे जिस्म एक-दूसरे को अपनी ओर खींच रहे थे।
राधे ने चूत को चाटना बन्द कर दिया और लौड़े को मीरा के मुँह के पास ले गया।
राधे- जान आँखें खोलो और देखो तुम्हारा अरमान.. तुम्हारे सामने है.. चूस लो इसे.. कर दो इसे इतना गीला.. कि जब तुम्हारी चूत में ये जाए.. तो बस ‘स्ररर’ से घुसता चला जाए.. तुम्हें ज़रा भी तकलीफ़ ना हो..
मीरा ने आँखें खोलीं तो लौड़ा ठीक उसके होंठों के पास था.. बिना झाँटों के चमक रहा था।
मीरा- आह्ह.. मेरे आशिक.. चूत को छोड़ क्यों दिया.. आह्ह.. बहुत आग लगी है.. उफ़.. लाओ लौड़ा मेरे मुँह में घुसा दो.. आह्ह.. आज इसको चूस कर मज़ा लूँगी।
राधे ने लौड़ा मुँह में घुसा दिया.. अब पोज़ ऐसा था कि राधे मीरा के सीने पर बैठा उसके मुँह को चोद रहा था। मीरा बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गई थी.. उसकी चूत रिसने लगी थी और राधे के लौड़े से भी पानी की बूँदें आने लगी थीं..
राधे- आह.. चूस मेरी रानी उफ.. काट मत आह्ह.. आज मेरे लौड़े को सुकून मिल जाएगा.. आह्ह.. तेरी कच्ची चूत में जाकर आह्ह..
अब दोनों का ऐसा हाल था कि बस पूछो मत.. राधे तो फिर भी ठीक है.. मीरा की चूत तो आग उगलने को बेताब थी।
मीरा ने लौड़ा मुँह से निकाल दिया और अपनी चूत राधे के सामने कर दी..
मीरा- आह्ह.. राधे अब बर्दास्त नहीं होता उफ़.. मेरा पानी निकलने वाला है.. आह्ह.. अब घुसा दो अपना लौड़ा.. मेरी चूत में आह्ह..
राधे समझ गया कि अब लोहा गर्म है.. सही मौका है चोट मारने का.. उसने मीरा के पैर फैला दिए.. कमर के नीचे एक तकिया रख दिया.. जिससे उसकी चूत का उभार ऊपर आ गया। अब राधे ने अपना मोटा लंड चूत के मुहाने पर टिका दिया और धीरे-धीरे चूत की दरार पर रगड़ने लगा।
मीरा- आह्ह.. उइ मत तड़पाओ.. आह्ह.. बस घुसा दो.. उई चूत की खुजली बढ़ती जा रही है.. प्लीज़ आह्ह.. ससस्स..
राधे- बस मेरी जान.. अब बदन को ढीला छोड़ दो.. मेरा लौड़ा अब तेरी चूत की गहराई नापने को रेडी है।
दोस्तो, उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
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