आंटी अब चुद भी जाओ ना-1
(Aunty Ab Chud Bhi Jao Na- Part 1)
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नमस्कार दोस्तो, शॉर्ट स्कर्ट वाली जवान लड़कियो, सेक्सी साड़ी वाली दूधिया बॉडी की मालकिन भाभियों और चुदक्कड़ आंटियो … मैं आपका रॉकी राज एक और कामुक कहानी लेकर हाजिर हूं.
दोस्तो, आप सभी को तो पता ही होगा कि मेरी पिछली कहानी
दोस्त के भाई की शादी में सुहागरात
में मैंने होली में हुई संभोग की घटना का जिक्र किया था. जिसमें मैंने कहा था कि होली में मुझे दो खुशियां मिली थीं. एक तो ये कि मुझे कानपुर जाने के बारे में पता चला था. कानुपर में अपनी शिखा मामी की जवानी को याद करते हुए उधर शिखा मामी की चुदाई की तैयारी में लग गया था. मैंने कानपुर जाकर को उनको चोदा भी था. इसमें सेक्स होने से पहले सेक्स की कल्पना को लिखा है.
परंतु इस घटना से पहले मेरे साथ एक और कामुक घटना हो चुकी थी. जिसका जिक्र मैंने
मिशन मामी की चुत चुदाई में किया था और वादा भी किया था कि अगली सेक्स कहानी को भी मैं जरूर लाऊंगा. वो ये था कि मैंने स्वीटी आंटी को चोद लिया था.
आज मैं वही वादा निभाने जा रहा हूं. तो दोस्तों मेरी इस अति कामुक सेक्स कहानी को पढ़ने के लिए तैयार हो जाइए.
दोस्तो, भाभियो और आंटियो, यह कहानी इतनी कामुक है कि इस कहानी को पढ़ने के बाद आप सबका लंड खड़ा होकर बगावत करने लगेगा और चुत की मालकिनों की चुत गर्म होकर किसी मर्द के लंड का वीर्य निकलवा ही लेंगी.
मेरा नाम रॉकी राज है, मैं लखनऊ में माता-पिता और दादा-दादी के साथ रहता हूं. मेरी उम्र 20 साल है, रंग गोरा, कद साढ़े पांच फिट है. मैं काफी हट्टा-कट्टा इंसान हूं. मेरी जिंदगी काफी अच्छे से चल रही थी.
उसी दौरान मेरी जिंदगी ने एक बहुत ही कामुक मोड़ लिया. जिसमें मैंने अपने दोस्त दीपक के घर पर जाकर उसके यौवन से भरपूर रसीली मधु भाभी के यौवन का रसपान किया. उनकी जमकर कामुक चुदाई की. जिसके बाद मुझे रसदार यौवन और चुत का नशा हो गया. अब मुझे दिन-रात चुत ही के ख्याल आने लगे.
मित्रो, जब एक बार आपका लंड किसी गर्म चुत में चला जाएगा, तब से आपको चुत चुदाई करने का मन बार-बार करता रहेगा.
मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था.
दरअसल मुझे चुत चुदाई का नशा हो गया था. मधु भाभी को चोदने के बाद मैं, उनसे फिर दोबारा कभी नहीं मिल सका. पर मन तो बार-बार करता था कि मैं मधु भाभी के पास चला जाऊं और एक बार फिर उनके मज़ेदार यौवन के मज़े चूस लूं, पर दुबारा मौका ही नहीं मिला.
होली का टाइम आया, तो कॉलेज में छुट्टी हुई और मैं घर आ गया. घर आते ही मैं सबसे मिला, सभी खुश हुए.
मुझे पता चला कि इस होली में हमारे घर स्वीटी आंटी और मनोज अंकल आ रहे हैं. ये जानकर मैं काफी खुश हुआ. क्योंकि मैं स्वीटी आंटी को जानता हूं. मैंने उनको शुरुआत से ही खूब देखा है. वो बहुत खूबसूरत हैं.
मैंने सोचा कि चलो चुदाई का इंतजाम हो गया. मधु भाभी न सही, स्वीटी आंटी ही सही. पता नहीं इतने सालों बाद स्वीटी आंटी कैसी दिखती होंगी.
मैं आपको स्वीटी आंटी के बारे में बता दूं कि उनकी उम्र मेरी मामी की सभी सहेलियों में बहुत ही कम है. दरसअल स्वीटी आंटी मेरी मम्मी की सहेली सुषमा की छोटी बहन हैं … और मम्मी की भी सहेली हैं.
स्वीटी आंटी की उम्र 30 साल है. उनकी 8 साल की एक बेटी भी है. मैं बहुत खुश था और स्वीटी आंटी के लखनऊ आने का इंतजार करने लगा. मैं उनके नाम की मुठ तक मारने लगा था. पर मैं ये भी सच रहा था कि ये सब होगा कैसे … उनके साथ तो अंकल और उनकी बेटी भी आ रही है. मैं कैसे स्वीटी आंटी को चोद पाऊंगा.
बाद में पता चला कि स्वीटी आंटी सिर्फ अपनी बेटी के साथ आ रही हैं और अंकल होली के ठीक एक दिन पहले आएंगे.
यह सुन कर मैं खुश हो गया. उनकी बेटी को तो मैं खिलौने वगैरह देकर खेलने में लगा दूंगा और स्वीटी आंटी को चोद दूंगा.
जब स्वीटी आंटी लखनऊ आईं, तो मम्मी ने मुझे स्टेशन जाकर उन्हें लाने को कहा. मैं पापा की स्कूटी लेकर चला गया.
मैं स्टेशन पहुंचा तो देखा कि अभी गाड़ी आने में देर है, तो मैं वहीं इंतजार करने लगा. जब गाड़ी आई, तो सामने गाड़ी के गेट से उतरती स्वीटी आंटी अपने बेटी के साथ दिखाई पड़ीं.
वाह … शादी और बेबी होने के बाद तो स्वीटी आंटी क्या मस्त माल बन गई थीं. स्वीटी आंटी को देखते ही मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया. मैं उनके उतार चढ़ाव करते मम्मों को देख रहा था. बहुत ही बड़े बड़े खरबूजे जैसे मम्मे थे. स्वीटी आंटी हल्की ग्रीन कलर की साड़ी में थीं.
इस शिफोन की साड़ी में उनका छलकता यौवन देख मेरा मन किया कि बस अभी दौड़ते हुए जाऊं और मधु भाभी की तरह स्वीटी आंटी को भी नीचे झुक कर उनकी गांड से पकड़ कर उठा लूं. उन्हें अपनी बांहों में उठा कर अपने गले से लगा लूं. उनको अपने सीने से चिपका कर दोनों हाथों से उनकी मक्खन पीठ को रगड़ दूं और उन्हें और भी अधिक अपने से चिपकाता जाऊं. उनके मम्मों को अपनी छाती में दबाता जाऊं. पर अभी मुझे अपने सारे अरमानों पर कंट्रोल करके उनके पास जाना था.
मैं उनके पास गया और बोला- हाई आंटी, मैं रॉकी … पहचाना मुझे!
स्वीटी आंटी- हां … पहचान गई. तो मुझे लेने तुम आए हो.
मैं- क्यों … मैं नहीं आ सकता क्या?
स्वीटी आंटी- नहीं नहीं रॉकी … ऐसी बात नहीं है, अच्छा अब चलो.
मैंने झट से स्वीटी आंटी का सामान ले लिया और उन्हें प्लेटफार्म से बाहर ले आया. बाहर निकलते ही हम स्कूटी पर बैठने लगे.
मैंने कहा कि आंटी एक काम करते हैं खुशी को आगे खाली जगह पर खड़ा कर देते हैं. चूंकि आपके पास आपका लगेज भी है, मैं उसको पीछे बांध देता हूं. तो आपको कोई भार नहीं उठाना पड़ेगा.
स्वीटी आंटी- ठीक है … ऐसे में ही मैं आराम से तुम्हें पकड़ कर स्कूटी पर बैठ पाऊंगी.
हमने ऐसा ही किया, आगे खाली जगह पर खुशी को खड़ा कर दिया. पीछे रबड़ से मैंने लगेज़ को बांध दिया. फिर स्वीटी आंटी बैठ गईं. उसके बाद मैं बैठ कर स्कूटी चलाने लगा.
स्वीटी आंटी मुझे मेरे कंधे पर हाथ रख कर पकड़े हुई थीं. स्कूटी चल रही थी. तभी मुझे एक शरारत सूझी. मैंने कुछ कुछ दूरी पर ब्रेक मारना शुरू कर दिया, जिससे स्वीटी आंटी मेरे और करीब खिसक आईं. इससे उनके बड़े बड़े और सुडौल मम्मे मेरी पीठ पर दबने लगे.
मुझे स्वीटी आंटी के मक्खन से मम्मों से रगड़ खाने मजा आ रहा था. मैं थोड़ा इधर उधर करते हुए भी स्कूटी को चलाने लगा. जिससे उनके मजेदार चुचे, सेक्सी पेट और कमर मुझ पर महसूस होने शुरू हो गए.
फिर स्वीटी आंटी ने मुझे पीछे से मेरे कमर से होती हुई मेरे छाती पर हाथ रखा दिया और जोरों से मुझे थाम लिया. मैं जानबूझ कर ऊबड़-खाबड़ वाले रास्ते से घर जाने लगा.
जब स्कूटी ऊपर नीचे होने लगी, तब आंटी मुझसे एकदम से सट गईं. जिससे उनका सारा मालदार यौवन से भरा बदन मुझसे चक्की के दो पाटों की तरह टकराने लगा.
एक बार के लिए तो गाड़ी ऊपर की ओर चढ़ाई पर चली, उसके बाद मैं काफी तेजी से नीचे ढलान की ओर ले गया. तब तो काफी देर तक आंटी मुझसे जोर से एकदम चिपक गईं. वो मेरे साथ काफी देर तक ऐसे ही चिपकी रहीं.
जब तक स्वीटी आंटी मुझसे लगी रहीं, तब तक मैंने उनके गदराए हुए जिस्म को खूब महसूस किया और मज़ा लिया. अब तक मेरे पैंट में तम्बू बन गया था.
इसी तरह स्वीटी आंटी का मज़ा लेते हुए मैं घर आ पहुंचा. मेरी मम्मी, स्वीटी आंटी और उनकी बेटी खुशी से मिल कर काफी खुश हुईं.
मेरी मम्मी ने आंटी के रहने का इंतजाम ऊपर वाले कमरे में कर दिया था, जो ठीक मेरे बगल वाले कमरे में था.
एक घंटे बाद आंटी अच्छे से तैयार होकर पिंक सलवार सूट में खाने की टेबल पर आ गईं. उनके साथ में खुशी भी थी. काफी कसे और टाइट पिंक सलवार सूट में आंटी के बोबे बड़े खतरनाक नजर आ रहे थे. इस समय स्वीटी आंटी काफी मालदार और सेक्सी माल लग रही थीं.
आंटी ने खाना खाया और अपने रूम में आराम करने चली गईं.
शाम को जब हम फिर से खाना खाने के लिए एक साथ बैठे, तो मेरी मम्मी ने पूछा- मनोज भी साथ क्यों नहीं आए?
आंटी ने बताया कि उनका जरूरी काम था, इसलिए वह नहीं आ सके. लेकिन वो होली के ठीक एक दिन पहले आ जाएंगे.
इस दौरान मेरी लगातार नजर स्वीटी आंटी के गोल गोल और रसीले मम्मों पर ही लगी थी. मेरे मन में स्वीटी आंटी के मम्मों को दबाने और चूसने की इच्छा लगातार प्रबल हो रही थी और साथ ही मेरा लंड भी खड़ा हो गया था. अब तो बस मेरा मन, अपने लंड को स्वीटी आंटी की चुत में घुसाने को कर रहा था. मन कर रहा था कि अभी सेक्सी स्वीटी आंटी की चुत में घुसा कर घचाघच घचाघच चोदने में लग जाऊं.
स्वीटी आंटी मेरे बगल में ही बैठी थीं. मुझसे स्वीटी आंटी के ये मालदार मम्मे और उठी हुई गांड के पहाड़ बर्दाश्त नहीं हो रहे थे. मैंने थोड़ी सी हिम्मत जुटाकर बगल में बैठी गुलाबी सलवार सूट में वाली स्वीटी आंटी की एक जांघ पर हल्के से हाथ रखा.
स्वीटी आंटी की कोई प्रतिक्रिया न देखते हुए मैंने उनकी जांघ को आहिस्ता आहिस्ता रगड़ना शुरू कर दिया.
मैंने एक बार नजर बचा कर स्वीटी आंटी को देखा, तो स्वीटी आंटी की थोड़ी हल्की आवाज़ में सिसकारी निकली, पर आधी से ज्यादा सिसकारियों को वो अपने मुँह के अन्दर दबा गईं कि कोई सुन न ले. क्योंकि सभी डायनिंग टेबल पर ही खाना खा रहे थे. वो सबको ऐसा दिखा रही थी कि कुछ हुआ ही नहीं.
उनकी तरफ से ऐसा करने से मेरी हिम्मत और बढ़ गई. अब तो मैंने उनकी जांघ को दबाना भी शुरू कर दिया. आंटी थोड़ा कसमसाईं, पर फिर से खाना खाने में मशगूल हो गईं.
अब धीरे धीरे मैं उनकी जांघ रगड़ते हुए, उनकी चुत की ओर बढ़ने लगा. मैं उनके दोनों पैरों के बीच चुत के पास अपने हाथ को ले जा रहा था.
मैं बस उनकी चुत तक पहुंचने ही वाला था कि तभी अचानक स्वीटी आंटी उठीं और बोलीं- मुझे एक जरूरी कॉल करना है, मैं अभी आती हूं.
यह कह कर स्वीटी आंटी वहां से जाने लगीं. मेरी मम्मी बोलती ही रह गईं कि अरे खाना तो खा कर जाओ स्वीटी. लेकिन आंटी चली गईं.
मैं काफी डर गया था. मुझे लगा कि कहीं स्वीटी आंटी अकेले में मेरी मम्मी सब कुछ बता न दें.
हम सभी ने खाना खत्म किया और मैं पढ़ने अपने कमरे में चला गया. थोड़ी देर बाद नीचे आया, तो देखा कि सभी हॉल में टीवी देख रहे थे.
मैं भी साथ बैठ कर टीवी देखने लगा. मैं फर्श पर छोटी से चटाई बिछाकर स्वीटी आंटी के एकदम नजदीक बैठ गया था.
पापा ने मुझसे पूछा- क्यों पढ़ाई हो गई?
मैंने जवाब दिया- हां पापा.
उसके बाद सभी टीवी देखने में लग गए. स्वीटी आंटी ऊपर सोफे पर थीं और मैं नीचे बैठा था. तभी मुझे एक शरारत सूझी. मैं फिर से आंटी की जांघों पर अपने हाथ फेरने लगा और उनकी जांघ को सहलाने लगा.
आंटी कसमसाईं और फिर से सिसकारी छोड़ने लगीं, लेकिन धीमी आवाज़ में ही उनकी चुदास निकल रही थी.
मैं अब समझ गया था कि आंटी को मज़ा आ रहा है और अब चुदाई पक्की है. बस यहां से निकलने की देर है. इस बार मैं मौका चूकना नहीं चाहता था, तो इसलिए मैं जल्दी से आंटी की चुत की ओर बढ़ने लगा.
आंटी की जांघों का मज़ा तो मैं ले ही चुका था. जैसे ही मैं उनके दोनों पैरों के बीच उनकी चुत के करीब पहुंचने को हो रहा था, मैंने चोर नजर से आंटी को देखा, तो आंटी का तो बहुत ही बुरा हाल था. वह बहुत ही चुदासी दिख रही थीं. उनकी आंखों में वासना के लाल डोरे बता रहे थे कि आंटी की चुत लंड लंड कर रही है.
उनका चेहरा बता रहा था जैसे वो मन में बोल रही हों कि रॉकी ये क्या कर रहे हो.
अब मैं उनके दोनों पैरो के बीच अपनी उंगलियों को घुसाते हुए उनकी मादक चुत की तरफ बढ़ने लगा. आंटी समझ चुकी थीं कि अब ये फिर से मेरी चुत छूने वाला है, इसलिए आंटी ने और जोर से अपने दोनों पैरों को काफी मजबूती से सटा रखा लिया, ताकि अपनी चुत को छूने से बचा सकें.
पर मैं भी कहां मानने वाला था. मैंने काफी ताकत से अपने अंगूठे के बाद के तीन अंगुलियों को उनके दोनों पैरों के बीच घुसाना शुरू कर दिया.
मेरे ऐसा करने से आंटी ने अपने दोनों पैरो को और जोर से सटाना शुरू कर दिया.
आखिरकार मैंने उनके दोनों मजबूती से सटे दोनों पैरों के बीच से काफी तेजी से हाथ की उंगलियों को आगे बढ़ा दिया. चिपके हुए पैरों के बीच से उंगलियों को निकालते हुए मैंने उनकी मादक चुत पर ले जाकर गड़ा दिया.
इससे स्वीटी आंटी के मुँह से निकला- आह सी … सी.
इस मेरे पापा ने पूछा- क्या हुआ आपको.
स्वीटी आंटी- नहीं … कुछ नहीं.
मेरे हाथ अब स्वीटी आंटी की चुत लग चुकी थी. मैंने आंटी की चुत पर अपनी उंगलियों की नोकें मारने लगा. मैं उनकी चुत को रगड़ नहीं पा रहा था … क्योंकि वो अभी भी अपने पैरों को सटाए हुए थीं.
मेरी उंगलियां उनकी चुत पर अच्छे से रगड़ नहीं पा रही थीं. पर इस तरह मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
उसके बाद पापा अचानक उठते हुए हमारी तरफ बढ़े … जिससे मैं काफी डर गया था. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूं.
तभी अचानक स्वीटी आंटी ने अपनी दुपट्टा मेरे हाथों पर रख दिया, जिससे किसी को पता न चल सका.
पापा आए और हमारे सामने से ही जाते हुए पीछे निकल गए. उधर रखी ही डेस्क से पापा ने अपने लिए हाजमे की एक गोली निकाली और वापस हमारे सामने से ही जाते हुए अपनी सीट पर दुबारा बैठ गए. किसी को शक भी नहीं हुआ.
अब आंटी उठीं और उन्होंने कहा कि मैं सोने जा रही हूं. आंटी खुशी को लेकर ऊपर चली गईं.
मेरे मन भी में जाने का कर रहा था, पर मैं भी अभी उठता … तो सबको शक हो सकता था.
थोड़ी देर इंतजार करने पर मैं उठा और बोला- मम्मी, मैं भी अब सोने जा रहा हूं.
ऐसा कह कर मैं जल्दी से ऊपर गया और स्वीटी आंटी के कमरे के पास जा कर देखने और सुनने की कोशिश करने लगा. मुझे कुछ पता नहीं चल रहा था. अन्दर से दरवाजा बंद था और कुछ भी दिखाई न देने के साथ कुछ सुनाई भी नहीं दे रहा था.
मुझे लगा कि स्वीटी आंटी सो गई हैं. मन मार कर मैं भी अपने कमरे में घुस गया और बिस्तर पर लेट कर सोने लगा. तभी मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई. मुझे लगा कि मम्मी होंगी और उनको कुछ काम होगा. लेकिन जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, तो देखा कि सामने स्वीटी आंटी हैं.
स्वीटी आंटी झट से मेरे कमरे में अन्दर आईं और उन्होंने दरवाज़ा बंद कर दिया. मैं समझ गया कि आंटी मुझसे चुदवाने आई हैं.
आंटी तो पहले मुझे थोड़ी देर देखा और फिर बोलीं कि रॉकी ये तुम क्या कर रहे थे. क्या मैं ये सब तुम्हारे मम्मी पापा को बताऊं?
यह सुन कर तो मैं काफी डर गया और बोला- नहीं नहीं आंटी … ऐसा मत करना. अगर आप सबको बता दोगी, तो पापा मुझे बहुत मारेंगे. प्लीज़ मत बताना.
स्वीटी आंटी- ओके … नहीं बताऊंगी. पर दुबारा ऐसा मत करना.
मैं- ठीक है आंटी. पर मैं क्या करूं आप है इतनी खूबसूरत कि मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने ऐसा किया … सॉरी आंटी.
स्वीटी आंटी मुस्कुराते हुए बोलीं- अच्छा मुझमें ऐसा क्या है, जो तुमसे बर्दाश्त नहीं हुआ?
अब स्वीटी आंटी धीरे धीरे लाइन पर आ गई थीं. मैं इसका अच्छे से फायदा उठाना चाहता था.
मैंने कहा कि आपकी ये गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ, गुलाबी गाल, मालदार मम्मे और आपकी उभरी हुई ये मदमस्त गांड … जिसे देख कर मेरा लंड बार बार ठनक जाता है … और ऊपर से आपने ये गुलाबी सूट पहना है, जिसमें से आपके मम्मे बड़े बड़े पपीते जैसे दिख रहे हैं. आपके मम्मों को चूसने, चाटने और खाने का मेरा बड़ा मन कर रहा था. बल्कि उस समय तो मेरा मन कर रहा था कि उसी समय आपके दूध अपने हाथों से पकड़ कर दबा दूं.
ऐसा कहते हुए मैं आंटी की ओर बढ़ा, तो आंटी पीछे को हो गईं.
स्वीटी आंटी ने शरमाते और मुस्कुराते हुए बोला कि बस बस … बहुत हो गई मेरी तारीफ.
ऐसा कहते हुए स्वीटी आंटी वहां से अपने कमरे में चली गईं.
मुझे उस रात काफी अच्छी नींद आई और मैं स्वीटी आंटी को मन में सोच कर मुठ मार कर सो गया.
सुबह उठ कर हाथ मुँह धोकर जब नीचे हॉल में आया, तो मैंने देखा कि सभी नीचे कबसे मेरा इंतजार कर रहे थे. मम्मी पापा, दादा दादी और स्वीटी आंटी भी खुशी के साथ नीचे आई हुई थीं और डाइनिंग टेबल पर चाय पी रही थीं.
मम्मी ने मुझसे पूछा- रॉकी आज का तुम्हारा क्या प्लान है?
मैंने कहा- कुछ भी तो नहीं.
मम्मी ने कहा- तो जाओ, स्वीटी आंटी के साथ चले जाओ … और उन्हें लखनऊ की फेमस जगहों पर घुमा लाओ.
मैं ये सुन कर काफी खुश हो गया.
आगे की कहानी में स्वीटी आंटी की चुदाई से पहले क्या क्या हुआ, वो सब अगले भाग में लिखूँगा. आपके मेल का इन्तजार रहेगा.
[email protected]
कहानी जारी है.
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