विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-8
(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-8)
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दीपाली से नम्बर लेकर अनुजा उसके घर फोन करती है।
वो कहते हैं ना देने वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है।
अनुजा- हैलो मैं अनुजा बोल रही हूँ, वो आंटी क्या है ना कि मेरे पति किसी काम से बाहर गए हैं, मैं घर पर अकेली हूँ, मेरी तबीयत भी ठीक नहीं है.. आप को ऐतराज ना हो तो दीपाली थोड़ा बाद में आ जाएगी।
दीपाली की मम्मी- अरे नहीं नहीं.. अनुजा बेटी… मुझे क्या दिक्कत होगी… बल्कि तुमने फ़ोन करके मेरी बहुत बड़ी परेशानी ख़त्म कर दी.. दरअसल मेरे भाई की तबीयत खराब है.. मुझे और दीपाली के पापा को गाँव जाना था, मगर दीपाली के कारण मुश्किल हो रही थी। इसके इम्तिहान करीब हैं इसको साथ नहीं ले जा सकते.. और यहाँ अकेली किसी के पास छोड़ नहीं सकते.. अब मेरी दिक्कत ख़तम हो गई.. तुमको परेशानी ना हो तो प्लीज़ एक दिन इसे अपने पास रख लो.. बड़ी मेहरबानी होगी तुम्हारी.. कल शाम तक हम आ जाएँगे।
अनुजा- अरे आंटी आप ये कैसी बात कर रही हो… दीपाली मेरी छोटी बहन जैसी है, आप चिंता मत करो.. मैं संभाल लूँगी।
दीपाली की मम्मी- अच्छा सुनो.. सुबह इसे जल्दी उठा देना स्कूल के लिए तैयार होने में इसे बहुत वक्त लगता है और इसका बैग और ड्रेस तो यहीं है प्लीज़ तुम सुबह इसके साथ आ जाना मैं घर की चाबी गमले में रख दूँगी दीपाली को पता है कहाँ है गमला…
अनुजा- ओके आंटी.. जरूर.. आप बेफिकर रहो।
दीपाली को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर क्या हो रहा है।
उसने जब अपनी मम्मी से बात की तब उसको समझ आया और उसने भी ‘हाँ कह दी- आप बेफिकर होकर जाओ दीदी बहुत अच्छी हैं.. मुझे कोई परेशानी नहीं होगी।
विकास को अभी भी कुछ समझ नहीं आया था.. वो बस दोनों को देख रहा था।
फ़ोन रखने के बाद विकास ने अनुजा से पूछा- क्या हुआ?
अनुजा- मेरे राजा आपकी किस्मत बहुत अच्छी है.. मैंने तो सोचा दीपाली को एक घंटा और रोक लूँ.. ताकि आपको एक बार और इसकी मचलती जवानी को भोगने का मौका मिल जाए.. मगर भगवान ने तो इसे कल शाम तक यहीं रोक दिया अब तो सारी रात आप इसके साथ रासलीला कर सकते हो।
दीपाली- छी: .. दीदी आप भी ना कितनी गंदी बातें करती हो और आपने झूट क्यों बोला कि दवा दोगी मुझे.. आपका इरादा तो कुछ और ही है।
अनुजा- अरे नहीं मैंने कोई झूट नहीं बोला तुमसे.. दवा तो अब भी दूँगी.. पहले नास्ता तो कर लो और हाँ विकास के साथ चुदाई तो दवा लेने के बाद भी कर सकती हो यार.. मौका मिला है तो इस पल को अच्छे से एंजाय करो ना.. चल अब नास्ता कर ले बाकी बातें बाद में होती रहेंगी।
तीनों नंगे ही बैठे नाश्ता करने लगे.. उनको देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कोई आदिवासी कबीले के लोग हैं जिनको कपड़े क्या होते हैं.. पता ही नहीं है.. उनमें कोई शर्म नहीं थी।
नाश्ता करते हुए दीपाली ने अनुजा से कहा।
दीपाली- दीदी एक बात अभी तक समझ नहीं आई.. सर आपके पति हैं फिर भी आपको कोई ऐतराज नहीं कि ये मेरे साथ सेक्स कर रहे हैं बल्कि आप खुद इनसे मुझे चुदवा रही थीं.. ऐसा क्यों?
अनुजा- अरे दीपाली.. मैं उन औरतों जैसी नहीं हूँ जो पति को पल्लू से बाँध कर रखती हैं। तुमको नहीं पता उनके पति उनसे छुपकर कहीं ना कहीं मुँह काला करते हैं और उनको प्यार भी दिखावे का करते हैं मगर मेरा विकास मुझ पर जान छिड़कता है.. इसी लिए मुझे भी अपने पति का ख्याल है.. लौड़े का तो कोई नुकसान होता नहीं है.. कितनी भी चूत मार लो.. तो मुझे क्या दिक्कत.. और इसमें मेरा एक और फायदा है.. कभी अगर मेरे मन में ना हो तो पति को नाराज़ नहीं करूँगी.. सीधा तुम्हें बुला लूँगी.. तुम चुदवा लेना इससे विकास भी खुश.. मैं भी खुश।
दीपाली- और मेरी ख़ुशी का क्या?
विकास- अरे मेरी जान.. तेरी ख़ुशी के लिए ये लौड़ा है ना.. तू जब चाहे इसको अपनी चूत में डाल लेना हा हा हा हा…
विकास के साथ अनुजा भी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी।
दीपाली- उहह सबको अपनी पड़ी है.. जाओ नहीं चुदवाती में.. अब क्या कर लोगे तुम.. दीदी आप बहुत गंदी हो अपने मतलब के लिए मुझे इस्तेमाल किया आपने।
अनुजा- अरे रे रे.. तू तो बुरा मान गई.. कसम से मैं तो मजाक कर रही थी यार.. तुझे सब अच्छे से समझ आ जाए और तू भी मज़ा ले सके.. बस इसलिए मैंने ये किया…
दीपाली- हा हा हा हा निकल गई ना हवा.. जब मुझे छेड़ रहे थे दोनों.. तब बड़ा मज़ा आ रहा था.. मैंने थोड़ा सा गुस्सा होने का नाटक किया तो आप डर गईं।
विकास- ले अनु तुझे नहले पे देल्हा मार दिया इसने…
अनुजा- हाँ वाकयी में एक बार तो मैं डर गई थी।
दीपाली- नहीं दीदी.. आपको डरने की कोई जरूरत नहीं है.. आपने जो किया अच्छा किया.. अब हम दोनों राजा जी से चुदाएंगे.. बड़ा मज़ा आएगा…
अनुजा- ओये होये राजा जी.. क्या बात है अब तक तो सर बोल रही थी.. तेरी चूत की सील तोड़ते ही सीधे राजा जी.. गुड.. आगे खूब तरक्की करोगी तुम…
विकास- दीपाली ऐसी सेक्सी बातें करोगी तो मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा देख मेरे लौड़े में तनाव आने लगा है.. अब नास्ता भी हो गया.. आजा मेरी जान तेरी चूत का स्वाद चखा दे मेरे लौड़े को…
दीपाली- सब्र करो पहले मुझे दवा तो लेने दो वरना फिर से मेरी जान निकल जाएगी।
अनुजा- अरे हाँ.. पहले दवा ले ले उसके बाद चुदाई का मज़ा लेना.. चुदाई करवा के आराम से सो जाना…
विकास- अनु तुम भी कहाँ सोने की बात कर रही हो.. ऐसी कमसिन कली साथ होगी तो नींद किसे आएगी.. आज तो सारी रात बस इसकी चूत में लौड़ा डालकर पड़ा रहूँगा।
अनुजा- अच्छा बच्चू.. और मेरा क्या होगा.. कब से मेरी चूत में खुजली हो रही है…
दीपाली- दीदी मेरे बाद आप चुदवाना.. प्लीज़ मुझे आपकी चुदाई देखनी है…
अनुजा- ठीक है देख लेना.. अच्छा रुक मैं तुझे दवा देती हूँ। उसके बाद तुम दोनों मज़े करना.. मुझे बाजार जाना है एक जरूरी काम है।
अनुजा ने एक गोली दीपाली को दे दी और जाने लगी।
दीपाली- नहीं दीदी आप यहीं रहो ना प्लीज़…
अनुजा- अरे पगली बस अभी जाकर आती हूँ कुछ समान लाना है.. अभी लेकर आ जाती हूँ और कुछ खास काम भी है.. आकर तुझे बताऊँगी।
दीपाली बुझे मन से अनुजा को जाने देती है। अनुजा के जाने के बाद विकास उसके पास बैठ जाता है और उसके मम्मों को सहलाने लगता है।
विकास- क्या हुआ रानी.. अनुजा के जाने से खुश नहीं हो क्या.. मैं हूँ ना.. तुम्हारा ख्याल रखने को…
दीपाली- नहीं सर.. ओह्ह.. सॉरी.. राजा जी ऐसी बात नहीं है मैं खुद यही चाहती हूँ कि दीदी कहीं चली जाए और मैं आपसे खुलकर बात कर सकूँ.. पर दीदी के बारे में सोच कर दुखी हूँ.. कोई तो बात है जिसके कारण वो अपने पति को किसी अनजान से चुदवाते देख रही हैं कहीं उनकी कोई मजबूरी तो नहीं?
विकास- ओ बेबी कूल.. ऐसा कुछ नहीं है.. हम दोनों में कोई ऐसी बात नहीं है तुम गलत समझ रही हो.. वो किसी मजबूरी में नहीं बल्कि ख़ुशी से ये सब कर रही है।
दीपाली के चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ गए और वो विकास से लिपट गई।
विकास- ये हुई ना बात अब चल जब तक अनुजा आए हम एक बार और खुलकर चुदाई का मज़ा ले लेते हैं.. कसम से तेरी चूत बहुत दमदार है साली लौड़े को ऐसे जकड़ लेती है जैसे कभी छोड़ेगी ही नहीं।
दीपाली- आप भी दीदी की तरह बेशर्म हो।
विकास- अरे रानी.. अगर चुदाई का मज़ा लेना है ना.. तो जितना हो सके, गंदी बातें करो.. बेशर्मी में जो मज़ा है.. वो और कहीं नहीं.. अगर यकीन नहीं आता तो आजमा लो और देखो कितना मज़ा आएगा।
दीपाली- मैंने उस स्टोरी में ये सब पढ़ा था.. चलो मैं ट्राइ करती हूँ।
विकास- हाँ ठीक है.. मैं भी तुम्हारा साथ दूँगा।
दीपाली- अरे मेरे चोदूमल आ जा देख तेरे इन्तजार में कैसे चूत टपक रही है.. जल्दी से अपने लौड़े को घुसा दे और मेरी चूत को ठंडा कर दे हा हा हा हा हा मुझसे नहीं होगा कुछ भी हा हा हा।
विकास- अरे हँस मत.. अच्छा बोल रही थी तू.. प्लीज़ जान बोलो ना.. मज़ा आएगा।
दीपाली- ओके ओके.. आप पहले मेरे इस डायलाग का तो जबाव दो।
विकास- अरे जानेमन.. अभी देख कैसे मैं अपने लंबे लौड़े से तेरी चूत की गर्मी निकालता हूँ।
दीपाली फिर ज़ोर से हँसने लगी इस बार विकास भी उसके साथ हँसने लगा और हँसते-हँसते उसने दीपाली को बांहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा।
दीपाली भी उसका साथ देने लगी।
अब दोनों हँसी-मजाक से दूर काम की दुनिया में खो गए थे।
विकास उसके निप्पलों को चूस रहा था तो वो अपने हाथ से उसके लौड़े को दबा रही थी।
दीपाली- आह्ह… उफ्फ.. आपका ये अंदाज बहुत अच्छा लगता है.. उई आह्ह… ऐसे ही चूसो.. मज़ा आ रहा है आह्ह… मुझे आपका लौड़ा चूसना है.. पता नहीं क्यों मेरे मुँह में पानी आ रहा है और मन कर रहा है लौड़ा चूसने को…
विकास- मेरी जान मुझे भी तो अपनी कमसिन चूत का मज़ा दो.. चलो तुम मेरे ऊपर आ जाओ.. अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दो और तुम आराम से लौड़ा चूसो।
दोनों 69 की अवस्था में आ गए और मज़े से चुसाई करने लगे।
दीपाली की सूजी हुई चूत को विकास की जीभ से बड़ा आराम मिल रहा था।
वो एकदम गर्म हो गई थी और टपकने लगी थी.. इधर विकास पर भी चुदाई का खुमार चढ़ने लगा था.. पानी की बूँदें तो उसके लौड़े से भी आ रही थीं क्योंकि दीपाली होंठों को भींच कर मुँह को ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थी जिससे विकास को बड़ा मज़ा आ रहा था।
दस मिनट तक ये खेल चलता रहा। विकास ने चूत को चाटना बन्द किया और दीपाली को हटने को कहा।
दीपाली- उफ्फ.. कितना मज़ा आ रहा था क्या हुआ हटाया क्यों.. आपके लौड़े में क्या मज़ा है.. सच्ची.. दिल करता है बस चूसती रहूँ।
विकास- अरे चूस लेना मेरी जान.. पहले इसको चूत का मज़ा लेने दे.. साली तेरी टाइट चूत को पहले चोद-चोद कर ढीला कर दूँ.. उसके बाद जितना मर्ज़ी लौड़ा चूसना.. चल अब तू घोड़ी बन जा.. तुझे नए तरीके से चुदना सिखाता हूँ।
दीपाली- हाँ मज़ा आएगा.. मैंने डीवीडी में देखा था.. चलो मैं घोड़ी बन जाती हूँ.. पर आराम से डालना.. मुझे मज़ा लेना है.. प्लीज़ दर्द मत देना।
बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
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