विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-7
(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-7)
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लगभग 10 मिनट तक विकास उसको चोदता रहा.. दीपाली दोबारा गर्म हो गई।
उसकी चूत में अब दर्द के साथ-साथ मीठा-मीठा करंट भी दौड़ रहा था.. वो दोबारा चरम पर पहुँच गई थी और पहुँचती भी कैसे नहीं 8″ का लौड़ा ताबड़तोड़ उसकी चूत में आगे-पीछे हो रहा था।
दीपाली- आह आह आह सर प्लीज़.. ज़ोर से आह्ह… मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है आआह आह्ह…
विकास- आह.. ले मेरी दीपा रानी ओह्ह ओह्ह ओह्ह.. मेरा भी पानी निकलने वाला है.. आह्ह… आज तेरी चूत को पानी से भर दूँगा… 18 सालों से ये प्यासी थी.. आज इसकी प्यास बुझा दूँगा आह्ह… आह…
विकास के लौड़े से पानी की तेज धार निकली और दीपाली की चूत की दीवारों से जा टकराई..
गर्म-गर्म वीर्य के अहसास से उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया।
अब दोनों शान्त पड़ गए.. दोनों के पानी का मिलन हो गया।
काफ़ी देर बाद विकास को अनुजा ने ऊपर से हटाया।
अनुजा- विकास अब उठो भी क्या ऐसे ही पड़े रहोगे.. बेचारी को सांस तो लेने दो।
विकास जब ऊपर से हट कर बगल में हुआ.. तो बिस्तर पर खून लगा हुआ था।
उसका लौड़ा भी वीर्य और खून से लथपथ था।
दीपाली को कोई होश ही नहीं था.. वो तो बस आराम से लेटी हुई थी।
अनुजा- लो जी.. मज़ा आपने लिया और सज़ा मुझे मिली.. चादर पर खून लग गया.. अब मुझे ही साफ करनी पड़ेगी।
खून का नाम सुनते ही दीपाली चौंक गई और जल्दी से उठने की कोशिश करने लगी.. मगर उससे उठा ही नहीं गया।
उसकी चूत में तेज़ दर्द हुआ और उसकी टाँगें भी जबाव दे गई थीं।
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अनुजा- अरे दीपाली चौकों मत.. ऐसे झटके से मत उठो.. अभी तो चूत में दर्द है और ये खून तो शगुन का निकला है मेरी जान.. आज से तुझे चुदवाने का लाइसेंस मिल गया है।
दीपाली- दीदी क्या इसी लिए मुझे इतना दर्द हुआ और बहुत ज़्यादा खून निकला है?
अनुजा- अरे पागल.. थोड़ा सा निकला है.. चल मेरा हाथ पकड़ कर बैठ जा और खुद देख ले।
दीपाली ने जब देखा तो उसको समझ आ गया कि घबराने की कोई बात नहीं है.. ज़रा सा खून निकला है।
विकास- तुम दोनों बातें करो.. मैं बाथरूम में जाकर लौड़े को साफ करके आता हूँ।
अनुजा- अच्छा जी.. चुदाई ख़तम तो मुँह फेर लिया.. अकेले ही कहाँ जा रहे हो मेरे राजा.. दीपाली की चूत कौन साफ करेगा.. चलो इसको भी उठाओ और साथ लेकर जाओ।
दीपाली- नहीं दीदी.. मैं खुद से चली जाऊँगी.. सर को जाने दो।
दोस्तों चुदाई का खुमार उतारते ही दीपाली को शर्म आने लगी थी.. वो पाँव को सिकोड़ कर बैठी थी।
अनुजा- ये देखो चूत में 8″ की खाई खुदवा कर अब इसे शर्म आ रही है.. तब तो बड़ा उछल रही थी.. आह्ह… ज़ोर से करो सर.. तब शर्म नहीं आई?
दीपाली ने अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया।
दीपाली- दीदी प्लीज़.. वो सब बातें मत दोहराओ.. मुझे तो सोच कर ही शर्म आ रही है.. छी: ये मैंने क्यों किया? ये सब वो भी सर के साथ…
विकास- अनु लगता है इसकी शर्म उतारनी ही पड़ेगी। तू जा कुछ खाने का इंतजाम कर.. तब तक हम फ्रेश हो जाते हैं और हाँ.. ऐसे ही नंगी जाना।
अनुजा गाण्ड को मटकाती हुई वहाँ से चली गई।
विकास बिना कुछ बोले दीपाली के पास गया और उसको बांहों में उठा कर बाथरूम में ले गया..
वहाँ उसको कमोड पर बैठा कर बाथटब में गर्म पानी डाला और उसी गर्म पानी से हल्के-हल्के हाथ से दीपाली की चूत पर लगा खून साफ किया।
दीपाली- आह्ह… सर मैं कर लूँगी.. आह्ह… आप रहने दो.. उई दुखता है…
विकास- अरे जान.. अब ये सर को गोली मारो.. अनु मुझे राजा कहती है.. तुम भी ऐसे ही कहो और अब कैसी शर्म.. मुझे करने दो.. थोड़ी देर में आराम मिल जाएगा।
इसके बाद दीपाली कुछ ना बोली और बस विकास को चूत साफ करते हुए देखती रही।
फिर ना जाने उसको क्या समझ में आया कि अपने हाथ पर पानी डाल कर वो विकास के लौड़े को साफ करने लगी।
उसका अंदाज इतना प्यारा और सेक्सी था कि विकास के सोए लंड में जान आ गई और वो फिर से अकड़ने लगा।
दीपाली- ऊ माँ.. ये तो फिर से खड़ा हो गया…
विकास- सोए हुए नाग को जगाओगी तो फुंफकार ही मारेगा ना…
दीपाली- ओह्ह.. सर आप भी ना…
विकास- अरे अभी बताया ना.. राजा बोलो.. जानू बोलो यार…
दीपाली- ओके ओके बाबा.. अब से राजा नहीं.. राजा जी कहूँगी.. मगर अब इसका क्या करना है.. ये तो तनता ही जा रहा है।
विकास- यार भूखे को सिर्फ़ एक निवाला देकर रुक जाओगी तो उसकी तो भूख और बढ़ जाएगी ना.. और वो एकदम बेसब्र हो जाएगा.. बस इसी तरह मेरे प्यासे लौड़े को एक बार कच्ची चूत देकर तुम रुक गईं.. अब ये तो फुंफकार ही मारेगा ना…
दीपाली- ना बाबा ना.. अब मैं नहीं दूँगी.. पहले ही बहुत दर्द से लिया मैंने.. अब तो सवाल ही पैदा नहीं होता।
विकास- अरे मेरी जान.. दर्द पहली बार में ही होता है और तुम तो 18 साल की हो यार.. इतनी उम्र की और लड़कियाँ भी चुद जाती हैं.. उनको कितना दर्द होता होगा.. जरा सोच कर देख.. तू तो बच्चा भी पैदा कर सकती है यार.. पहले जमाने में तेरी उम्र में 2 बच्चे हो जाते थे।
दीपाली- सच्ची ओह्ह.. माँ.. पहले कितनी जल्दी शादी कर देते थे ना.. बाल-विवाह.. अच्छा हुआ अब ऐसा नहीं होता…
विकास- ये सब बातें जाने दे.. चल टब में बैठ जा.. गर्म पानी से चूत को अच्छे से सेंक ले.. ये सब बातें फ़ुर्सत में करेंगे.. मैं बाहर जाकर अनुजा को देखता हूँ.. इतनी देर से वो क्या कर रही है।
हाय दोस्तो.. क्यों मज़ा आ रहा है ना.. दीपाली की चुदाई में..
अरे नहीं नहीं कहानी अभी ख़त्म नहीं हुई मैं ऐसे ही आपसे बात करने आ गई..
प्लीज़ दोस्तो, कहानी का मज़ा लो…
पर मुझे गंदे मैसेज भेजना बन्द करो.. थैंक्स…
आओ दोबारा कहानी की तरफ ले चलती हूँ:
विकास वहाँ से निकल कर सीधा रसोई में गया।
अनुजा ट्रे में कुछ चिप्स और बिस्कुट रख रही थी..
चाय भी रेडी थी।
विकास चुपके से उसके पीछे जाकर उससे चिपक गया, लौड़ा ठीक गाण्ड के छेद पर टिका हुआ था और आगे से विकास उसके मम्मों को दबाने लगा।
अनुजा- ओह्ह.. क्या करते आप भी.. अभी सब नीचे गिर जाता.. छोड़ो भी।
विकास- जान आज तो बड़ी मस्त लग रही हो.. मन करता है ऐसे खड़े-खड़े ही तुम्हारी गाण्ड मार लूँ…
अनुजा- बस बस.. मुझे ज़्यादा उल्लू मत बनाओ.. तुम्हें दीपाली जैसी मस्त लड़की मिल गई.. अब कहाँ मेरे बारे में सोचोगे।
विकास- अरे नहीं अनु.. ऐसा कुछ नहीं है तुम तो मेरी जान हो.. दीपाली तो आज आई है.. मैं तो तुम्हें कब से चाहता हूँ और जिंदगी भर चाहता रहूँगा.. ऐसी किसी भी लड़की के आ जाने से मेरे प्यार में कोई फ़र्क नहीं आएगा।
अनुजा- अच्छा अच्छा.. ज़्यादा दु:खी मत हो.. मैंने ऐसे ही बोल दिया था.. मैं कहाँ भाग कर जा रही हूँ.. जब चाहे चोद लेना.. अभी तो उस कमसिन कली के मज़े लो।
विकास- कहाँ यार.. वो तो अब साफ मना कर रही है।
अनुजा- अरे मेरे भोले राजा.. जब चूत को एक बार लंड की लत लग जाती है ना.. तो कुछ भी हो जाए उसको लौड़ा लिए बिना चैन नहीं मिलता.. वो शर्मा रही है.. बस देखो अभी कैसे उसको तैयार करती हूँ.. तुम तो आज बस उसको चोद-चोद कर लंड की आदी बना दो ताकि मैं कभी गाँव जाऊँ तो तुम्हें तड़पना ना पड़े.. अपने आप वो चुदवाने चली आए.. समझे…
विकास- हाँ ये तो ठीक है मगर अभी कहाँ वो चुदवाएगी.. उसका जाने का वक्त भी हो गया है।
अनुजा- मेरे पास एक तरकीब है.. चलो अन्दर जाकर बताती हूँ।
दोनों वहाँ से वापस कमरे में आ जाते हैं, तब तक दीपाली भी अच्छे से चूत की सिकाई करके नहा कर रूम में आ जाती है।
दीपाली वैसे ही नंगी बैठी हुई अपनी चूत को देख रही थी।
अनुजा- क्या बात है बहना.. चूत को बड़ी गौर से देख रही हो.. क्या इरादा है?
दीपाली- कुछ नहीं.. बस देख रही हूँ कि कैसे सूज कर लाल हो गई है.. दर्द अब भी हो रहा है।
अनुजा- एक बार और चुदवा ले.. सारा दर्द भाग जाएगा और मज़ा भी मिल जाएगा।
दीपाली- नहीं दीदी.. आज के लिए इतना काफ़ी है.. अब मुझे जाना होगा मम्मी इन्तजार कर रही होंगी।
अनुजा- दीपाली तेरी मम्मी को पता है ना.. तू कहाँ पढ़ने आती है।
दीपाली- हाँ मैंने बताया है और खास आपके बारे में बताया है कि कैसे आप मेरा ख्याल रखती हो।
अनुजा- वेरी गुड.. अब चल जल्दी से अपने घर का फ़ोन नम्बर दे।
दीपाली- क्यों दीदी.. आप क्या करोगी?
अनुजा- अरे पगली ऐसी हालत में घर जाएगी तो तेरी माँ को शक हो जाएगा.. तू एक-दो घंटा यहाँ रुक.. मेरे पास दर्द की दवा है.. तुझे दूँगी… तू जब एकदम बराबर सही से चलने लगेगी.. तब जाना।
दीपाली- वो तो ठीक है.. पर फ़ोन नम्बर से क्या होगा?
अनुजा- तू सवाल बहुत करती है.. नम्बर दे, अभी पता चल जाएगा।
दीपाली से नम्बर लेकर अनुजा उसके घर फोन करती है।
वो कहते हैं ना देने वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है।
अनुजा- हैलो मैं अनुजा बोल रही हूँ, वो आंटी क्या है ना कि मेरे पति किसी काम से बाहर गए हैं, मैं घर पर अकेली हूँ, मेरी तबीयत भी ठीक नहीं है.. आप को ऐतराज ना हो तो दीपाली थोड़ा बाद में आ जाएगी।
दीपाली की मम्मी- अरे नहीं नहीं.. अनुजा बेटी… मुझे क्या दिक्कत होगी… बल्कि तुमने फ़ोन करके मेरी बहुत बड़ी परेशानी ख़त्म कर दी.. दरअसल मेरे भाई की तबीयत खराब है.. मुझे और दीपाली के पापा को गाँव जाना था, मगर दीपाली के कारण मुश्किल हो रही थी। इसके इम्तिहान करीब हैं इसको साथ नहीं ले जा सकते.. और यहाँ अकेली किसी के पास छोड़ नहीं सकते.. अब मेरी दिक्कत ख़तम हो गई.. तुमको परेशानी ना हो तो प्लीज़ एक दिन इसे अपने पास रख लो.. बड़ी मेहरबानी होगी तुम्हारी.. कल शाम तक हम आ जाएँगे।
अनुजा- अरे आंटी आप ये कैसी बात कर रही हो… दीपाली मेरी छोटी बहन जैसी है, आप चिंता मत करो.. मैं संभाल लूँगी।
बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए…
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
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