विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-41
(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-41)
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तभी दीपाली ने घन्टी बजा दी।
प्रिया- मेरी पूरी बात भी नहीं सुनी.. दीपाली को बोल देती सवाल पूछने आई थी.. सर भी ना पागल है.. वैसे लौड़ा बड़ा मस्त है उनका.. तभी दीपाली उनके प्यार में पागल हो गई है।
विकास- आ रहा हूँ रूको…विकास ने दरवाजा खोला और दीपाली को देख कर उसको मुस्कान दी- अब आ रही हो.. तुम्हारा कब से इन्तजार कर रहा हूँ।
दीपाली- हाँ जानती हूँ.. अकेले बोर हो रहे होगे.. अब अन्दर भी चलो.. क्या सारी बात यही करोगे?विकास पीछे हट गया.. दीपाली अन्दर आ गई।
विकास- तुमको कैसे पता मैं अकेला हूँ?
दीपाली- व्व..वो बस ऐसे ही अंदाज से बोल दिया मैंने.. तो क्या सच में दीदी घर पर नहीं है?
विकास- हाँ अपनी सहेली से मिलने गई हैं.. तुम इतनी देरी से क्यों आई हो?
दीपाली- वो घर पर थोड़ा काम था मुझे.. अब क्या सवाल करने लगे आप.. चलो थोड़ी मस्ती करते हैं।
विकास- आ जा मेरी जान कमरे में.. आज तो पूरा दिन तेरी चूत और गाण्ड बजा कर मज़ा लूँगा..
दीपाली- वहाँ नहीं आज इस कमरे में चुदवाऊँगी.. हमेशा एक ही कमरे में मज़ा नहीं आता.. आज दूसरे कमरे में चलो..
जिस कमरे में प्रिया थी.. दीपाली उसी तरफ बढ़ने लगी।
विकास- रूको दीपाली आज तुम्हें क्या हो गया है.. उस कमरे में क्या खास है? चूत में लौड़ा डालना है.. चाहे इस कमरे में डालो या उसमें क्या फ़र्क पड़ जाएगा?
दीपाली- मुझे तो कुछ नहीं हुआ मगर आपको शायद कुछ हो गया इतने घबरा क्यों रहे हो कोई और लड़की है.. क्या इस कमरे में हा हा हा…
विकास- त..तू भी पागल है.. और कौन आएगी.. यहाँ चल उसमें ही चल आज तुझे वहीं चोदता हूँ।
दीपाली- ये हुई ना बात.. चलो इस कमरे में जाने का कारण है कि मैं घर के हर एक कोने में आपसे चुदना चाहती हूँ ताकि घर का कोना-कोना हमारे मिलन को याद रखे.. अब आ जाओ।
प्रिया अन्दर से दोनों की बात सुन रही थी उसको बड़ा मज़ा आ रहा था।
उनकी बातों को सुनकर वो पर्दे के पीछे छुप गई। दीपाली ने दरवाजा खोला तो विकास की सांस कुछ देर के लिए थम गई।
वो जल्दी से अन्दर आया और चारों तरफ़ निगाह घुमाई।
दीपाली- आ जाओ मेरे राजा जी, ये पलंग भी अच्छा है.. आज यही मज़ा लेंगे।
जब प्रिया कमरे में नहीं दिखी तो दीपक की जान में जान आई.. मगर उसकी निगाहें अब भी उसे ढूँढ रही थीं.. उसको तो पता था कि वो यहीं कहीं छुपी हुई है।
दीपाली- राजा जी कपड़े मैं निकालूँ.. या आप निकालोगे?
विकास- अरे मेरी जान मैं ही निकालूँगा.. आजा मेरी रानी आज तो बड़ी जबरदस्त चुदाई करूँगा तेरी..
दीपाली के सामने खड़ा होकर विकास उसके कपड़े निकालने लगा। तभी पर्दे के पीछे से प्रिया ने झाँक कर अपनी मौजूदगी उसे बता दी कि मैं यहाँ हूँ।
विकास ने इशारे से उसे वहीं रहने को कहा और दीपाली को नंगा करने में लग गया।
विकास- जान मैंने कहा था ना.. ब्रा का साइज़ अब बड़ा ले आओ.. देखो कैसे तूने इसमें ज़बरदस्ती चूचों को जकड़ा हुआ है..
दीपाली- मेरे राजा आप शायद भूल गए ब्रा आपको ही लाकर देनी है.. मुझे भी अब महसूस हो रहा है.. आज बड़ी मुश्किल से ब्रा पहनी मैंने देखो.. पहले इस पहले हुक में बन्द करती थी.. अब तो आखिरी वाले में भी बड़ी मुश्किल से आई है।
विकास अब थोड़ा खुल कर बात कर रहा था शायद वो प्रिया को रिझाने के लिए ये सब बोल रहा था।
विकास- मेरी जान आज तेरी चुदाई के बाद साथ में जाएँगे.. तुझे ब्रा के साथ नई पैन्टी भी दिला दूँगा.. तेरी गाण्ड भी अब बड़ी होने लगी है।
दीपाली- हाँ.. राजा उफ्फ क्या कर रहे हो मेरे चूचे इतनी ज़ोर से दबा दिए.. अब देखो आज आपके लौड़े को खा जाऊँगी।
विकास ने लोवर निकाल दिया.. दीपाली के कपड़े निकालते हुए उसका लौड़ा तन गया था।
विकास- लो जानेमन लौड़ा हाजिर है.. खा जाओ इसको।
दीपाली घुटनों के बल बैठ गई और लौड़े को मुँह में लेकर बड़े मज़े से चूसने लगी।
विकास- आह.. चूस जान आह्ह.. एक बात कहूँ रात को सपने में एक परी आई थी… वो लौड़ा को बड़े अलग तरीके से चूस रही थी.. बड़ा मज़ा आया मुझे वैसे चूसो ना…
विकास ने प्रिया को सुनाने के लिए ये बात कही ताकि उसको अच्छा लगे.. दरअसल विकास की नियत प्रिया पर बिगड़ गई थी। अब वो किसी भी तरह उसको चोदना चाहता था।
दीपाली- आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. आज तो आपका लौड़ा बहुत कड़क हो रहा है.. आह्ह.. कोई परी मुझसे अच्छा कोई नहीं चूस सकती.. मैं हूँ लौड़े की सबसे बड़ी दीवानी आह्ह..
दीपाली जीभ से विकास के लौड़े और गोटियों को चूस और चाट रही थी।
दीपाली की पीठ प्रिया की तरफ थी।
प्रिया थोड़ी सी पर्दे के बाहर निकल कर सब देख रही थी। उसकी चूत भी पानी-पानी हो गई थी और ना चाहते हुए भी उसका हाथ चूत पर चला गया.. जिसे विकास ने देख लिया।
विकास- आह्ह.. चूस जान.. तेरी चूत की खुजली ऐसे नहीं जाएगी आह्ह.. इसे मेरा लौड़ा ही मिटा सकता है.. आह्ह.. तू एक बार मेरा लौड़ा आह्ह.. लेकर तो देख आह्ह.. बड़ा मज़ा आएगा आह्ह..
दीपाली- हाँ मेरे राजा जी.. ज़रूर लूँगी एक बार क्या.. बार-बार लूँगी आह्ह.. अब मेरी चूत चाट कर बस घुसा दो लौड़ा.. आह्ह.. जल्दी से घुसा दो चूत जलने लगी है।
विकास ने दीपाली को बिस्तर पर ऐसे सुलाया कि उसका सर प्रिया की तरफ़ हो वो कुछ देख ना पाए और उसकी टाँगों को पूरा मोड़ कर उसकी चूत पे निगाह मारी।
विकास- अरे दीपा रानी आज ये चूत ऐसे खुली हुई कैसे लग रही है.. क्या रात को कोई मोटा डंडा घुसाया है तूने इसमें?
दीपाली सकपका गई.. भिखारी ने चूत को खोल दिया था और विकास ने देख भी लिया।
दीपाली- आह्ह.. आपके डंडे के सिवा और डंडा कहा से लाऊँगी आह्ह.. रात को बहुत मन था तो ऊँगली से मज़ा ले रही थी.. आह्ह.. अब आप मत तड़पाओ चाटो ना आह्ह.. मेरी चूत को…
विकास ने अपनी जीभ चूत में घुसा दी और बस चाटने लगा।
दीपाली- आ सर उह मज़ा आ गया आह्ह.. सच्ची आपके चाटने का तरीका बहुत मस्त है आह्ह.. चाटो मेरी चूत आ चाटो मेरे राजा।
प्रिया की अब हिम्मत बढ़ने लगी थी.. वो थोड़ी और बाहर निकल कर उनकी चुसाई-लीला देख रही थी और अपनी चूत मसल रही थी।
विकास ने जब चूत से मुँह ऊपर उठाया प्रिया आँखें बन्द करके चूत रगड़ रही थी.. जिसे देख के विकास के लौड़े में ज़्यादा तनाव आ गया और आना ही था.. दीपाली को वो कई बार चोद चुका था.. प्रिया नई थी और किसी नई चूत के लिए लंड की लालसा.. आप जानते ही हो.. वो और ज़्यादा अकड़ गया।
विकास- बस जानेमन.. अब तेरी चूत में लौड़ा डाल कर आज इसका भुर्ता बना दूँगा.. देख आज लौड़ा तुझे देख कर कैसे फुंफकार मार रहा है।
प्रिया ने आँखें खोल कर लौड़े पर नज़र डाली.. वो सब समझ रही थी कि विकास जो कुछ भी बोल रहा है.. उसे देख कर ही बोल रहा है।
दीपाली- आह्ह.. घुसा दो राजा.. अब बर्दास्त नहीं होता कर दो चूत को ठंडा.. आह्ह.. आज तो ये निगोड़ी चूत बहुत जल रही है।
विकास ने एक ही झटके से पूरा लौड़ा चूत में पेल दिया।
दीपाली- आईईइ मज़ा आ गया आह्ह.. सर आपकी ये फोर्स एंट्री बहुत मज़ा देती है.. आह्ह.. अब शुरू हो जाओ आह्ह.. रगड़ो आह्ह.. चोदो मेरे राजा.. मेरी चूत आह्ह.. आपकी ही है.. आह्ह.. चोदो।
विकास घपाघप लौड़ा पेलने लगा। ये सब देख कर प्रिया की हालत खराब होने लगी थी.. मगर वो ना जाने क्यों छुपी हुई थी.. अब उसने स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल लिया था और चूत को मसल रही थी।
विकास ने इशारे से उसे स्कर्ट निकालने को कहा तो वो मुस्कुरा दी।
दीपाली- आह्ह.. चोदो फास्ट.. आह्ह.. राजा मज़ा आ रहा है आह उईईइ…
विकास- ले मेरी जान तेरे लिए तो जान हाजिर है.. आह्ह.. ऐसे मज़ा नहीं आएगा खुल कर मज़ा लो.. शर्म को उतार कर फेंक दो.. चूत आज़ाद ही अच्छी लगती है.. उसे ऐसे जकड़ कर मत रखो.. बस चुदवाती रहो आह्ह.. ले जान उहह उहह पूरा ले आह्ह.. ले..
विकास की बातें दीपाली समझ नहीं पा रही थी.. मगर प्रिया अच्छी तरह सब समझ रही थी.. उस पर वासना हावी हो गई थी और विकास की बातें उस पर असर करने लगीं।
उसने स्कर्ट और पैन्टी नीचे कर दी।
अब उसकी फूली हुई चूत विकास को दिखने लगी। वो और जोश में दीपाली को चोदने लगा।
दीपाली- आह’ उह.. मर गई.. उई आह मेरा पानी आह निकलने उई वाला है ओफ्फ.. मैं गई आआह्ह..
दीपाली की चूत ने पानी छोड़ दिया मगर विकास कहाँ झड़ने वाला था.. वो तो दे-दनादान चुदाई कर रहा था।
इधर प्रिया भी चूत में ऊँगली कर रही थी।
दीपाली- आ आह्ह.. मेरे राजा आह्ह.. मेरी चूत ठंडी हो गई आह्ह.. अब गाण्ड मार लो आह्ह.. चूत से आह्ह.. निकाल लो।
विकास ने लौड़ा निकाला और झट से दीपाली को उठा कर दूसरी तरफ़ झुका दिया यानि घोड़ी बना दिया और लौड़ा गाण्ड में पेल दिया।
दीपाली- आह इतने भी क्या बेसब्र हो रहे हो अई कमर में झटका लग गया आह्ह.. छोड़ो अब आह्ह.. मेरी गाण्ड का मज़ा लो मेरे राजा आह्ह..
अब विकास की पीठ प्रिया की तरफ़ थी.. वो लगातार दीपाली की गाण्ड में शॉट लगाते जा रहा था।
कोई दस मिनट तक ताबड़तोड़ चुदाई के बाद विकास के लौड़े से लावा फूट गया और लौड़ा जड़ तक गाण्ड में घुसा कर वो झड़ने लगा।
बस दोस्तो, आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं!
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..
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