विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-4

(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-4)

पिंकी सेन 2014-12-23 Comments

This story is part of a series:

दीपाली- दीदी बाथरूम का दरवाजा तो बन्द करो.. कोई आ गया तो?

अनुजा- अरे यार घर में सिर्फ़ हम दोनों हैं और कमरे की कुण्डी बन्द है ना.. कोई कैसे आएगा..? अब चुपचाप बैठ जा यहाँ।

दीपाली इसके बाद कुछ नहीं बोली.. 15 मिनट में अनुजा ने उसके चूत के बाल के साथ-साथ उसके हाथ-पाँव के भी बाल उतार दिए। उसको एकदम मक्खन की तरह चिकना बना दिया।

अनुजा- वाउ अब लगी ना… ‘सेक्सी-डॉल’.. चल अब बाहर आजा.. आज तुझे चूत का मज़ा देती हूँ।

दीपाली ने पानी से अपने आपको साफ किया और तौलिया से जिस्म पौंछ कर बाहर आ गई और बिस्तर पर सीधी लेट गई।

अनुजा- मेरी जान.. कल तूने स्टोरी पढ़ के चूत को ठंडा किया था ना.. अब देख आज मैं तुझे कैसे मज़ा देती हूँ।

दोस्तो, विकास अब भी खिड़की के पास ही खड़ा था.. उसने अपना 8″ का लौड़ा पैन्ट से बाहर निकाल लिया था और दीपाली को देख कर उसे सहलाने लगा था।

वो कुछ बड़बड़ा भी रहा था।

विकास- उफ्फ.. साली क्या चूत है तेरी.. साला लौड़ा बेकाबू हो गया… तेरे रसीले चूचे तो मुझे पागल कर रहे हैं… काश अभी इनको चूस-चूस कर तेरा सारा रस पी जाऊँ।

अनुजा ने दीपाली के पैरों को मोड़ कर उसकी चूत पर एक चुम्बन कर लिया।

दीपाली सिहर गई और जल्दी से बैठ गई।

दीपाली- छी.. छी.. दीदी ये आप क्या कर रही हो.. ये गंदी जगह पर चुम्बन क्यों कर रही हो?

अनुजा- अरे तुझे क्या पता पगली.. दुनिया में कामरस से बढ़कर कुछ नहीं है और ऐसी अनछुई कच्ची चूत का रस तो किसी नसीब वाले को ही मिलता है.. काश मैं लड़का होती तो आज तेरी सील तोड़ कर पूरा लौड़ा अन्दर घुसा देती.. हाय री मेरी फूटी किस्मत.. अब तो तेरी चूत चाट कर ही अपने आपको धन्य समझ लूँगी।

इतना बोलकर अनुजा चूत को अपनी जीभ से चाटने लगी।

दीपाली- आहह उफ़फ्फ़ दीदी आहह.. उई मज़ा आ गया आहह आई उफ़फ्फ़ आराम से दीदी आहह.. काटो मत ना आहह..

अनुजा जीभ की नोक को चूत के अन्दर तक घुसाने की कोशिश कर रही थी, मगर कुँवारी चूत में जगह कहाँ थी।
अब अनुजा चूत के दाने को जीभ से चाटने और चूसने लगी।

दीपाली- आह आह… ये आ.. आपन..ने आहह.. क्या कर दिया आहह.. मेरे आहह..प पु पूरे जिस्म में करंट जैसा लग र..र..रहा है।

अनुजा ने अपना मुँह ऊपर किया और दीपाली को आँख मारते हुए कहा।

अनुजा- मेरी जान इसे चूत का दाना कहते हैं जिसको छूने से चूत की आग भड़क जाती है और किसी आग की भट्टी की तरह चूत जलने लगती है.. यही सही समय होता है लौड़ा घुसाने का.. इस वक्त कितनी भी छोटी चूत क्यों ना हो.. बड़े से बड़े लौड़े को अन्दर ले लेती है.. मेरा बहुत मन कर रहा है कि तेरे मम्मों का रस पिऊँ मगर ये मैंने किसी और को देने का वादा किया है।

आख़िर की लाइन अनुजा ने धीरे से बोली ताकि दीपाली सुन ना सके।

दीपाली- दीदी आहह.. चाटो ना प्लीज़ आहह.. मज़ा आ रहा था ऐसे मुझे गर्म करके आप बीच में नहीं छोड़ सकती.. आह्ह प्लीज़।

अनुजा- देखा मेरा काम था तुझे गर्म करने का और अब तू एकदम गर्म हो गई है.. आजा अब तू भी मेरी चूत को चाट कर मज़ा ले।

दीपाली- नहीं दीदी ये मुझसे नहीं होगा.. मुझे घिन आ रही है प्लीज़ आप अच्छा चाट रही थीं.. आ जाओ ना।

अनुजा- अच्छा तुझे चाटने से घिन आएगी और चटवाने में बड़ा मज़ा आ रहा है.. ऐसा कर 69 के पोज़ में आ जा.. मेरी तू चाट तेरी मैं चाट कर मज़ा देती हूँ।

दीपाली पर सेक्स का खुमार छा गया था.. उसे अब अच्छे बुरे की कहाँ पहचान थी। बस अनुजा की बातों में आ गई।

अब दोनों एक-दूसरे की चूत को चाट रही थीं। शुरू में दीपाली को अच्छा नहीं लगा.. मगर अनुजा जिस तरीके से उसकी चूत चूस रही थी।

वो मजबूर हो गई और बैसे ही वो अनुजा की चूत चाटने लगी।

दोस्तों इन दोनों के चक्कर में आप विकास को भूल गए.. बेचारा बाहर खड़ा बड़ी रफ्तार से लौड़े को आगे-पीछे कर रहा था।

ये दोनों 10 मिनट तक एक-दूसरे की चूत चाटती रहीं।

फिर अनुजा अपनी ऊँगली से दीपाली की चूत चोदने लगी.. उसको थोड़ा दर्द तो हुआ मगर मज़ा बहुत आ रहा था।

आख़िरकार दीपाली की चूत ने पानी छोड़ दिया, जिसे अनुजा चाटने लगी।

उसी पल अनुजा ने भी दीपाली के मुँह पर पानी छोड़ दिया।

दीपाली को घिन आई और उसने मुँह हटा लिया मगर अनुजा उसके मुँह पर बैठ गई ना चाहते हुए भी दीपाली को रस पीना पड़ा।

दोनों अब अलग होकर शान्त पड़ गईं। उधर विकास भी हल्का हो चुका था।

दीपाली- छी दीदी.. आप बहुत गंदी हो.. चूत का पानी पी गईं और मुझे भी पिला दिया.. उह कितना अजीब सा स्वाद था।

अनुजा- अबे बस उल्टी करेगी क्या बिस्तर पे..? भूल जा उसको.. ये बता मज़ा आया कि नहीं तुझे।

दीपाली- दीदी सच बताऊँ.. जब आप चूत चाट रही थी ना.. बड़ा मज़ा आ रहा था और आपने जब ऊँगली अन्दर डाली.. मेरे तो बदन में से जान ही निकल गई थी.. कसम से बहुत मज़ा आया।

‘इसकी जगह लंड अन्दर गया होता तो तुझे और मजा आता।’

दीपाली- दीदी आप कब से लंड के बारे में बोल रही हो आख़िर ये होता कैसा है.. जरा मुझे भी तो दिखाओ।

अनुजा- ओये होये.. मेरी प्यारी बहना बड़ी जल्दी है तुझे लंड देखने की.. तुझे अगर अभी देखना है तो बुला लूँ.. तेरे विकास सर को.. उनका लंड देख लेना।

दीपाली- दीदी आप भी ना.. सर को बताने के लिए मैंने मना किया है।

अनुजा- तो मेरी रानी मेरे पास कौन सा लंड है.. जो तुझे निकाल कर दिखा दूँ.. मेरे पास तो ये चुदी हुई चूत है… इसे ही देख ले हा हा हा हा हा।

दीपाली भी अनुजा के साथ हँसने लगी।

अनुजा- चल तेरी तमन्ना मैं आज पूरी कर ही देती हूँ तू यहीं बैठ.. मैं अभी दूसरे कमरे से तेरे लिए लंड लेकर आई।

दीपाली- दीदी ये आप क्या बोल रही हो… प्लीज़ किसी को मत बुलाना प्लीज़ प्लीज़।

अनुजा- अरे पगली मैं तो ट्रिपल-एक्स डीवीडी लाने जा रही हूँ.. उसमें लंड देख लेना और चुदाई कैसे होती है.. वो भी तुझे पता चल जाएगा।

दीपाली- दीदी आप ऐसे ही जा रही हो.. कपड़े तो पहन लो।

अनुजा- यार विकास तो देर से आएगा और दूसरा कोई यहाँ है नहीं.. तो कपड़ों की क्या जरूरत है.. बस अभी आई।

अनुजा वहाँ से निकल कर दूसरे कमरे में चली गई.. बाहर विकास खड़ा था। वो भी उसके पीछे-पीछे चला गया।

विकास- मेरी जानेमन.. क्या कमाल का खेल खेला है तुम दोनों ने.. मेरी तो हालत ख़स्ता हो गई.. साला लौड़ा है की बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था.. हाथ से शान्त किया। फिर भी देखो कैसे फुंफकार मार रहा है।

अनुजा- अरे मेरे राजा… सब्र करो संभालो अपने आपको.. दीपाली अभी चुदाई के लिए तैयार नहीं है… कहीं जल्दबाज़ी में बना बनाया काम बिगड़ ना जाए।

विकास- अरे मेरी प्यारी अनु.. कैसे करूँ सब्र.. साली क्या मस्त लड़की है.. उसकी चूत देख कर मेरा तो दिमाग़ घूम गया। पुरानी याद ताज़ा हो गई.. याद है मैंने कैसे तुम्हारी सील तोड़ी थी।

अनुजा- हाँ सब याद है.. अब मुझे जाने दो वरना उसको शक हो जाएगा।

अनुजा डीवीडी लेकर वापस दीपाली के पास चली गई और डीवीडी चालू करके उसके पास बिस्तर पर बैठ गई।

दीपाली बड़ी गौर से फिल्म देख रही थी। उसका मुँह आश्चर्य से खुला हुआ था।

फिल्म में एक आदमी एक स्कूल-गर्ल के मम्मों को चूसता है और अपना लंबा लौड़ा उसे चुसवाता है।
लड़की भी मज़े से लौड़े को चूस रही थी। उसके बाद वो आदमी उसे घोड़ी बना कर खूब चोदता है।

दीपाली- ओह्ह.. माँ.. ये क्या हो रहा है.. लंड ऐसा होता है.. इतना बड़ा..? मैंने तो बच्चे की फुननी देखी थी.. मगर बड़ी होकर ये फुननी ऐसी हो जाती है.. कभी सोचा भी नहीं था।

अनुजा- हाँ प्यारी.. यही है लौड़ा.. इसी में सारी दुनिया का मज़ा है.. देख वो छोटी सी लड़की कैसे मज़े से चुद रही है.. उसको कितना मज़ा आ रहा होगा।

दीपाली- हाँ दीदी उसको तो मज़ा आ रहा है मगर मुझको डर लग रहा है.. इतना मोटा लौड़ा उसकी चूत में जा रहा है.. उसको दर्द तो हो रहा होगा ना?

अनुजा- अरे नहीं.. देख अगर उसको दर्द होता तो वो रोती ना.. मगर वो तो मज़े से चुद रही है और बार-बार बोल रही है.. ‘फक मी.. फक मी हार्ड…’ कुछ समझी बुद्धू.. चुदाई में मज़ा बहुत आता है।

अनुजा ने बहुत कोशिश की मगर दीपाली चुदने को राज़ी ना हुई। फिर अनुजा ने दूसरा पासा फेंका।

अनुजा- चल किसी आदमी से मत चुदाना.. तुझे पता है रबड़ का भी लौड़ा आता है जिससे तुम खुद चुदाई का मज़ा ले सकती हो और किसी आदमी के सामने तुम्हें नंगी भी नहीं होना पड़ेगा।

दीपाली- ओह्ह.. सच दीदी.. मुझे कल पक्का दिखाना.. अभी तो बहुत वक्त हो गया.. मुझे घर भी जाना है वरना मम्मी गुस्सा हो जाएगी।

दीपाली ने अपने कपड़े पहने और वहाँ से निकल गई।

इसके आगे क्या हुआ जानने के लिए पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
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