विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-26
(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-26)
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आप शायद भूल गए होंगे कि कल दीपाली और सुधीर के बीच कुछ काम की बात हुई थी.. बस यही था वो काम.. मैं आपको बताती हूँ
कल दीपाली ने सुधीर से उसके घर की डुप्लिकेट चाभी माँगी थी.. तब वो चौंका था मगर दीपाली ने उसे समझाया कि उसका कोई दोस्त है उसके साथ वो कभी दिन में वहाँ मज़े लेने आएगी.. जब सुधीर होटल पर रहेगा.. बस सुधीर मान गया और उसने आज चाभी दे दी।अब आप ये सोच रहे होंगे कि कौन दोस्त तो आपको बता दूँ दीपाली के मन में मैडी का ख्याल आया था कि शायद कभी उसको अपनी चूत का मज़ा दे दूँ तो जगह तो चाहिए ना.. बस यही सोच कर उसने चाभी ली।
ओके अब आगे की कहानी पर ध्यान दो।
दीपाली- थैंक्स अब मैं जाती हूँ देर हो रही है।
सुधीर- अरे ये क्या.. आज भी मुझे सूखा रहना होगा.. जान बस थोड़ी देर के लिए आ जाओ ना.. उसके बाद चली जाना…
दीपाली- नहीं.. नहीं.. ऐसा करो आने के वक्त मैं आती हूँ.. अभी जल्दी जाना जरूरी है।
सुधीर ने बुझे मन से उसको जाने दिया मगर उससे वादा लिया कि आते समय वो उसके घर आएगी।
दीपाली सीधी विकास के घर जा पहुँची।
अनुजा- ओये होये.. क्या बात है.. आज तो बड़ी मस्त लग रही हो.. क्या इरादा है मेरी दीपा रानी का…
दीपाली- इरादा तो आप जानती ही हो.. कहाँ हैं मेरे राजा जी.. दिखाई नहीं दे रहे।
अनुजा- अन्दर बैठे हैं तेरा ही इन्तजार कर रहे हैं.. जा जाकर मिल ले बड़े उतावले हो रहे हैं तेरे लिए…
जब दीपाली कमरे में गई तो विकास को देख कर चौंक गई.. विकास एकदम नंगा बैठा लौड़े को सहला रहा था।
दीपाली- ऊह.. माँ.. ये क्या है सर.. आप ऐसे क्यों बैठे हो.. इतनी भी क्या जल्दी थी आपको.. मेरे आने का इन्तजार भी नहीं किया और लौड़े को कड़क करने बैठ गए.. मैं कब काम आऊँगी।
विकास कुछ बोलता तभी पीछे से अनुजा आ गई।
अनुजा- हा हा हा हा विकास जवाब दो.. हा हा हा चुप क्यों हो.. हा हा हा…
विकास- बस भी करो.. इतना हँसोगी तो पेट में दर्द हो जाएगा।
दीपाली- अरे कोई मुझे भी बताएगा कि क्या हुआ?
विकास- अरे कुछ नहीं दीपाली… हम दोनों मजाक-मस्ती कर रहे थे… बस उसी दौरान लौड़े पर ज़ोर से चोट लग गई.. बड़ा दर्द हुआ.. इसी लिए पैन्ट निकाल कर इसे सहला रहा था कि तुम आ गईं.. बस इसी बात पर अनु को हँसी आ रही है।
अनुजा अब भी हँसे जा रही थी.. दीपाली जल्दी से बिस्तर पर चढ़ गई और लौड़े को देखने लगी।
दीपाली- ओह.. लाओ मुझे दो मेरे प्यारे लौड़े को.. मैं अभी सहला कर इसका दर्द मिटा दूँगी।
दीपाली लौड़े को बड़े प्यार से सहलाने लगी और फूँक मारते-मारते उसने लौड़े को चूसना शुरू कर दिया।
अनुजा- लो अब आपका सारा दर्द भाग जाएगा.. आपकी दीपा रानी के मुलायम होंठ जो लग रहे हैं लौड़े पर…
विकास- आ.. आह्ह.. हाँ सही कहा तुमने.. अब ये आ गई है तो सब ठीक कर देगी।
दीपाली कुछ ना बोली बस अपने काम में लगी रही। लौड़ा अब अपने पूरे शबाव पर आ गया था।
विकास- उफ़फ्फ़ मज़ा आ रहा था मुँह से निकाला क्यों मेरी जान चूसो ना…
दीपाली- अब बस चुसवाते ही रहोगे क्या.. मेरी चूत में जो जलन हो रही है.. उसका क्या?
विकास- आज तो बड़ी मस्त लग रही है.. क्या बात है चल थोड़ी देर और चूस.. उसके बाद तेरी चूत की आग मिटाऊँगा।
दीपाली होंठ भींच कर लौड़े को चूसने लगती है।
विकास- आ आह्ह.. उफ्फ मज़ा आ रहा है मस्त.. मेरी जान ऐसे ही मज़ा देती रहना..
तभी फ़ोन की घंटी बजती है अनुजा फ़ोन उठाती है और विकास को आवाज़ देती है कि उनके लिए है।
विकास का सारा मूड ऑफ हो जाता है वो बेमन से जाता है और बात करने के बाद तो उसका चेहरा और ज़्यादा उतर जाता है।
दीपाली- क्या हुआ मेरे राजा जी.. परेशान दिख रहे हो?
विकास- ये साले ट्रस्टी को भी आज ही आना था.. स्कूल से फ़ोन आया है.. हमारे ट्रस्टी साहब आए हैं.. पूरा स्टाफ वहाँ होना जरूरी है.. मेरा तो दिमाग़ खराब हो गया है।
अनुजा- तो चले जाना.. पहले लौड़े को तो शान्त कर लो.. देखो बेचारी कैसे आँखें फाड़े तुम्हारा इन्तजार कर रही है।
विकास- अरे नहीं यार.. फ़ौरन जाना होगा.. उनके आने से पहले जाना जरूरी है.. मैं अपनी इमेज खराब नहीं कर सकता।
दीपाली भी बाहर आ गई थी और उसने सब सुन लिया था।
दीपाली- सर आप जाओ आज नहीं तो कल सही.. मैं कहाँ भागे जा रही हूँ।
विकास- थैंक्स जान.. तुम अपनी दीदी के साथ मज़ा करो ओके.. अगर जल्दी आ गया तो तेरी चुदाई पक्का करूँगा।
विकास ने आनन-फानन में कपड़े पहने और निकल गया।
अनुजा- क्यों बहना.. क्या इरादा है चूत चाट कर मज़ा लेगी या अपनी चूत चटवा कर शान्त होगी।
दीपाली- नहीं दीदी कुछ नहीं.. मैं भी जाती हूँ आज मुझे अपनी फ्रेंड से मिलने जाना है.. मैं यहाँ आने वाली ही नहीं थी मगर सर गुस्सा करते इसलिए आ गई।
अनुजा- अरे कौन सी फ्रेंड से मिलने जा रही है और हाँ.. कल मैं पूछना भूल गई.. उस दिन तू यहाँ से तो कब की निकल गई थी मगर घर इतनी देर बाद पहुँची?
दीपाली थोड़ी चौंक सी गई और बस अनुजा को देखने लगी।
अनुजा- अरे चौंक मत तेरी माँ का फ़ोन आया था कि दीपाली को भेज दो… तब तुम्हें गए हुए काफ़ी देर हो गई थी.. मैं कुछ बोलती उसके पहले तुम घर पहुँच गई थीं।
दीपाली को याद आ गया जब वो घर गई थी.. उसकी माँ ने उसके सामने फ़ोन रखा ही था।
दीपाली- व्व..वो दीदी मेरी एक फ्रेंड है प्रिया.. वो रास्ते में मिल गई थी.. त..त..तो बस देर हो गई।
अनुजा- बहना तू बहुत भोली है तुझे झूठ बोलना बिल्कुल नहीं आता.. तेरे चेहरे से साफ पता चल रहा है कोई तो बात है.. जो तू छुपा रही है।
दीपाली- न न नहीं दीदी ऐसी क..कोई बात नहीं है।
अनुजा- देख तू नहीं बताना चाहती.. तो मत बता… लेकिन एक बात सुन ले.. मैंने तुझे चुदाई का ज्ञान दिया है और इस नाते मैं तेरी गुरू हूँ.. अब आगे तेरी मर्ज़ी.. मैं तो बस तेरी भलाई ही चाहती हूँ।
अनुजा ने दीपाली को इस तरह ये बात कही कि दीपाली बहुत शरमिंदा हो गई और उसने अनुजा से माफी माँगी फिर सारी बात अनुजा को बता दी।
अनुजा- हे राम तू लड़की है या क्या है.. इतनी बड़ी बात मुझे अब बता रही है.. तू इतनी भोली लगती है मगर है नहीं.. कौन था वो बूढ़ा उसके तो मज़े हो गए.. साले ठरकी को कमसिन चूत मिल गई और ये प्रिया कहाँ से टपक गई.. उसको पता चल गया.. अब वो विकास और तुझे सारे स्कूल में बदनाम कर देगी।
दीपाली- दीदी आप पूरी बात सुनो.. वो कुछ नहीं कहेगी।
दीपाली फिर बोलने लगी.. अनुजा सुकून से सब बातें सुन रही थी दीपाली ने अब तक की सारी बात बता दीं.. मैडी और उसके दोस्तों की भी प्रिया के साथ आज जो लेसबो किया और आते वक्त सुधीर से मिली.. सब बात बता दीं।
अनुजा- हम्म.. तो ये बात है प्रिया की चूत अपने ही भाई के लौड़े के लिए तड़फ रही है और उसने तुझे बलि का बकरा बना दिया।
दीपाली- हाँ दीदी.. अब आप ही कुछ उपाय बताओ और प्लीज़ सर को कुछ मत बताना.. मैंने शर्म के मारे ही आप दोनों को अब तक कुछ नहीं बताया था।
अनुजा- कैसी शर्म?
दीपाली- आप क्या सोचते मेरे बारे में.. कि मैंने कैसे एक बूढ़े से चुदवा लिया..
अनुजा- अरे ऐसा कुछ नहीं है ये चूत की भूख होती ही कुछ ऐसी है.. जब इसे लौड़ा चाहिए तो ये कभी नहीं सोचती कि लौड़ा किसका है… बस लौड़ा होना चाहिए.. अब जवान हो या बूढ़ा.. घर हो या बाहर.. सब चलता है।
दीपाली- ओह्ह दीदी आप बहुत अच्छी हो… अब बताओ भी मुझे क्या करना चाहिए?
अनुजा- देख वैसे तो वो लड़के सही नहीं है और तू भी उनसे चुदना नहीं चाहती.. मगर प्रिया को उनसे चुदने में कोई एतराज नहीं है.. तू ऐसा कर मैं जो बताऊँ वो कर.. तुम्हारी चिंता भी खत्म हो जाएगी और प्रिया का अरमान भी पूरा हो जाएगा।
अनुजा ने कुछ टिप्स दीपाली को दिए और अच्छे से उसको समझा दिया कि बड़े ध्यान से सब करना।
दीपाली- ओह्ह.. दीदी यू आर ग्रेट.. क्या आइडिया दिया है.. अब तो बस सारी परेशानी ख़त्म हो गई.. अच्छा अब मुझे जाने दो सुधीर को भी थोड़ा खुश कर दूँ ताकि काम में कोई रूकावट ना आए।
अनुजा- अच्छा जा मेरी बहना कभी मौका मिला तो मैं भी उस बूढ़े को अपनी चूत का स्वाद दे दूँगी मगर उसको मेरे बारे में अभी कुछ मत बताना।
दीपाली- नहीं नहीं दीदी मैं कुछ नहीं कहूँगी.. आप बेफिकर रहो…
दोस्तो, अनुजा की कही बात अगर मैं यहाँ लिखती तो आगे आपको कहानी का को पढ़ने में मज़ा नहीं आता.. इसलिए अब आगे जो भी होगा या दीपाली करेगी आप समझ जाना कि अनुजा ने ये सब दीपाली को समझाया था.. इसमें दो फायदे हैं एक तो मुझे एक ही बात को दो बार नहीं लिखना पड़ेगा और दूसरा आपको मज़ा ज़्यादा आएगा कि अब क्या होगा?
तो चलिए वापस कहानी पर आती हूँ।
दीपाली वहाँ से निकल कर सुधीर के घर की ओर चल पड़ी और कुछ ही देर में वो सुधीर के घर पहुँच गई। दरवाजा खुला था तो वो सीधे अन्दर चली गई।
सुधीर बैठा हुआ शराब पी रहा था उसको पता नहीं चला कि दीपाली कब उसके पीछे आकर खड़ी हो गई।
बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ..?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..
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