विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-10

(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-10)

पिंकी सेन 2014-12-29 Comments

This story is part of a series:

अनुजा- बस भी करो.. तुम दोनों चुदाई का मज़ा लेते रहोगे तो क्या मैं बेलन घुसाऊँगी अपनी चूत में… विकास एक बार तो मेरी भी चूत मार लो यार.. उसके बाद तुम्हारे लौड़े में दम नहीं रहेगा।

विकास- अरे मेरी जान.. एक बार क्यों चल दो बार तेरी मारूँगा.. उसके बाद इसको चोदूँगा और तुझे क्या पता मेरे लौड़े में कितना दम है.. आज तो पूरी रात ये ऐसे ही खड़ा रहेगा.. चल आजा तेरी चूत की खुजली भी मिटा देता हूँ।

दीपाली- हाँ दीदी.. मुझे भी आपकी चुदाई देखनी है.. अब तो आप आ ही जाओ बस।

अनुजा- अरे अभी नहीं रात को चुदवाऊँगी यार.. अभी खाना भी बनाना है…

दीपाली- दीदी खाना बाद में बना लेना ना.. प्लीज़ आ भी जाओ।

विकास- हाँ अनु.. अब तो आ जाओ.. देखो मेरा लौड़ा भी कैसे तन कर फुंफकार मार रहा है।

अनुजा ने अब आने में ही भलाई समझी वो झट से नंगी हो गई और बिस्तर पर आ गई।

अनुजा- लो आ गई.. मगर पहले मुझे गर्म तो करो.. ऐसे मज़ा नहीं आएगा।

विकास अरे मेरी जान इसकी फिकर तू क्यों करती है… मैं हूँ ना.. तू बस सीधी लेट जा.. दीपाली ज़रा अपनी दीदी की चूत तो चाट.. मैं इसके मम्मों का रस पीता हूँ।

दीपाली ख़ुशी-ख़ुशी चूत को चाटने लगी।

इधर विकास अनुजा के निप्पल को चुटकी से दबाने और चूसने लगा।

दोहरी चुसाई से अनुजा जल्दी ही गर्म हो गई.. उसकी चूत से अब पानी आने लगा, जिसे दीपाली जीभ से चाट रही थी।

अनुजा- उहह उहह.. सस्स.. आह.. विकास आह्ह.. अब बस आह्ह.. बर्दाश्त नहीं होता.. डाल दो अपना लौड़ा.. मेरी चूत में आह्ह.. मेरी चूत जलने लगी है उफ्फ…

विकास सीधा लेट गया और अनुजा को कहा- मेरी जान.. आज तू लौड़े पर बैठ कर चुद.. दीपाली को भी सीख दे कि कैसे लौड़े पर कूदना चाहिए।

अनुजा- हाँ मेरे राजा.. ऐसे ही चुदाई में मज़ा आएगा.. लाओ पहले लौड़े को चूस कर गीला तो कर दूँ।

दीपाली- नहीं दीदी ये काम मेरा है.. हटो मुझे चूसने दो.. आप नहीं जानती.. मुझे लौड़ा चूसने में कितना मज़ा आता है।

उसकी बात सुनकर अनुजा और विकास दोनों ही के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। दीपाली लौड़े को चूस कर मज़ा लेने लगी।

जब 2 मिनट तक वो हटी नहीं तो..

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अनुजा- बस भी कर बहना.. इसको चूस कर गीला करना है.. इसका पानी नहीं निकालना है.. चल हट.. मेरी चूत की खुजली बढ़ने लगी है।

दीपाली के हटने के बाद अनुजा लौड़े पर बैठ गई। फच.. की आवाज़ के साथ पूरा लौड़ा चूत में समा गया।

विकास- उफ़फ्फ़.. अनु तुझे कितनी बार चोदा है.. मैंने मगर हर बार लौड़ा चूत में घुसेड़ते ही एक अलग ही मज़ा आता है।

अनुजा- हाँ मेरे राजा.. मुझे भी आपका लौड़ा हर बार अलग ही मज़ा देता है।

दीपाली- आप दोनों को तो मज़ा आ रहा है.. अब चुदाई शुरू करो ताकि मैं भी मज़ा ले सकूँ.. चुदकर नहीं तो देखकर ही मन बहला लूँगी।

विकास- अरे मेरी छोटी रानी.. तू उदास क्यों होती है.. चल मेरे पैरों के बीच लेट जा.. जब लौड़ा चूत में अन्दर-बाहर होगा.. तू मेरी गोटियाँ चूसना और लौड़े पर भी जीभ टच करना.. बड़ा मज़ा आएगा।

दीपाली को ये तरीका बहुत पसन्द आया वो झट से विकास की टांगों के बीच लेट गई और गोटियाँ चूसने लगी।

इधर अब अनुजा भी गाण्ड उठा-उठा कर चुद रही थी।

मज़े की बात यह है कि दीपाली बीच-बीच में अपनी जीभ अनुजा की चूत को टच कर रही थी.. जिससे उसको और मज़ा आ रहा था।

अनुजा- आ आह्ह.. फक मी.. उई आह विकास- तुम बहुत अच्छे चोदू हो.. अई सस्स उह.. आह दीपाली आह.. ऐसे ही करो आह्ह.. कितना मज़ा मिलता है.. लौड़े के शॉट और जीभ के स्पर्श से.. आह्ह.. दोनों एक साथ ज़्यादा मज़ा देते हैं आह्ह…

अनुजा 15 मिनट तक लौड़े पर उछलती रही और अब ये दोहरी मार उसके बस की नहीं थी.. वो चरम सीमा पर आ गई थी।

अनुजा- आ आह… चोदो मेरे राजा आह अब मेरी उछलने की आह्ह.. हिम्मत नहीं.. तुम नीचे से अई अई.. झटके मारो उफ्फ.. मैं गई.. आह्ह.. गई आह….

अनुजा झड़ गई और उसकी चूत से पानी बहकर नीचे आने लगा.. जिसे दीपाली बड़े मज़े से चाटने लगी। जब अनुजा एकदम शान्त हो गई तो नीचे उतर गई।

विकास- अरे जान.. मुझे ऐसे बीच में छोड़ कर कहाँ जा रही हो.. तुम तो ठंडी हो गई.. मेरा अभी पानी कहाँ निकला है? चल आ जा वापस….

अनुजा- मेरी अब ऊपर आने की हिम्मत नहीं.. तुम ही आ जाओ और अपना लौड़ा घुसा दो।

दीपाली- हाँ सर.. आप जब मेरे ऊपर आकर झटके मारते हो.. मुझे बड़ा अच्छा लगता है.. अब जरा दीदी के ऊपर आ जाओ मज़ा आएगा।

विकास- चल अनुजा.. घोड़ी बन जा आज तेरी गाण्ड मारने का मन है.. इसी बहाने दीपाली भी देख लेगी कि गाण्ड कैसे मरवाते हैं।
अनुजा घोड़ी बन गई और विकास ने लौड़ा गाण्ड में घुसा दिया।

दीपाली को बड़ा मज़ा आ रहा था.. वो विकास के पास खड़ी हो गई। अब विकास उसके मम्मों को चूस रहा था और साथ में.. अनुजा की गाण्ड भी मार रहा था।

दीपाली- आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. मेरे राजा जी.. उई काटो मत ना.. आह्ह.. दीदी की गाण्ड में कैसे लौड़ा अन्दर-बाहर हो रहा है.. इनको कितना मज़ा आ रहा होगा ना।
अनुजा- आई.. अई आह्ह.. हाँ बहना आह्ह.. अई उफ्फ.. मज़ा तो बहुत आ रहा है.. आह्ह.. जब तेरी गाण्ड में लौड़ा जाएगा.. तब तू देखना कितना.. अई आह्ह.. मज़ा आता है।

विकास अब रफ्तार से गाण्ड मारने लगा था क्योंकि अब उसके लौड़े का पानी निकलने ही वाला था। इस बार विकास ने कुछ सोचा और झट से लौड़ा गाण्ड से बाहर निकाल लिया और दीपाली के बाल पकड़ कर उसको नीचे झुका कर लौड़ा उसके मुँह में दे दिया।

विकास- आह आह.. चूस जान.. आह्ह.. तुझे बहुत मज़ा आता है ना.. लंड चूसने में.. उफ़फ्फ़ अब मेरे पानी का स्वाद भी चख.. ले आह्ह.. ज़ोर से चूस.. पानी आने वाला है।

दीपाली ने होंठ भींच लिए और ज़ोर-ज़ोर से सर को हिलाने लगी।
विकास के लौड़े से तेज पिचकारी निकली, जो सीधी दीपाली के गले तक जा पहुँची।
उसके बाद और पिचकारियां निकलीं.. दीपाली पूरा पानी गटक गई और आख़िर में लौड़े को बड़े प्यार से चाट कर साफ करने लगीं।

तब तक अनुजा भी उसके पास बैठ गई थी और बगल से वो भी लौड़े को चाट रही थी।
जब तक लौड़ा बेजान ना हो गया.. दोनों उसको चाट कर साफ करती रहीं।

विकास- आह्ह.. मज़ा आ गया.. तुम दोनों ही कमाल की हो.. कसम से क्या लौड़ा चाट रही थीं.. अनु अब खाना बना ही लो झटके मार-मार कर पेट खाली हो गया.. अब तो बड़ी ज़ोर की भूख लगी है।

अनुजा- हाँ मेरे सरताज.. बस अभी बना देती हूँ।

अनुजा बाथरूम में फ्रेश होने चली गई उसके साथ दीपाली भी चली गई।
विकास वहीं लेटा रहा।
जब वो दोनों बाहर आईं और कपड़े पहनने लगीं।

विकास- ये क्या कर रही हो यार.. यहाँ हमारे सिवा कौन आएगा.. आज कोई कपड़े नहीं पहनेगा.. बस सब काम ऐसे ही करो.. बड़ा मज़ा आएगा।

दीपाली- हाँ दीदी.. कपड़े तो रोज ही पहनते हैं आज ऐसे ही रहेंगे।

दोनों रसोई में जाकर खाना बनाने की तैयारी में लग गईं.. इधर विकास ने अल्मारी से एक गोली निकाली और पानी के साथ लेली। उसके बाद वो वहीं पड़ा सुस्ताता रहा।

क्यों दोस्तो, मज़ा आ रहा है ना.. मैं आपको परेशान करने आ गई.. मगर क्या करूँ, मैं भी मजबूर हूँ यार..
कहानी के शुरू में मैंने साफ-साफ बता दिया कि यह कहानी दीपाली और अनुजा की है।
मैं बस लिख रही हूँ..
उसके बाद भी कुछ लोग मुझे दीपाली समझ कर गंदे मैसेज कर रहे हैं।
यारो, मैं पिंकी हूँ.. दीपाली या अनुजा नहीं.. ओके.. कहानी पर कमेन्ट करो.. मुझ पर नहीं प्लीज़।

ओके दोस्तो.. चलो दोबारा कहानी पर आती हूँ।

करीब आधा घंटा बाद वो उठकर रसोई में गया।
दीपाली रोटियां बेल रही थी और अनुजा सब्जी बना रही थी।

विकास वहीं दरवाजे पर खड़ा होकर वो नज़ारा देख रहा था।

दीपाली जब बेलन से रोटी बेल रही थी उसकी गाण्ड आगे-पीछे हो रही थी.. जिसे देख कर विकास के लौड़े में तनाव आने लगा।

उधर अनुजा भी नंगी खड़ी सब्जी हिला रही थी.. उसकी भी मोटी गाण्ड मटक रही थी।

विकास धीरे से दीपाली के पीछे जाकर चिपक गया।
उसका तना हुआ लौड़ा दीपाली की गाण्ड से सट गया।

दीपाली को भी मज़ा आ रहा था।
अब विकास उसका हाथ पकड़ कर रोटियां बनाने में उसकी मदद करने लगा।
अनुजा- ओये होये.. मेरा राजा.. क्या बात है… बड़ा प्यार आ रहा है दीपाली पर.. कभी मेरे को तो रोटियां बनाने में मदद नहीं की तुमने?

विकास- अरे जान ये बच्ची है.. इसलिए मदद कर रहा हूँ और कोई बात नहीं है।

अनुजा- अच्छा बच्ची है.. जिस तरह तुम इसको चोद रहे हो.. सारा पानी इसकी चूत में भर रहे हो.. जल्दी ही ये बच्ची को एक बच्चा हो जाएगा।

ये सुनते ही दीपाली के हाथ से बेलन नीचे गिर गया।

दीपाली- क्या.. नहीं दीदी.. प्लीज़ ऐसा मत कहो.. मेरी तो जान निकल जाएगी… क्या सच्ची मेरे को बच्चा होगा?

अनुजा- हा हा हा विकास.. देखो तो इसके चेहरे का रंग कैसे उड़ गया.. अरी मेरी प्यारी बहना.. मेरे होते हुए ऐसा कभी नहीं होगा.. तेरे लिए दवा लाई हूँ ना.. इसी लिए तो मैं गई थी। यही था वो खास काम.. इतनी जल्दी थोड़े तुझे माँ बनने दूँगी.. अभी तो चुदाई का भरपूर मज़ा लेना है तेरे को… चल अब रोटी बना और आप यहाँ से जाओ.. काम करने दो हमको…

बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.!
क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ..?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए…
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
[email protected]

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