टीचर से सेक्स मार्क्स के चक्कर में
(Teacher Se Sex Marks Ke Chakkar Me )
मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम आशना है. मुझे उम्मीद है कि आप मुझे पहचान ही गए होंगे. आप लोगों ने मेरी पहली सेक्स स्टोरी
ममेरे भाई ने मेरी कुंवारी चूत की चुदाई की
पढ़ी होगी, जिसमें मैंने अपने मामा के बेटे यानि अपने भाई के साथ ही चुदवाया था. मेरे साथ वो जो हुआ था, उसके आधार से ही मैंने अपनी सेक्स स्टोरी लिखी थी.
आज भी मैं आपके सामने मेरे जीवन की एक ऐसी ही हक़ीकत बताने जा रही हूँ. मैं ये किस्सा उस वक्त से शुरू करती हूँ, जब मैं अपने मामा के घर रहने गयी थी.
आप सभी को मालूम ही होगा कि आमतौर पर परीक्षा से पहले स्कूल में इंटरनल मार्क्स दिए जाते हैं … जो हमारे बोर्ड परीक्षा में भी गिने जाते हैं. हमारे स्कूल में भी इंटरनल मार्क्स दिए जाने वाले थे. और हमारे क्लास टीचर हम सबको इंटरनल मार्क्स की शीट पर साइन करवा रहे थे. पर मुझे पता था कि शायद मेरे और ईशिता, जो मेरी खास सहेली है … हम दोनों के मार्क्स शायद कम हों. क्योंकि हम दोनों ने स्कूल पूरी तरह अटेंड नहीं किया था.
हमारे क्लास टीचर ने सबको मार्क्स दे दिए और शीट पर साइन करवा लिए. लेकिन उन्होंने ईशिता और मेरे मार्क्स नहीं दिए. उन्होंने हम दोनों को स्टाफ रूम में मिलने को कहा और वो क्लासरूम से निकल गए.
हम दोनों स्कूल छूटने के बाद उनसे मिलने स्टाफ रूम में गई … वो अपना काम कर रहे थे. हमको देख उन्होंने हम दोनों को रुकने के लिए कहा.
हम दोनों को देख कर सर ने अपना काम जल्दी से पूरा कर लिया और हमसे बोले- आशना … ईशिता … मैंने तुम दोनों के इंटरनल मार्क्स सबके सामने नहीं दिए … पता है क्यों?? क्योंकि तुम दोनों के इंटरनल मार्क्स बहुत कम हैं. ऐसा समझो कि तुम दोनों स्कूल इंटरनल में पास ही नहीं हो.
यह सुनते ही ईशिता रोने लगी.
यह कहानी लड़की की आवाज में सुनें.
मैंने कहा- सर कुछ तो करो … यह हमारे पूरे साल का सवाल है, हम पास नहीं होंगे, तो हमारा पूरा साल बिगड़ जाएगा.
सर बोले- नहीं नहीं … पूरे साल तुम दोनों स्कूल से घंटा पार करके दूसरों के साथ घूमती रही हो, मुझे सब पता है. अब मैं कुछ नहीं कर सकता.
हम दोनों ने सर से बहुत विनती की, पर सर टस से मस नहीं हुए. हमने सर से यहां तक बोल दिया कि सर आप जो कहेंगे, हम वो करने को तैयार हैं … पर सर नहीं माने.
मैंने कहा- अच्छा सर … हम दोनों के मार्क्स तो हमें दिखा दीजिए.
मेरी बात सुनकर सर ने हमें हमारे मार्क्स दिखाए … जिसमें ईशिता के 30 मार्क में से सिर्फ़ आठ थे ओर मेरे 30 में से उससे भी कम सिर्फ छह नम्बर आए थे.
हम दोनों के चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगीं.
थोड़ी देर बाद हम दोनों वहां से घर चली गयी. घर जाते समय ईशिता बहुत टेंशन में थी. वो मुझसे बोली- आशना अब क्या होगा … हमने स्कूल बंक करके बहुत मज़े किए, पर अभी लग रहा है कि बहुत ग़लत किया यार.
मैंने कहा- यार तू टेंशन मत ले, कुछ करते हैं … तू घर जा … ठीक है और टेंशन बिल्कुल मत करना.
हम दोनों अपने अपने घर चली गयी.
रात को मुझे यही सब सोच कर नींद नहीं आ रही थी … और मैं अपने रूम में बेड पर लेटी हुई थी.
तब मेरा भाई अर्पित वहां आया और मुझसे बोला- ओये … आज मेरी जान टेंशन में क्यों दिख रही है?
मैंने सारी बात उसे बताई … मेरी बात सुनकर वो हंसने लगा.
मैंने उससे कहा- तुम्हें बड़ी हंसी आ रही है … इधर जान सांसत में फंसी है.
उसने कहा- ऐसी छोटी सी बात पर तुम टेंशन लोगी, तो मुझे हंसी नहीं तो क्या रोना आएगा.
मैंने कहा- तो तुम ही मुझे बताओ कि मुझे क्या करना चाहिए?
उसने कहा- इंटरनल मार्क्स क्लास टीचर के हाथ में होते हैं … बराबर..!
मैंने कहा- हां … तो?
उसने कहा- तो क्या? चलो जाने दो … मैं कुछ सैटिंग करता हूँ, ठीक है … तुम्हारे क्लास टीचर से में मिलूँगा ओके! तुम टेंशन मत लो और तुम अपनी उस सहेली ईशिता को भी फ़ोन करके बोल दो कि टेंशन मत ले, मैं सब सैटिंग कर दूँगा … ठीक है?
यह बात सुनते ही मेरे मन को शांति हुई और ईशिता को भी मैंने फ़ोन करके बोल दिया.
अगले दिन जब मैं स्कूल से घर आई, तो अर्पित ने मुझे बुलाया और अन्दर अपने रूम में ले गया. उसने कहा- आशना … मैं आज तुम्हारे सर से मिला था.
मैंने पूछा- हां फिर क्या कहा सर ने?
वो बोला- चिंता करने की कोई बात नहीं … मैंने सब सैट कर दिया है.
मैं यह सुनकर बहुत खुश हो गयी.
उसने कहा- चलो तुम खुश तो हुई.
मैंने कहा- हां बिल्कुल!
तो उसने कहा- ठीक है, तो आज शाम को सात बजे तुम एकदम छोटे और सेक्सी कपड़े पहनकर तैयार हो जाना.
मैंने पूछा- क्यों?
उसने कहा- जिसने तुमको खुश किया है, उसे भी तो खुश करना है … समझी तुम?
मैं यह सुनकर एकदम से हैरान रह गई.
मैंने कहा- अर्पित … क्या तुम ऐसा चाहते हो कि मैं अपने सर से चुदवाऊं?
उसने कहा- मैं नहीं चाहता, पर तुम्हारे सर तुमको चोदना चाहते हैं. तुम्हारे हरे भरे मम्मों के साथ खेलना चाहते हैं … तुम्हारी चुत मारना चाहते हैं.
यह सुनकर मैं एकदम से हैरान हो गई … और अर्पित से बोली कि मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि सर मेरे बारे में ऐसा सोचते हैं.
अर्पित ने कहा- यह सब सोचने का अब टाइम नहीं है. आज शाम सात बजे तुम तैयार रहना. मैं मम्मी पापा को बोल दूँगा कि हम दोनों फिल्म देखने जाने वाले हैं और रात को आने में थोड़ी देर भी हो सकती है.
मैंने अर्पित से कहा- पर यार … मैं नहीं कर सकूँगी … आख़िर वो सर हैं मेरे!
उसने कहा- तुमको पास होना है? तो सब भूल जा और उसे खुश कर दे … बस और कोई रास्ता नहीं है. मैं तो वहां तुम्हारे साथ रहूँगा ही.
यह सुनकर मैं अपने सर से चुदवाने के लिए तैयार हो गई.
शाम के छह बजे … मामा मामी सुन लें, ऐसे अर्पित ने मुझसे थोड़ा तेज स्वर में पूछा- आशना … एक मस्त फिल्म लगी है … देखने जाना है?
ये सुनकर मामा ने ही सामने से कह दिया- हां क्यों नहीं … जाओ जाओ.
मैंने भी हंस कर बोला- चलो चलते हैं.
अर्पित ने कहा- तुम तैयार हो जाओ … हम सात बजे निकलते हैं, ठीक है.
मैंने भी हां में अपना सिर हिला दिया और अपने रूम में चली गई. मैं तैयार होने लगी और ठीक सात बजे में तैयार हो गई.
जैसे ही अर्पित ने कहा था, मैंने वैसे ही छोटी स्कर्ट और एकदम छोटी टी-शर्ट डाली हुई थी.
मैंने सेक्सी दिखने के लिए अन्दर ब्रा पहनना भी उचित नहीं समझा. मैंने खुद को आईने में देखा, तो उस टी-शर्ट में मेरे आधे मम्मे दिख रहे थे … और मेरी पूरी नंगी टांगें एकदम सेक्सी दिख रही थीं.
अब मैं बिल्कुल तैयार थी. मैं नीचे उतरी और कोई मुझे देखे नहीं, वैसे जल्दी से कार में बैठ गई … क्योंकि ऐसे कपड़ों में मामा और मामी मुझे जाने नहीं देते. थोड़ी देर तो अर्पित भी मुझे देखता रह गया और बोला- यार क्या माल लग रही हो तुम आशना … तुम्हारे सर तुमको चोदें, उससे पहेले शायद में ही तुम्हें ना चोद डालूं.
ये कह कर वो हंसने लगा.
मैंने उससे कहा- अब बातें करना छोड़ो वरना मुझे मामा मामी देख लेंगे … और ऐसे कपड़ों में मुझे तुम्हारे साथ आने ही नहीं देंगे.
अर्पित ने झट से कार चालू की और हम दोनों सर के घर की ओर निकल गए.
थोड़ी ही देर में हम सर के घर के बाहर पहुंच गए. सर का घर बहुत बड़ा था. फिर अर्पित ने दरवाजे की बेल बजाई … और सर दरवाजा खोलने आए.
हम दोनों को देख सर एकदम से बोले- आओ आओ … अर्पित आओ … आशना … बैठो … हम दोनों वहां सामने सोफे पर बैठ गए.
मैं देख रही थी कि सर की नज़र सिर्फ़ मुझ पर ही थी. वो मेरे मम्मों और मेरी नंगी टांगें ही देख रहे थे. वो मेरी तरफ देखते अर्पित से बातें करने लगे. मैंने देखा कि सर के घर पर कोई नहीं था. सर जहां बैठे थे, उनके पास वहां एक बोतल और एक गिलास भी रखा था. मैं समझ गई कि सर दारू का नशा कर रहे थे.
सर ने मेरी निगाहों का पीछा किया और हम दोनों से भी पूछा- आप दोनों भी मुझे कंपनी दो ना.
सर के कहते ही अर्पित ने तो तुरंत हां बोल दिया … पर मैं ये सब नहीं पीती थी, तो मैंने सर से सीधे ना बोल दी.
मेरे जवाब से वो दोनों एक दूसरे के सामने देख हंसने लगे. वे दोनों दारू पीने लगे. अर्पित ने मुझे इशारा किया तो मैंने खुद के जिस्म की नुमाइश करना शुरू कर दी. सर मेरी अंगड़ाई लेती जवानी को देख कर अपना नशा बढ़ाने में लगे थे. वे मुझे देख कर अपना लंड भी सहला रहे थे. थोड़ी देर में उनकी बोतल खत्म हो गई.
सर ने कहा- अर्पित, आशना पीती तो नहीं है, पर हमारे लिए बोतल तो ला सकती है ना!
अर्पित बोला- हां … क्यों नहीं … आशना … हमारे लिए बोतल तो ला दो.
अर्पित के कहने से मैंने कहा- ठीक है.
ये सुनते ही सर बोले- आशना … ऊपर सीढ़ी चढ़ते ही पहला रूम आएगा, वो मेरा बेडरूम है … वहां बाहर ही टेबल पर बोतल रखी है, उसे तुम ले आओ.
मैं सर की बात सुनते ही सीढ़ी चढ़ते हुए ऊपर सर के बेडरूम में गयी. बेडरूम में बहुत अंधेरा था. मैं लाइट चालू करने के लिए अंधेरे में स्विच ढूँढ रही थी, तभी अचानक रूम की लाइट किसी ने चालू कर दी. मैंने पीछे मुड़कर देखा, तो वो सर ही थे.
मुझे पता चल गया कि मुझे ऊपर रूम में भेजने के लिए सर की यह चाल थी.
फिर सर ने बेडरूम का दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया. जैसे ही सर ने दरवाजा बंद किया, तो मैं रूम में एक पुतले की तरह वहां खड़ी रह गई.
मुझे ऐसे देख कर सर बोले- क्या हुआ आशना … क्या तुम्हें अर्पित ने कुछ नहीं बताया??
मैंने कहा- सर अर्पित ने मुझे सब कुछ बताया है कि हम यहां किस लिए आए हैं. पर आप मेरे सर हो, तो मुझे आपके साथ …
वो मेरी बात समझ गए और धीरे से मेरे पास आकर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेड पर बिठाते हुए बोले- मैं समझता हूँ कि तुम मुझसे शर्मा रही हो … क्या मैं सही हूँ?
मैंने कहा- जी हां सर..!
यह सुनते ही सर ने मेरे होंठों पर जोरदार चुम्मी जड़ दी. अचानक से सर ने इस तरह मुझे चूम लिया, तो थोड़ी देर मुझे कुछ घुटन सी हुई, पर कुछ ही पल में मैं भी सर को साथ देने लगी.
मेरे साथ देते ही सर ने मेरे सिर के बालों को पकड़ के इतनी ज़ोर से किस किया कि मानो सर बहुत दिनों से मुझे चोदना चाहते थे, पर आज मौका मिल गया हो.
किस करते करते सर मेरे पूरे बदन पर हाथ फेरने लगे. थोड़ी देर बाद वो मेरी गांड पर हाथ फेरने लगे. मुझे बहुत हॉट फील हो रहा था … और बहुत मज़ा आ रहा था. उनके दोनों हाथ मेरी गांड सहला रहे थे.
मेरी आह निकलने लगी- आआअहह … उहहहह.
थोड़ी देर बाद सर मेरे सामने देखते हुए बोले- आशना अब तो तुम्हें शर्म नहीं आ रही है ना?
यह सुन कर मैं और भी शर्मा गयी. मुझे शरमाते हुए देख सर और भी मूड में आ गए. उन्होंने बेडरूम की लाइट बंद कर दी … और डिम लाइट चालू कर दी.
डिम लाइट के प्रकाश में सर बहुत हॉट लग रहे थे … उन्होंने अपनी शर्ट निकाल दी. फिर वो मेरी तरफ बढ़े और मेरी टी-शर्ट निकाली. डिम लाइट के प्रकाश में मेरा बदन बहुत ही हॉट लग रहा था.
सर मेरे तने हुए बूब देखते ही रह गए … और बोले- आशना, इतनी कम उम्र में तुम्हारे बूब्स कितने मस्त हैं … दो साल से मैं तुम्हारे इन्हीं मम्मों को देखने के लिए और तुमको चोदने के लिए तरस रहा था. आज मुझे तुम्हारे चूचे देखने का और तुमको मेरे लंड का स्वाद चखाने का मौका मिला है. आज मैं तुम्हें ऐसा चोदूंगा कि तुम मुझे जिंदगी भर याद करोगी.
सर की ये बात सुनकर मुझे बहुत शर्म आने लगी. फिर सर मेरे पास आए और मेरे दोनों मम्मों को पकड़ कर धीरे धीरे दबाने लगे. मेरे मम्मों पर सर के हाथ का स्पर्श होते ही मैं एकदम से गनगना गई.
आआअहह … मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. सर हल्के हल्के हाथों से मेरे मम्मों को दबा रहे थे … ओर मेरी चुचियों के गुलाबी निप्पलों को मसल रहे थे. चूचे दबाते दबाते सर मुझे किस भी कर रहे थे.
आआहह … आआहह!
फिर सर ने मेरे दोनों पैर पकड़ कर मुझे बेड पर लिटा दिया … और मेरे ऊपर आ गए. वो मेरी चुचियों को फिर से अपने मुँह में ले कर चूसने लगे … और अपने दांतों से मेरे निप्पलों को हौले से काटने लगे. आआहह … उनके दांत मेरे दोनों निप्पलों पर गड़ने से मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं.
थोड़ी देर मेरे मम्मों को दबाने के बाद वो खड़े हुए और धीरे से मेरा स्कर्ट निकाल दिया. मैंने तब अन्दर काले कलर का निक्कर पहना था. मुझे सिर्फ़ निक्कर में देखकर वो अपने पैंट में ही अपना लंड मसलने लगे. फिर उन्होंने मेरे निक्कर को भी निकाल दिया.
आआआहह … ऊऊहह …
अब मैं सर के सामने पूरी नंगी चित पड़ी थी. फिर सर ने अपना भी पैंट निकाल दिया. माय गॉड … सर ने अपनी पैंट निकाली, तो मैं थोड़ी शर्मा गयी.
सर बोले- यार आशना अब कैसा शरमाना …
ये सुन कर मैं और भी शर्मा गयी.
सर ने कहा- आशना … क्या तुम्हें लॉलीपॉप चूसना पसंद नहीं है??
ऐसा बोलते हुए उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.
आआअहह. … सच कहूँ, तो सर का लंड इतना हॉट और इतना लंबा था कि मैं पहले तो एकदम से डर गई थी. मैं मन में ही सोच कर डरने लगी कि आज पता नहीं मेरी क्या हालत होने वाली है.
फिर मैं भी सर के लंड को अपने हाथों से हिलाने लगी. सर के लंड को अपने हाथों से हिलाते हिलाते, मैंने सर को बेड पर धक्का दे दिया. सर सीधा अपने बेड पर जा गिरे … और मैं जाकर सीधे उनके ऊपर बैठ गई. मैंने धीरे से लंड को अपने मुँह में ले लिया … और लंड को अपने मुँह से ही हिलाने लगी.
मैंने सर की ओर देखा, तो सर बहुत मज़े ले रहे थे. मैं भी बहुत मूड में आ गई थी. सर के लंड को अपने मुँह से ज़ोर ज़ोर से चाटते हुए हिला रही थी.
फिर थोड़ी देर बाद सर बोले- आशना … बस … अब रूको …
मैंने कहा- क्या हुआ सर?
उन्होंने कहा- अब पहले मैं तुम्हारी गांड में अपना लंड डालना चाहता हूँ.
मैंने कहा- सर प्लीज़ … ऐसा मत करिए.
पर उन्होंने मुझे कमर से पकड़ कर बेड पर उल्टा लेटा दिया. फिर मेरे चूतड़ों को दोनों तरफ से पकड़ कर ऊपर की तरफ उठा दिया. मुझे बहुत डर लग रहा था … पर मैं क्या करती. वो मेरे सर थे … और मुझे पास जो होना था.
फिर सर ने अपनी तिपाई की दराज में से एक क्रीम निकाली. पता नहीं, ये कौन सी क्रीम थी, पर उन्होंने क्रीम निकाल कर पहले अपनी उंगली पर लगाई और फिर उन्होंने धीरे से वो उंगली मेरी गांड के छेद में डाली.
उउउइईई माँआ … मर गई आज मैं … सर की उंगली मेरी गांड के अन्दर जाने से मुझे इतना ज्यादा दर्द हो रहा था कि क्या बताऊं.
फिर सर ने उंगली धीरे से निकाल ली. उंगली निकालने से मुझे राहत हुई. इसके बाद वो क्रीम सर ने अपने लंड पर भी लगा ली. फिर धीरे से सर ने अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रख दिया … और धीरे से उन्होंने मेरी गांड के छेद में लंड का धक्का दे दिया.
‘आआहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गई सर …’
मुझे पता भी नहीं चला और सर ने अपना आधा लंड मेरी गांड में डाल दिया. थोड़ी देर तो मेरी आंखों से आंसू निकल गए. मुझे बहुत जलन हो रही थी … पर सर थोड़ी देर बाद अपना लंड मेरी गांड के अन्दर हिलाने लगे. मुझे बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था … मैं सिसकारियां भर रही थी. मेरे मुँह से बस सिसकारियां ही निकल रही थीं. मेरी सिसकारियों से सर ज़्यादा उत्तेजित हो चुके थे … और वो ज़ोर ज़ोर से मेरी गांड मार रहे थे.
करीबन बीस मिनट तक मेरी गांड मारने के बाद उन्होंने लंड बाहर निकाला … लंड के बाहर आने से मुझे जलन कम हुई.
फिर सर ने मुझे सीधा लेटा दिया … और मेरे दोनों पैर ऊपर करके मेरी चूत को चाटने लगे. वे मेरी चुत में अपनी जीभ फेरने लगे … चुत के अन्दर जीभ फेरने से मैं बहुत गर्म हो गई.
थोड़ी देर मेरी चुत को चाटने के बाद सर ने अपना लंड मेरी चुत पर रख दिया … और धीरे धीरे अपना लंड मेरी चुत पर रख कर हिलाने लगे.
आआअहह … ऐसा करने से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
सर ने पूछा- आशना, क्या तुम्हें ऐसा पसंद है?
मैंने भी हां में जवाब दिया तो सर ने धीरे से अपना लंड मेरी चुत के अन्दर पेल दिया.
‘आआआअहह …’ अचानक लंड अन्दर जाने से मुझे थोड़ा दर्द हुआ … पर फिर सर मेरी चुत में धीरे धीरे धक्का देने लगे.
‘आआहह … आआहह … उफफ्फ़ … आआआहह …’ मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था.
मैं भी सर को अपनी बांहों में लेकर उनके लंड का मज़ा ले रही थी. फिर थोड़ी देर बाद सर मुझे अचानक ज़ोर ज़ोर से धक्का देने लगे. फिर उन्होंने अपना लंड धीरे से निकाल कर मेरे मुँह पर रख दिया … और अपना सारा वीर्य मेरे मुँह पर छोड़ दिया. उनके वीर्य इतनी ज़ोर से मेरे चेहरे पर उड़ा कि मेरा पूरा मुँह वीर्य से भर गया.
आआआअहह. … फिर सर ने मुझे एक लंबी सी किस की … और मुझसे कहा- आशना … जो मैं दो साल से चाहता था, वो मुझे आज मिला … मैं तुम्हें दो साल से चोदना चाहता था. आज मेरी इच्छा पूरी हुई.
फिर मैं भी बाथरूम में जाकर फ्रेश हुई और कपड़े पहने. इतने में अर्पित ने रूम का दरवाजा खटखटा दिया. वो बाहर से बोला- सर जल्दी कीजिए … बहुत देर हो गई है … हमें घर भी जाना है.
अर्पित के बोलते बोलते अचानक सर ने दरवाजा खोल दिया … और बाहर आ गए.
वो दोनों हंसते हुए सीढ़ी उतर कर नीचे चले गए. थोड़ी देर में मैं भी धीरे धीरे नीचे आ गई … और अर्पित के पास बैठ गई.
फिर अर्पित ने सर से हंसते हुए पूछा- सर … अब तो आशना पास हो गई ना?
ये सुनकर सर बोले- आशना ने तो तीस में से तीस मार्क्स ले लिए अर्पित. उसकी सहेली भी समझो पास हो गई.
ये सुनकर मुझे बहुत शर्म आई … और वो दोनों एक दूसरे के सामने हंसने लगे.
इसके बाद मैं अर्पित के साथ कार में बैठ कर घर वापस आ गई. उस रात अर्पित भी मुझे चोदना चाहता था, लेकिन मेरी गांड बुरी तरह से परपरा रही थी. इसलिए मैंने उससे दूसरे दिन की कह दी.
दोस्तो, ये मेरे जीवन की सच्ची सेक्स कहानी है. आपको मेरी टीचर सेक्स कहानी पसंद आई या नहीं … मुझे इस ईमेल पर ज़रूर बताइए.
मेरी ईमेल आईडी है [email protected]
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