टीचर की यौन वासना की तृप्ति-4

(Teacher Ki Yaun Vasna Ki Tripti Part-4)

This story is part of a series:

अब तक इस टीचर की चुदाई स्टोरी में आपने पढ़ा कि मैं नम्रता की गांड मारने की तैयारी कर रहा था. मैंने उससे क्रीम के पूछा कि किधर है. नम्रता ने बताया कि उधर टेबल पर रखी है … और उधर से मेरा मोबाइल लेते आना.

अब आगे:

उसके मोबाइल लाने की बात पर मैंने उससे कारण पूछा.

नम्रता बोली- लास्ट टाईम अपनी कुंवारी गांड के सुराख को देखाना चाहती हूं … तुम वीडियो बना लो.

मैं उसकी बात को सुनकर गनगना गया कि आज सील पैक गांड का उद्घाटन करना है. मैं क्रीम और मोबाईल दोनों ले आया.

नम्रता मेरे बताये पोजिशन के अनुसार खड़ी हो गयी और उसने अपने दोनों कूल्हों को पकड़कर फैला दिया. मैं उसके कुंवारे छेद का वीडियो बनाने लगा और वीडियो बनाते हुए ही उसकी गांड में क्रीम की टयूब से क्रीम ज्यादा से ज्यादा भर दिया. कुछ क्रीम लेकर अपने लंड पर लगा दिया, उसके बाद मैंने वही वीडियो चलाकर टेबल पर नम्रता के सामने रख दिया और उससे कूल्हे को उसी तरह से फैलाये रखने को कहा. जैसे कि वो वीडियो बनाते समय खोल कर खड़ी थी.

मैंने एक बार मंजे हुए तरीके से नम्रता की गांड का अवलोकन किया और सेन्टर लेकर कई बार लंड को गांड में रगड़ता और बाहर कर लेता. धीरे-धीरे उसको मजा आने लगा.

मैंने पूछा- नम्रता डर तो नहीं लग रहा है?
नम्रता बोली- जानू, सुहागरात की फीलिंग आ रही है, जब मेरे पति मेरी चूत को चोदने के लिये मुझे तैयार कर रहे थे और मेरा दिल बहुत तेज-तेज धड़क रहा था और …

तभी फक से सुपारा अन्दर चला गया और नम्रता के गले से चीख बाहर आ गई.

इसी चीख के साथ नम्रता बोली- वो भोसड़ी वाला भी मुझसे बातें कर रहा था और कब उसने मेरी चूत के अन्दर लंड डाल दिया, पता ही नहीं चला. वो तो जब मुझे दर्द हुआ तब अहसास हुआ कि फीता कट गया. तुम भी मादरचोद निकले, तुमने भी वही किया … आह आह.

वो कराहें करते हुए मुझे गाली पर गाली दिये जा रही थी, लेकिन वो मुझे उकसाते हुए बोल भी रही थी- आह भोसड़ी वाले, जब गांड में सुपारा घुसेड़ ही दिया है तो पूरा लंड पेल दे हरामी.

मैं भी कहां पीछे रहने वाला था, चढ़ाई कर चुका था, सो मैं भी अपने जिस्म को आगे की तरफ दबाव दे रहा था और मेरा लौड़ा उसकी गांड चीरते हुए अन्दर घुसता चला जा रहा था. हालांकि मुझे भी लग रहा था कि मेरे सुपारा भी मानो किसी आरी पर चल रहा हो.

तभी नम्रता की आवाज आयी- मैं मर गयी मादरचोद, मैं मर गयी.

मैं उसके दर्द को समझते हुए रूक गया, लेकिन नम्रता तो नम्रता ही थी.

बोली- नहीं, रूको नहीं भोसड़ी वाले, चीर दे इसी तरह मेरी गांड, बड़ा इठलाती थी … आह मेरे राजा आह.

बस फिर क्या था … मुझे भी एक उकसावे भरी आवाज चाहिए थी. नम्रता ने वो पूरी कर दी. मैंने अपने आपको इतना पीछे की तरफ खींचा कि सुपारा भर उसकी सुराख में फंसा रहा.

मैंने हल्की सांस ली और इस बार बस एक ही लक्ष्य था कि बिना किसी अवरोध के लंड को गांड में पूरा पेबस्त कर दूं. बस फिर क्या था, मैंने नम्रता की कमर कस कर पकड़ा और जितनी ताकत लगा सकता था, लगाते हुए एक जोर का धक्का लगा दिया.

नम्रता- उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओफ्फ, मार डाला इस भोसड़ी वाले ने.

इस समय मेरा ध्यान इस बात पर नहीं था कि वो क्या गाली बक रही है, बल्कि इस बात पर था कि कितनी ताकत से मैं उसकी गांड का बाजा बजा सकता हूं इसलिये उसकी बात को अनसुना करते हुए मैं तेज-तेज थाप लगाता जा रहा था, इस थाप की वजह से मेरी जांघ और उसके कूल्हे बहुत तेजी से टकरा रहे थे और उसकी गूंज उस सन्नाटे भरे कमरे में गूंज रही थी.

नम्रता को भी मजा आने लगा. वो कहने लगी- अरे राजा जन्नत का सुख दे रहे हो, बस इसी तरह मेरी गांड मारते रहो.
उसका इतना कहना था कि मैंने लंड को बाहर निकाल लिया.

नम्रता- ये क्या जानू, अब तो मजा आने लगा था … और तुमने अपना लंड निकाल लिया?
उसके कूल्हे को फैलाते हुए मैं बोला- बस जान तुम्हारी गांड की गोलाई को देखने के लिये निकाला है. उसको प्यार भी तो करने दो मेरी जान.
नम्रता- ओके जान … तो मैं अपने कूल्हे फैला रही हूं, तुम इसकी भी वीडियो बना लो.

एक बार मैं फिर से मोबाईल ऑन करके वीडियो बनाने लगा, नम्रता का सुराख इतना खुल चुका था कि मेरी दो उंगलियां आसानी से उस सुराख के अन्दर आ जा रही थीं. मैंने मोबाइल एक तरफ किया और अपनी जीभ उस सुराख के अन्दर डालकर चलाने लगा. मुझे बड़ा मजा आ रहा था कि तभी ओफ्फ-ओफ्फ करते हुए नम्रता अपनी टांगों को फैलाकर मूतने लगी, जिसके छींटे मेरे शरीर पर पड़ने लगे. पर मैं ध्यान दिए बिना अपनी जीभ चलाता रहा, जब उसने मूतना बंद कर दिया, तो मैंने उसकी चूत को भी साथ ही चाटना शुरू कर दिया. मुझे बड़ा मजा आ रहा था.

थोड़ी देर ऐसा करते रहने के बाद मैं अलग हुआ और नम्रता से बोला- जान, अब तुम नीचे बैठ जाओ … तो मैं तुम्हारे तीसरे छेद को भी चोद दूं?

वो पलटी और घुटने पर आ गयी, मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाला, तो वो उसको चूसने लगी.
मैं- न जान … इसे चूसो मत. बस तुम अपने मुँह को लंड की गोलाई में कर लो.

उसने ऐसा ही किया, फिर क्या था, उसके सिर को पकड़कर चुदाई शुरू की, तो नम्रता ने भी मेरी जांघ को पकड़कर अपना बैलेंस बना लिया ताकि मैं अच्छे से उसके मुँह को चोद सकूं.

थोड़ा मुँह चुदाई के बाद, उसको पहले वाली पोजिशन में किया और चूत और गांड एक साथ बारी बारी से लंड पेल कर चोदने लगा.

नम्रता की चूत झड़ चुकी थी, उसका तरल पदार्थ मेरे लंड में लग चुका था. मेरा भी अब आने वाला था, मैंने एक बार फिर नम्रता को पलट दिया. उसकी मुँह चुदाई शुरू की और मैं अपना सब माल उसके मुँह में उड़ेलने लगा, जिसको नम्रता गटक गयी और मेरे रस की एक-एक बूंद को उसने चाटकर साफ कर दी.

उसके बाद वो अपनी चूत में उंगली डालकर क्रीम निकालती और मुझे चटाती जाती. जब उसने ऐसा कर लिया, तो मैंने उसको अपने सीने से लगाकर उसके कूल्हे को दबाते हुए बोला- जान मजा आया?

नम्रता- बहुत मजा आया और सबसे ज्यादा अपनी गांड के अन्दर तुम्हारे लंड को लेने का अहसास और उसके बाद चुदाई का मजा.
मैं बोला- अरे यार तुम पादती नहीं तो मुझे तुम्हारी गांड मारने का ख्याल भी नहीं आता.
फिर मेरी तरफ देखते हुए नम्रता बोली- तुम भी मेरे बारे में क्या सोचते होगे कि किस तरह मैं तुम्हें धारा प्रवाह गाली दिये जा रही थी.
मैं- अरे ना, यार मजा तो इसी में है कि खुल कर चुदाई हो और अगर तुम्हें मजा आया, तो यह अच्छी बात है.

नम्रता मुझे चूमने लगी, रात काफी हो रही थी.

मैंने नम्रता से कहा- आओ, छत पर चलते हैं.
नम्रता- यार नंगे हैं … कोई देख लेगा तो?
मैंने कहा- हम्म … तो साथ में मोमबत्ती ले चलो, जलाकर छत में घूमना … लोग भूत समझकर डर जाएंगे.
मुझे रोकते हुए नम्रता बोली- अरे नहीं, अगर किसी ने इनके फोन पर फोन कर दिया, तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी और हमें हमारा प्रोग्राम बन्द करना होगा … मैं ऐसा नहीं चाहती.

मैं भी उसकी बात को गौर से सुनने लगा.

फिर कुछ सोचकर नम्रता बोली- लेकिन हम लोग हमारी फैमिली के आने के एक दिन पहले इसको करेंगे और मजा लेंगे.
मेरे मुँह से निकला- हम्म. … अच्छा एक काम करते हैं, अभी ऊपर चलते है, छुप कर देखते हैं, अगर कोई हुआ तो नीचे वापस आ जाएंगे, नहीं तो फिर थोड़ा खुली छत का मजा लेंगे.

मेरा कहना मानती हुई वो छत पर आने को राजी हो गयी और हम दोनों छत पर आ गए. आस-पास चुपचाप अच्छे से देखा, तो कोई नहीं दिखायी पड़ा और फिर हम दोनों ही नंगे छत पर टहलने लगे. अपने जिस्म पर ठंडी बहती हुई हवा का मजा लेने लगे. मैं जमीन पर लेट गया और नम्रता को खींचकर अपने ऊपर कर लिया. नीचे पीठ पर ठंडी जमीन का अहसास और ऊपर नम्रता के गर्म-गर्म जिस्म का अहसास, मुझे बड़ा मजा आ रहा था. सबसे ज्यादा मजा तो मेरे लंड को लग रहा था क्योंकि नम्रता की चूत से निकलती हुई भाप सीधा मेरे लंड से टकरा रही थी, जिसके वजह से लंड बीच-बीच में फुंफकार कर चूत को छूने की कोशिश कर रहा था. इसलिये नम्रता को भी थोड़ी-थोड़ी देर में अपने को एडजस्ट करना पड़ता था.

इस गर्माहट के वजह से मुझे पेशाब लगने लगी, मैंने गैप में हाथ डालकर लंड को मुट्ठी में लिया और नम्रता से अपनी कमर को थोड़ा उठाने के लिये बोला. नम्रता ने अपनी कमर उठाई और मैंने लंड को फांकों के बीच चलाया और मूत की धार को सीधा निशाना दिखा दिया.

“आउच …” कहकर उसने अपनी कमर को ढीला कर दिया, जिससे मेरा लंड दब गया और मुझे मूतना रोकना पड़ा.
“क्या हुआ?” मैं बोला.
तो वो बोली- अचानक तुमने मेरी चूत पर पेशाब करना शुरू कर दिया, तो गर्म धार की वजह से ऐसा हो गया.
“मतलब मजा नहीं आया?”
“नहीं यार, ऐसी बात नहीं है … तुम एक बार बता तो देते.”
मैं- ठीक है तो अब अपनी कमर उठा लो, अभी मैंने मूतना रोक रखा है.
अपनी कमर को उठाते हुए बोली- शरद, यार एक बार लंड को मेरी फांकों के बीच रगड़ कर ही मूतना.

मैंने लंड को मुट्ठी के बीच एक बार फिर लिया और फांकों के बीच चलाने लगा और फिर धार छोड़ना शुरू कर दिया. जब तक मैंने मूतना बंद नहीं कर दिया, नम्रता ने अपने आपको स्थिर ही रखा. उसके बाद हम लोग एक दूसरे से ऐसे ही चिपके रहे. लेकिन इस बार नम्रता की गांड मेरे लंड के ऊपर थी और उसने मेरे दोनों हाथ पकड़कर अपने मम्मे के ऊपर रख दिया और गुनगुनाने लगी. जबकि उसके निप्पल मेरे चुटकियों के बीच में थे … और मेरे लंड को नम्रता अपनी मुट्ठी में लेकर मसल रही थी. वो अपनी चूत पर थाप दे रही थी.

मेरी पीठ काफी ठंडी हो चुकी थी. मैंने अपने ऊपर से नम्रता को हटाया और वहीं बैठते हुए नम्रता से छत पर चलने की फरमाईश कर दी. नम्रता भी बिना देरी किए हुए पूरे छत का चक्कर लगाने लगी. उसके दूध जैसे जिस्म पर चांद की छनकती हुई रोशनी पड़ रही थी, जो उसके जिस्म को और भी खूबसूरत बना रही थी. यही नहीं मेरे में उत्तेजना भरने के लिये वो बड़ी स्टाईल से चल रही थी, इससे उसकी गांड ऊपर नीचे हो रही थी.

दो-तीन चक्कर लगाने के बाद नम्रता बैठ गयी और फिर मुझे छत का चक्कर लगाने को बोली.

मैं भी उसकी ही तरह छत के दो-तीन चक्कर लगा कर उसके सामने खड़ा हो गया.

वो मेरे लंड के सुपारे पर चिकोटी काटते हुए बोली- जब तुम चक्कर लगा रहे थे, तो तुम्हारी मटकती हुई गांड मुझे बहुत अच्छी लग रही थी, मन कर रहा था कि तुम्हारे कूल्हे को कच्चा खा जाऊं.
मैं बोला- मुझे भी तुम्हारी मटकती हुई गांड बहुत अच्छी लग रही थी.
वो बोली- अरे यार हम औरतों की गांड पर तो सब फिदा हो जाते हैं.
उसकी बात को काटते हुए मैं बोला- एक राउन्ड फिर से हो जाए, मुझे लग रहा है कि मेरा लंड तुम्हारे चूत के अन्दर जाना जा रहा है.

उसने बड़े स्टाईल से कोहनी को जमीन से टिकाते हुए और अपनी टांगों को फैलाकर, चूत के अन्दर उंगली डाली. फिर उंगली को अपनी जीभ से लगाकर नशीली आंखों के साथ बोली- मेरी चूत भी तैयार है तुम्हारे लंड को निगलने के लिये, इसको मामूली मत समझो, चाहे तुम्हारा लंड जितना अकड़ कर इसके अन्दर चला जाए, लेकिन जब यह छोड़ती है … तो निचोड़कर और निठ्ठला करके छोड़ती है.

मैं- तुम ठीक कह रही मेरी जानेमन, लेकिन उसके पहले लंड महाराज तुम्हारी चूत का बाजा तो बजा ही डालता है.

फिर मेरी नजर उसकी खिली हुई चूत पर गयी और जीभ लपलपाने लगी. नम्रता की नजर भी मेरे ऊपर पड़ गयी.
वो बोली- ऐसे क्या देख रहे हो?
मैं- कुछ नहीं तुम्हारी खिली हुई चूत को देखकर मेरी जीभ लपलपा रही है.

इतना कहते हुए मैंने अपने सर को उसकी टांगों के बीच घुसेड़ दिया और पहले तो अच्छे से उस चूत से निकलती हुई महक को सूंघा और फिर बड़े प्यार से फांकों पर, चूत के अन्दर जीभ चलाने लगा. मेरा लंड जमीन पर फुंफकार मार रहा था. मैं थोड़ी देर तक तो चाटता रहा, फिर जमीन पर लेट गया.

मैंने नम्रता से बोला- तुम ही अपनी प्यारी चूत सहेली को चटवा दो.

मेरे इतना कहते ही वो मेरे मुँह पर बैठ गयी और हिल डुल के अपनी चूत चटवाने लगी. मैं भी उसकी चूत चाटते हुए उसके मम्मे को दबाता, तो कभी उसके निप्पल को मसलते हुए मजा लेने लगा.

उसके बाद नम्रता खुद ही स्टाईल बदलते हुए 69 की पोजिशन पर आ गयी. वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी, जबकि मैं उसकी चूत को कप वाली आइसक्रीम समझकर चाट रहा था.

थोड़ी देर तक इसी तरह नग्न क्रीड़ा चलती रही. मैं उसकी चूत से साथ-साथ गांड चाटता, तो वो भी लंड चूसने के साथ ही मेरे आड़ू को मुँह में भर लेती और बीच-बीच में मेरी गांड में भी अपनी जीभ चला देती.

फिर वो मुझसे अलग हुई और मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर लेकर उछाल मारने लगी. मैं उसकी उछलती हुई चूची को पकड़ने का प्रयास कर रहा था, लेकिन वो बड़ी तेजी-तेजी से उछालें भरती जा रही थी और मुस्कुरा रही थी.

पर थोड़ी देर बाद ही उसने अपने दोनों हाथ जमीन पर टिका दिये और थोड़ा झुककर अपने मम्मे को बारी-बारी से मेरे मुँह में देकर उसको पिलवाने लगी.

थोड़ी देर तक मुझे चोदने के बाद एक बार वो फिर 69 की पोजिशन पर आयी, लेकिन इस बार उसने कूल्हे फैला दिए और मेरे मुँह पर रख दिए.

उसने मुझे उसकी गांड चाटने का इशारा किया. मैंने भरपूर तरीके से उसकी गांड चाट-चाट कर गीला कर दिया. जब उसे लगा कि उसकी गांड अच्छे से गीली हो चुकी है, तो वो फिर हटी और इस बार लंड को गांड के मुहाने में लगाकर उस पर दबाव देने लगी. मेरा लंड उसकी गांड को चीरता हुए अन्दर घुस गया. उसके आंखें बन्द करने से और दाँत भीचने से ऐसा लग रहा था कि अभी सुराख इतना नहीं फैला है कि लंड आसानी से अन्दर चला जाए. फिर भी पूरे लंड को अपने गांड के अन्दर ले लिया और जिस रिलेस्क लेविल पर उसने अपनी आंख खोलीं और मुस्कुराई, मानो कह रही हो देखो तुम्हारे लंड को मैं फांस चुकी हूं.

उसके बाद उसने अपने हाथों को मेरी छाती पर रखा और निप्पल को मीसने लगी. साथ ही वो अपनी गांड से लंड पूरा बाहर नहीं निकलने देती और फिर उसको अन्दर ले लेती. इस तरह करते-करते वो अब स्पीड के साथ उछाल मारने लगी. अचानक मेरा लंड उसकी गांड से बाहर आ गया. लेकिन यह क्या, एक बार फिर नम्रता 69 की पोजिशन पर आ गयी और अपनी चूत को मेरे मुँह पर रखकर खुद लंड को मुँह में लेकर चाटने लगी. कभी वो ऊपर से नीचे पूरे लंड को चाटती, तो कभी सुपारे पर अपनी जीभ फेरती.

इधर मैं भी बड़े मनोयोग से उसकी गीली चूत और गीली गांड को चाट रहा था.

एक बार फिर वो हटी और इस बार लंड को चूत के अन्दर ले कर लंड के साथ खेलने लगी. इस बार वो अपने दोनों छेद में बारी-बारी से लंड ले रही थी. दोनों छेद की मुलायम दीवारों के बीच मेरा लंड घर्षण की रगड़ से पस्त होने लगा था और किसी समय भी अपनी हार मान सकता था.

नम्रता अपनी आंखें बन्द किए हुए, होंठों को चबाते हुए, मेरी छातियों को कस कर भींचते हुए मजा ले रही थी. हालांकि मैं भी उसके मम्मे को दबा कर कुछ हद तक मेरे लंड के साथ हो रहे अत्याचार का बदला ले रहा था, पर अब लंड ने भी अपने आपको सरेन्डर कर दिया था. उससे कभी भी पिचकारी का फव्वारा छूट सकता था.

आह-ओह करते हुए मैं बोला- नम्रता, मेरा छूटने वाला है.

हम्म करके वो अभी भी लंड पर चढ़ी हुई थी.

मैं एक बार फिर बोला- नम्रता मेरा छूटने वाला है.

इतना कहकर मैं अपने शरीर को अकड़ा रहा था ताकि मैं लंड को माल छोड़ने से रोक सकूं. पर इस बार नम्रता ने मेरी बात सुन ली और वापस 69 की पोजिशन में आकर अपनी चूत मेरे मुँह के पास ले आयी.

मैं स्पष्ट उसके चूत से निकलता हुआ सफेद गाढ़ा रस देख सकता था. मैंने अपनी जीभ की टो चूत के मुहाने पर लगा दी ताकि उसका वो सफेद गाढ़ा रस सीधा मेरी जीभ पर गिरे.

नम्रता ने भी अपनी जीभ को सुपारे पर चलाई और फिर मुँह के अन्दर लंड को ले लिया, तभी लंड ने वीर्य रस को छोड़ना शुरू कर दिया.

नम्रता ने रस की एक-एक बूंद को निचोड़ लिया और मैं भी उसकी चूत से निकलते हुए सफेद गाढ़ी मलाई को मैं चाट रहा था.

मेरी ये हॉट सेक्सी टीचर चूत चुदाई स्टोरी पर आपके मेल का स्वागत है.
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