टीचर की यौन वासना की तृप्ति-2
(Teacher Ki Yaun Vasna Ki Tripti Part-2)
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पिछले भाग में अब तक आपने पढ़ा कि मेरे साथ एक स्कूल में पढ़ाने वाली हॉट एंड सेक्सी टीचर मुझ जैसी ही ठरकी और चुदक्कड़ निकली जोकि मेरी तरह ही सेक्स करने में बिंदास थी. उससे मेरा टांका भिड़ गया था.
अब आगे:
इत्तेफाक तो होता नहीं है, लेकिन करिश्मा कब हो जाए, कोई बता नहीं सकता. हम दोनों रोज कुछ न कुछ प्लान करते रहे. लेकिन कुछ भी हल सुझाई नहीं दे रहा था.
तभी करिश्मा हो गया. मेरे एक रिश्तेदार के घर एक हफ्ते के बाद शादी पड़ी थी, जिसका कार्ड कल घर में आया था और उनकी तरफ से पूरी फैमिली को उसमें शामिल होने के लिये खास तौर पर मुझे फोन किया था.
मैंने घर में स्कूल का बहाना बनाकर न जाने के लिये मना लिया. मैं आज अपना लैपटॉप लेकर आया था ताकि सभी का रिजर्वेशन कर दूँ. लेकिन आज सुबह से ही वो भी काफी खुश दिखाई दे रही थी, खुश तो मैं भी था. इशारे से दोनों ने एक-दूसरे को समझाने की कोशिश की, लेकिन शायद ज्यादा खुशी के कारण समझने को तैयार न थे.
पहली क्लास जाने से पहले हम दोनों की मुलाकात हुई. हम दोनों ने एक दूसरे से खुशी का राज जानना चाहा, तो दोनों ने ही खाली पीरियड में बताने को कह दिया. किसी तरह वो समय भी आया, जब हम दोनों के मिलने का समय पास आ रहा था. चूंकि मैं स्टॉफ रूम में पहले आ जाता हूँ, सो मैं स्टॉफ रूम में आकर अपने लैपटॉप को खोलकर रिजर्वेशन की डिटेल भरने लगा. तब तक नम्रता भी आ गयी.
मैंने उसको देखते ही कहा- बड़ी खुश लग रही हो?
नम्रता- हां है ही खुशी वाली बात.
मैंने पूछा- क्या है?
नम्रता बोली- आज मैं अपने आपको आजाद पंछी पा रही हूं. एक हफ्ते बाद मैं जो करना चाहूंगी, वो सब मैं करूँगी, बस तुम्हारा साथ चाहिये.
मैं- तुम्हारा साथ देने के लिये मैं तो तैयार हूँ, लेकिन हुआ क्या?
नम्रता- मेरी ससुराल में किसी दूर रिश्ते में शादी है और सभी लोग उस शादी में जाने के लिये तैयार बैठे हैं, लेकिन मैंने स्कूल का बहाना बनाकर घर वालों को शादी में न जाने के लिये मना लिया. अब बस तुम साथ दोगे, तो तीन दिन सिर्फ मेरे होंगे और मैं जो चाहूंगी, वो सब करूँगी.
मैं- अरे वाह, मैं तो तैयार हूँ.
नम्रता- अच्छा तुम बताओ अपनी खुशी का राज?
उसके हाथ को अपने हाथ में लेते हुए मैं बोला- जान, मेरी खुशी में तुम्हारी खुशी छिपी है.
नम्रता- अरे वाह, अगर ऐसी बात है, तो फिर जो तुम कहोगे … वो सब मैं करूँगी. मैं- पक्का न … मुकर तो नहीं जाओगी न?
नम्रता- न मेरी जान … जो तुम कहोगे, वो मैं करूँगी.
मैं- इतनी उतावली न बनो, अगर मैं तुम्हें मेरी मूत पीने को कहूँगा, तो वो भी पी लोगी?
नम्रता- बिल्कुल मेरी जान. कई कहानियों में इसके मजे के बारे में लिखा है और मैं हर मजा लेने को तैयार हूँ. बस तुम बताओ.
मैं- मेरे घर में भी अगले हफ्ते शादी है और मैंने भी अपने घर वालों को स्कूल का बहाना बनाया है, देखो उनके लिये ही टिकट बुक कर रहा हूँ, अगर तुम कहो तो तुम्हारी फैमिली के लिये भी टिकट बुक कर दूँ.
नम्रता- अरे वाह इसका मतलब जल्दी ही तुम्हारे लंड और मेरी चूत के बीच जंग छिड़ने वाली है.
मैं- हां लेकिन उसके लिये एक हफ्ते का इंतजार करना होगा.
नम्रता- मैं गिन-गिन कर एक-एक दिन बिताऊंगी. अच्छा मैं अपने हस्बैंड से बात करती हूं, अगर वो तैयार हो जाते हैं, तो मेरे घर वालों का भी तुम ही रिजर्वेशन करा दो.
मैंने उसके रूकते ही कहा- बिल्कुल!
उसने मोबाईल निकाला और अपने हस्बैंड से बात की और उधर बात होने के बाद मेरी तरफ अपनी आंखें भींचकर इशारा करते हुए ओके कहा.
फिर मैंने और नम्रता की फैमिली का रिजर्वेशन कर दिया. दोनों फैमिली का डिपार्चिंग का टाईम 2 घंटे के अंतराल पर ही था.
वो दिन भी आ गया, जब मुझे और नम्रता को अपनी-अपनी फैमिली को सी ऑफ करने जाना था. मैं अपनी फैमिली के साथ अपने समय पर स्टेशन पर पहुंच गया. पर जो गाड़ी समय पर आनी थी, वो धीरे-धीरे डिले होने लगी, आखिरकार वो समय भी आ गया, जब नम्रता भी अपनी फैमिली के साथ स्टेशन पहुंच चुकी थी. हम दोनों की नजरें मिलीं, नम्रता ने अपने दोनों हथेली से अपनी चूत को दबाकर होंठों को गोलकर के मुझे अभिवादन किया. बदले में मैंने भी सबकी नजरों से बचते हुए अपने लंड पर हाथ फेरकर और होंठ को गोल करके नम्रता को जवाब दिया. अच्छी बात यह थी कि दोनों की फैमिली ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया.
तभी नम्रता की ट्रेन एनाउंस हुई और कोई पांच मिनट बाद ही हमारी ट्रेन का भी एनाउंसमेंट हो गया. हमारी ट्रेन के प्लेटफॉर्म का नंबर बदल गया, सो मुझे अपनी फैमिली को लेकर दूसरे नम्बर प्लेटफॉर्म पर जाना था. मैंने इशारे से नम्रता को मिलने का स्थान बता दिया.
ट्रेन जाने के बाद मैं उस स्थान पर पहुंच गया, नम्रता पहले से ही मेरा इंतजार कर रही थी. हम दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ा और स्टेशन से बाहर आ गए.
एक किनारे खड़े होते हुए मैंने नम्रता से पूछा- अब आगे का क्या इरादा है?
वो मेरी नाक पकड़ते हुए बोली- बस मेरी जान … चुदाई और सिर्फ चुदाई.
मैं- हां मेरी जान, मैं भी अपने लंड को अब तीन चार दिन तक तुम्हारी चूत के अन्दर घिसना चाहता हूं. लेकिन उसके अलावा और कोई ख्वाहिश हो तो बताओ, जैसे बियर या दारू … वाईन.
नम्रता- नहीं, बियर ले लो, वही पीयेंगे.
मैंने बियर की 8-10 केन खरीद लीं और फिर टैक्सी पकड़कर उसके घर की तरफ चल दिया. टैक्सी से उतरकर वो तेजी से घर के अन्दर चली गयी. जबकि मैं टैक्सी के पैसे चुकाकर इधर-उधर देखते हुए रात के अंधेरे में खाली रोड पर टहलने लगा, जैसा कि मेरे उसके बीच में तय हुआ था. फिर पांच मिनट बाद मैं उसके गेट के अन्दर घुस गया और दरवाजे को जैसे ही हल्के से थपकी देकर खटखटाया, सामने मेरी जान नग्न अवस्था में खड़ी बेहद खूबसूरत और चॉदनी रात की हूर लग रही थी.
उसने झुककर मेरा स्वागत किया, झुकने के कारण उसके दोनों खरबूजे लटके हुए थे. मैंने भी उनको घंटे की तरह बारी-बारी से बजा दिया.
फिर वो मुड़ी और एक बार फिर झुकी, इस बार उसकी मन में आकर्षण पैदा करनी वाली गोल-गोल उभारदार गांड सामने आ गई, जिसके बीच में झांटों से छिपी हुई चूत सामने थी. मैंने अपने हाथों की एक बार फिर हरकत की और उसके गोल कूल्हे को बारी-बारी से दबा दिया.
अब तक मैं भी अन्दर आकर दरवाजे को बन्द करके अपने एक-एक कपड़े उतारता गया और इससे पहले वो अंधेरे कमरे को लाईट जलाती, मैं भी पूर्ण रूप से नग्न हो गया.
जैसे ही नम्रता लाईट जलाकर मेरी तरफ घूमी, अवाक होते हुए मुझे ऊपर से नीचे देखा. अंत में उसकी आंखें मेरे लंड पर स्थिर हो गईं.
नम्रता बोली- हाय दय्या, आज तो और बड़ा दिख रहा है.
वो नीचे होते हुए मेरे लंड को अपने दोनों हथेलियों के बीच लेकर प्यार से सहलाने लगी और अपनी जीभ के अग्र भाग को लंड के अग्र भाग से टच करते हुए बोली- ओ मेरी चूत के दूल्हे राजा … छोड़ना नहीं अपनी दुल्हन को … पूरी दम लगा कर चोदना और चूत का भोसड़ा बना देना.
फिर नम्रता ने खड़े होते हुए और कुछ कदम पीछे होकर अपने दोनों हाथ और पैरों को फैलाते हुए कहा- मेरी जान तुम्हें भी मेरी चूत देखने की तमन्ना थी, लो जी भर के देख लो.
मैं भी थोड़ा इठलाते हुए बोला- जान तुमने अपनी चूत को झांटों के बीच छुपाकर रखा है, कहां से देखूँ?
नम्रता- ओह सॉरी यार, मैं तो भूल गयी थी, मैंने जिस दिन से मेरे तुम्हारे आज के दिन के मिलन के बारे में सुना, उस दिन से मैं अपनी झांटें बढ़ाने लगी, जिससे मेरी जान मेरी झांट की शेव करके मेरी चूत को चिकनी कर दे और फिर उस चूत को प्यार करे.
मैं मुस्कुरा दिया.
नम्रता- देखो डायनिंग टेबल पर … मैं पहले से ही मेरी झांटों को तुमसे शेव कराने के लिये सामान रख चुकी हूं और साथ में तुम्हारी लायी हुई बियर भी है, अब तुम जो पहले करना चाहो.
मैंने भी नम्रता को अपनी तरफ खींचकर अपने से चिपकाते हुए कहा- जान, पहले तुम्हारी झांट ही बनाता हूं, उसके बाद तुम्हारी चिकनी चूत के रस के साथ बियर पीयूंगा.
नम्रता- लेकिन तुम पहली बार मेरे घर आए हो, कम से कम एक गिलास पानी पी लो, उसके बाद अपना काम करना शुरू करना.
मेरे साथ उसने भी पानी पिया और फिर वो डायनिंग टेबल के पास खड़ी हो गयी. मैंने पास पड़ी हुई कुर्सी पर बैठते हुए कैंची को उठा लिया और उसकी झांटों के जंगल को कुतरने लगा. जब बाल कैंची से कटना बंद हो गए, तब मैंने उसकी चूत को रूई से पैक किया और रिमूवर को अच्छे तरह से लगाकर कुर्सी को एक किनारे हटा कर नम्रता को घुमा कर उसके कूल्हे को चितोरने लगा. इस काम में नम्रता भी मेरी मदद करने लगी, इस तरह से उसकी गांड काफी फैल गयी और छेद नजर आने लगा. मैं अपनी जीभ उस छेद के अन्दर लगा कर गांड के सूखेपन को गीला करने लगा. मुझे उसकी गांड चाटने में आसानी हो, इसलिए वो थोड़ा झुकी और अच्छे से गांड का उठान मेरी तरफ कर दिया. मैं भी उसके सख्त कूल्हे को दबा-दबाकर गांड को चाटने लगा.
फिर मैंने उसके पीछे चिपकते हुए उसके कान की बाली को हटा दिया और चोटी खोलकर बालों को बिखरा दिया. मैं उसकी चूची को दबाते हुए कभी गर्दन पर जीभ फेरता, तो कभी कान पर जीभ फेरते हुए उसके कान को चबाता और नम्रता मेरे लंड को पकड़ कर मसल रही थी.
नम्रता सिसकते हुए बोली- मैं यही प्यार तो अपने पति से चाहती थी, लेकिन वो भड़वा, बस बिस्तर पर आता था, मेरे कपड़े उतारता था, चूची को मुँह में भर कर पीता और थोड़ी देर मेरी चूत पर हाथ फेरता उसके बाद चुदाई करता और फिर अपना माल अन्दर छोड़कर जाकर किनारे सो जाता. बस मेरी जिंदगी यही थी, लेकिन जब से तुमने मुझसे पहली बार इस तरह अपन गिफ्ट मांगा.
वो अपनी सीत्कारों को काबू करने की भरपूर कोशिश करते हुए बोलने का प्रयास कर रही थी.
नम्रता आगे बोली- मुझे लगा कि एक बार अपनी मर्यादा तोड़कर अपने जिस्म की खुशी के लिये तुम्हारी बांहों में समा जाऊं और अपने जिस्म के एक-एक अंग का मजा लूँ.
मैं- फिर आओ तुम्हारी झांटों को साफ कर दूं … तुम्हें और मजा दूं. आओ, हम दोनों लोग अपने दिमाग के फितूर लगाते है और सेक्स का मजा लेते हैं. अब तुम थोड़े पानी को गरम कर लो, ताकि तुम्हारी चूत की अच्छे से सफाई कर दूं.
गांड मटकाती हुई नम्रता रसोई में गयी, मैं भी उसके पीछे-पीछे हो लिया. पानी गर्म करने के लिये वो एक बर्तन नीचे की शेल्फ से निकालने के लिये झुकी, मैंने झट से उसकी गांड घिसाई झट से कर दी. वो थोड़ा चिहुँकी, लेकिन फिर सामान्य होते हुए उसने उस बर्तन में पानी लिया और गैस ऑन करके उस पर रख दिया. फिर नम्रता ने अपने कूल्हे फैला दिए, जो कि मेरे लिये इशारा था कि जब तक पानी गर्म हो रहा है … तब तक मैं उसकी गांड घिसाई कर सकता हूं.
इस इशारे को समझते ही मैंने उसके गुलाबी रंग के पंखुड़ियों वाली गांड में लंड से घिसाई करना शुरू कर दिया. वो लंड के स्पर्श से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करने लगी.
खैर दो मिनट बाद पानी गर्म हो गया और उस बर्तन को लेकर रसोई से बाहर आ गयी. पानी को एक किनारे रखकर वो चटाई बिछाकर उस पर लेट गयी और मैं कॉटन उठाकर उसकी चूत से रिमूवर साफ करने लगा.
इधर एक बार फिर से अपने अरमान बताने लगी.
नम्रता बोली- जान मैं इस सुख को पाने के लिये पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ नंगी जंगल में भी रह सकती हूं. बस तुम तैयार हो जाओ.
मैंने हंसते हुए कहा- नहीं मेरी जान … मेरा भी एक परिवार है. हां बस जब तुम जिस मौके में चाहोगी, मैं तुम्हारे साथ रहूंगा, लेकिन जंगल में नहीं.
नम्रता- अच्छा एक बात और पूछूँ?
मैं- हां हां पूछो.
नम्रता- वो तुमने जो मूत पीने वाली बात कही थी … व .. ओ?
इतना कहकर वो चुप हो गयी.
मैं समझ गया कि वो इसको न करने के लिये मुझे पहले से ही चेतावनी देना चाहती है, पर मेरे दिमाग भी यह बात नहीं आयी.
मैं उसे छेड़ते हुए बोला- तुमने तो प्रॉमिस किया था कि तुम मूत भी पिओगी.
नम्रता थोड़ा सा अदा दिखाते हुए बोली- हां बोली थी.
जब तक नम्रता की बात खत्म होती, तब तक उसकी चूत साफ होकर ऐसे खिल उठी, जैसे कि कमल की एक-एक पंखुड़ी हो. थोड़ा बहुत ब्राउनिश कलर के साथ उसकी चूत की पुत्तियां भी ऐसी लग रही थीं कि जैसे कि कच्ची सब्जियों के बीच दो कलियां फंसी हों.
मैंने उसकी चूत को चूमा और उसके हाथों को पकड़कर उसे खड़ा किया. फिर उसकी चूत में जीभ फिराते हुए कहा- मुझे तो तुम्हारा पता नहीं … लेकिन तुम्हारी इस खूबसूरत चूत से मूत की धार निकलती है, तो मैं उसे पी लूंगा.
ऐसा कहना मेरी सभी सीमाओं को लांघना था, लेकिन नम्रता मुझसे दो कदम आगे थी. उसने एकदम से मेरे मुँह पर पेशाब की गर्म धार छोड़ दी.
अचानक की गई इस हरकत से पेशाब की कुछ बूंद मेरी जीभ से टकरा गईं. मैंने तुरंत अपनी हथेली उसकी चूत पर रखी और जीभ से होंठ साफ करके बोला- जान तुम्हारी चूत की मूत में मजा है, लेकिन धीरे-धीरे करो, तो ज्यादा मजा आएगा.
फिर अपने हाथ को उसकी चूत से हटाते हुए कहा- अभी तुम अपनी पेशाब रोक लो.
मैंने उसके सामने ही हथेली को चाटा. उसकी तरफ देखते हुए बोला- यार तुम्हारा गर्म-गर्म पानी पीने का भी अपना मजा है.
नम्रता अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए बोली- अभी इसमें पानी और बचा है.
मैं एक बार फिर घुटने के बल होकर उसकी जांघों के बीच आ गया और उसकी जांघों पर अपने हाथ का दबाव देकर मैंने कहा- जान जब मैं तुम्हारी जांघ को दबाऊं, तो तुम मूतना रोक देना … और ढीला करूँ तो फिर शुरू हो जाना.
मैंने एक बार फिर उसकी पुत्तियों को चाटते हुए अपने मुँह खोल दिया. अब नम्रता मेरे इशारे के साथ ही मूत रही थी और मैं उसके गर्म पानी को पीकर मजा ले रहा था. अन्त में मैं उसकी चूत को अच्छे से चाटने लगा, इसी बीच वो शायद ज्यादा उत्तेजित होने के कारण वो अपने सफेद रस को छोड़ने लगी. मैंने उसे भी चाट कर साफ कर दिया. उसका जिस्म अब ढीला पड़ चुका था.
नम्रता मुझसे बोली- यार अब मेरा भी गला सूख रहा है, मुझे भी अब अपना पानी पिला दो.
उसके कहने के बाद हम दोनों ने अपनी पोजिशन बदल ली और मैंने अपने अकड़े हुए लंड पर जोर लगाया ताकि मैं मूत सकूँ … लेकिन धार निकलने का नाम नहीं ले रही थी, जबकि नम्रता मुँह खोले पानी का इंतजार कर रही थी.
खैर थोड़ा तिकड़म लगाने के बाद मैंने भी धीरे-धीरे धार छोड़ना शुरू कर दिया, जिसको नम्रता ने पूरी तरह पी लिया और मेरे सुपारे को चाटने लगी … लंड को मुँह में लेकर प्यार करने लगी. कभी वो लंड को मुँह से चोदती, तो कभी वो हाथ से अपना काम करती. इस समय उसने बीएफ वाली लड़कियों को भी लंड चुसाई में मीलों पीछे छोड़ दिया था.
लेकिन जब जमीन पर बैठे-बैठे उसके पैर दर्द करने लगे, तो वो खड़ी हुई और पंलग पर बैठ गयी. एक बार फिर उसने मेरे लंड से खेलना शुरू किया. उसके इस खेल के आगे थोड़ी ही देर बाद मेरे लंड ने हार मान ली और मेरा वीर्य उसके मुँह में गिरने लगा. उसने अच्छे से मेरे वीर्य के एक-एक बूंद को चाटा.
नम्रता लंड चाटते हुए बोली- मेरे राजा, तुमने मुझे बिना चोदे ही इतना मजा दे दिया, जिसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकती. अब जब तक मेरी और तुम्हारी फैमिली में से कोई एक नहीं आ जाता, तब तक मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में लिये पड़े रहना चाहती हूं, इसलिये कल मैं और तुम दोनों ही स्कूल में छुट्टी की एप्लीकेशन देंगे और सेक्स और खाने के अलावा कोई दूसरा काम नहीं करेंगे.
मैं उसके चूचे मसलता हुआ बोला- चलो ये काम सुबह का है. फिलहाल अभी तुमने मेरे लंड का रस निचोड़ कर मुझे ठंडा कर दिया है.
नम्रता- वो तो जब कहोगे, मैं तुम्हें गर्म कर दूंगी, लेकिन मुझे भूख भी लग रही है और आज के दिन के लिये मैंने तुम्हारे लिये स्पेशल चीज भी बनाई है. फिर तुम वो बियर भी लाये हो, आज उसको पीना भी है. आओ चलो रसोई चलते है, वो खाना खाते भी है, पीते भी हैं और …
ये कहकर उसने बात अधूरी छोड़ दी और दो बियर केन उठाकर गांड मटकाते हुए रसोई की तरफ चल दी.
मेरी ये हॉट एंड सेक्सी देसी चूत चुदाई की कहानी पर आपके मेल का स्वागत है.
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कहानी जारी है.
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