टीचर जी की बरसों की प्यास और चूत चुदाई-2
(Teacher Ji Ki Barson Ki Pyas Aur Choot Chuadai- Part 2)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left टीचर जी की बरसों की प्यास और चूत चुदाई-1
-
keyboard_arrow_right टीचर जी की बरसों की प्यास और चूत चुदाई-3
-
View all stories in series
अब तक आपने पढ़ा..
मेरी मैम मुझे अपनी वासनापूर्ति के लिए किसी फंक्शन की कह कर अपने घर पर बुला लेती हैं और उधर उनकी चुदास ने मुझे उनकी प्यासी आग को बुझाने में मजा आने लगा था।
अब आगे..
मैं खड़ा हो गया और मैंने सुहाना मैम का गाउन उतार दिया। जब मैंने वो दिलकश नजारा देखा.. तो मेरी आँखें चमक उठीं।
मैडम की कच्छी में गीली बुर
सुहाना मैम ने थोंग.. यानि कि वो चड्डी पहनी थी.. जिसमें चूतड़ों की तरफ़ बस एक पतली डोर होती है। काले रंग की डोरीनुमा चड्डी.. गोरे जिस्म पर मानो चार चाँद लगा रही थी। मैं घुटनों के बल बैठ गया और बुर के पास जाकर एक गहरी खुशबू ली.. जो उनकी गर्म बुर से आ रही थी। सिल्क की चड्डी की दीवार भी सुहाना मैम की बुर की भीनी खुशबू को रोक नहीं पाई।
मैंने कहा- मैम आप तो बहुत ही सेक्सी हो।
वो हँस कर बोलीं- मैं इस वक्त मैम नहीं हूँ सिर्फ सुहाना बोलो.. और अब बताओ कि मैं तुम्हें कितनी अच्छी लगी?
मैं उनकी थोंग पर दिख रहे गीले निशान को देख कर खुद को रोक नहीं पाया और ऊपर से ही सुहाना मैम की बुर पर चूमता हुआ बोला- एकदम मस्त माल..
अब मैं भूल चुका था कि ये मेरी मैम हैं।
मैंने उनको मैम समझना छोड़ दिया था और अब मैं पूरी मस्ती में सुहाना की बुर पर अपनी जीभ फ़ेर रहा था। फ़िर मैंने सुहाना की चड्डी उतार दी।
सुहाना की बुर कामरस से पूरी गीली थी, चड्डी उतरते ही सुहाना की बुर से कामरस बहते हुए उनकी जांघों तक बहने लगा, मैं उंगली से वो रस ले कर सुहाना की बुर के दाने पर मलने लगा..
सुहाना की बुर के गोरे होंठ अब कुछ लाल से हो गए थे और उनकी बुर का दाना सुर्ख लाल हो गया था।
मैडम की चिकनी बुर
मैंने दो उंगलियों से सुहाना की बुर को फ़ैलाया। सच कहता हूँ दोस्तो, वैसी गुलाबी रंगत तो बस कुंवारी बुर में ही दिखती है।
मैंने अब सुहाना की दायीं जांघ मेरे कन्धे पर रखी और अपना सर सुहाना की जांघों के बीच घुसा कर एक हल्का सा चुम्बन सुहाना की बुर के दाने पर लिया।
‘स्स्स्स्स्..’ सुहाना की सीत्कार निकल गई, सुहाना ने मेरे सर को प्यार से अपने बुर की ओर खींचा।
मैंने अपनी जीभ बुर की फांक में घुसा दी और बुर को चूसने लगा, मुझे सुहाना का कामरस नमकीन और हल्का सा लगा। मैं लगातार बुर में अपनी जीभ घुसेड़ कर बुर का पानी पी रहा था, कभी मैं उंगली से फ़ैला कर बुर की फांक को चाट रहा था.. तो कभी बुर के होंठों पर काट लेता था।
मैं जोर-जोर से बुर के दाने को चूस रहा था, उनकी बुर से अब सफ़ेद झाग और कामरस अमृत सा बह रहा था.. जिसे मैं बड़े मजे ले-ले कर भोग रहा था।
सुहाना आँखें बन्द किए जोर-जोर से मादक आहें भर रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
कुछ मिनट तक बुर चुसाने के बाद सुहाना ने मेरे सर को अपनी बुर पर भींच लिया.. जैसे मुझे खुद में समा लेगी।
मैंने जीभ को अन्तिम सीमा तक बुर में घुसा कर जैसे ही घुमाने की कोशिश की.. सुहाना के पैर थरथराने लगे और वो काँपते हुए मेरे मुँह पर झड़ने लगी। मैं सुहाना की बुर का पानी ‘चपर.. चपर..’ चाटने लगा।
‘आअह्ह्ह.. स्स्स्स.. अम्म्मी.. आह्ह्ह्ह.. इस्स्स..’ सुहाना के कामरस से मेरा सारा चेहरा भीग गया था और वो लगातार झड़ रही थी।
झड़ते हुए सुहाना के चूतड़ बुरी तरह से थिरक रहे थे.. जैसे कोई नई चुदी हुई जवान लड़की पहली बार झड़ती है।
वो अब और खड़ी ना रह पाई और मेरी छाती पर गिरने लगी, मैंने सुहाना को तुरन्त सम्भाला और बेड पर लिटा दिया। वो बिस्तर पर बिखर गई जैसे बरसों बाद कोई चैन से सोता है।
मैंने अब फ़िर से सुहाना की बुर पर अपना मुँह लगा दिया और चाट-चाट के बुर को साफ़ करने लगा।
अब तक सुहाना कुछ होश में आ चुकी थी, वो मेरे सर पर बालों में उंगलियां फ़िरा रही थी और धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी। मैं बुर के दाने को चुभलाते हुए उनको देख रहा था।
‘आप अपनी चूत शेव करती हैं मैम..?’ मैंने बुर पर जीभ फ़ेरते हुए पूछा।
‘नहीं.. मैंने आज तुम्हारे लिए ही हेयर रिमूवर से सब साफ़ किया है।’ सुहाना शर्माते हुए बोली।
‘और मैंने कहा था न कि मुझे अब मैम नहीं.. सोहा बोलो.. जैसे मेरे शौहर कहते थे।’
मैं फ़िर से बुर को चाटने चूसने लगा.. वैसे तो मेरा लंड कब का पैन्ट फाड़ने पर उतारू था.. पर मैं जानता था कि अगर अभी जल्दी की.. तो जो जीवन भर की लंड की दासी मिलने वाली है.. वो नहीं हो मिलेगी।
सुहाना के जिस्म पर तो अब मेरा राज था.. पर मुझे उसकी रूह पर राज करना था। मैं अब सुहाना की बुर में उंगली डाल के दाने को बुरी तरह से चूस रहा था।
सुहाना फ़िर जन्नत में थी ‘आह्ह.. इस्स.. या हल्ल्ल्ल्लाह..’ अब सुहाना खुल कर चीख रही थी।
मैडम की गांड चाटी
इस बार बस तीन मिनट में सुहाना झड़ गई, अब तो उसका जिस्म आग बन चुका था पर मैं भी आग में घी डालने के मूड में था, मैंने सुहाना के पैर मोड़ दिए और उसके चूतड़ों के नीचे तकिया लगा दिया।
अब मुझे सुहाना की गांड का गुलाबी छेद साफ़ दिख रहा था, मैंने जीभ निकाल कर सुहाना की गांड से ले कर बुर के दाने तक जोर से चाटा।
सुहाना जैसे जल बिन मछली की तरह तड़प उठी ‘ओह्ह.. अब रहने दो आकाश.. प्लीज मैं मर जाऊँगी..’
मैंने उनकी बात को अनसुना कर दिया और जीभ को गांड के छेद पर लगा कर कुरेदने लगा।
‘आआहह.. इस्स्स्स..’ सुहाना ने आँखें बन्द कर लीं और जन्नत की सैर का मज़ा लेने लगी।
मैं अब सुहाना की गांड को चिदोर-चिदोर कर उंगली से फ़ैला-फ़ैला कर चाट रहा था और सुहाना बस मादक आवाजें निकाल रही थी ‘ऊऊफ़ स्स्स्स..प्लीज आकाश..’
मैं गांड में अपनी जीभ डाल कर पूरा मुँह लगा कर जोर-जोर से गांड को चूस रहा था और सुहाना के चूतड़ों पर थप्पड़ भी लगा रहा था।
लगभग मैंने दस मिनट तक उसकी गांड को बेरहमी से चाटा और चूसा। सुहाना की हालत अब खराब हो चली थी.. अगर मैं ना रुकता तो वो फ़िर से शायद होश खो बैठती।
मैंने अपने कपड़े खोल दिए और सुहाना के चेहरे के पास बैठ गया। सुहाना की आँखें बन्द थीं। मैंने अपना लंड सुहाना के चेहरे पर रगड़ना शुरू किया तो उसने आँखें खोल दीं, पहले तो मुझे देख कर वो मुसकुराई फ़िर मेरा मोटा लंड देख चीख पड़ी- या हल्लाह.. ये तो बहुत बड़ा है।
मैंने आरम्भ में ही आप लोगों को बताया था कि मेरा लंड औसत से अधिक लम्बा.. मोटा और काला है।
मैंने कहा- ये अब बस सुहाना का है.. इसे प्यार करो।
सुहाना ने बड़े चाव से मेरे लंड के सुपारे पर होंठ लगाए और धीरे-धीरे चूसने लगी।
मैं उसके बाल सहला रहा था और वो मेरे लंड को चूस रही थी। करीब तीन मिनट बाद मुझे लगा अब चोदना ठीक रहेगा.. वर्ना बिना चोदे ही झड़ जाऊँगा।
मैडम की बुर में लंड
मैं सुहाना के ऊपर आ गया और लंड को बुर के दाने पर रगड़ने लगा.. सुहाना मचल उठी।
मैंने लंड को बुर के ऊपर सैट किया और एक हल्का धक्का मारा।
‘अह्ह्ह्ह्ह..’ जैसा मैंने सोचा था सुहाना दर्द से तड़प उठी। आखिर जो बुर सात साल से चुदी ना हो वो लगभग पूरी टाईट होगी ही।
मैं सुहाना के होंठ चूसने लगा और हल्के हल्के लंड को अन्दर सरकाने लगा।
सुहाना का दर्द बढ़ रहा था.. पर उसे पूरा मज़ा भी आ रहा था, सुहाना के नाखून मेरे पीठ पर निशान छोड़ रहे थे।
जब मेरा लंड आधा बुर में जा चुका था तो मैंने लंड को थोड़ा बाहर निकाल कर एक बार में पूरा लंड सुहाना की बुर में पेल दिया।
‘अम्म्ईइ..’ सुहाना जोर से चीख पड़ी और मेरे पीठ पर उसके नाखून गड़ गए, लगभग बीस सेकन्ड के लिए सुहाना बेहोश हो गई, उसके पैर और हाथ बिस्तर पर फ़ैल गए।
मैंने उसकी एक चूची को मुँह में ले कर चूसना चालू कर दिया, सुहाना धीरे-धीरे होश में आने लगी थी, मैंने उसकी चूची पर हल्के-हल्के काटना शुरू किया.. तो वो फ़िर से मचलने लगी ‘इस्स्स्स.. अह्ह्ह..’
करीब दो मिनट में ही वो अब फ़िर से मुझे अपनी ओर खींचने लगी और नीचे से चूतड़ों को हिलाने लगी। मैंने भी अब हल्के-हल्के ठाप लगाने शुरू किए और सुहाना के मुँह में अपनी जीभ डाल दी।
सुहाना मेरी जीभ को बेतहाशा चूस रही थी और मैं लगातार ठाप लगाए जा रहा था, कमरे में ‘धप.. धप..’ की आवाज गूँज रही थी।
मैंने अब गति बढ़ा दी थी और सुहाना के चूचों को बेदर्दी से मसलते हुए जोर-जोर से सुहाना की बुर को मथ रहा था।
‘अह्ह्ह्ह्ह्.. इस्स्स्स्स..’ सुहाना ऐसे हाँफ़ रही थी.. जैसे मीलों दौड़ कर आई हो, वो मेरे हर धक्के पर दोहरी हुई जा रही थी।
उसकी मादक सीत्कारों से मुझे लगने लगा कि अब मेरा माल गिरने वाला है, मैंने कहा- सोहा कहाँ निकालूँ?
मेरी साँसें भी धौंकनी की तरह चल रही थीं।
‘आह्ह.. आज मेरी ही गोद भर दो जान.. आह्ह्ह्ह..’ सुहाना ने फ़िर जिस्म को ऐंठते हुए कहा।
मैंने उसके दोनों घुटने उसकी छती पर सटा दिए और बड़ी बेरहमी से सुहाना की चूत की चटनी बनाने लगा।
सुहाना की बुर सुर्ख लाल हो गई थी और मेरा काला लंड कामरस से भीगा हुआ चमक रहा था।
मैंने ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी। उसकी मजे में डूबी हुई ‘आहें..’ लगातार मुझे सुनाई पड़ रही थीं ‘इस्स्.. आह्ह्ह्ह.. हल्ल्ल्लाह. उम्म्म्म..’
सुहाना अपने पूरे शवाब पर थी और मैं भी उसकी चूत की बखिया उधेड़ने में लगा हुआ था। इस चुदाई की आग ने मुझे उसकी जवानी का शैदाई बना दिया था।
कॉलेज की मैडम की बुर चुदाई चालू है.. आपको और भी मजा दिलाने का मेरा वादा पक्का है।
मुझे ईमेल जरूर भेजिएगा और बस मेरे साथ सुहाना मैम की चुदाई का मजा लूटते रहिएगा।
[email protected]
कहानी जारी है।
What did you think of this story??
Comments