भाभी के साथ होटल में प्यार की चक्की- 2

(Teacher Bhabhi Ki Chudai Kahani)

टीचर भाभी की चुदाई कहानी में मैंने एक स्कूल में प्रिंसीपल भाभी को पटाकर होटल में चोदा. भाभी को मजा आया तो वे खुल गयी और मेरे साथ ओरल सेक्स और गंदे सेक्स का मजा लिया.

कहानी के पहले भाग
रिश्ते में भाभी के हाथ में लंड पकड़ाया
में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपने दूर के रिश्ते में भाभी से नजदीकी बढ़ाई, दोस्ती बढ़ाई और उन्हें सेक्स के लिए राजी किया, होटल में उनकी चूत मारी.
लण्ड चूसने में तो जैसे चिक्की को महारत हासिल थी।
अगर चिक्की थोड़ी देर और मेरा लण्ड पीती रहती तो शायद मैं ख़ुद को रोक नहीं पाता.

अब आगे टीचर भाभी की चुदाई कहानी:

इसलिए मैंने उसका ध्यान बटाने को उससे कहा- लण्ड बड़ा मज़ेदार चूस रही हो मेरी जान! क्या बात है?
चिक्की- आज मैं पहली बार अपनी मर्ज़ी से चूस रही हूँ.

मैं- पहली बार? मर्ज़ी से? ठीक से बताओ!
चिक्की- कपिल ने जब भी मेरे साथ सेक्स किया, मुझसे हमेशा अपना सामान चुसवाया जबकि मुझे ये कभी पसंद नहीं था। पर वो ज़बरदस्ती मुझे अलग अलग वीडियो दिखा कर उसी की तरह चूसने और चाटने को कहा करता और मेरे ना करने पर मेरे साथ बदतमीज़ी करता।

मैं- कपिल तो देखने में पढ़ा लिखा लगता है.

चिक्की- कमरे के अंदर आदमी का असली रंग देखने को मिलता है। और मेरे साथ तो उसने हमेशा ज़बरदस्ती ही की. पर आज मैं इसको अपनी मर्ज़ी से चूस रही हूँ।
और इतना कहकर चिक्की ने दोबारा मेरा लण्ड मुँह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर में मेरा लण्ड चिक्की के थूक से लबालब था.
तो मैंने चिक्की को मेरे लण्ड पे बैठने को बोला जिसका उसने एक बार फिर अविलम्ब पालन किया और मेरे लण्ड को अपने हाथों से अपनी चूत पे लगाते हुए उस पर बैठने लगी।

कुछ ही देर में चिक्की की चूत मेरा पूरा लण्ड निगल चुकी थी और वह मेरे ऊपर ऐसे सवारी कर रही थी मानो किसी घोड़े पे बैठी हो.
पिछली चुदाई से चिक्की की चूत खुल चुकी थी और वह मेरे लण्ड के लिए अभ्यस्त हो गई थी।

मैंने चिक्की के चूचों को हाथ में भरकर भींचना शुरू किया और समय के साथ चिक्की की सीत्कारें एक बार फिर से बढ़ने लगीं।

मुझे इस सब में बहुत आनंद आ रहा था और अभी हमारे पास बहुत समय बाक़ी था।
चिक्की के खुले बाल इधर उधर बिखरे पड़े थे और वह पागलों की तरह चुदाई का आनंद ले रही थी।

उसकी आवाज़ों को क़ाबू में रखने के लिए मुझे कमरे का टीवी भी चलाना पड़ा क्यूँकि बार बार कहने पर भी उसकी आवाज़ें धीमी होने का नाम नहीं ले रही थीं।

इस बार चिक्की मेरे सीने पे अपने नाखून गड़ा रही थी और मैं उसके चूचों को बेदर्दी से मसल रहा था।
बीच बीच में मैं चिक्की के निप्पल ऊपर को खींच के उसके मुँह की तरफ़ करता और वो जीभ निकाल के अपने निप्पल चाटती।

क्या रोचक सीन था … कुछ भाभियों को ऐसा करना बहुत पसंद होता है और वे अक्सर सेक्स के दौरान अपने निप्पल पीती हैं और ऐसा करने से लड़के और लड़की दोनों की उत्तेजना एकदम चरम पे पहुँचती है।

मैं नीचे से भरपूर पेलम पाली मचाये हुए था और ऊपर से चिक्की की रेल चालू थी।
चिक्की मेरे ऊपर झूलती हुई मेरे होठों तक आयी और उसने मेरे होठों को पीना शुरू कर दिया।

मैं पूर्ण समर्पण भाव से उसके नीचे लेटा पूरा आनंद ले रहा था कि चिक्की ने मेरे निचले होंठ को अपने दांतों से काट लिया।
उसकी आँखें बंद थी और वो अलग ही मज़े में थी।

मैंने उसके निप्पल पर ज़ोर की चूँटी काटी जिससे उसको दर्द हुआ और उसने मेरा होंठ छोड़ा।
मुझे बहुत दर्द हुआ पर मैं कुछ नहीं कर सकता था।

चिक्की इतनी उत्तेजित थी कि उसको कुछ पता ही नहीं था शायद!
मेरे धक्के तेज़ी से चिक्की की चूत को पेलते हुए उसको एक बार फिर सखलित होने की ओर ले जा रहे थे।

कभी वह मेरे मुँह में अपना चूचा भर देती तो कभी ख़ुद उनको मसलने लगती पर लण्ड पे उछल कूद पूरी मचा रही थी।

कुछ ही देर में चिक्की एक बार फिर से चिल्लाती हुई अपने चरम पर पहुँची और इस बार उसने इतना पानी गिराया कि मैं पूरा भीग गया और फिर वह मेरे ऊपर ही ढेर हो गयी।

चिक्की को थोड़ा समय लगा अपनी साँसें थामने में और उस दौरान भी मैं नीचे से धीरे धीरे उसकी चूत में धक्के लगाता रहा।

जब चिक्की थोड़ी सुध में आयी तो मैंने उसको डोग्गी स्टाइल में करने को कहा।
चिक्की बोली- बहुत थक गयी हूँ यार! थोड़ी देर रुकते हैं ना!

मैं- मेरा तो अभी तक नहीं हुआ। थोड़ी हिम्मत रख, बहुत मज़ा आएगा।

चिक्की- तुम जाने कौन सी चक्की का आटा खाते हो जो अभी तक नहीं हुआ। कपिल तो कब का करके, पलट के सो चुके होते।
मैं- तुमने इस सुख को अभी तक भोगा ही कहाँ है मेरी जान! यही सुख तो आज तुमसे रु-ब-रु होना चाहता है। चल अब, देर ना कर!

चिक्की- नहीं नहीं … अब बिलकुल हिम्मत नहीं है और पेट में दर्द भी हो रहा है.
मैं- तुमने वो मज़ा दिया है मेरी जान कि मैं शब्दों में तुम्हें बता नहीं सकता। अब एक आख़िरी ज़ोर और मार ले.

और इतना कहकर मैंने चिक्की को अपने हाथों से पकड़ के पलटा और पलंग के कोने की तरफ़ डोग्गी स्टाइल में झुका कर उसके सामने आ गया जिससे मेरा लण्ड चिक्की के मुँह के सामने झूलने लगा।
चिक्की एक डोग्गी की तरह अपने चारों पैरों पर थी और उसके चेहरे से उसकी थकान महसूस की जा सकती थी।
उसके प्यारे कोमल चूचे नीचे को ऐसे लटके थे जैसे न्योता दे रहे हों कि आओ और हमारी चीखें निकलवा दो।

चिक्की ने मुझे एक बार फिर सवालिया निगाहों से देखा तो मैंने अपने लण्ड को चिक्की के मुँह सामने घुमाते हुए उसको इशारा किया कि वो मेरा लण्ड एक बार फिर से चूसना शुरू करे।
आपको बता दूँ कि जब आप चुदाई करते हो और उसके बीच लण्ड को चूत से बाहर निकाल के अपनी बंदी से लण्ड चुसवाते हो तो एक अजीब नशा चढ़ता है।

एक स्वामित्व का अहसास कि ये मेरा लण्ड तब भी चूस रही है जब इसके अपने रस से लण्ड पूरा लथपथ है।

ऐसे समझो कि कोई आपके आगे अपना सब कुछ न्यौछावर किए है कि उसको सिर्फ़ आपके एक आदेश का इंतज़ार हो … लण्ड अगर थोड़ा सिकुड़ भी रहा हो तो दोबारा अकड़ने लगता है।

ख़ैर, इतना इंतज़ार तो खड़े लण्ड पे कभी किया ही नहीं यारो!
मैंने चिक्की के बालों को पकड़ के उसको क़ाबू किया और लण्ड सीधा उसके गले तक पेल दिया।

चिक्की के मुँह से घुं घुं की आवाज़ आने लगी पर उसने लण्ड को अपने मुँह से बाहर निकालने का कोई प्रयास नहीं किया बल्कि अपने एक हाथ से मेरी गेंदों को सहलाने लगी।

चिक्की को वास्तव में लण्ड चूसने की सारी स्टाइल अच्छे से आती थी और वह बिस्तर में किसी को भी मात दे सकती थी।
इतनी ऊर्जा थी उसमें कि वह शायद और 3-4 बार मेरा लण्ड चूस के निचोड़ सकती थी।

इस बार मैंने थोड़ी ही देर उसका मुँह चोदन करके लण्ड को उसके मुँह से बाहर निकाला और उसके पीछे पहुँच गया जिससे मेरा खलबली लण्ड उसकी मतवाली चूत में खलबली मचा सकें।

मैंने पहले चिक्की की गांड सहलायी और फिर उसकी गांड पे 3-4 चांटे लगा के थोड़ी उत्तेजना बढ़ायी।
तब मैंने उसके एक पुट्ठे को मुट्ठी में भरा और फिर उसकी गांड पे थोड़ा थूक लगा के उसको अपने लण्ड से रगड़ने लगा।

बीच बीच में चिक्की की गांड के थप भी लगते रहे और जब लगा कि चिक्की थोड़ी अभ्यस्त हो रही है तो एक ज़ोरदार झटके के साथ मैंने अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया।

अब आप अनुमान लगाओ कि चिक्की के दोनों पुट्ठे मेरी मुट्ठी में हैं और दोनों चाँटों से लाल हैं.
चाँटे पड़ने के कारण दोनों में से जैसे गर्मी बाहर निकल रही है और चिक्की की चूत में अचानक हुए प्रहार से वो भी मेरे लण्ड को पिघला रही है।

माहौल इतना गर्म है और उसपर चिक्की की उत्तेजक और दर्द भरी आहें … ओह दोस्तो … यह बहुत ज़्यादा था मुझसे जोशीली चुदाई करवाने के लिए!
और बस मैंने किसी चीज़ पे ध्यान ना देते हुए चिक्की की चुदाई जारी रखी।

मैं उसकी गांड के छेद से खेलता हुआ कभी उसकी गांड में अंगूठा पेल देता … जिससे वह सहर जाती.
तो कभी हाथ आगे बढ़ा कर उसके चूचों को मसल देता.

पर यह पक्का था कि जितना आनंद मुझे आ रहा था, उससे कहीं ज़्यादा मज़ा चिक्की ले रही थी।

उसने अपनी गांड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया था और मेरी हर ठाप का वो पलट के जवाब दे रही थी।

चिक्की अब तक कई बार स्खलित हो चुकी थी और आज का यप मेरा पहली बार था तो मेरा ढेर सारा पानी बहने वाला था।

मैं अपनी गति बढ़ाते हुए चिक्की से बातें करता उसको चोद रहा था.
और चिक्की की आवाज़ें तेज़ होती जा रही थीं।

चिक्की ने अपना मुँह तकिये के नीचे दबा लिया जिससे उसकी आवाज़ें थोड़ी कम हो जायें.
पर मेरी तरफ़ से चुदाई जारी थी।

मैं किसी भी समय अपना माल चिक्की की चूत में छोड़ सकता था।
मेरे मुँह से गुर्राहट जैसी आवाज़ आ रही थी.

कि तभी चिक्की ने तकिया हटाया और बोली- राहुल, अंदर पानी मत निकालना प्लीज़!

मैं- आज ये गाड़ी स्टेशन पे नहीं रुकेगी जान! तुम मज़ा लो मेरी गर्मी का!
चिक्की- मुझे बहुत जल्दी कन्सीव हो जाता है यार … अंदर नहीं!

मैं चिक्की के पुट्ठों पे अपनी पकड़ जमाते हुए- गोली खा लेना … पर मज़ा तो पूरा ले अभी!

चिक्की अपनी मदहोश आवाज़ में- यार, तुम बहुत ज़िद्दी हो।
मैं- सिर्फ़ चूत में ही नहीं, तेरे मुँह में भी माल निकालूँगा मेरी जान। अब तू मेरी बंदी है.

चिक्की- मुझे यक़ीन नहीं हो रहा कि तुम मुझसे क्या क्या करवा रहे हो … और मैं कर भी रही हूँ.
और इसके बाद चिक्की कुछ नहीं बोली … सिर्फ़ मेरे माल के आने का इंतज़ार करते हुए एक बार फिर आनंद के सागर में गोते लगाने लगी।

मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी क्यूँकि मैं अपने चरम के बहुत क़रीब था।
चिक्की के चाँटे पड़ने का सिलसिला जारी था और मेरी भी कमर अब दर्द करने लगी थी।

मैं इस बार बीच में नहीं रुकना चाहता था क्यूँकि एक बार फिर शुरू करने की हिम्मत बाक़ी नहीं थी अभी!
जाने कब चिक्की ने एक बार फिर अपना पानी छोड़ दिया और इसी के साथ उसने अपने एक हाथ को पीछे लाकर मेरी गेंदों के बीच में कुछ ऐसे मेरी नस को सहलाना शुरू किया कि मेरा लण्ड भी झड़ना शुरू हो गया।

मैंने इतना पानी उसकी चूत में गिराया कि क्या कहूँ … एक के बाद एक पिचकारी … एक तो चिक्की की चूत की गर्मी, उसपे उसके कामरस का स्पर्श और फिर उसके हाथ से मेरी गेंदों की मसाज … क्या कहूँ दोस्तो … आप बस अनुमान लगाओ और कभी मौक़ा मिले तो महसूस करना!

मैंने तेज़ी से अपना लण्ड चिक्की की चूत से निकाला और चिक्की को बोला कि वह मेरा लण्ड मुँह में लेकर मेरा माल पिये जिसका इंतज़ार शायद चिक्की को भी था।
उसने बिना किसी देरी के पलट कर मेरा लण्ड अपने मुँह में भर लिया।

इस दौरान एक पिचकारी चिक्की के चूचों पर और एक उसके चेहरे पर भी पड़ी।
मैंने शायद 2 या 3 पिचकारी चिक्की के मुँह में भी मारी जिसको चिक्की पूरा पी गई और उसके चेहरे पे संतोष के भाव मैं पढ़ सकता था।

मेरी नज़र थोड़ी नीचे गई तो मैंने देखा कि चिक्की की चूत से उसके और मेरे कामरस का मिश्रित रस बह रहा था और चादर गीली कर रहा था।
चिक्की ने मेरे लण्ड को चूसने के बाद अपनी जीभ से चाट के साफ़ किया और फिर उसके चेहरे पे जो मेरा रस था उसको मैंने अपने हाथ से साफ़ करके उसको ही चटवाया।

फिर मैंने चिक्की के चूचों का मर्दन किया तो उसके चूचों पे जो मेरा रस पड़ा था, वो वहीं फैल गया और फिर मैंने उसके चूचों को बारी बारी चूसा.

मुझे मेरे ही वीर्य का स्वाद लेने में कुछ कम मज़ा आया पर चिक्की के चूचे पहले से थोड़े फूले लग रहे थे और उनको मसलते हुए चूसने का अलग मज़ा आ रहा था।

चिक्की के चेहरे से थकान साफ़ प्रत्यक्ष थी और थोड़ा दर्द अब मेरे पेट में भी हो रहा था।
हमारी चुदाई काफी लम्बी चली थी और मैंने लगातार चिक्की की चूत में ताबड़तोड़ धक्के लगाये थे।

हम दोनों जैसे तैसे लेट गए और सुस्ताने लगे।
थोड़ी देर बाद चिक्की उठ के बाथरूम जाने लगी तो मैंने एक बार फिर उसके मज़ेदार पुट्ठे पे एक चाँटा रसीद दिया।

चिक्की ने मुस्कुराते हुए पलट के देखा और फिर निर्वस्त्र ही बाथरूम में चली गई।
मैं इतना थका हुआ था कि जाने कब आँख लग गई।

थोड़ी देर में पानी के गिरने की आवाज़ से आँख खुली तो समझ आया कि चिक्की थकान उतारने को गर्म पानी में नहा रही है।

मुझे ज़ोर की शू शू आयी थी तो मैं भी बाथरूम में चला गया।
चिक्की शॉवर खोल के नीचे बैठी नहा रही थी।

जाने दिमाग़ में क्या आया, मैं चिक्की के सामने गया और उसको लण्ड चूसने को बोला।

चिक्की को वहाँ देख के मेरा लण्ड दोबारा ज़ोर मारने लगा था।

उसने चौंकते हुए पूछा- तुम और तुम्हारा … दोनों थकते नहीं हो क्या?
मैं- जरा मुँह में लेकर गीला तो करो इसको मेरी जान!

चिक्की- बहुत थक गई हूँ, अब और नहीं!
मैं- वो छोड़ … और ये बता कि कभी शू शू पिया है?
चिक्की ग़ुस्से में- पागल हो गए हो क्या? तुम कुछ भी कहोगे और मैं करूँगी?

मैं- अच्छा चल मुँह में तो ले!
चिक्की- अब जब तुम्हारी नियत मुझे पता है तो बिल्कुल भी नहीं!

और फिर वह शॉवर से बाहर जाने लगी.
तो मैंने उसको वापस नीचे बैठने को कहा कि साथ नहाते हैं।

मैं चिक्की के पीछे जाकर शॉवर में खड़ा हो गया और शू शू करने को ज़ोर लगाने लगा।
जिन्होंने इसको अनुभव किया है, वे जानते होंगे कि सेक्स के बाद खड़े लण्ड से शू शू करने को बहुत मेहनत करनी पड़ती है और वो निकलता भी धीरे धीरे है।

तो मैंने अपने लण्ड को चिक्की के कंधे पर धारण किया और थोड़ा थोड़ा शू शू जो आया, उसके ऊपर करता रहा।

शॉवर से गर्म पानी गिर रहा था तो चिक्की को पता नहीं चला।
मैंने फिर उसके बालों में भी शू शू किया और थोड़ी देर में चिक्की को आभास हो गया कि मैं क्या कर रहा हूँ।

वह पलटी और मैंने उसके ऊपर ढेर सारा शू शू कर दिया और फिर उसके मुँह में अपना लण्ड पेल उसको चूसाने लगा।

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और लण्ड फिर से जोश में आ चुका था।
मैंने चिक्की को अपनी गोद में बिठाया और एक बार फिर उसके होंठ और चुचे पीने लगा।

एक बार को थोड़ा नमकीन स्वाद आया जो शायद मेरे शू शू का था.
पर अब कुछ हो नहीं सकता था।

नीचे लण्ड को अपना निशाना मिल चुका था तो मैंने एक बार फिर चिक्की को इशारा किया।

चिक्की ने अपने हाथ से मेरे लण्ड को ठीक से सेट किया और मेरा पूरा लण्ड चिक्की की चूत में उतरता चला गया।

हमने एक राउंड गर्म पानी के शॉवर में लगाया और इस पूरे समय मैंने चिक्की के होंठ और चुचों को ख़ूब चूसा और काटा भी।

चिक्की के बदन पे जगह जगह मेरे होठों के निशान पड़ चुके थे और हम दोनों ऐसे पागल हुए जा रहे थे कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।

यह राउंड बहुत लम्बा नहीं चला क्यूँकि चिक्की के सखलित होते हो मेरे लण्ड ने भी प्रेम बौछार छोड़ दी थी।
चिक्की ने उठना चाहा तो मैंने उसको उठने नहीं दिया।

मुझे सेक्स के बाद चूत की गर्मी लेने में जो आनंद आता है, वो सेक्स में भी नहीं आता।

चिक्की ने बताया कि अब उसको शू शू आयी है.
तो मैंने उसको इसी अवस्था में शू शू करने को कहा और जब उसकी एक नहीं चली तो उसने मेरे लण्ड के उसकी चूत में रहते ही शू शू किया।

ओह दोस्तो, क्या मस्त वाली फीलिंग आयी थी उस समय!
मैं अब भी उसको महसूस कर सकता हूँ।

सब होने के बाद जब हम नहा कर वापस कमरे में पहुँचे तो चिक्की ने घड़ी की तरफ़ इशारा किया और वापस चलने को बोली।

मैं- इतनी भी क्या जल्दी है?
चिक्की- तुम पूरे पागल हो राहुल! जाने क्या क्या करवाया है आज तुमने मेरे से!
मैं- मैंने तो सिर्फ़ प्यार किया है। हाँ, यह कह सकती हो कि तरीक़ा कुछ अलग है मेरा!

चिक्की- और मुझे Pill भी चाहिए होगी। तुमने जाने कितना माल मेरे अंदर डाला है आज!
मैं- अब तो माल डालता ही रहूँगा! कोई परमानेंट चीज़ देखो, Pill कब तक लोगी मेरी रानी?

चिक्की- इतना तो मैंने कपिल के साथ भी कभी नहीं किया राहुल। ये तुमने क्या कराया है आज मेरे से, मुझे ख़ुद नहीं पता!

और ऐसे ही प्यार भरी बातें चलती रहीं और हम दोनों ने कपड़े पहनने शुरू किए।
इधर उधर की बातें करते हमने होटल छोड़ा और वापस दिल्ली पहुँच गए।

इसके बाद मैंने और चिक्की ने कई मौक़ों पर साथ समय बिताया और हर बार चिक्की ने मुझे एक नया अहसास कराया।

तो दोस्तो, और प्यारी गरम भाभियो, यह थी मेरी और चिक्की की आप बीती कहानी जिसको आज मैंने आपसे साझा किया।
आपको कैसी लगी टीचर भाभी की चुदाई कहानी, मुझे लिख कर ज़रूर बताएँ।

आपकी सराहना, आपका प्यार और आपके पत्र मुझ जैसे लोगों को प्रेरित करते हैं कि हम लिखते रहें।

आशा करता हूँ आपने अब तक अपना पानी कई बार गिरा दिया होगा।

टीचर भाभी की चुदाई कहानी पर आपकी ईमेल का इंतज़ार रहेगा।
ईमेल वही है [email protected] और जिनके पास मेरा नंबर है, वो व्हाट्सएप भी कर सकते हैं।
आपका प्यारा और चोदू भाई / देवर
राहुल गुप्ता

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