सपने में चूत चुदाई का मजा -8
(Sapne Me Chudai Ka Maja- Part 8)
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अब तक आपने पढ़ा..
जब उसने अपने आप को ढीला छोड़ दिया तो मैंने भी अपने होंठों को हटाते हुए बोला- जानू.. बस एक बार इस दर्द का भी मजा ले लो.. फिर तो जन्नत ही जन्न्त है।
फिर मैंने अपने लण्ड को बाहर खींचा तो खून के फौव्वारे के साथ लण्ड बाहर आया। मतलब साफ था कि मेरे लण्ड को एक और कुंवारी चूत चोदने को मिली।
मेरे लण्ड निकालते ही सूजी उठने लगी और बोली- सक्सेना जी चूत के अन्दर बहुत जलन सी हो रही है।
अब आगे..
मुझे लगा कि कहीं अगर सूजी ने खून देख लिया.. तो चुदने से मना न कर दे.. सो मैंने उसे उठने नहीं दिया.. पर उससे बोला- जानू चूत के अन्दर अभी थोड़ा सा लण्ड गया है.. अन्दर की सील टूटी है.. इसलिए तुम्हें जलन हो रही है।
‘क्या खून भी निकला है?’ वो बोली।
‘हाँ.. थोड़ा सा.. पर ये एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।’
उससे बातें करते हुए मैं उसकी जाँघों को सहला रहा था और सूजी को बात में लगाते हुए एक धक्का और दिया.. लण्ड आधा से ज्यादा अन्दर घुस गया।
तभी सूजी की गाण्ड से एक आवाज आई, ‘पोंओओओओ..’ यानि उसकी पाद निकल गई थी।
वो थोड़ा कसमसाई पर साथ देने लगी।
अब मैं धीरे-धीरे लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा, मेरा लण्ड उसकी चूत में पूरा अन्दर नहीं जा रहा था, पर जितना जा रहा था.. उतना मुझे मजा दे रहा था।
जैसे-जैसे ‘फचफच..’ की आवाज हम दोनों के मिलन से आ रही थी, मेरा जोश दुगुना होता जा रहा था, उसकी उछलती हुई चूचियां भी मेरे हौसले को और हौसला दे रही थीं.. ऊपर से सूजी के ‘आह-ओह..’ का सितम भी मेरे जोश को उसको जोर-जोर से चोदने का हौसला दे रहा था।
थोड़ी देर बाद सूजी चिल्लाई- डार्लिंग.. मैं गई..
इसके साथ ही ऊसका जिस्म ढीला पड़ गया।
पांच-सात धक्के के बाद मेरा भी जिस्म अकड़ने लगा और मेरा माल निकलने ही वाला था कि मैंने तुरन्त ही अपना माल बाहर ही डिस्चार्ज़ कर दिया और सूजी के ऊपर लेट गया।
लेकिन मुझे लगा कि मेरे जिस्म का वजन वो बर्दाश्त नहीं कर पा रही है इसलिए उसके ऊपर से हट कर बगल में लेट गया।
थोड़ी देर के बाद सूजी बोली- जान मेरी चूत बहुत जल रही है। क्योंकि तुम्हारा पानी चूत के अन्दर उस जगह लग रहा है.. जहाँ झिल्ली फटी थी, इसलिए उसमें जलन हो रही है।
यह सुनकर मैंने आस-पास देखा तो एक कोने में हीटर रखा हुआ था, मैंने तुरन्त ही एक लोटे में पानी लिया और उसको गर्म किया.. फिर उसकी चूत को और उसके आस-पास की जगह को साफ करके अन्दर थोड़ी सी क्रीम लगा दी। इससे उसको थोड़ा राहत मिली.. फिर अपने लण्ड में लगे हुए सूजी के खून के धब्बे को साफ किया और सूजी के बगल में फिर से लेट गया।
लेकिन मैं क्या कहूँ अपनी नजर को जो सूजी की चिकने जिस्म से हटती नहीं। उसकी चिकनी चिकनी टांगें.. चिकनी चूत और खासतौर से उसकी रसीली चूचियाँ.. जो इस समय एक छोटी सी प्लेट जिसके बीचों-बीच ऐसा लग रहा था कि अंगूर का दाना रखा हो और मुझे आमंत्रित कर रहा था कि मैं उसे चूस डालूँ।
मुझसे रहा न गया.. इसलिए मैंने करवट बदली, अपनी एक टांग सूजी के ऊपर रखी और उसके निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरी चूची को हल्के से सहलाने लगा। थोड़ी ही देर में इस हरकत का असर सूजी पर भी हुआ, उसका हाथ मेरे लण्ड को टटोलने लगा और लण्ड को पकड़ के सहलाने लगा और अंगूठे से मुहाने को जोर-जोर से सहला रही थी।
इसका नतीजा यह हुआ कि हल्का सा पानी उसके अंगूठे में लग गया.. जिसको बड़ी ही मादकता से मेरी ओर देखते हुए उसने अपने अंगूठे को चाटना शुरू किया। फिर वो तेजी से मेरी ओर पलटी और अपनी एक टांग को मेरे ऊपर चढ़ा दिया और मेरे होंठों को चूसने लगी।
मैं न तो अब उसकी चूची चूस पा रहा था और न ही मेरा हाथ उसकी चूत में जा रहा था.. तो मैं क्या करता.. तो करना क्या था दोस्तो.. मैंने अपनी सभी उंगलियों को सूजी की गाण्ड की सेवा करने के लिए लगा दिया.. यानि कि अब मेरी उंगलियाँ उसकी गाण्ड के अन्दर थीं।शायद उसको इसका भी बड़ा मजा आ रहा था।
करीब 10 मिनट के बाद हम दोनों ने होंठ चूसना बंद किया। मेरे कहने पर सूज़ी 69 की पोजिशन पर आ गई, उसकी चूत मेरी मुँह में थी और मेरा लण्ड उसके मुँह में था, अब वो मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं उसकी बुर को चूस रहा था, बीच-बीच में मैं उसकी गाण्ड में भी अपनी जीभ फिरा देता था, वो भी मेरी गाण्ड चाटना चाहती थी इसलिए उसने मेरी दोनों टाँगों को सिकुड़वा दिया जिससे मेरे गाण्ड का भी छिद्र भी खुल गया और उसको चाटने में आसानी होने लगी।
अचानक सूजी मेरे लण्ड और गाण्ड को छोड़कर मेरे मुँह में सीधी बैठ गई और बहुत तेज-तेज से अपनी बुर को मेरे मुँह से रगड़ने लगी और बड़बड़ाने लगी ‘मादरचोद.. मेरी बुर में बहुत तेज खुजली हो रही है.. इस खुजली को मिटाओ..’
‘मेरी जान चिन्ता क्यों करती हो..’ यह कहकर उसको पलंग पर लेटाया और लण्ड को एक झटके में उसकी बुर में पेल दिया।
‘आक्क..’ उसके मुँह से इतना ही निकला और आँखें फटी की फटी रह गईं।
‘भोसड़ी के.. क्या जान लोगे.. रंड़ी नहीं हूँ मैं.. आज ही सुहागरात मना रही हूँ.. थोड़ा प्यार से चोदो ना..’
‘क्यों खुजली मिट रही है न..’
मेरी तरफ प्यार से देखकर बोली- दिलबर चोद रहा है.. खुजली तो मिटेगी ही।
अब मैं.. उसकी चूत..वो.. चूत से निकलने वाली ‘फक-फक..’ की आवाज के साथ सूजी की ‘आह-ओह..’ की आवाज से कमरा बहुत ही रूमानी हो गया।
कभी सूज़ी मेरे ऊपर तो कभी सूजी के ऊपर मैं… करीब 15 मिनट तक धकापेल चलता रहा। केवल इस एक पोजिशन में मैं सूजी को चोद रहा था। मेरा मन ही नहीं कर रहा था कि सूजी को घोड़ी बना कर पीछे से चोदूँ।
इतनी देर में सूजी झड़ चुकी थी, मैं झड़ने वाला था.. तो मैंने सूजी से पूछा- माल कहाँ निकालूँ?
तो मुस्कुरा कर उसने अपना मुँह खोल दिया।
मैंने पूछा- तुम माल पी लोगी?
तो बोली- जान 69 की पोजिशन में आ जाओ.. मैं तुम्हारा पूरा माल पी जाऊँगी और तुम मेरा पूरा माल चाट जाना। लेकिन अपना माल धीरे ही धीरे निकालना.. जिससे मैं प्यार से इसे पी जाऊँ।
मैंने वैसा ही किया, हम लोग 69 की अवस्था में आ गए और मैं उसका माल चाटने लगा और वो मेरा माल पीने लगी, एक-एक बूँद उसने निचोड़ लिया था।
उसके बाद हम दोनों एक-दूसरे को सहलाते हुए कब सो गए पता ही नहीं चला।
5:30 का शायद अलार्म लगा हुआ था.. सूजी उठी और मुझे जल्दी से उठाते हुए जाने के लिए कहा.. क्योंकि अब सबके उठने का समय हो गया था।
मैं तुरन्त उठा.. पेशाब बहुत तेज लगी थी.. पेशाब किया और जल्दी से कपड़े पहने.. इतनी ही देर में सूजी भी व्यवस्थित हो गई थी।
मैं बाहर निकल कर अपने कमरे में आया तो मेरा मोबायल बज रहा था।
फोन उठाया तो पता लगा कि प्रोफेसर को हार्ट अटैक हुआ और वो चल बसे।
इतने में मेरी डर के मारे नींद खुल गई तो पाया कि मैं अपने बिस्तर को काफी गीला कर चुका हूँ।
तो दोस्तो, यह मेरे एक सपने की दास्तान है, उम्मीद करता हूँ आप सभी को पसंद आएगी। आप के मेल का मुझे इंतजार रहेगा।
धन्यवाद
आपका अपना शरद सक्सेना
[email protected]
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