सांवली सलोनी नेहा की कुंवारी जवानी चुद गई

(Sanwli Saloni Neha Ki Kunvari Jawani Chud Gayi)

नमस्कार दोस्तो.. मेरा नाम कुलदीप है और मैं नोएडा में रहता हूँ। मेरी उम्र 28 साल है और मैं विवाहित हूँ।

मैं जहाँ रहता हूँ.. वो एक सरकारी क्वॉर्टर है और वहाँ और भी 5-6 फैमिली रहती हैं.. उन्हीं में से एक चपरासी है.. उसके घर में उसकी बहन की लड़की जॉब करने के लिए आई हुई थी.. लेकिन उसको कंप्यूटर नहीं आता था.. सो इस कारण उसको जॉब नहीं मिल रही थी।

उस लड़की का नाम नेहा था। मेरी कभी नेहा से बात नहीं हुई थी। नेहा के मामा ने मुझसे कहा- सर आपके घर में लॅपटॉप है क्या.. आप मेरी भांजी को कंप्यूटर सिखा दोगे?
मैंने मना नहीं किया और ‘हाँ’ कर दी।

मेरी बीवी भी वर्किंग लेडी है.. सो वो भी जॉब पर जाती है.. तो दिन में मेरा रूम खाली ही रहता है।

मैंने सुबह 10 से 11 बजे का टाइम कंप्यूटर सीखने को दे दिया। शुरू-शुरू में मैं उस पर ज़्यादा ध्यान नहीं देता था.. क्योंकि उसका रंग थोड़ा सांवला था.. लेकिन उसका फिगर बहुत मस्त था, उसका फिगर लगभग 34-32-36 होगा।

एक दिन कंप्यूटर सीखते हुए उसका हाथ से मेरा हाथ से टच हो गया.. तो मैंने देखा कि उसको करेंट सा लगा है। मैं समझ गया कि इसको कुछ हुआ था।
मैं हर रोज़ माउस पकड़वाने के बहाने उसके हाथ को टच करने लगा और दबाने लगा और वो भी कुछ नहीं बोलती थी.. जिससे मेरी हिम्मत भी अब बढ़ने लगी।

अब मैं उसके हाथ को काफ़ी देर तक अपने हाथ में लेकर पकड़े रहता था.. जिस कारण मेरा लंड खड़ा हो जाता था.. और मेरा दिल करता था कि इसको अभी नंगी करके चोद दूँ।

एक दिन मैंने कुछ आगे बढ़ने की सोची कि आज तो उसको किस करके ही रहूँगा.. जो होगा देखा जाएगा।

जब वो कंप्यूटर सीखने आई.. तो मैंने उसके हाथ में हाथ डालकर उसके चेहरे के पास अपना चेहरा लाया.. तो उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।
मतलब उसने मुझे ग्रीन सिग्नल दे दिया था।
मैंने सोचा लोहा गरम है.. चोट कर दो।
मैंने उसके होंठों से अपने होंठ लगा दिए और उसके होंठों का रसपान करने लगा, वो चुपचाप अपने होंठों का रसपान कराने लगी।

मैंने उसे धीरे से उठाया ओर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेटकर उसके होंठों को चूसने लगा।
उसने भी अपने हाथों से मेरी कमर को पकड़ लिया और सिसकारियां भरने लगी।

मैंने धीरे से उससे पूछा- मज़ा आ रहा है?
वो कुछ नहीं बोली.. बस आँखें बंद किए लेटी रही।

मैंने उसकी कुर्ती को ऊपर किया और उसकी चूचियों को देखा.. तो मेरे होश उड़ गए.. क्या मस्त चूचियाँ थीं उसकी.. एकदम गोल-गोल और बहुत ही मुलायम..
उसके निप्पलों का रंग हल्का भूरा था।

मैंने उसके निप्पल को चूसना शुरू किया.. तो मस्ती के कारण सिसकारियाँ भरने लगी ‘आह्ह…उफ़..’

मेरा लंड बिल्कुल तन गया था और मैंने कपड़ों के ऊपर से ही उसको रगड़ना शुरू कर दिया.. बिना उसकी सलवार उतारे।

मैंने उससे पूछा- तुमने कभी सेक्स किया है?
‘नहीं.. मैंने कभी नहीं किया.. आज मुझे सेक्स का मज़ा दे ही दो।’

उसकी रज़ामंदी देख मेरा मन निहाल हो गया और मैंने बिना देर किए उसके और अपने सारे कपड़े उतार दिए।
उसकी चूत एकदम पाव रोटी की तरफ फूली हुई थी और उसकी चूत पर हल्के-हल्के भूरे रंग के बाल थे।

मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी.. तो वो बोली- आराम से करो मुझे दर्द हो रहा है।
मैंने धीरे-धीरे दो उंगलियों से उसे चोदना शुरू किया.. वो बस सिसकारियाँ भर रही थी और बड़बड़ा रही थी- आआहह.. उफफ्फ़.. सीईईई..

जब वो सिसकारियाँ भर रही थी.. तो उसकी चूचियाँ ऊपर-नीचे हो रही थीं.. जिसको देख मेरा लंड तंबू बन गया था।

मैंने उसकी चूत से उंगली बाहर निकाली और अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया। उसकी इसे आशा नहीं थी कि मैं ऐसा कुछ करने वाला हूँ।

वो मछली की तरह तड़फ़ने लगी और उसने अपनी चूत को मेरे मुँह पर अपनी कमर उठा कर दबाने लगी।
उसकी चूत से नमकीन पानी बह रहा था.. जिसको मैं बड़े मज़े के साथ चाट रहा था।

कुछेक मिनट चूत चटाई के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा.. मतलब वो झड़ने लगी। उसकी चूत से सफेद रंग का थोड़ा सा पानी बाहर आ गया। मैंने उसको भी चाट-चाट कर साफ कर दिया। अब बारी थी अपना लंड उससे चुसवाने की।

मैंने उसको खड़ा किया और कहा- घुटने के बल बैठ जाओ।
वो बैठ गई.. तो मैंने कहा- मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसो।

पहले तो उसने मना कर दिया फिर मेरे बार-बार कहने पर मेरा लंड का टोपा अपने मुँह में ले लिया और अपनी जीभ से चाटने लगी।

मेरा लंड फूलकर काफ़ी मोटा हो गया था में एक ज़ोर का झटका मारा.. तो मेरा आधा लंड उसके गले में उतर गया.. जिससे उसको खांसी आ गई।

वो बोली- क्या जान से मार दोगे.. धीरे-धीरे से करो।

फिर मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाला और उसको बिस्तर पर सीधा लिटा दिया, उसकी चूत के छेद पर अपने लंड का टोपा सैट किया और एक झटका मारा.. तो आधा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया।

उसकी चीख निकल गई.. मैं डर गया कि कहीं बाहर किसी पड़ोसी ने तो नहीं सुन लिया होगा।
लेकिन सेक्स की आग के आगे इंसान सब भूल जाता है।
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया और दूसरा झटका मारा.. तो पूरा लंड उसकी चूत में समा गया।

मैं कुछ देर एसे ही लंड उसकी चूत में डालकर पड़ा रहा। दो मिनट बाद वो अपनी कमर को उँचा उठाकर लंड को अन्दर-बाहर करने लगी। मतलब उसको दर्द कम हो रहा था और अब वो भी मज़े लेना चाहती थी। मैंने भी झटके मारने शुरू कर दिए।

धकापेल चुदाई के कारण मस्त और मादक आवाजों की ध्वनि मजा दे रही थी।

‘आहह.. ओफफ्फ़.. सीईई.. मैं मर गईईईई.. अहहूऊ.. ओहुचह..’ मदहोशी के आलम में मादक आवाजें निकल रही थीं।

कुछेक मिनट झटके लगाने के बाद मैं और वो दोनों साथ-साथ झड़ गए।
फिर मैंने उसकी चूत को चाट-चाट कर साफ कर दिया और वो कपड़े पहनकर अगली बार फिर से सेक्स करने का वायदा करके चली गई।

दोस्तो.. मेरी कहानी आपको कैसी लगी.. अपने फीडबैक देना..
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