रीना की चुदाई की हवस-4
पिंकी सेन
शाम के सात बजे बाबा हाथ में कटोरा लिए अन्दर आए उन्हें देख कर रीना ने कपड़े उतार दिए और घुटनों के बल पैर फ़ैला कर घोड़ी बन गई, जिससे उसकी बुर बाबा को साफ दिख रही थी।
उसकी बुर का मुँह थोड़ा खुल गया था और उसकी अन्दर की लाली साफ नज़र आ रही थी। बाबा हैरानी से सब देख कर उसके सामने आ गए।
बाबा- यह क्या है बेटी, ऐसे क्यों कर रही हो ठीक से लेट जाओ.. मालिश करनी है !
रीना- बाबा, यह पोजीशन सबसे अच्छी है, ऐसे ही कर दो !
बाबा इसके आगे कुछ ना बोला और उसकी पीठ पर तेल डाल कर मालिश करने लगा। रीना सिसकारियाँ लेने लगी।
रीना- आ उ उफ़फ्फ़ आह !
बाबा- बेटी तेरे दिमाग़ के लिए तू यहाँ आई है.. तेरे सर की मालिश जरूरी है, ऐसे में कैसे करूँ?
रीना- बाबा आपका लौड़ा चूत में डाल दो मेरा दिमाग़ अपने आप ठीक हो जाएगा.. ऐसे मेहनत करने से कोई फायदा नहीं!
इतना बोल कर रीना सीधी हो गई और बाबा की धोती पकड़ कर निकाल दी।
कमाल की बात देखो, आज बाबा का लौड़ा फुंफकार मार रहा था।
रीना- ओह वाह.. बाबा आज आपका कंट्रोल कहाँ गया… यह तो एकदम कड़क होकर सलामी दे रहा है?
बाबा- साली, तेरे जैसी रंडी सामने होगी तो यह फुंफकार ही मारेगा.. आज तक कभी मैंने किसी लड़की या औरत को नहीं चोदा, मगर तूने मुझे मजबूर कर दिया। पता है दोपहर के बाद मेरी आँख लग गई थी और साली, तेरा ही सपना मुझे आया और मेरा वीर्य निकल गया था, उसी पल मैंने सोच लिया कि तेरी सारी गर्मी निकाल दूँगा… आज इसी इरादे को लेकर मैं आया था इसी लिए मेरा लौड़ा तना हुआ है !
रीना- वाह, अच्छा है ना.. फाड़ दो मेरी चूत को.. कर दो इसके सारे अरमान पूरे.. बना लो मुझे अपना !
इतना कहकर रीना लौड़े को जीभ से चाटने लगी। बाबा ने आँखें बन्द कर लीं और आनन्द के सागर में गोते लगाने लगा।
बाबा का सुपारा फूल कर बड़ा हो गया। रीना बड़ी मुश्किल से उसको मुँह में ले पा रही थी और बड़े मज़े से उसको चूस रही थी।
दस मिनट की चुसाई के बाद रीना ने लौड़ा मुँह से निकाला।
रीना- उफ्फ़.. बाबाजी.. मेरा तो मुँह दुखने लगा.. कितना ज़बरदस्त लौड़ा है आपका.. अबआप मेरे यौवन को कुचल दो.. बना लो मुझे अपनी!
रीना सीधी लेट गई, बाबा की आँखों में चमक आ गई थी, वो उस पर टूट पड़े और उसके मम्मे दबाने लगे, निप्पल चूसने लगे।
रीना- आ..उफ्फ ओह आ.. बाबा आप तो कमाल के हो.. उफ़फ्फ़ मज़ा आ गया उइ.. आराम से करो ना आहह !
बाबा- बालिका अब कहाँ सब्र करूँ.. इतने सालों से मैंने भक्ति-तप में अपना जीवन बिता दिया, अब अचानक तू आ गई, तो कहाँ से सब्र होगा ! अब तो तेरी योनि को फाड़ कर ही चैन मिलेगा !
रीना जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी उसकी बुर में आग लग रही थी कि जल्दी से गर्म लौड़ा उसकी चूत को ठंडा करे।
रीना- आ उ.. उफ़फ्फ़ बाबा.. अब अब..ब बर्दाश्त नहीं होता आ डाल दो.. आ..हह ! डाल..दो.. फाड़ दो मेरी बुर को आ.हह !
बाबा ने आव देखा ना ताव, रीना के पैरों को फैला दिया और अपना भारी लौड़ा उसकी बुर पर टिका दिया और जोरदार झटका मारा… सुपारा ही बड़ी मुश्किल से फिट हो पाया !
रीना- आआआ अयाया मर गई रे…ईई !
बाबा- साली अभी तो सिर्फ टोपा ही गया है.. अभी कहाँ मरी.. पूरा लिंग जाना अभी बाकी है !
बाबा ने एक और जोरदार धक्का मारा, रीना की सील तोड़ता हुआ लौड़ा आधा चूत के अन्दर फिट हो गया। रीना ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी, तब बाबा ने अपने होंठ उसके होंठों पर रख कर कमर को पीछे खींचा और ज़ोर से झटका मारा, अबकी बार लौड़ा रीना की बुर को फाड़ता हुआ पूरा उसमें समा गया था !
एक जोरदार चीख जो होंठ बन्द होने के कारण दब गई और रीना बेहोश हो गई।
बाबा पर तो जैसे काम-वासना का भूत सवार हो गया था। वो दे दना-दन लौड़ा पेले जा रहे थे। किसी भाग कर आए आदमी के दिल की धड़कन भी इतनी तेज नहीं चलती होगी जितना फास्ट बाबा लंड को आगे-पीछे करने में लगे हुए थे।
बीस मिनट तक यह तूफ़ान चलता रहा, अब बाबा का लौड़ा आराम से बुर में अन्दर-बाहर हो रहा था। दर्द के कारण रीना बेहोशी में भी सिसकारियाँ ले रही थी। उसकी आँखों से लगातार आँसू निकलना जारी थे, अब उसको होश आने लगा था।
रीना- उउउ उउउ आह आआईइ उईई मर गई अयेई मम्मी उई आ.हह !
बाबा- चुप कर साली रंडी.. पहले तो अपनी बुर का जलवा दिखा कर मेरा ध्यान भंग किया.. अब माँ को याद कर रही है ! ले अब चख बड़े लौड़े का स्वाद ले ले आ उहह उहह !
रीना को असीम दर्द का अनुभव हो रहा था पर अब वो पूरे होश में आ गई थी और अपने दाँत भींच लिए थे। बाबा ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था।
रीना- आई आइईइ आ आ उ मार गई आ आ !
इतने दर्द के बावजूद रीना की चूत में गुदगुदी होने लगी थी और वो झड़ने के करीब आ गई, अब दर्द को भूल कर वो भी गाण्ड को पटकने लगी।
रीना- आह उफ़फ्फ़ चोदो आ.. और ज़ोर से और ज़ोर से उफ्फ आ उईई मई गई उई !
रीना झड़ गई, पर बाबा अभी कहाँ झड़ने वाला था। वो तो बुर का भोसड़ा बनाने पे तुला हुआ था। चार-पाँच मिनट में रीना दो बार झड़ गई, पर बाबा तो लौड़े को पेलने में लगा हुआ था।
रीना- आ आ.. बाबा उईई.. मेरी बुर में बहुत जलन हो रही है.. आप झड़ क्यों नहीं रहे.. उई आ.. प्लीज़ थोड़ा तो रेस्ट दो.. आआ आह.. प्लीज़ उई !
बाबा- आ उहह उहह.. साली तेरे को चुदने का बहुत शौक था ना.. अब बाबा का लौड़ा है.. कोई ऐरे-गैरे का नहीं है, बहुत पावर है इसमें… तेरे जैसी दस बुर भी आ जायें तो एक ही शॉट में सब का पानी निकाल दूँ… चल अब तू थक गई है तो निकाल देता हूँ !
बाबा स्पीड से लौड़ा पेलने लगा और पंद्रह मिनट की कड़ी चुदाई के बाद बाबा के लौड़े ने रीना की बुर में पिचकारी मारनी शुरू की तो पाँच मिनट तक लौड़ा पानी छोड़ता रहा, इतना तो कोई घोड़ा भी पानी नहीं छोड़ता।
रीना की बुर का कोना-कोना पानी से भर गया।
बाबा ने जब लौड़ा बाहर निकाला तो पानी के साथ-साथ खून भी ‘फच्च’ की आवाज़ से बाहर आया रीना को बेहद दर्द का अहसास हुआ।
रीना- आआआअ उईईइ…. माँ मर गई ये लौड़ा है या क्या है.. मेरी बुर का हाल बिगाड़ दिया.. उफ्फ.. कितना खून आया है !
बाबा- घबराओ मत.. मेरे पास बहुत ही अच्छी औषधि है, अभी सब ठीक कर दूँगा और आज पूरी रात तेरी योनि का मज़ा लूँगा।
रीना- हाँ बाबा मैं भी यही चाहती हूँ.. आप मेरा सारा दर्द मिटा दो.. मैं शान से किसी भी लौड़े का अपनी बुर में निगल जाऊँ बस !
बाबा ने गर्म पानी में कोई औषधि मिला कर बुर की सफ़ाई की और कुछ खाने की औषधि भी रीना को दी।
एक घंटे के आराम के बाद बाबा ने दोबारा अपनी रास-लीला शुरू की। इस बार रीना को कुछ देसी नुस्ख़ा भी दिया, जिससे रीना का चोदन समय भी बढ़ गया।
पूरी रात बाबा ने रीना की बुर की खूब चुदाई की, सुबह छ: बजे तक बाबा छ: बार झड़े और रीना आठ बार झड़ी, उसमें अब जरा भी हिम्मत नहीं बची थी।
वो वहीं खाट पर दोपहर तक सोती रही, दोपहर को बाबा ने उसको खाना खिलाया और दोबारा उसको चोदने में लग गया।
दोस्तों इन तीन दिनों में बाबा ने रीना की बुर और गाण्ड को चोद-चोद कर पूरा का पूरा खोल दिया था। अब तो रीना चुदने में एक्सपर्ट हो गई थी और बाबा को भी रीना से प्यार हो गया था।
तीन दिन बाद रीना की माँ आकर उसको ले गई। अब रीना के मन से सेक्स का भूत उतर गया था, खूब चुदी वो.. मगर बाबा से दोबारा मिलने का वादा करके वो आई थी।
बाबा की मालिश से उसका दिमाग़ भी ठीक हो गया था और पढ़ाई में भी उसका ध्यान लग गया।
बस दोस्तो, यही थी रीना की चुदाई की हवस कहानी, मैंने इसमें कोई मिलावट नहीं की है, बस सेक्सी शब्दों का इस्तेमाल किया है।
यह कहानी लिखने का मकसद यह था कि चलो ये तो चुपचाप में काम निपट गया अगर कहीं रीना को कुछ हो जाता तो जनता शोर मचा देती, बाबा जेल के अन्दर होते।
ना ना.. आप यह बिल्कुल मत सोचना कि बाबा बेकसूर है.. सारा दोष रीना का है.. दोस्तों रीना एक अठारह साल की कमसिन लड़की है मानती हूँ उसने बाबा को उकसाया, पर बाबा तो इतने ज्ञानी थे, एक चूत के मोह में आ गए ! तो बस आगे आप खुद समझदार हो ! जल्दी एक नई कहानी लेकर आऊँगी !
धन्यवाद।
आपकी राय से अवगत कराने के लिए मुझे मेल अवश्य कीजिएगा।
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