मेरी सहेली की मम्मी की चुत चुदाइयों की दास्तान-1
(Meri Saheli Ki Mammi Ki Chut Chudaiyon Ki Dastan- Part 1)
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मैं अपनी हॉस्टल की रूम मेट ज़ीनत के साथ कई बार उसके घर गई थी जिससे मेरी उसकी अम्मी और अब्बू से भी जान पहचान हो गई थी, यह घटना मुझे एक दिन ज़ीनत की अम्मी शहनाज़ ने सुनाई थी जब मैं ज़ीनत का उसके घर में इंतज़ार कर रही थीं।
तो उनके ही मुख से सुन कर आप भी मजा लीजिए।
जो मुझे नहीं जानते, उनको अपना छोटा सा परिचय दे दूँ, मेरा नाम शहनाज़ है, मैं शादीशुदा औरत हूँ, उम्र 38 साल है, मैं एक प्राइवेट कॉलेज में इंग्लिश की टीचर हूँ, हमारे परिवार में मेरी बेटी ज़ीनत जो कि अब होस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही थी।
मेरे पुरखों का ताल्लुक उज्बेकिस्तान से रहा है इसलिए खुदा ने हम दोनों माँ बेटी को बेपनाह हुस्न से नवाजा है। मेरा रंग दूध की तरह गोरा है, हल्की भूरी आँखें, तीखे नयन नक्श और मेरा फिगर 36-सी की उभरी हुई चूचियाँ, 28 की मस्तानी कमर 36 की मचलती हुई बम्प यानि गांड!
मैं अक्सर सलवार कमीज़ पहन कर ही बाहर जाती हूँ लेकिन मेरे देसी कपड़े भी फैशनेबल टाइप और डिज़ाइनदार होते हैं। पति के दुबई में रहने के कारण मैंने अपनी प्यासी जवानी उनके दोस्त अल्ताफ़ को सौंप दी थी। फिर एक दिन उन्होंने मुझे अपने एक दोस्त अकरम से भी शराब पिला कर चुदवाया था। पति के दूर रहने के कारण मुझे चुत चुदाई का चस्का लग गया था। धीरे धीरे मैं उनके कई दोस्तों से जमकर अपनी चुत चुदवाने लगी थी।
लेकिन एक दिन मुझे अल्ताफ़ और अकरम के साथ मेरी मासूम बेटी ज़ीनत ने भी देख लिया। दरअसल शराब के नशे में धुत्त मैं अपना लाल जालीदार गाउन सरकाए हुए अल्ताफ़ के ऊपर नंगी पसरी हुई थी उसका लंड मेरी चुत में था, उसके कंधों को अपने हाथों से पकड़े हुए मैं खन खन चूड़ियाँ करती ऊपर नीचे हो रही थी ताकि उसका लंड मेरी चुत की जड़ तक पेवस्त हो सके,
मेरे ऊपर पीछे से अकरम था। वह मेरे भरे हुए मोटे चूतड़ों को खोलते हुए अपना लंड मेरी गुलाबी गांड में पेवस्त कर रहा था, उसका टोपा मेरी गांड में जाते ही मैं बिलबिला उठी, दर्द से मैं इतनी जोर से चीखी कि मेरी बेटी ने मेरी आवाज़ सुन ली, वह कमरे में आ गई।
अपनी अम्मी की एक साथ दो मर्दों से चुदाई कराती देख वह हक्की बक्की रह गई लेकिन हमारा राज़, राज़ ही बना रहे इस लिए मैंने अकरम और अल्ताफ़ के कहने पर अपनी बेटी को भी इसमें शामिल कर लिया था, मेरे पति के दोस्त मिल कर मेरी और मेरी मासूम बेटी ज़ीनत की जम कर चुदाई करने लगे।
कैसे मैं और मेरी मासूम बेटी ज़ीनत दोस्तों के बीच चुदी, यह सब आप विस्तार से जानने के लिए कहानी
अब्बू के दोस्त और मेरी अम्मी की बेवफाई
ज़रूर पढ़ें।
मैं शादीशुदा थी इस लिए घर में सबसे छुपकर चुद रही थी लेकिन मेरी बेटी बाहर जाती थी, इस चक्कर में वह बाहर लड़कों से चुदने लगी, गली मोहल्ले के आवारा लड़को के बीच बेटी को बिगड़ती देख मैंने उसको दिल्ली के एक होस्टल में भेज दिया। इससे मुझे भी आज़ादी थी लेकिन एक ही हफ्ते में उसकी हॉस्टल में सीनियर लड़कों के साथ चुदाई की ख़बरें मुझे मिलने लगी।
होली पर उसको सीनियर लड़कों ने शराब पिलाकर जमकर पेला था। सोने पे सुहागा यह था कि उसकी रूमी मेघा भी बित्ता भर की होकर एक नंबर की आवारा लड़की थी, अमीर घर के लाड़ प्यार की बिगड़ी हुई एक पार्टी एनिमल थी।
हालांकि गलती मेरी ही थी, अपनी चुदाई की आग को ठंडा करने के चक्कर में मैंने अपनी मासूम बेटी ज़ीनत को भी इस धंधे में उतार दिया था।
देखते ही देखते कॉलेज का हर एक लड़का उसका दीवाना हो गया था।
जब उसने एक रात अपनी सहेली मेघा के साथ जाकर बॉयज होस्टल में चुदाई करवाई तो मेरे पास इस बात की कंप्लेंट आ गई, उन दोनों को कॉलेज से निकाल दिया गया। उसने मुझे डरते हुए कॉल किया, मैं पहुँच गई, मेरी बेटी और उसकी सहेली मेघा चुत के चक्कर में निकाली गई थी।
मैंने उसके कॉलेज के प्रिंसीपल को अपनी एक रात देकर ही वापस दाखिला करवा दिया।वार्डन और बाकी स्टाफ को गालियाँ दिलवाई सो अलग!
माँ थीं इतना तो कर ही सकती थी। मैनेजमेंट के सामने उन दोनों को सिर्फ वार्निंग देकर छोड़ दिया गया।
यह सब आपने
दो सहेलियाँ चुद गईं बॉयज हॉस्टल में
पढ़ा है।
इसी दौरान एक बुरी खबर मिली कि मेरी बेटी की सहेली मेघा के डैडी ने शेयर मार्किट में पैसा डूब जाने की वजह से आत्महत्या कर ली थी लेकिन उनकी मौत के चार महीने के बाद ही उसकी मम्मी राधिका ने अपने कॉलेज के दोस्त संजय से शादी कर ली थी लेकिन संजय ने राधिका की बेटी मेघा को अपनी बेटी नहीं माना।
राधिका जिसको बाप बेटी का प्यार समझती रही वो असल में उन दोनों के बीच एक पर्दा भर ही था, मौक़ा देखकर संजय ने मेघा को चोदना शुरू कर दिया।
देखते ही देखते मेघा देसी लोलिता बन गई।
यह सब आपने
चुद गई पापा की परी
में पढ़ा था।
मेघा मासूम थी, वह अपने पापा के प्यार में ऐसी फंसी कि पापा की ख़ुशी के लिए, एक पार्टी में मिले उनके बॉस से भी चुत चुदवा ली दुगनी उम्र के बॉस ने उसको पापा के सामने ही कार में और हाईवे पर ज़बरदस्त तरीके से चोदा।
लेकिन कहते हैं कि अगर कोई लड़की कच्ची उम्र में चुदवा लेती है तो फिर उसकी जवानी किसी एक से नहीं सम्हालती है, मेघा को नए नए लंड से चुदाई का ऐसा चस्का लगा था कि वह दो दिन भी चुदे नहीं रह पाती।
ऐसे ही जब वह अपने चचेरे भाई की शादी में कानपुर गई तो दो दिन तो उसने जैसे तैसे अपनी चुत को बहलाते हुए गुज़ारे लेकिन तीसरे दिन मासूम सी दिखने वाली दुबली पतली मेघा की चुत की आग ऐसी भड़की कि भरी पूरी शादी में मैरेज हाल की छत पर दो लड़कों से घाघरा उठा कर चुदवा ली।
इस बारे में आपने
दिल्ली की कॉलेज गर्ल पापा के सामने चुद गई
में पढ़ा होगा।
अब आगे:
मेरे पति अल्ताफ़ दुबई की एक कंपनी में आई टी ऑफिसर हैं। दो साल में ही मैंने पति के दोस्त असलम का किराये का घर छोड़ कर एक अच्छी हाई प्रोफाइल कालोनी में तीन बेडरूम वाला फ़्लैट ले लिया था, घर में आराम की तमाम चीज़ें हैं और हौंडा सिटी कार भी है। दोहरी इनकम की वजह से मेरे पास पैसे की किल्लत नहीं रही थी, ऊपर से पति की ऊपरी कमाई भी हो जाती है जिसके चलते मैं अपने शौक कपड़े लत्ते, जूते और गहनों वगैरह पर खुल कर खर्च करती हूँ।
उन दिनों मेरे पति दुबई से छुट्टी पर आये हुए थे, 38 की उम्र में वैसे तो मुझे दो तीन बच्चों की माँ बन जाना चाहिये था लेकिन ऐसा नहीं हुआ, मेरी सिर्फ एक 18 साल की बेटी ज़ीनत ही थी और इसकी वजह है मेरे पति की दूरी!
मेरा पति अल्ताफ़ अपनी बच्चे जैसी लुल्ली से मेरी जिस्मानी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पाता, इसके अलावा अल्ताफ़ को दुबई से शराब पीने की भी बहुत आदत लग गई थी और अक्सर देर रात को नशे में चूर होकर घर आता है या फिर घर में ही शाम होते ही शराब की बोतल खोल कर बैठ जाता है।
एक साल से पति के जिस्म की भूखी शुरू शुरू में मैं बहुत कोशिश करती थी उसे तरह तरह से चुदाई के लिये लुभाने की। मेरे जैसी हसीना की अदाओं और हुस्न के आगे तो मुर्दों के लंड भी खड़े हो जायें तो मेरे पति अल्ताफ़ का लंड भी आसानी से खड़ा तो हो जाता है पर चुत में घुसते ही दो चार धक्कों में ही उसका पानी निकल जाता है और कईं बार तो चुत में घुसने से पहले ही तमाम हो जाता है।
उसने हर तरह की देसी दवाइयाँ चूर्ण और वियाग्रा भी इस्तेमाल किया, पर कुछ फर्क़ नहीं पड़ा।
अब तो बस हर रोज़ मुझसे अपना लंड चुसवा कर ही उसकी तसल्ली हो जाती है और कभी-कभार उसका मन हो तो बस मेरे ऊपर चढ़ कर कुछ ही धक्कों में फारिग होकर करवट बदल कर खर्राटे मारने लगता है।
मैंने भी हालात से समझौता कर लिया और अल्ताफ़ को लुभाने की ज्यादा कोशिश नहीं करती। कई बार मुझसे रहा नहीं जाता और मैं बेबस होकर अल्ताफ़ को कभी चुदाई के लिये ज़ोर दे दूँ तो वो गाली गलौज करने लगता है और कई बार तो मुझे पीट भी चुका है।
उनकी इन हरकतों की वजह से मैं अपनी बेटी को होस्टल से नहीं बुलाती थी।
अल्ताफ़ मुझे भी अपने साथ शराब पीने के लिये ज़ोर देता था। पहले पहले तो मुझे शराब पीना अच्छा नहीं लगता था लेकिन फिर धीरे धीरे उसका साथ देते देते मैं भी आदी हो गई और अब तो मैं अक्सर शौक से एक-दो पैग पी लेती हूँ।
पति का होना न होना एक ही था, इससे अच्छा उनका न होना ही था, कम से कम उनके दोस्त असलम और अकरम मुझे चोद तो रहे थे। अब चुदाई के लुत्फ़ से महरूम रहने की वजह से मैं बहुत ही प्यासी और बेचैन रहने लगी थी और फिर मेरे कदम बहकते ज्यादा देर नहीं लगी। और एक बार जो कदम बहके तो रुके ही नहीं!
अपनी बदचलनी और गैर मर्दों के साथ नाजायज़ रिश्तों के ऐसे ही कुछ किस्से यहाँ बयान कर रही हूँ।
फिलहाल पति की ग़ैर मौजदगी में मैं उनके दोस्तों से चुद रही थी जिसकी खबर धीरे धीरे मेरे कॉलेज के कुछ स्टूडेंट्स को लग गई।
‘इंग्लिश वाली शहनाज़ मैडम चालू माल है।’ वे मेरे नाम से स्टाफ के टॉयलेट में ‘शहनाज़ मैडम माल हैं, शहनाज़ मैडम की चुत बहुत चिकनी है, शहनाज़ की चुत चोदने को मिल जाय!।’ लिखने लगे।
मुझे स्टाफ के सामने बहुत शर्मिंदगी होती।
हमेशा क्लास के बाहर खड़े रहने वाले स्टूडेंट्स मेरी मस्त जवानी को नंगी नज़र से देखते और कुछ तो कमेन्ट भी कसते।
मैं भी जान बूझ कर उनको कई बार अपनी मोटी लेगिंग में कसी हुई गांड कुर्ती उठाकर दिखा देती।
‘शहनाज़ मैडम क्या माल है… साली सलवार कुर्ती में भी होकर लंड को पागल कर रही है… ऊँची सेंडिल में इसकी मस्त चाल तो देखो…!’
‘इसका हस्बैंड तो बाहर रहता है, सुना है कि उसके दोस्तों से चुदवाती है।’
‘यार दिल करता है कि क्लास में ही झुका कर इसकी सलवार खींच दो और बारी बारी से सब मिलकर इसकी चुत को चोदो।’
मैं स्टूडेंट की बातों को सुनकर अनसुना कर देती, वहाँ से मुस्कुराती हुई निकल जाती।
एक दिन मैं बारहवीं की क्लास में लेक्चर के लिए गई तो मैंने सफ़ेद सूट पहना हुआ था जिसमें से मेरी फूलों वाली पेंटी साफ़ दिख रही थी, सब स्टूडेंट चुपके चुपके से मेरी पैंटी ही देख रहे थे, अपनी प्यास को दबाये मैं बहुत रोमांचित थी।
मैंने एक स्टूडेंट रोशन को नोटिस कर लिया जो कि मुझे देख कर अपना लंड सहला रहा था। रोशन मेरा ब्राइट स्टूडेंट था, उसको कुछ नहीं कहा।
मैं शर्म से अपनी पैंटी ठीक करने बाथरूम में चली गई।
लेकिन इतने में किसी ने मेरे बाथरूम का दरवाजा बाहर से लॉक कर दिया, मैं समझ गई कि यह किसी स्टूडेंट की ही कारस्तानी है, मैं अंदर फंस गई।
इससे पहले मैं हेल्प के लिए चिल्लाती, मैंने खिड़की से उस स्टूडेंट को देख लिया, रोशन ही था, मैंने उसको दरवाजा खोलने के लिए बोला, वह मान गया।
लेकिन दरवाज़ा खोलते ही वह अंदर घुस गया और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया।
‘अरे!, ये तुम क्या कर रहे हो?’
‘मैम मैंने आपको पैंटी उतारते हुए देखा, आप बहुत सेक्सी लग रही थी।’
‘तो क्या करूँ, तुमने देख लिया तो किसी को बताना मत!’ उसको बोली और जाने लगी।
लेकिन उसने कसकर मेरा हाथ पकड़ लिया, मैं बोली- यह क्या कर रहे हो?
‘मैम आपको नीचे से तो देख लिया, अब में आपको ऊपर से भी नंगी देखना चाहता हूँ।’
‘रोशन, यह क्या बोल रहे हो, पागल हो गए क्या? टीचर हूँ तुम्हारी… तुम मेरे स्टूडेंट हो! यहाँ किसी ने देख लिया तुमको…’
‘मैम आप बहुत सेक्सी हो, प्लीज एक बार अपने बूब्स दिखा दो प्लीज़ प्लीज़…’
अजीब स्थिति थी, मैं अपने स्टूडेंट के साथ टॉयलेट में फ़ंस गई थी, शोर मचाती तो बहुत बदनामी होती, ऊपर से मेरे जिस्म के अन्दर दबी आग भी भड़क रही थी।
वह मुझे यहाँ वहाँ हाथ लगा रहा था। रोशन को मैं न चाहते हुए भी ख़ुद को छूने दे रही थी।
‘शहनाज़ मैडम प्लीज दिखा दो न…’ उसका हाथ मेरी कुर्ती के अन्दर कमर पर था, वह मुझे चिपटा जा रहा था, मैं कसमसाती हुई ख़ुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी।
‘ठीक है सिर्फ दिखाऊँगी, कुछ करने नहीं दूंगी।’ मैं मान गई और कहने लगी- बस देखना ही है! और किसी को बताना मत!
‘ओके!’
इसके बाद मैंने अपनी सफ़ेद कुर्ती आगे से ऊपर कर दी, अब मैं अपनी दो मस्त मस्त कसी हुई चूचियों के साथ उसके सामने ब्रा में खड़ी थी।
‘मैम, प्लीज ब्रा उतार दो! प्लीज मेरी प्यारी शहनाज़ मैडम, आप बहुत ही गोरी हो मैडम!’
‘उफ्फ, क्या मुसीबत है! ठीक है, मेरा हाथ पीछे नहीं पहुँच रहा है, तुम ही उतार दो!’
मेरे इतना बोलते ही रोशनके मन तो जैसे लड्डू फूटने लगे थे।
मैं पीछे घूम गई, उसने पहले मेरी सफ़ेद कुर्ती की ज़िप खोली फिर मेरी गुलाबी ब्रा की हुक खोल दिया, मेरी दो बड़ी बड़ी बॉल्स उछल कर बाहर आ गई, मेरी एकदम दूध सी सफ़ेद छातियाँ और उन पर गुलाबी निप्पल ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने आइसक्रीम के ऊपर चेरी डाल दी हो!
वह आंखें फाड़े मेरे बूब्स को देखता ही रह गया। मेरी छातियों को देखकर उसका लंड एकदम खड़ा हो गया, वह अपने खड़े हुए लंड को मसल रहा था, अचानक वह मुझे पकड़कर किस करने लगा।
‘अरे! यह क्या कर रहे हो तुम? हटो…’ मैंने उसको धक्का दिया और कहा- ये क्या कर रहे हो, कोई आ जायेगा।
लेकिन वो नहीं माना, मैं उससे बड़ी थी, सिर्फ उम्र में… ताक़त में नहीं!
वह मुझे अपनी बाँहों में जकड़े हुए था।
‘छोड़ दो ना अब… हाय… क्या कर रहे हो…!’
‘प्लीज मैडम करने दो ना… नीचे आपकी नर्म नर्म चुत कितनी अच्छी लग रही है!’ उसके होंठ मेरी गर्दन का मर्दन करते हुए बूब्स तक फिसल रहे थे।
मैं अन्दर ही अन्दर सिसकार उठी, मेरा बदन में झुरझुरी सी होने लगी थी, मैं पसीने में नहा उठी, न चाहते हुए भी मेरा अंग अंग वासना से जलने लगा।
वो भी आगे से मुझे पकड़े हुए एक कुत्ते की तरह से अपनी कमर हिला हिला कर मेरी चुत पर अपने लंड को घिस रहा था, मेरी प्यासी चुत में आग भड़क उठी थी, लंड लेने को मेरी चुत बेताब होने लगी, मैं चुत का और जोर लगाने लगी ‘हाय रे… कैसी मदहोशी है…’ चुत गीली और चिकनी हो चुकी थी।
मैं सोच नहीं पा रही थी कि उसको खुद से दूर करूँ या फिर मेरी चुत पर रगड़ते उसके मोटे लंड को अन्दर ले लूँ। मैं पागलों सी बेचैन थी, मेरे दोनों स्तन उसके हाथों से बुरी तरह मसले जा रहे थे। ब्रा नहीं होने के कारण चूचियाँ बाहर निकल पड़ी थी, चूचुक कड़े हो चुके थे।
‘कोई देख लेगा, मैं तुम्हारी मम्मी की ऐज की हूँ… आआहह्ह!’ मैंने आखिरी कोशिश की लेकिन उसमें मेरा कोई विरोध नहीं था।
‘प्लीज़ मैम करने दो, कोई नहीं आएगा। बहुत प्यार करता हूँ आपको!’ इतना कहते ही वह मुझ को फिर से पकड़ लिया और किस करने लगा।
अब की बार न जाने क्यों मैं भी उसके सर को पकड़कर उसका साथ देने लगी। उसके दोनों हाथ मेरे बूब्स को सहला रहे थे। किस करने के बाद वह मेरी चूचियों को चूसने लगा।
‘आअह… रोशन… यह सब मत करो बेटा… उम्म्ह… अहह… हय… याह… टीचर हूँ तुम्हारी… आम्म्म…’
मेरे बूब्स तो बहुत सॉफ्ट सॉफ्ट थे एक स्पंज की तरह एकदम रसीले और नाजुक भरे बोबे देख के उसका मन डोलने लगा- मैडम आप बहुत सेक्सी हो, आपका फिगर सनी लियॉन की तरह है, मैंने फैसला किया है कि कुछ भी हो जाये आज तो आपको चोदना ही है।
मैं उसकी गिरफ्त में ढीली पड़ती जा रही थी, मेरे हाथ धीरे धीरे उठ कर उसकी पीठ पर कसने लगे।
‘उफ्फ… तुम अभी बहुत छोटे बच्चे हो यार, मत करो यह सब…’
‘नहीं मैडम अब मत रोको प्लीज़! एक बार चोद लेने दो न… मेरी प्यारी मैडम प्लीज… अगर एक बार आपको चोद दूँ तो आप अपने आप मेरे लंड की दीवानी हो जाओगी और मुझे अपनी चुदाई करवाने बार बार बुलाओगी।’
‘आह्ह हह्हह… सीईई… रोशन यार तूने मुझे पागल बना दिया है। तेरी टीचर बहुत दिन से प्यासी है… मत कर यह सब… कोई देख लेगा… आह्ह…!’
वह मेरे बोबे अपने हाथों में भर कर चुसे जा रहा था और दबाए जा रहा था।
‘वाह, क्या मर्दन था उसके होंठों का… मैं पागल हुई कुछ भी बके जा रही थी।
चूचियों को चूसते चूसते उसके हाथ मेरी सलवार के ऊपर से ही मेरी नाज़ुक चुत को सहलाने लगे। उसकी उंगलियाँ मेरी चुत की गहराई को खोज रहीं थीं।
मैंने अहसास किया कि मेरी चुत अब एक भट्टी की तरह तप रही थी। उसे पता चल गया था कि शहनाज़ मैम की चुत बहुत गर्म हो चुकी थी, उसने मेरी सलवार के नाड़े को टटोलते हुए अपना हाथ मेरी सलवार में सरका दिया था।
मेरा विरोध ठंडा पड़ चुका था- रुको, मैं खोलती हूँ।
मैंने नाड़ा बाहर निकाला, उसने बिन कोई देरी किये खींच दिया।
अचानक बाहर किसी की आहट हुई, रोशन उछल कर खड़ा हो गया, मैं तुरंत अपनी कुर्ती नीचे करके सलवार का नाड़ा बांधने लगी।रोशन ने अपना हाथ मेरे मुँह पर रख दिया, मैं खामोश हो गई लेकिन आंखें बन्द किये हाँफ़ती रही, अपने आपको संयत करने लगी।
मैंने उसको ख़ुद से अलग करके अपने को ठीक किया। अपनी ड्रेस को सम्हाल कर मैंने धीरे से खिड़की में से बाहर झांका। यह कॉलेज की प्रिंसीपल डेलना मैडम थीं।
रोशन भी झांकने लगा।
कहानी जारी रहेगी।
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