मेरी मैथ टीचर सोनिया की गर्म चूत और खुजलाती गांड
(Meri Math Teacher Soniya Ki Garam Chut Aur Khujlati Gaand)
बात तब की है.. जब मैं मैथ की टीचर सोनिया के पास टयूशन पढ़ने जाता था। सोनिया का चेहरा तो बस ठीक-ठाक ही था लेकिन उसकी फिगर को देख कर किसी के मुँह में पानी आ जाए.. उसका फिगर 34-28-36 का था। बड़े-बड़े मम्मे और मोटी उठी हुई गाण्ड को देख मेरे मन में एकदम घंटियाँ बजने लगती थीं कि अभी इसे पकड़ कर चोद दूँ।
वो ज्यादातर सलवार सूट पहनती थी.. तो जब वो किसी पढ़ाती थी.. तो मैं उसके मम्मे देखता रहता था और सपने देखता रहता था कि जाने कब मैं इसको चोद पाऊँगा।
कभी-कभी जब मैं उसे देख रहा होता था और उसकी नज़र मुझ पर पड़ती तो मैं कहीं और देखने लगता था.. शर्मा जाता था।
उसे भी पता था कि मैं उसे गुप्त नज़रों से देखता रहता हूँ।
कहानी यहाँ से शुरू होती है। दीवाली 2011 की बात है.. सोनिया ने दीवाली के दिन की और दीवाली के एक दिन पहले की छुट्टी दे दी और कहा- मुझे कहीं जाना है.. इन दो दिन आप नहीं आएंगे।
लेकिन मुझे इस बात का ख्याल नहीं रहा और मैं सोनिया के पास टयूशन के लिए चला गया।
मैंने घन्टी बजाई.. सोनिया ने दरवाज़ा खोला और कहा- आज तुम क्यों आ गए.. आज की मैंने छुट्टी की थी?
वो मुस्कुराने लगी।
मैं- ऊह्ह सॉरी.. मुझे याद नहीं रहा.. ओके मैं जाता हूँ परसों आ जाऊँगा।
सोनिया- नहीं.. अब जाने की जरूरत नहीं है.. अब आए हो तो पढ़ा ही देती हूँ.. आ जाओ। वैसे भी घर के सारे लोग चले गए हैं और इस वक्त इधर कोई नहीं है.. मुझे भी जाना था.. लेकिन मुझे बुखार आ गया और मैं जा नहीं पाई। अब बुखार भी नहीं है.. तुम आ गये हो तो सोचा तुम्हें पढ़ा ही दूँ।
उस दिन वो बड़ी अच्छी लग रही थी.. उसने टी-शर्ट और लोअर पहन रखा था। क्या कमाल की गाण्ड नज़र आ रही थी।
मेरा तो लौड़ा बार-बार खड़ा हो रहा था, मुझसे तो रहा ही नहीं जा रहा था।
आधा घंटा पढ़ने के बाद वो बाहर गई और मैं अपना मोबाइल निकाल कर गेम खेलने लगा। अचानक मेरा मोबाइल हैंग हो गया।
मैंने स्विच ऑफ कर दिया और सामने बेंच पर रख दिया।
मैं वाशरूम चला गया.. कुछ देर बाद मैं आया तो सोनिया बैठी हुई थी। मैंने आकर अपना मोबाइल उठाया स्विच ऑन करने के लिए बटन देखा.. लेकिन वो पहले से ऑन था।
सोनिया ने कहा- मैंने ऑन किया है।
मैं उससे छुपाते हुए देखने लगा कि पता तो करूँ कि सोनिया ने क्या ओपन किया था.. टास्क मैनेजर में मैंने देखा कि पोर्न मूवीज ओपन हुई थीं।
मेरी आखें खुली की खुली रह गईं।
मैं- आपने क्या ओपन किया था?
सोनिया- कुछ भी तो नहीं..
मैं- मुझे पता है क्या ओपन हुआ है और कौन सी मूवी देखी गई है।
उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया.. अब वो मुझसे बात ही नहीं कर पा रही थी।
कुछ देर बाद..
सोनिया- तो क्या हुआ अगर देख ली है तो..
मैं- नहीं कुछ हुआ तो नहीं है.. अगर देखनी ही थी तो मुझे बता देते.. मैं दिखा देता।
सोनिया ने इठलाते हुए कहा- तो अब दिखा दो.. मैंने कब मना किया है।
यह कहते हुए उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया और सेक्स भरी नज़रों से मुझे देखने लगी।
इसके बाद मैं बिना कुछ सोचे उसे पकड़ कर चुम्मा करने लगा, उसने भी मुझे दबोच लिया और मेरे ऊपर आ गई।
उसकी साँसें तेज हो रही थीं.. वो गर्म हो रही थी।
मैं साथ में उसके मम्मे दबा रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने उसके बाल खोल दिए।
फिर उसने मुझे कहा- दरवाजा देख कर आओ.. ठीक से बंद है या नहीं और परदे भी ठीक कर दो।
मैंने वैसे ही किया और बिस्तर पर आ गया। उसने मुझे फिर दबोच लिया.. मुझे अंदाजा नहीं था कि बिस्तर पर वो इतनी तेज होगी।
उसने मेरी टी-शर्ट लगभग खींचते हुए उतार दी और मैंने उसका टॉप उतार दिया। उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी थी, जब मैंने उसके गोल-गोल मम्मे देखे.. तो मैं पागल सा हो गया और जानवरों की तरह उसके एक मम्मे को मुँह में ले लिया और चूसने लगा।
वो सिसकारियाँ भरने लगी।
उसके निप्पल गुलाबी रंग के थे.. उसे चूचियाँ चुसवाने में काफी मजा आ रहा था, वो अपने मम्मे के ऊपर मेरा मुँह दबाए जा रही थी।
उसने मुझे लोअर उतारने के लिए कहा.. मैंने फट से उसका लोअर उतार दिया, उसने नीचे काले रंग की पैन्टी पहनी हुई थी।
फिर मैंने उसके पैरों से चूसना शुरू किया.. दोनों पैरों को दम से चूसा, इससे वो और गरमाए जा रही थी, उससे कुछ बोला भी नहीं जा रहा था.. बस सिसकारियाँ भरे जा रही थी।
नीचे से चूसते-चूसते मैं उसकी टाँगों से ऊपर चूत तक आ गया था। उसकी पैंटी के ऊपर से ही मुझे उसकी गीली चूत रस से भरी हुई महसूस हो रही थी।
अब मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ना शुरू किया। उसने पैंटी के ऊपर से मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत से सटा दिया और रगड़ने लगी ‘आआ.. आअई.. आह्ह्ह.. ऊऊम्म्म.. ईई..’
वो जोर-जोर से आवाजें निकाल रही थी।
फिर मैंने उसकी पैंटी उतार दी और मैं तो बस अपनी लपलपाती जीभ से उसे चाटे जा रहा था।
‘साले चाट इसे.. जोर-जोर चाट इसे भोसड़ी के.. पानी निकल के पी जा.. खा जा मेरी चूत को मेरे राजा.. हरामी साले छोड़ना मत इसे.. कुत्ते चाट मेरी चूत को.. बहन के लौड़े.. इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया रे.. ऊऊम्म्म ओह..’
यह कहने के बाद उसने मेरा सर पकड़ा और जोर-जोर से घस्से लगाने लगी। बस 5-6 घस्से लगाने के बाद वो एकदम से इठ गई और भलभला कर झड़ गई, मैं उसका सारा रज में पी गया।
कुछ देर निढाल रहने के बाद उसने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और चाटना शुरू कर दिया। वो मेरे लवड़े को ऐसे चाट रही थी.. जैसे उसे लॉलीपॉप मिल गई हो।
मैं- आह्ह.. आधा कर देगी क्या इसे चाट चाट के..
सोनिया- चुप कर साले मादरचोद.. मैं मरी जा रही थी इसे मुँह में लेने के लिए.. आज मौका मिला है.. तुझे जाने नहीं दूँगी।
वो चूसते-चूसते मुँह से आवाजें कर रही थी।
केवल 3-4 मिनट चूसने के बाद ही मैं झड़ने वाला हो गया था, मैंने उससे कहा- आह्ह.. रानी.. साली बड़ी जोरदार चुस्क्कड़ निकली तू तो.. ले.. मैं झड़ने वाला हूँ।
उसने कहा- मेरे मुँह में झड़ जा भोसड़ी के..
मैंने उसका सर पकड़ा और दस सेकंड तक उसके मुँह में जबरदस्त घस्से लगाए.. और झड़ गया.. वो मेरा सारा वीर्य पी गई।
हम दोनों फारिग होकर 5 मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे।
वो मुस्कुराते हुए मेरे बदन पर हाथ फिराए जा रही थी.. साथ में गालियाँ भी दिए जा रही थी।
।‘साले.. बहन के लण्ड.. आज से तुझे मैं अलग से टयूशन दिया करूँगी.. तू मेरा पर्सनल चोदू स्टूडेंट है।’
‘ओके मेरी जान..’
‘चल अब शुरू हो जा मेरे राजकुमार.. मेरी चूत तेरे लॉलीपॉप की प्यासी है.. कर दे इसकी प्यास खत्म.. बुझा दे इसकी प्यास को.. आज कोई कसर नहीं रहनी चाहिए लवड़े..’
यह कहते ही मैंने उसकी टांगें उठाईं.. मैं अपना लंड उसकी चूत पर रखने ही जा रहा था कि मैंने पूछा- कंडोम है तेरे पास?
सोनिया- अरे चूतखोर मेरे पास कंडोम कहाँ से आएगा भोसड़ी के.. और अगर होता भी तो भी तुझे नहीं देती.. ऐसे ही चोद.. अब डाल भी दे.. मेरा सब्र छूटा जा रहा है।
ये सुन कर मैंने अपना लंड उसकी चूत के छेद पर सटा दिया.. उसने आँखें बंद कर लीं.. वो होंठों पर जीभ फिराए जा रही थी।
जैसे ही मैंने लौड़ा डाला.. उसने अपने मम्मे कस के दबा दिए और खुद घस्से लगवाने लगी.. इस पर मैंने भी ठोकर लगनी शुरू कर दीं। मैं ताबड़तोड़ घस्से लगाए जा रहा था, वो अपनी गाण्ड उछाल-उछाल कर मेरा साथ दे रही थी।
फिर उसने मेरे कन्धों पर अपनी टांगें रख दीं और कहा- फक मी हार्डर।
बस उसके यही कहने पर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर-जोर से घस्से लगाने लगा। हम दोनों की टकराने की तेज आवाजें आ रही थीं।
फिर मैंने उसे घोड़ी बना लिया और उसकी गाण्ड पकड़ कर चोदने लगा। इस पोजीशन में वो काफी एक्सपर्ट थी। उसने अपनी गर्दन पूरी नीचे और गाण्ड बिल्कुल ऊपर उठा रखी थी और खुद भी आगे-पीछे हो रही थी.. जिससे मुझे भी काफी मदद मिल रही थी।
मैंने अपनी स्पीड कम नहीं होने दी और सटासट उसे पेले जा रहा था।
मैं- जब तुम झड़ो.. तो मुझे बता देना.. मुझे झड़ने के बाद भी दस सेकंड तक पेलना है।
ठीक इसके बाद ही उसने बोल दिया- मैं झड़ने वाली हूँ..
मैंने अपनी एक टांग बिस्तर पर रखी और घस्से लगाने की रफ्तार बढ़ा दी। वो जोर-जोर से आवाजें निकालने लगी ‘आआ.. ईईई.. उम्म्म्म..’
करीब आधा मिनट तक मैं उसे जोर-जोर से चोदने में लगा रहा और उसके झड़ने के साथ मैं भी झड़ गया, मैंने सारा रस उसकी चूत में छोड़ दिया।
हम फारिग होकर लेट गए।
मेरी साँस काफी फूली हुई थीं।
सोनिया- क्या मजा देते हो तुम.. तुमने मुझसे पहले क्यों नहीं कहा.. तुम साले मेरे मम्मों की ओर देखते तो रहते थे पर मुझे मालूम होता कि तू इतना मस्त चोदता है तो अब तक कभी का खा चुकी होती।
मैं- जब तुम्हें पता था कि मैं तुम्हें देखता हूँ.. तो तुमने खुद कुछ क्यों नहीं कहा?
सोनिया- अरे बुद्धू पहले लड़कियाँ नहीं.. लड़के कहते हैं।
मैंने हंसते हुए कहा- हाँ हाँ.. बात तो तुम्हारी सही है.. लेकिन तुम लड़की कहाँ से लगती हो।
सोनिया- ठहर साले.. अभी बताती हूँ तुझे..
बस मेरे ये कहने पर वो मेरे ऊपर 69 की पोजीशन में आ गई और चूत मेरे मुँह पर रख दी.. जोर से मेरा मुँह बंद कर दिया और खुद मेरे लंड से खेलने लगी.. जो अभी दोबारा तैयार भी नहीं हुआ था।
उसने खेलते-खेलते मेरा लंड तैयार कर दिया और चूसने लगी। वो लौड़े को मुँह के काफी अन्दर ले रही थी। मैं भी उसकी गीली चूत चाट रहा था और उसकी कमर को अपने दोनों बाजुओं से जकड़ रखा था।
इसके बाद मैंने उसकी गाण्ड में जीभ डाल दी.. उसकी सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गईं। मैंने उसकी गाण्ड चाट चाट कर गीली कर दी।
क्या गाण्ड थी गुलाबी रंग की.. बिल्कुल चिकनी..
वो मेरे ऊपर से उठी और कहा- अब गाण्ड मारो न प्लीज.. जब से तुमने जीभ डाली है.. तब से मेरी गाण्ड में खुजली होने लग गई है।
ये कहते-कहते उसने मेरे होंठों को चूम लिया और काट भी लिया और मेरे कान में कहा- धीरे करना.. गाण्ड में पहली बार करवा रही हूँ.. कोई परेशानी न खड़ी कर देना।
मैंने भी धीरे से कहा- कुछ नहीं होगा.. मैं हूँ न..
वो बोली- बस इसी बात का तो डर है।
दोस्तो, मैंने उसकी गाण्ड कैसे मारी.. ये मैं आपको मेरी अगली कहानी में बताऊँगा।
आपके ईमेल की प्रतीक्षा में..
आपका दोस्त राजवीर
[email protected]
What did you think of this story??
Comments