मेरा दूसरा खुशनसीब दिन
(Mera Dusra Khushnaseeb Din)
यह कहानी मेरी पिछली रचना
वो दिन भी बहुत खुशनसीब था
का दूसरा और अंतिम भाग है।
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि किस तरह से प्रिंसीपल सर ने मुझे उनका लिंग चूसने के लिए मजबूर किया। पर बाद में मुझे मेरी स्वप्न सुंदरी पूजा मिस के साथ गुदा मैथुन करने का भी अवसर प्राप्त हुआ।
प्रिंसीपल ऑफिस में घटित यह बात पता नहीं कैसे, मेरे स्कूल के कुछ शरारती लड़कों को पता चल गयी जिन्होंने धीरे-धीरे पूरे स्कूल में ही बात फैला दिया। यह मेरे लिए बहुत ही दुखद था। मेरे सहपाठी मेरा मजाक बना रहे थे। मेरे दोस्तों ने मुझसे दूरी बना ली थी, उन्हें लगता था कि मैं समलैंगिक (gay) हूँ। भला कोई मर्द किसी दूसरे मर्द का लिंग क्यूँ चूसेगा। तो क्या हुआ अगर प्रिंसीपल ने गुस्से में ही हुक्म किया हो। अगर कोई दूसरा लड़का रहता तो जरुर मना कर देता। सभी मुझे चिढ़ाने लगे थे, यहां तक कि कुछ शिक्षक भी इसमें शामिल हो गए, वे मेरे सामने अपने लिंग को पेंट के ऊपर से मसलने लगते थे।
यह सब मेरे लिए बहुत ही अपमानजनक था।
धीरे धीरे मैंने लोगों से दूरियां बनानी शुरू कर दी, मैंने ऐसे लोगों से बात करना भी बंद कर दिया। यह मेरे ग्रेड को भी प्रभावित कर रहा था। मैं स्कूल जाने से डरने लगा। मुझे मूर्खतावश आत्महत्या जैसे विचार भी आने लगे थे और शायद ऐसा कुछ हो भी जाता अगर शेफाली मैडम ने हस्तक्षेप नहीं किया होता।
शेफाली मैडम हमारी बायोलॉजी की शिक्षिका थी। मेरे क्लास में ऐसा कोई विद्यार्थी नहीं होगा, जिसने उसके नाम का हस्तमैथुन नहीं किया होगा। अगर पूजा मिस कैटरीना कैफ़ थी तो शेफाली मैडम एकदम सोनाक्षी सिन्हा।
वो बिल्कुल खुले विचारों वाली थी और काफी ज्यादा अंग प्रदर्शन करती थी। गहरे गले वाला ब्लाउज पहनना, क्लास में झुककर अपने दूधिया स्तनों की घाटी प्रदेश को दिखाना, और साड़ी को नाभि के बहुत नीचे से बांधना।
रांची जैसे छोटे शहर में पता नहीं कैसे वो इतना ज्यादा अंग प्रदर्शन कर लेती थीं।
उसके स्तन बहुत सुन्दर थे जिनको एक मुट्ठी में समाना नामुमकिन था। वह आमतौर पर गहरे रंग की साड़ी पहनती थीं जो आश्चर्यजनक रूप से उसकी गोरे बदन और उन गुलाबी होंठों पर बहुत ज्यादा जंचती थी।
उन दिनों सरकार के आदेश पर स्कूल कोलेजों में सेक्स शिक्षा का अभियान चल रहा था, जिसमें अप्राकृतिक सेक्स, असुरक्षित सेक्स, एड्स के कारण वगैरह-वगैरह के बारे में जागरूक किया जा रहा था।
शेफाली मैडम भी हमारे क्लास में सेक्स के बारे में बता रही थी कि अचानक एक शरारती छात्र उठा और मैडम से पूछा- एक मर्द को एक उत्तेजित लिंग के साथ क्या करना चाहिए?
इतना सुनकर पूरी क्लास मुझे देखकर हंसने लगी। जाहिर है यह मजाक मेरी ओर किया गया था, मैंने अपना सर नीचे कर लिया और मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे।
मैडम ने जवाब देने के लिए थोड़ा समय लिया, फिर बोली- जब तक तुम पूर्ण व्यस्क नहीं हो जाते हो, तब तक अपने आप को उत्तेजित लिंग से दूर रखो, यहां तक कि स्वयं का लिंग भी। सबसे अच्छा रहेगा कि अगर लिंग उत्तेजित हो जाता है तो ठन्डे पानी से तुरंत नहा लो।
क्लास में थोड़ी देर के लिए शान्ति छा गयी।
तभी मैडम ने बोला- लेकिन जिनको लगता है कि वो काफी बड़े हो गये हैं और अपने आप को पूरा जवान समझते हैं उनको मैं प्रैक्टिकल के द्वारा अच्छे से समझाना चाहूंगी.
“किशोर, आगे आओ।” मैडम ने मुझे देखा और सामने बुलाया।
मैं हैरान हो गया, मैंने मन ही मन सोचा इतनी बेइज्जती क्या कम थी, जो मैडम अब मुझे सबके सामने बुला रही है। मैं अपना चेहरा नीचे किये हुए धीरे धीरे आगे चला गया।
“तुम कितना जवान हो गए हो?” उसने कहा- मैंने तो कभी ध्यान ही नहीं दिया कि तुम लोग सब इतने बड़े हो गए हैं। ज़रा देखने दो मुझे कि तुम कितने बड़े हो गये हो।
उसने अपना हाथ मेरी पैन्ट के ऊपर से ही लिंग पर रख दिया और सहलाने लगी। उसके हाथों के स्पर्श मात्र से ही मेरा लिंग जवाब दे दिया और खड़ा होकर ठुमके लगाने लगा।
मैडम ने क्लास की लड़कियों के तरफ घूम कर बोला- पता नहीं तुम लोगों में से कितनों ने यह अपने हाथों से छुआ है लेकिन यह लड़का और इसका ये लिंग बहुत ही शानदार है.
“कौन छुएगा इसको?”
एक लड़का चिल्लाया- ये तो समलैंगिक गे है.
सब लोग हंसने लगे।
मैंने अंदर से अपने आपको बहुत छोटा महसूस किया। सौभाग्य से मेरे लिंग का दिमाग कुछ अलग ही चल रहा था, उसे पता था कि जब एक कामुक स्त्री छूकर प्यार करती है तो कैसे जवाब देना है, तुरंत ही वो पूरी तरह से खड़ा हो गया, और मैडम से हाथों के झटके मारने लगा।
“मुझे नहीं पता कि तुम लोगों को ऐसा क्यों लगता है कि यह समलैंगिक है.” उसने मेरे लिंग को अपनी मुठी में बंद कर लिया और आगे पीछे करते हुए कहा- मुझे इसका पता लगाना ही होगा।
उसके बाद उसने मुझे क्लास से बाहर निकाला और मेरे लिंग को पकड़ कर अपने चैम्बर में ले गयी। मेरा गला भर आया, मुझे पता था कि वह क्यूँ ऐसा करने की कोशिश कर रही थी। मुझे बस इतना करना था कि मैं एक विजयी मुस्कान के साथ क्लास में वापस लौटूं ताकि हर कोई ऐसा सोचे कि मैंने मैडम से साथ घनघोर चुदाई की है।
“थैंक यू मैडम!” मैं बोला।
उसमें मुझे माँ की ममता दिखाई और वो पुचकारते हुए मेरी आँखों से आंसू पौंछने लगी- थैंक यू किसलिए? मैं तुम्हारी टीचर हूं। तुम्हारे दुःख को कम करना ही मेरा काम है।
“आपको पता नहीं है, आपने मुझ पर कितना बड़ा उपकार किया है, अब मुझे मालूम है कि वापस उन लड़कों को क्या जवाब देना है। आपने जो कुछ आज मेरे लिए किया है उसके लिए धन्यवाद।”
“मैंने तो अभी तक कुछ भी नहीं किया है?” तुम्हें नहीं लगता कि हम सच में सेक्स कर सकते हैं, मैं तो बस यह जानना चाहती हूं कि जैसा तुम्हारा लिंग जानदार है, क्या तुम भी वैसे ही हो!”
मैं आगे कुछ कहना चाहता था, पर उसने मुझे बोलने नहीं दिया और मेरे होंठों पर अपना होंठ लगा दिये।
ओह, क्या सुखद अहसास था, ऐसा लग रहा था कि पूरे जहां का जन्नत यही है।
वो होंठ!
मैं अपने गले के पीछे उसकी जीभ महसूस कर सकता था। उसने मेरा हाथ खींचकर अपने स्तन पर रख दिया। मैंने भी बिना देर किये उसके स्तनों को मसलना शुरू कर दिया। क्या मुलायम स्तन थे, ऐसा लग रहा था जैसे रुई के फोहें हो। वे मेरे हाथ से बड़े थे, मेरे हाथ में पूरी तरह नहीं आ रहे थे, उसके निप्पल खड़े हो गये।
“अब मेरे चूतड़ों को दबाओ!” उसने प्यार से आदेश दिया।
हे भगवान! जैसे ही मैंने उसके नितम्बों को छुआ मैंने महसूस किया कि उसने साड़ी के नीचे कुछ भी नहीं पहना था, कोई पैंटी नहीं। मैं अपने स्कूल के बारे में सोचकर परेशान था। कैसा स्कूल है ये? स्कूल की टीचर प्रिंसीपल के साथ सेक्स करती हैं और अब बिना पैंटी के टीचर।
क्या ऐसा केवल मैंने ही सोचा था कि यह बहुत ही अच्छा और अनुशासित स्कूल है। खैर मुझे क्या? मुझे तो बस अपना पानी निकालना है। मैंने वापस से उसके नितम्बों को सहलाने और दबोचने लगा।
उसने मेरी पैन्ट उतार दी, मेरा लिंग जो मेरी पैंट में पूरा उत्तेजित होकर इधर उधर होकर छटपटा रहा था, बाहर निकलने से उसे बहुत ही राहत मिली। शेफाली मैडम ने थोड़ी देर के लिए मेरे लिंग को अच्छे से सहलाया, फिर वे मेरे लिंग को अपने गर्म होंठों के बीच रखकर चाटने लगी। मैं तो सातवें आसमान पर पहुँच गया, उनके होंठों से टपकती हुई लार मेरे लिंग के जड़ तक पहुँच रही थी।
“मैंने सुना है कि तुमने अपनी वर्जिनिटी पीछे के रास्ते से खोई थी। आओ आज मैं तुम्हें जन्नत का रास्ता भी दिखा देती हूँ।”
अब भला मैं क्यूँ उसका विरोध करता।
उसने मुझे नीचे जमीन पर लेटा दिया और खुद अपनी साड़ी को कमर तक ऊपर उठाती हुई मेरे ऊपर आ गयी। उसने एक हाथ से मेरा लिंग पकड़ा, अपना योनि मेरे लिंग के निशाने पर रखकर धीरे धीरे नीचे बैठने लगी, मेरा लिंग उसके योनि में अन्दर जाने लगा। उसकी पीठ मेरी ओर थी, जिससे मुझे उसके सुन्दर नितम्बों का अद्भुत दृश्य देखने को मिल रहा था। उसकी नितम्बों की दरार बहुत ही गहरी और गर्म थी। उसके गोरे नितम्बों के बीच गुदा का गुलाबी छेद क्या गजब दिख रहा था।
धीरे-धीरे, मैं अपने लिंग के चारों ओर उसकी योनि की गर्मी महसूस करने लगा। पूजा मिस की गुदा की तुलना में शेफाली मैडम का योनि ज्यादा टाइट तो नहीं था, पर शेफाली मैडम को सेक्स का बहुत ज्यादा अनुभव था। वह एक अनुभवी महिला थी जो जानती थी कि एक आदमी को कैसे खुश करना है।
वह मेरे लिंग पर बहुत तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी, मैं भी नीचे से अपनी पूरी ताकत से धक्के लगा रहा था। शेफाली मैडम के विशाल नितम्बों को ऐसे देखते रहने से मुझे रहा नहीं गया और मैंने उसके चूतड़ों पर एक जोर का थप्पड़ मार दिया, थप्पड़ कुछ ज्यादा ही जोर से लग गया। मेरे थप्पड़ से उसके चूतड़ों पर गुलाबी निशान हो गया। मैं डर गया मुझे लगा अब डांट पड़ेगी पर मैडम परमआनन्द से कराही।
फिर मैंने उसके चूतड़ों पर आठ दस थप्पड़ और मारे, मुझे मजा आ गया। उसके गुदाज चूतड़ों का वो एहसास मैं आज तक नहीं भूल सका हूँ। जैसे जैसे वो मेरे लिंग पर ऊपर नीचे हो रही थी, मैं भी उसके चूतड़ों को बुरी तरह मसलने लगा। वो आनन्द से कराह रही थी, शायद वो चरमसुख के करीब थी। वो अपने हाथों से अपने योनि को बुरी तरह रगड़ रही थी और तेजी से ऊपर नीचे होने लगी।
मैं अपने आपको रोकने की बहुत कोशिश कर रहा था, पर उसके योनि के गर्मी ने मुझे पागल कर दिया था। मैं हुंकारते हुए झड़ने लगा, ऐसा लगा जैसे मेरे पूरे शरीर की ताकत लिंग से बाहर निकल रही है।
मेरे साथ साथ मैडम भी झड़ने लगी। केवल एक अनुभवी औरत ही मर्द के साथ खुद को भी चरमसुख तक लाकर एक साथ झड़ सकती है, मैंने अपना वीर्य उसकी योनि के गहराई में छोड़ा।
थोड़ी ही देर में वो उठी और मेरे लिंग को चाटकर साफ़ करने लगी।
वह खड़ी हुई, उसने खुद को ना ही साफ किया और ना ही मेकअप सही किया। उसने बस अपनी साड़ी नीचे किया और क्लास में चली गयी। उसको देखकर कोई भी कह सकता था कि वो अभी अभी धमाकेदार चुदाई कराकर आ रही है।
मैं भी अपने क्लास में एक विजयी मुस्कान के साथ वापस गया। क्लास में मेरा स्वागत एक हीरो की तरह हुआ। शेफाली मैडम ने मुझे एक पल में जीरो से हीरो बना दिया था। कुछ लड़कियों ने तो अपना नंबर भी मुझे पास किया।
उसके बाद से मेरे और मेरे लिंग के वारे न्यारे हो गये। लड़कियों के साथ साथ कुछ अन्य शिक्षिकाओं के साथ भी मुझे सेक्स करने का अवसर प्राप्त हुआ।
पाठको, यह था मेरा दूसरा खुशनसीब दिन, कैसी लगी मेरी यह कहानी, आपके राय और सुझाव का इन्तजार रहेगा, मुझे मेल जरूर करिएगा!
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