कामवासना की तृप्ति- एक शिक्षिका की जुबानी-2

(Kamvasna Ki Tripti- Ek Teacher Ki Jubani- Part 2)

हिन्दी सेक्स कहानी संग्रह की सरताज अन्तर्वासना साइट पर मैं ज्ञान ठाकुर सभी प्यासी चूतों और फड़फड़ाते लौड़ों का स्वागत करता हूं. दोस्तो, मैं आपके लिए अपनी नई कहानी का दूसरा भाग लेकर आया हूं.

मेरी इस कहानी के पहले भाग
कामवासना की तृप्ति- एक शिक्षिका की जुबानी-1
में मैंने आपको बताया था कि मेरी कहानियों की एक प्रशंसिका ने मुझे मेल किया और मेरे द्वारा लिखी सेक्स कहानियों की तारीफ की. तारीफ के बहाने टीचर की चूत चुदने का इंतजाम करना चाहती थी जिसका अंदाजा मैंने पहले मेल में ही लगा लिया था.

मुझे भी उम्रदराज औरतों की चूत चुदाई में अलग ही आनंद मिलता है. उनकी जवानी की प्यास बढ़ती उम्र के साथ और ज्यादा तीखी हो जाती है जिससे वो संभोग का पूरा आनंद उठाने से नहीं चूकती हैं. इसलिए लंड तो मेरा भी बेचैन हो चला था.

अब कहानी के दूसरे भाग को भी मैं सिमरन भनोट जी के शब्दों में ही पेश कर रहा हूं. आशा करता हूं आपको कहानी में पहले भाग जितना ही रोमांच और आनंद अनुभव होगा.

मैं सिमरन, अन्तर्वासना लेखक ज्ञान ठाकुर जी की मदद से अपनी दबी हुई अतृप्त वासना की पूर्ति करने में कामयाब हुई. इसके लिए मैं ज्ञान ठाकुर जी की हृदय से आभारी हूं. लेखक होने के साथ साथ ज्ञान जी नारी तन की बारीकियों के ज्ञाता भी हैं.

दोस्तो, कहानी के पहले भाग में मैंने आपको बताया था कि 44 की उम्र तक आते आते पति के सूखे लंड से चुद कर मेरी चूत ने कभी संतुष्टि का अनुभव नहीं किया था.

आप ही बताइये, मैं मोटी गुदाज गांड की मालकिन, वजनदार वक्षों का बोझ उठाते उठाते कब तक प्यासी रहती. मुझे किसी ऐसे लंड की तलाश थी जो मेरे मोटे और रसीले वक्षों को निचोड़ दे और मेरी प्यासी चूत को अपने लिंग के रस का अमृत पिला दे.

ज्ञान जी को मैंने जब पहले दिन कार में पीले रंग के पोलो टीशर्ट और नीली जीन्स में देखा तो उसी क्षण चूत में सरसराहट मच गयी थी. घर आकर जब ज्ञान ने मेरे होंठों से अपने होंठों की गर्मी का आदान प्रदान किया तो उस दिन मुझे चूत में खीरा लेना पड़ गया था.

मैं ज्ञान के लंड से चुदने के लिए बेसब्र हो गयी थी. अगले दिन जब ज्ञान जी मेरे घर आये तो उन्होंने मुझे तेल की शीशी थमा दी.
सब कुछ समझते हुए भी मैंने उनसे पूछ लिया- शीशी किसलिए?
इसके उत्तर में उन्होंने मुझे बेड पर सिर्फ तौलिया में लेटने के लिए कहा.

बाथरूम में जाकर मैंने साड़ी और पेटीकोट उतार फेंका और ब्रा-पैंटी से भी आजाद होकर तौलिया लपेट कर बाहर आई.

टॉवल लपेटे हुए मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी और ज्ञान ने अपना काम शुरू कर दिया। पैरों की मालिश के बाद ज्ञान तौलिया को हटा दिया और मेरे 36 के नंगे चूतड़ों को मसलना शुरू कर दिया. गर्म होकर मैं करहाने लगी और इसी बीच ज्ञान की मध्यमा उंगली मेरी गांड के छेद में चली गयी.

अब आगे:

बिस्तर में मुंह गड़ाए गालों को चादर से रगड़ते हुए मैं गांड में उंगली का आनंद ले ही रही थी कि ज्ञान ने मेरी पीठ का रुख कर लिया. उसके कसरती हाथ मेरे जिस्म के रोम रोम को उत्तेजित कर रहे थे.

पीठ पर मालिश करवाते हुए मेरी चूत से आनंद के आंसू बाहर आने ही वाले थे कि ज्ञान ने मुझे पलट कर सीधी कर लिया और मेरी नंगी, साफ, बिना झांटों वाली चूत ज्ञान के आगे पसर कर उसको ललचाने लगी.

मैंने ज्ञान के चेहरे को देखा तो उसकी आंखें मेरी चूत के दर्शन करके जैसे धन्य हो रही थीं. कामवासना से ललचाई उसकी आंखों के साथ उसके होंठ भी लार टपका रहे थे. एक बांका हैंडसम मर्द जो एक कसरती मजबूत बदन का मालिक हो, उसके सामने अपने नंगे जिस्म का प्रदर्शन करके उसको तड़पाने का भी अलग ही रोमांच मैंने उस दिन अनुभव किया.

ज्ञान ने कुछ पल तक मेरी नंगी चूत को निहारा और फिर मेरी आंखों की ओर देखा तो मैंने पलकें नीचें कर लीं. फिर उसने अपनी हथेली पर तेल लिया और मेरे मोटे मोटे उरोजों पर अपने चिकने हाथ रख दिये.

उसके सख्त खुरदरे से हाथ मेरे कोमल वक्षों पर आकर उनको सहलाने लगे. चूचियों को अपने हाथों से गोलाकार दिशा में मालिश देते हुए उसके हाथ मेरी वासना की आग में घी डालने लगे. चूत की हालत हर पल बिगड़ने लगी.

कुछ पल तक मेरे वक्षों को मसाज देने के बाद उसने अपने मजबूत हाथों से मेरी जांघों को मसाज देना शुरू कर दिया. मैं भी टांगें फैलाये हुए जैसे उसको अपने ऊपर चढ़ने का आमंत्रण दे रही थी. मगर उसको भी मुझे तड़पाने में ज्यादा आनंद मिल रहा था.

उसके हाथों के अंगूठे जब मेरी चूत के इर्द गिर्द आकर रगड़ दे रहे थे तो मन कर रहा था उसके कपड़ों को फाड़ कर उसे नंगा कर लूं और उसके गठीले मजबूत जिस्म को बेतहाशा चूमने लगूं.

अपनी चिकनी मजबूत हथली से ज्ञान ने मेरी चूत पर सहला दिया. मैं तड़प गयी और उसकी और लपकी. मगर ज्ञान एकदम से पीछे हट लिये.
मैंने रोषपूर्ण, कुंठित दृष्टि से ज्ञान की ओर देखा तो उन्होंने मुझे इस हालत में अधूरा छोड़ने के कारण की ढाल को पहले से तैयार कर लिया था.

मेरे प्रश्नवाचक नैनों के तीर उनके मन के किले को भेद ही नहीं पाये.
इससे पहले मैं अपना गुस्सा दिखाती उन्होंने कह दिया- पहले रिपोर्ट आने दीजिये, उसके बाद आपकी तसल्ली बख्श चुदाई का रास्ता साफ हो जायेगा. तब तक के लिए थोड़ा सा इंतजार और कीजिये.

एच.आई.वी. रिपोर्ट का सवाल सामने आया तो मेरे पास कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं था. मन मसोस कर रह गयी. न जबरदस्ती कर सकती थी और न ही वासना की आग में जल रहे अपने जिस्म के अंगों पर छिड़कने के लिए मर्दन का पानी ही मांग सकती थी.

ज्ञान जी मुझे अधूरा छोड़ कर चले गये. मेरा मन खार खा गया. सोच लिया कि आज के बाद इनसे बात ही न करूंगी.
दोस्तो, कोई औरत जब किसी बांके जवान मर्द के नीचे खुद ही अपने जिस्म को रगड़वाने के लिए तड़प रही होती है तो ऐसी स्थिति में किसी का रूखा व्यवहार बहुत अखरता है.

दो दिन तक मैंने ज्ञान जी को फोन ही नहीं किया. रात में पति के लंड से चुदने के बाद ध्यान तो ज्ञान के लंड से चुदाई करके प्यास को शांत करवाने पर ही जाता था लेकिन गुस्सा निकालने के लिए मैंने उनको संपर्क ही नहीं किया. ज्ञान जी भी तीन दिन तक खामोश रहे.

चौथे दिन मैं दोपहरी में कॉलेज आने के बाद नहाकर आई और मैक्सी पहन कर बेड पर आराम करने लगी. थकान के मारे जल्दी ही आंख लग गयी. मेरी नींद घर के दरवाजे की बेल ने खोली.

आलस में उठ कर दरवाजे तक गयी और दरवाजा खोला तो सामने ज्ञान जी एक कागज का लिफाफा लिये खड़े हुए थे. एक बार तो मन किया कि दरवाजे को वापस बंद कर लूं लेकिन ज्ञान की जीन्स में कसी उसकी सुडौल मांसल जांघों पर नजर गयी तो मन बहक गया. सोचा कि आज तो चुद कर ही रहूंगी.

मैंने कहा- अंदर आ जाइये, बाहर क्यों खड़े हुए हैं?
मेरे कहने पर ज्ञान अंदर आये और आकर सोफे पर बैठ गये. मैं किचन से पानी लेकर आई और उनको पीने के लिए दिया.

पानी पीते हुए उन्होंने रिपोर्ट वाला लिफाफा मेरी ओर बढ़ा दिया. मैंने लिफाफा खोल कर देखा.
एच.आई.वी. रिपोर्ट में निगेटिव आया हुआ था. मैंने ज्ञानी की ओर देखा.

वो मेरी ओर ललचाई नजरों से देख रहे थे. उनकी नजर मेरी नाइटी को भेद कर मेरे चूचों का नाप ले रही थी.
मैंने भी सोच लिया था कि उस दिन का बदला आज ठीक से निकालूंगी.

मैंने पूछा- चाय लेंगे या कॉफी?
वो बोले- दूध!
मैंने पूछा- किसका?
उन्होंने मेरे वक्षों को घूरते हुए कहा- जो भी आपके पास हो.

मुंह बना कर मैं अंदर चली गयी. उनको भी थोड़ा अजीब सा लगा. पांच मिनट के बाद मैं चाय बना कर वापस आई तो वो मैगजीन पढ़ रहे थे.
मैंने चाय की ट्रे टेबल रखते हुए कहा- आप तो भूल ही गये थे शायद मुझे?

वो बोले- नहीं मैडम, रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहा था. रिपोर्ट के बिना तो आप पर हक नहीं बनता था. सेफ्टी दोनों के लिए ही जरूरी है.
मुझे ज्ञान जी का ये बर्ताव अच्छा लगा. उन्होंने सिर्फ सेक्स की पूर्ति को तरजीह नहीं दी बल्कि वो सामने वाले का ख्याल रखना भी खूब जानते थे.

चाय का कप अपने होंठों से लगाते हुए मैंने ज्ञान की जांघ पर हाथ रख लिया.
चाय को कप से खींचते हुए उनके होंठ भी मुस्करा दिये. मगर नीचे जीन्स की पैंट में उनके लिंग ने भी अंगड़ाई लेकर ये जता दिया कि औरत के कोमल हाथों में क्या जादू होता है.

इससे पहले की मेरा हाथ उनके लिंग पर जाता उन्होंने पूछ लिया- आपके पति घर पर तो नहीं हैं?
मैंने कहा- अगर होते, तब भी मैं बेशर्मों की तरह गैर मर्द की बांहों में जाने से हिचकती नहीं.

वो बोले- अच्छा जी, इतना पसंद करने लगी हैं क्या आप हमें?
ज्ञान जी की पैंट में आकार ले चुके लंड पर मैंने हाथ से सहलाते हुए कहा- आप ही बेरुखे से हो रहे थे, मैं तो पहले दिन ही चुदने के लिए तैयार थी.

इतने में उन्होंने अपने कप की चाय को खत्म किया और मुझे अपनी ओर खींच कर अपनी गोद में लिटा लिया. वो मेरी आंखों में देखने लगे और उनकी नजर मुझे अंदर तक घायल करने लगी.

दोनों के होंठों को मिलने में देर न लगी. उनके गर्म गर्म होंठों से निकल रही रसीली लार का स्वाद मैं भी अपने मुंह में लेने लगी. इतने सालों में मेरे पति ने कभी मुझे इतने जोश में किस नहीं किया था.

अपनी पीठ पर मैं ज्ञान का लंड चुभता हुआ महसूस करने लगी. मेरे होंठों को चूसने के बाद उन्होंने मेरी मैक्सी में दिख रही मेरी वक्षरेखा पर अपने होंठों को रख दिया. अपने होंठों को मेरी चूचियों की वक्षरेखा पर रगड़ते हुए वो उनको नाक घुसा कर सूंघ रहे थे.

मैंने भी उनके सिर को अपने सीने में दबा लिया और उनके बालों में हाथ से सहलाने लगी. उनका एक हाथ नीचे से मेरी मैक्सी में घुस कर मेरी जांघों को सहलाता हुआ मेरी चूत को टटोलता हुआ मेरी पैंटी तक आ पहुंचा था.

जल्दी ही उनकी उंगलियां पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को छेड़ने लगीं. मैं भी एक्टिव मोड में आ गयी और उनकी जांघों की ओर घूम कर अपने होंठों को उनकी जांघों के बीच में तन चुके लंड पर रख दिया.

उनका लंड पूरे जोश में आ चुका था. मैं भी कई दिन से उनके लंड को अपने होंठों से छूने का इंतजार कर रही थी लेकिन अपनी चूत को सहला कर ही सांत्वना दे रही थी. अब वो पल जब मेरे करीब था तो मैंने भी जोश में आकर ज्ञान के लंड पर अपने होंठों को फिराना शुरू कर दिया.

ज्ञान का लंड मेरे होंठों के छूने से और ज्यादा कड़ा होता चला गया. मैंने उनकी पैंट की जिप को खोल कर अंदर हाथ दिया और उनके लंड को पकड़ लिया. आह्ह … उस हैंडसम जवान मर्द का लंड बहुत ही गर्म था. इतने सालों के बाद मुझे ऐसा लंड छूने का मौका मिला था.

मैंने उनकी पैंट को ऊपर से खोल दिया और नीचे खींचने की कोशिश की. इसी बीच उन्होंने मेरी मैक्सी को ऊपर करके मेरी पैंटी को खींच दिया और मेरी गांड को नंगी करके दबाने लगे.

उनके हाथ मेरी चूत को सहलाने लगी. मैं मदहोश सी होने लगी. मेरा मन उस पराये मर्द का लंड चूसने के लिए कर रहा था. ज्ञान ने मुझे उठाया और मेरी मैक्सी को निकलवा दिया. फिर मेरी ब्रा के ऊपर से मेरी 36 की चूचियों को जोर से दबाया और फिर पीछे हाथ ले जाकर ब्रा को खोल दिया.

ब्रा की कैद से आजाद होते ही चूचियां उछल कर बाहर आ गयीं. ज्ञान ने अपने दोनों हाथों में एक एक चूची को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगे. उसके सख्त हाथ मेरी चूचियों में अलग ही उन्माद पैदा करने लगे.

मैंने भी उनके अंडरवियर के ऊपर से उनके लंड को सहलाना जारी रखा. इसी बीच मैंने उनकी टीशर्ट निकलवा दी. उनकी बनियान निकलवा कर उनकी गर्दन को चूमने लगी. कभी होंठों पर चूमती तो कभी गालों पर. मेरी वासना बहुत दिनों से ऐसे ही किसी मर्द के लिए मचल रही थी.

ज्ञान को मैंने नीचे लिटा लिया और उनकी पैंट को खोल कर नीचे खींच दिया. उनके अंडरवियर में उनका मोटा सा लंड एकदम अकड़ा हुआ था. बिना वक्त गंवाए मैंने अंडरवियर को नीचे कर दिया और उसके लम्बे मोटे लंड को मुंह में भर कर चूसने लगी. आह्ह … बहुत दिनों के बाद ऐसा रसीला लंड चूसने का मौका मिला था.

उसके लंड से जो रस निकल रहा था ऐसा स्वाद मैंने इससे पहले कभी नहीं लिया था. मेरे पति का लंड तो उनके लंड के सामने कुछ भी नहीं था. मैं जोर जोर से लंड को चूसने लगी. मगर तभी ज्ञान ने 69 की पोजीशन ले ली और उनका मुंह मेरी चूत पर जा लगा.

मेरी चूत में उनकी जीभ गयी तो मैं और तेजी से लंड को चूसने लगी. ज्ञान भी मेरी चूत का रस अपने मुंह में खींचने लगे. पांच मिनट तक दोनों ने एक दूसरे के यौनांगों को खूब चूसा और चाटा.

जब रहा न गया तो मैंने कहा- बस कीजिये, अब डाल भी दीजिये.
ज्ञान भी चुदाई के पूरी तरह से तैयार थे. उन्होंने मुझे उठाया और सोफे के पीछे ले जाकर खड़ी होने के लिए कहा.

मेरी एक टांग को उठाकर उन्होंने मेरी चूत को पीछे चाटना शुरू कर दिया. आह्हह … ओह्ह … ऊईई … सस्स … आई मां … आह्ह … करके मेरे मुंह से कामरूपी सीत्कार फूट पड़े.

अब लंड लेने के लिए मेरी चूत एक पल का इंतजार नहीं सहन कर सकती थी. ऐसा लग रहा था कि अगर लंड नहीं मिला तो कयामत हो जायेगी. मैंने ज्ञान से मिन्नतें करना शुरू कर दिया- प्लीज, चोद दीजिये. आह्ह … चोद दीजिये.

वो उठे और मेरी एक टांग को सोफे पर रख कर अपने लंड को पीछे से मेरी चूत पर सटा दिया. लंड का अहसास चूत पर हुआ तो मुझे मजा सा आया. मैंने ज्ञान को पीछे से पकड़ कर अपनी खींचना चाहा. मगर वो लंड को मेरी चूत पर रगड़ रहे थे.

मैं उत्तेजना में बेहोश सी होने लगी. तभी उन्होंने एक धक्का मारा और मेरे मुंह से आह्ह … करके हल्की चीख बाहर आ गयी. उस बांके जवान मर्द के लंड का सुपाड़ा मेरी चिकनी चूत में चला गया था.

तभी मैंने चूत में दूसरा झटका महसूस किया और इस झटके के साथ ही चूत में लंड जाने का आनंद मुझे मिलने लगा. मेरी प्यासी चूत और ज्यादा चुदासी हो गयी. मेरी हालत को देख कर ज्ञान ने मेरी चूत में एक तीसरा धक्का भी मारा और उनके झांटों तक लंड मेरी चूत में घुस गया.

उन्होंने मेरी चूचियों को भींच कर मुझे जकड़ लिया और नीचे से अपनी गांड को आगे पीछे चलाने लगे. मेरी चूत की चुदाई शुरू हो गयी. मुझे मजा आने लगा.

हम दोनों के मुंह आह्ह … ओह्ह … आह्ह … याह … उफ्फ … आह्ह … अम्म … ओह्ह … करके कामुक आवाजें आने लगीं. बहुत दिनों के बाद चूत ने इतना आनंद महसूस किया था. जैसी कहानियां मैंने उनकी पढी थीं उनसे कहीं ज्यादा मजा चुदाई का मुझे वो दे रहे थे.

पांच मिनट तक भी मैं लंड को संभाल नहीं पाई और मेरी चूत का पानी निकल गया. पानी निकलते ही पूरे हॉल में पच-पच की आवाज होने लगी मगर ज्ञान किसी इंजन की तरह मेरी चूत में लंड को चलाते रहे.

दस मिनट में मैं दो बार झड़ गयी. मेरी वासना तृप्त हो गयी थी और अब चूत में दर्द होने लगा था क्योंकि ज्ञान के लंड के धक्के बहुत ज्यादा तेज थे. फिर भी मजा आ रहा था.

20-25 मिनट तक पराये मर्द से चूत चुदवा कर मेरी चूत को संपूर्ण आनंद की प्राप्ति का अनुभव हुआ. बहुत दिनों के बाद मुझे चुदाई का ऐसा मजा मिला था. मेरी कामवासना पूरी तरह से तृप्त हो गयी थी.

ज्ञान अभी भी मेरी चूत को रौंद रहे थे. फिर उनके धक्के इतने तेज हो गये कि चूत में लंड का प्रेशर बर्दाश्त के बाहर हो गया. उनके दमदार लंड से चुद कर चूत का बैंड बज गया. फिर एकाएक उनकी स्पीड धीमी हो गयी और उनके लंड ने मेरी चूत को अपने गर्म गर्म माल से भर दिया.

कुछ देर थक कर हम सोफे पर पड़े रहे. उसके बाद मिशनरी पोज में चुदाई का मजा भी हमने लिया. ज्ञान का लंड लेकर वाकई मेरी बरसों की प्यास बुझ गयी थी. ज्ञान को भी मेरी चूत चोद कर पूरी संतुष्टि मिली.

उसके बाद मैंने कई बार पति की गैरमौजूदगी में उनसे अपनी चूत की सर्विस करवाई. उनके साथ ये रिश्ता काफी मजेदार रहा. एक लेखक के लंड में इतनी जान और जोश हो सकता है मैंने कभी कल्पना नहीं की थी. मैं उनसे चूत चुदवा कर उनकी दीवानी सी हो गयी हूं. यही थी मेरी वासना की तृप्ति की कहानी.

तो दोस्तो, आपको सिमरन मैडम की चूत चुदाई की ये कहानी कैसी लगी मुझे अपने मेल के द्वारा बतायें. हमेशा की तरह ही मेरा प्रयास होगा कि मैं आपके प्रत्येक मैसेज का रिप्लाई दे सकूं. यदि न भी दे पाया तो थोड़ा इंतजार करियेगा. कहानी पर कमेंट के द्वारा भी आप अपने विचार साझा कर सकते हैं.
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