स्कूल में मस्ती-1
मैं दीपक, २५ साल का अविवहित युवक जयपुर में रहता हूं। पिछले साल तब मैं एक प्राईवेट स्कूल में पढाता था। उसमें लड़के लड़कियां दोनो साथ पढते थे। १२वीं क्लास में एक सुन्दर और सेक्सी लड़की निधि पढती थी, जो लगभग १९ साल की करीब ५ फ़ुट २ इन्च की थी।
मैंने जब उसको पहली बार देखा तो देखता ही रह गया। उसका चेहरा गोल काली काली आँखें गुलाबी होंट, कमर तक लंबे बाल और सीने पर संतरे जैसे दो उरोज। जब वो चलती थी तो उसके कूल्हे काफी आकर्षक लगते थे। उसको देख कर मुझे पता नही क्या हो जाता था, मेरे मन में हमेशा ही उसको चोदने का ख्याल आता था। कई बार उसको देख कर स्कूल के बाथरूम में ही जाकर मुठ मर कर अपनी इच्छा को शांत करता था और सोचता था कि कब इस जवानी को भोगने का सुख मिलेगा।
संयोग से एक दिन मुझे वह मौका मिल ही गया। सर्दियों का मौसम था और स्कूल का समय १० से ५ बजे का था। उस दिन जरूरी काम होने के कारण मैं ९ बजे स्कूल आ गया. थोडी देर बाद तकरीबन ९.१५ पर मुझे निधि आती दिखाई दी. वो काफी खुश दिखाई दे रही थी. मैंने सोचा कि उस से खुशी का और जल्दी स्कूल आने का कारण पूछता हूँ, जिससे उसके पास बैठने और बात करने का मोका भी मिलेगा. वो सीधे अपनी क्लास में चली गई. मैं पीछे पीछे उसकी क्लास में गया और दरवाजे की ओट से अंदर देखने लगा. उसने अपने बैग से कोई कागज़ निकाला और पढ़ कर मुस्कुराने लगी. मुझे लगा की हो ना हो वो किसी लड़के का पत्र पढ़ रही है. यह अच्छा मोका था उसे पकड़ने का, इसलिए मैं अचानक जाकर उसके सामने खड़ा हो गया. वो मुझे देखते ही घबरा गई और कागज़ को छुपाने का प्रयत्न करने लगी.
मैंने पूछा- निधि क्या छुपा रहो हो?
वो हकलाते हए बोली क्क्कुछ नही सर!
मैंने कहा- झूठ मत बोलो, मैंने तुम्हे एक लैटर पढ़ते हुए देखा है, क्या लिखा है उस में मुझे दिखाओ. उसने झिझकते और डरते हुए मुझे लैटर दे दिया. मैंने पढ़ा तो किसी लड़के का ही था और उसमे प्यार भरी बातें लिखी थी. मैंने मन में सोचा कि यह अच्छा मोका है इसे चोदने का. मैंने उस से कहा – तो यह पढाई होती है स्कूल में?
तो निधि बोली,”नही सर यह मेरा नही है, मुझ तो यह यहाँ पड़ा हुआ मिला, मैं तो इस ऐसे ही देख रही थी. मैंने कहा – मुझे क्या बेवकूफ समझ रखा है, मैंने तुम्हे इसे अपने बैग से निकालते हुए देखा है और इस पर तुम्हारा नाम भी लिखा है.
मेरी बात सुनकर वो चुपचाप सर झुका कर खड़ी हो गई. मैंने कहा की अगर यह लैटर मैंने प्रिंसिपल को दे दिया तो क्या होगा? वो तुम्हे स्कूल से निकाल देंगे और तुम्हे कहीं भी अड्मिशन नही मिलेगा. हर जगह तुम्हारे परिवार की बदनामी होगी वो अलग.
यह सुनते ही वो बोली- प्लीज़ सर ऐसा मत करना मै आपके हाथ जोड़ती हूँ. आप जो कहेंगे मै करूंगी.
मछली फंसते देख मै सोचने का नाटक करते हुए बोला – अच्छा ठीक है, मैं प्रिसिपल को कुछ नही बताऊंगा, यह बात तुम्हारे और मेरे बीच रहेगी, लेकिन तुम बताओ कि यह चक्कर कब से चल रहा है?
उसने कहा- सर ४-५ दिन से वो लड़का मेरा पीछा कर रहा है और यह दूसरा ही लैटर है जो उसने मुझे दिया है.
मैंने कहा कि क्या तुम भी उससे प्यार करती हो?
निधि ने कहा- नही सर मैं उसे प्यार नही करती पर लैटर पढ़ कर अच्छा लगता है और मन में कुछ कुछ होने लगता है. मैंने कहा – अच्छा ठीक है , आज के बाद तुम उस लड़के से बात नही करोगी और कोई लैटर भी नही लोगी, मेरी हर बात मानोगी. उसके पास मेरी बात मानने के अलावा कोई रास्ता ही नही था, इसलिए बोली – ठीक है सर , आप जो कहेंगे मै करुँगी लेकिन लैटर की बात आप किसी को नही बताएँगे!
इतने में स्कूल के दूसरे बच्चे भी आने लगे थे. मैंने उसे इंटरवल में ऑफिस में आने को कहा. वो बोली ठीक है सर. मैं वहां से आ गया और मन ही मन खुश था कि अब मेरा ख्वाब पूरा होने वाला है.
इंटरवल में वो मेरे ऑफिस आई और मैंने कहा – तुम थोडी देर रुको, मैं बिजी हूँ. तुम सामने सोफे पर बैठ जाओ.
वो सामने बैठ गई. मैं तिरछी नज़र से उसे देखता रहा. बैठने के कारण उसका स्कर्ट थोड़ा उठ गया था. उसकी गोरी गोरी जांघें दिख रही थी. मेरा लंड खड़ा होने लगा जिसे मैं निधि के सामने ही सहलाने लगा. उसने मुझे ऐसा करते देख अपना सर झुका लिया. फ़िर मै उठ कर उसके पास जाकर बैठ गया. और एक हाथ उसके कंधे और दूसरा उसकी जाँघों पर रख कर स्कर्ट के उपर से ही सहलाने लगा. ऐसा करने पर निधि पहले तो कसमसाई , फ़िर बोली सर आप ये क्या कर रहे हैं, प्लीज़ मुझे जाने दीजिए.
मैंने कहा -तुम्ही ने तो कहा था कि आप जो कहेंगे मै वो ही करूंगी, तो अब क्यों मना कर रही हो और ध्यान रखो कि अभी भी तुम्हारा वो लैटर मेरे पास है, मै उसे प्रिंसिपल को दे सकता हूँ. इतना सुनते ही वो चुप हो गई. अब मेरी हिम्मत और बढ़ गई. मैं अब एक हाथ से निधि कि चूचियां दबा रहा था और दूसरे से उसका स्कर्ट उपर करके उसकी जाँघों को मसल रहा था.
जब मै उसके शर्ट के बटन खोलने लगा तो वो मना करने लगी. पर मैंने उसकी बात को ध्यान ना देते हुए उसके सारे बटन खोल दिए. सफ़ेद रंग की ब्रा में बंद उसके उरोज काफी कातिलाना लग रहे थे. उसकी ब्रा को नीचे किया तो उसके उरोजों को गुलाबी रंग के चूचुक काफी सुंदर लग रहे थे. एक को मैं मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को हाथ से मसलने लगा. ऐसा करने को निधि जोर से कसमसाई और बोली सर मुझे छोड़ दीजिए, मुझे दर्द हो रहा है. लेकिन मैंने उसकी बात ना सुन कर अपना एक हाथ उसकी स्कर्ट में डाल दिया और पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा. उसके मुंह से सिस्कारियां निकलने लगी.
इतने में इन्टरवल ख़त्म होने की घंटी सुनाई दी तो मैंने उसे कपडे ठीक करके जाने को बोला और कहा – निधि ! स्कूल ख़त्म होने के बाद यहीं आ जाना और यदि ना नुकुर की तो कल मैं यह लैटर सीधा प्रिन्सिपल को दे दूंगा। इतना कह कर मैं अपने ओफ़िस से निकल कर स्टाफ़रूम की तरफ़ चल दिया और स्कूल खत्म होने का इंतज़ार करने लगा। स्कूल खत्म होने पर निधि आई, तो मैंने उसे अपने ओफ़िस में जा कर बैठने को कहा।
थोड़ी देर में सभी टीचर और बच्चे चले गए तो मैं अपने ओफ़िस में गया। वहां निधि सोफ़े पर बैठी हुई थी। मैं उसके पास गया और सोफ़े पर बैठ कर उसके कपड़े खोलने लगा। निधि बोली- सर ! प्लीज़्… मुझे घर जाने दीजिए, लेट होने पर मेरी मम्मी मुझे डांटेगीं। मैंने कहा- अपनी मम्मी को बोल देना कि एक्स्ट्रा क्लास थी और फ़िर भी ना माने तो मेरी बात करा देना, अब चुपचाप जो मैं कहता हूं वो करो। इसके बाद वो कुछ नहीं बोली।
फ़िर मैंने उसकी शर्ट निकाली और बाद में उसका स्कर्ट खोल दिया। अब वो केवल सफ़ेद रंग की ब्रा और लाल रंग की पैन्टी में थी। वो बहुत सुन्दर लग रही थी। मैं उसके होठों पर अपने होठ रख कर चूसने लगा। उसके गुलाबी होठों को चूसने में बहुत ही मज़ा आ रहा था। फ़िर मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी और उसके मुंह में फ़िराने लगा। निधि भी अपनी जीभ मेरी जीभ से रगड़ रही थी।
उसके बाद मैं उसकी ब्रा खोल कर दोनो उरोज़ों को जोर जोर से मसलने लगा। वो सिस्कारियां लेने लगी और बोली – सर ! थोड़ा धीरे करो, मुझे दर्द हो रहा है। मैंने कहा – दर्द तो हो रहा है पर मज़ा आ रहा है या नहीं? वो बोली – सर ! मज़ा तो आ रहा है पर दर्द भी हो रहा है। मैंने कहा – थोड़ी देर में ये दर्द खत्म हो जाएगा।
काफ़ी देर बाद मैं अपना एक हाथ उसकी पैन्टी में डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा। वहां हल्के हल्के बाल थे। मैंने एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी। निधि एकदम चीखी और दूर हट गई। मैंने पूछा – क्या हुआ? तो बोली – बहुत ज्यादा दर्द हुआ था। फ़िर मैंने उसकी पैन्टी उसके पैरों से निकाल दी। अब वह बिल्कुल नंगी खड़ी थी। उसकी चूत बहुत सुन्दर थी और गीली हो रही थी। मैं उसके घुटनों के पास बैठ गया और उसकी चूत सहलाने लगा। उसके मुंह से कामुक सिसकियां निकल रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी चूत पर मुंह लगा दिया और जीभ से चाटने लगा। मेरी जीभ उसकी चूत पर लगते ही निधि के शरीर में हरकत होने लगी और वह जोर से काम्पने लगी। उसके मुंह से अजीब तरह की आवाजें आने लगी- सी……सी…स्…आ…अच्छा लग रहा … और चूसो सरररर और !
उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा लिया और अपना योनिरस मेरे मुंह पर छोड़ दिया। मै सारा रस जीभ से चाट चाट कर पी गया। तब वो बोली – सर! इतना मज़ा आपने मुझे दिया है ! मैंने कहा – मेरी जान अभी आगे आगे देखो मैं तुम्हें कितना मज़ा दिलाता हूं। उसके बाद मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए औए अपना८.५ इन्च लम्बा और ३.५ इन्च मोटा लण्ड उसके हाथों में दे दिया और उसे चूसने को कहा। उसने झिझकते हुए मेरा लण्ड अपने हाथों में ले लिया और कुछ सोचने के बाद उसे धीरे धीरे सहलाने लगी।
मैंने उसे लण्ड को मुंह में लेने को कहा तो वो पहले लण्ड को किस करने लगी फ़िर वो लण्ड मुंह में लेने लगी, लेकिन मोटा होने की वज़ह से बड़ी मुश्किल से उसके मुंह में जा रहा था। वो लण्ड के सुपारे को ही लोलीपोप की तरह चूसनेर लगी। मुझे इससे स्वर्गिक आनन्द आने लगा। फ़िर मैंने एक झटके से अपना आधा लण्ड उसके मुंह में घुसा दिया और निधि क सिर पकड़ कर आगे पीछे करते हुए चोदने लगा। निधि के मुंह से गूं गूं की घुटी घुटी आवाजें आने लगी। वो अपने मुंह से लंड निकालने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने अपने हाथों से उसका सर कस के पकड़ रखा था इस कारण वो मेरा लंड अपने मुंह से नहीं निकाल पाई. उसके आंसू बहने लगे. थोडी देर चोदने के बाद मैंने अपना लंड उसके मुंह से निकल लिया. लंड उसके थूक से एकदम गीला हो गया.
इसके बाद मैंने उसे सोफे पर बैठा कर उसकी टांगों को अपने कंधों पर रख लिया. इससे उसकी छुट मेरे लंड के करीब आ गई.मैंने ढेर सारा थूक उसकी चूत पे लगाया और ऊँगली अंदर बाहर करने लगा. निधि सिसकारियां भरने लगी. फ़िर मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखा और अंदर करने लगा, निधि की चूत कुंवारी होने के कारण काफी टाईट थी. मैंने जोर लगा कर अपना लंड उसकी चूत में ठेल दिया. लंड का सुपारा ही अंदर गया था कि निधि जोर जोर से चीखने लगी. मैंने अपने हाथों से उसका मुंह बंद कर दिया.और जोर जोर से धक्के लगा कर अपना लंड उसकी चूत में घुसाने लगा. अभी आधा ही अंदर गया था कि निधि जोर जोर से अपने हाथ पाँव मारने लगी. लेकिन मैंने मजबूती से उसे पकड़ रखा था इस कारण वो कुछ नहीं कर पाई और उसका मुंह मेरे हाथ से बंद होने के कारण उसके मुंह से गूँ गूँ की आवाजें आने लगी और उसके आंसू बहने लगे.
मुझे उसकी चूत से कुछ बहने का अहसास हुआ, नीचे देखा तो उसकी चूत पूरी खून से भरी हुई थी. मैंने इस पर ध्यान ना देते हुए एक और जोर का झटका दिया जिससे मेरा तीन चोथाई लंड उसकी चूत में समा गया. इस झटके से निधि अपना सर जोर जोर से इधर उधर पटकने लगी. अब मै थोडी देर के लिए रुका और उसके उरोज मसलने लगा, उसके होठों को किस करने लगा. अपने लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा, अब उसका सर पटकना कुछ कम हुआ और वो भी धीरे धीरे अपने चूतड़ उछालने लगी. मैंने अपना हाथ उसके मुंह से हटा लिया तो वो बोली सर अपने तो मेरी जान ही निकाल दी थी एक बार लगा कि यहाँ से मैं जिन्दा घर नहीं जा पाउंगी.
मैं बोला मेरी जान दर्द तो एक बार हुआ होगा लेकिन अब मज़ा आ रहा है या नहीं? निधि ने कहा – सर ! मज़ा तो बहुत आ रहा है, बस आप ऐसे ही अपने लण्ड को मेरी चूत में रगड़ते रहिए, सच में आज ज़न्नत क अहसास हो रहा है। मैंने कहा – मेरी जान ! अभी तुम्ने ज़न्नत देखी ही कहां है, आगे आगे देखो मैं तुम्हें क्या दिखाता हूं। इतना कहते ही मैंने एक जोरदार धक्का लगा कर अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया। निधि इस अचानक हुए हमले के लिए तैयार नहीं थी, इस कारण उसकी चीख निकल गई और बोली – प्लीज़ सर ! आप अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल लीजिए, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मैं मर जाऊंगी, प्लीज़ सर निकाल लीजिए अपना लण्ड, मैं आपके हाथ जोड़ती हूं।
मैं उसकी बातों पर ध्यान ना दे कर उसके मम्मे चूसने लगा और अपने लण्ड को उसकी चूत धीरे धीरे पेलने लगा। थोड़ी देर में उसको भी मज़ा आने लगा। वो अपनी गाण्ड ऊपर नीचे उछालने लगी और बड़बड़ाने लगी – ओ यस यस्स्स और जोर से चोदो सररर, मेरी चूत फ़ाड़ दोओअओ, आज मुझे लरकी से औरत बना दो, चोदो और जोर से चोदते जाओ, मेरी चूत को फ़ाड़ कर भोसड़ा बना दो, आज मेरी चूत की आग को मिटा दो, और जोर से रगड़ो सर।
निधि अपना हाथ मेरी पीठ पर फ़ेरने लगी और मेरे होंठों पर अपने होंठ रगड़ने लगी।
मेरी रांड मैं तुझे आज क्या कई साल तक चोदूंगा, जब चाहे चोदूंगा, आज मैं तेरी चूत क कचरा कर दूंगा, तेरी मां को चोदूं साली, रंडी आज तक तू बहुत नखरे करती थी। आज मैं तेरे सारे नखरे मिटा दूंगा, तू देखती जा मैं तेरे साथ क्या क्या करता हूं।
फ़िर मैंने अपना लण्ड उस्की चूत से बाहर निकाल लिया। वो बोली – सर ! आपने लण्ड बाहर क्यों निकाल लिया? मज़ा आ रहा था, प्लीज़ सर आप यूं ही गालियां देते हुए मुझे चोदो, मुझे अच्छा लग रहा है। मैंने कहा साली, रंडी की औलाद, देख आज मैं तुझे कैसे चोदता हूं, चल अब तू घुटनों के बल कुतिया की तरह खड़ी हो जा। फ़िर वो सोफ़े से खड़ी हुई तो उसकी नज़र सोफ़े पर फ़ैले खून पर पड़ी। उसने कहा – सर ! आपने तो मेरी चूत ही फ़ाड़ दी, देखिए कितना खून निकला है।
मैं बोला – पहली बार जब किसी कुंवारी लड़की की चूत में लण्ड जाता है तो खून तो निकलता ही है। दूसरी बार जब मैं तुम्हें चोदूंगा तो खून नहीं निकलेगा और तुम्हें इतना दर्द भी नहीं होगा, चल अब जल्दी से कुतिया बन जा। फ़िर निधि जमीन पर घुटनों के बल होकर कुतिया स्टाईल में हो गई और मैंने उसके पीछे जाकर उसकी चूत पर अपना लण्ड लगाकर एक झटके से चूत के अन्दर डाल दिया, इससे निधि की फ़िर चीख निकल गई और बोली – सर ! मैं कहीं भागी थोड़ी जा रही हूं, आराम से डालिए, मुझे दर्द हो रहा है।
उसके बाद मैं उसके ऊपर आ कर चूत में धक्के मारने लगा। वो जोर जोर से सिसकारने लगी और बोलने लगी – आआ आह और जोर से चोदो मेरे राजा, बहुत मज़ा आ रहा है, मैं कितनी खुशनसीब हूं जो मुझे आपका इतना प्यारा लण्ड अपनी चूत में डलवाने का मौका मिला, प्लीज़ सररररर आज मुझे जी भर के चोदो। फ़िर मैंने स्पीड तेज़ कर दी। १५-२० मिनट के बाद निधि सी सी …ई ई ई आ आ आ और जोररर और तेज़्ज़ आ आ मैं मर गई, इसके साथ ही निधि की चूत ने पानी छोड़ दिया जिसे मैंने अपने लण्ड पर महसूस किया। १०-१५ धक्कों के साथ ही मैंने भी अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया और निधि को लेकर जमीन पर गिर गया।
मैं निधि की चूत से वीर्य बहता हुअ महसूस कर रहा था। मैंने निधि को अपनी बाहों में उठा कर खड़ा किया तो उसकी चूत से मेरा वीर्य उसकी जांघों पर बहने लगा।
फ़िर मैंने उसकी पैन्टी से उसकी चूत और टांगें साफ़ की और अपना लण्ड भी पौंछा।
अब मैंने उसे घर जाने को बोल दिया क्योंकि शाम के ७ बज चुके थे। उसने कपड़े पहने और चली गई। मैंने सोफ़ा साफ़ किया और निधि की अगली चुदाई की सोचने लगा।
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