कैसी मेरी दीवानगी
मैं हूँ चंदना, अन्तर्वासना की बहुत बड़ी बड़ी बड़ी प्रशंसिका पाठकों को नमस्कार!
मेरी उम्र तेतीस साल है, इस उम्र में भी मेरा अंग-अंग खिला हुआ है, अभी भी मेरे जिस्म से जवानी वाली खुशबू निकलती है।
मैं जन्म से एक गाँव की हूँ, अपनी चालाक माँ की तरह मैं एक बहुत चालाक लड़की निकली थी, लड़के क्या मुझे फ़ंसाएँगे, मैं उनको अपने जाल में फ़ंसाना जानती हूँ। मैं अभी-अभी एक बच्चे की माँ बनी हूँ, दस महीने पहले
मेरा चुदना स्कूल से चालू हो गया था, संस्कार ही वैसे थे, पापा के विदेश जाने के बाद और फिर चाचा भी पीछे-पीछे विदेश च्ले गए। पीछे मटरगश्ती के लिए दो बला की खूबसूरत बीवियाँ छोड़ गए मेरे बापू और चाचू यानि मेरी माँ और चाची खर्चा वहाँ से आता था लेकिन बिस्तर यहीं किसी और के संग सजाती थी दोनों
वैसे तो मैं काफ़ी छोटी थी जब एक लड़के ने मुझ पर हाथ फेरा था, तब मेरी छाती पर नींबू थे, उसका नहीं मेरा कसूर था, फिल्में देख देख मेरा भी मन फ़िल्मी बन गया था। वो बेचारा तो मुझसे भागता था मगर मैं उसके पीछे पड़ गई हाथ धोकर, जब उसका जवाब नहीं मिला तो एक दिन मैं उसके घर चली गई। वो मेरा पड़ोसी था, अकेला घर था, मैंने उसका कालर पकड उसको खींचा और कहा- लड़का है या पत्थर? एक लड़की तुझे खुद प्यार करना चाहती है और तू है कि बस देखता ही नहीं?
“तुम अभी बहुत छोटी हो”
“कौन कहता है? कहाँ हूँ छोटी?”
उठकर उसके होंठ चूम लिए और बोली- देखो, मुझे सब कुछ पता है कि लड़का लड़की को क्या करता है।
मैंने उसकी टीशर्ट उतार दी, वो गुस्सा होने लगा तो मैंने फ्रॉक उठा कर कहा- यह देखो यहाँ भी बाल आने लगे हैं!
मैं बिना पैन्टी के थी।
“तू पागल हो गई क्या?” यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने ज़बरदस्ती उससे हाथ फिरवाया लेकिन बाद में वो बहुत पछताता रहा कि क्यूँ उसने मेरी पतंग की डोर छोड़ी। वो मुझे हवा में उड़ाना चाहता था लेकिन मैं औरों से उड़ने लगी थी।
धीरे धीरे नींबू अब अनार बन गए, वो भी रसीले मैं खुलेआम लड़कों को लाइन देती थी, सभी मेरी इस अदा के दीवाने बन गए। कुछ ही दिनों में अनारों के आम बन गए वो भी तोतापरी, क्यूंकि तोतापरी आगे से तिरछे होते हैं, मेरे चूचूक भी तोतापरी बन गए थे।
हम तीन सहेलियाँ थी, जब अकेली बैठती तो एक दूसरी की स्कर्ट उठवा कर चूतों को देखती। गुड़िया और कम्मो की चूत मेरी चूत से थोड़ी अलग थी, उनकी झिल्ली बाहर दिखने लगी थी, वहीं मेरी झिल्ली लटकती नहीं थी।
तभी हमारे स्कूल में मर्द स्पोर्ट्स टीचर आये, पहले हमेशा कोई औरत ही उस पोस्ट पर आती थी।
उसको नई-नई नौकरी मिली थी, बहुत खूबसूरत था, स्मार्ट था, हम लड़कियों ने उसका नाम चिपकू डाल दिया क्योंकि वो किसी न किसी मैडम से बतियाता रहता था।
उधर मैं उस पर जाल फेंकने लगी, उसको अपनी जान बनाने के लिए मैं स्टुडेंट, वो टीचर था लेकिन मेरी ख़ूबसूरती उस पर हावी पड़ने लगी, वो जान गया था कि मैं उस पर फ़िदा हुई पड़ी हूँ। हमारा स्कूल सिर्फ लड़कियों का था, वो अभी नया था इसलिए भी और वैसे भी अपनी रेपोटेशन बनानी थी तो वो मुझसे दूरी बना कर रख रहा था मगर मुझे उस पर मर मिटना था, कच्ची उम्र की मेरी नादान दीवानगी ने मेरे दिमाग पर पर्दा डाल रखा था।
लेकिन वो भी मुझे चाहता है, यह मैं जानती थी। छुटी के वक़्त वो सबसे बाद में हाजरी लगाता था।
एक दिन जब सारे टीचर चले गये, मैं तब भी अपनी क्लास में बैठी रही, जब वो स्पोर्ट्स रूम बंद करके आया, मैं क्लास से निकली। मुझे देख वो थोड़ा हैरान हुआ।
“गुड आफ्टर नून सर” मैंने कहा।
उसने भी जवाब दिया। स्कूल में और कोई नहीं था, मैं उसकी इतनी दीवानी हो गई थी कि मैं उसके पीछे दफ़्तर में चली गई।
“तुम घर क्यूँ नहीं जाती?”
“आप जब सब जानते हैं तो फिर यह सवाल क्यूँ?”
“देख, मैं यहाँ नया हूँ, क्यूँ मेरी बदनामी करवाना चाहती है सबके सामने?”
“कौन है यहाँ? और आप बताओ, कभी स्कूल टाइम मैंने आपको कुछ कहा है?”
मैंने अपना बैग परे रख दिया, उसके करीब गई, बिल्कुल सामने उनके कंधे को पकड़ते हुए उनके सीने से लग गई।
वो परेशान हो गया था, मैंने दोनों बाहें अब कस दी। मेरी जवानी का दबाव पड़ता देख वो पिंघलने लगा, उसने भी मेरी पीठ पर हाथ रख लिए, उसके हाथ रेंगने लगे थे।
मेरी दीवानगी मालूम नहीं कैसी है, हालाँकि यह मेरा ऐसा दूसरा अवसर था।
मैंने अपने अंगारे से तप रहे होंठ उसके होंठ पर लगाए तो वो और पिंघल गया, उसने अपना हाथ मेरी कमीज़ में घुसा दिया और मेरे एक मम्मे को दबाया।
यह पहली बार था कि मेरे मम्मा दबाया गया, मैंने उसके सर पर दबाव डाला अपने मम्मों पर ताकि वो मेरे मम्मे चूसे और निप्पल चूसे। यह कहानी आप मोबाइल पर पढ़ना चाहें तो एम डॉट अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ सकते हैं।
वो वैसा ही करने लगा, उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लौड़े पर रख दिया। किसी आहट सुन अलग हुए, मैं प्रिंसिपल के निजी वाशरूम में घुस गई और वो वहीं बैठ रजिस्टर कर पन्ने पलटने लगा।
वो स्कूल का चौकीदार था, जब वो गया तो हम वहाँ से निकले और उसने अपना कमरा दुबारा खोला, मैं भाग कर उसमें घुस गई।
उसने मुझे बिठाया और खुद बाहर गया, जाकर चौकीदार से कहा कि दफ्तर वगैरा बंद कर दे, मैं अपना थोड़ रजिस्टर का काम पूरा करके जाऊँगा।
वो वापिस आया, मैंने दोनों बाहें उसके गले में डाल दी और उसके होंठ चूमने लगी। उसने मेरी शर्ट उतार और फिर ब्रा को खोला, मेरे दोनों मम्मों को चूसने लगा।
मैंने भी उसकी जिप खोल दी, उसने बाकी काम खुद किया, लौड़ा निकाल लिया, पहली बार जोबन में पहला लौड़ा पकड़ा और वहीं बैठ कर चूसने लगी।
बहुत सुना था लौड़ा चुसाई के बारे में … सर का लौड़ा था भी मस्त खूब चूसा और फिर टांगें खोल दी। ये सब बातें भाभी से सुनी थी, अपनी कज़न भाभी से!
जब सर ने झटका दिया, मेरी चीख निकल गई लेकिन मैंने खुद को संभाल लिया। यह फैसला मेरा था, मुझे मालूम था कि पहली बार दर्द होगा, उसके बाद मजा ही आता है और मर्द मुट्ठी में आ जाता है। जल्दी मुझे बहुत मजा आने लगा।
उस दिन जब मैं स्कूल से निकली तो बहुत खुश थी। मैं कलि से फूल बन गई थी और अपनी दीवानगी की हद पूरी कर ली थी अपने सर को पटाने वाली जिद पूरी की.
दोस्तो, यह तो है मेरी पहली चुदाई अपनी जिंदगी की और मस्त चुदाई जल्दी लेकर आऊँगी, तब तक के लिए अलविदा।
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