मस्त गोरे गोरे टमाटर

अंश गर्ग 2005-10-24 Comments

प्रेषक : अंश गर्ग

हेल्लो मैं संगरूर, पंजाब से, मैं अन्तर्वासना पर लगभग सारी कहानियाँ पढ़ चुका हूँ। मुझे यह सारी कहानियाँ बहुत अच्छी लगी ये सब पढ़ने के बाद मुझे मेरी कहानी लिखने का मन किया सो मैं लिख रहा हूँ।

मैं आप लोगों को मेरी ज़िन्दगी में हुई असली और सच्ची सेक्स कथा लिखने जा रहा हूँ। मेरे उसका आकार दस इन्च है। मैं आपको अपनी एक ट्यूशन पर मुझसे पढ़ने आने वाली लड़की की चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूं।

जब मैं बाईस साल का था। मैं पार्ट-टाइम के ट्यूशन पढ़ाता था। पाँच साल पहले की बात है उस समय मेरी एक छात्रा थी ज्योति। वह बहुत सेक्सी थी, कहने को ११वीं में थी मगर स्तनों का आकार देख कर लगता था कि पूरी जवान है, चलती थी तो कयामत ढा देती थी, पर मैने कभी भी अपनी किसी छात्रा को इस नज़र से नहीं देखा। पर मुझे मेरे कई अन्य विद्यार्थियों से पता लगा कि ज्योति एक चुद्दकड़ किस्म की लड़की है। मुझे उन की बात पर विश्वास नहीं हुआ।

जब भी मैं उसके उभरे संतरे जैसे चुचियों को देखता था तो मेरे मन में एक ही ख्याल आता था कि अभी जाकर उनका सारा रस निकालकर पी जाऊं। स्कर्ट पहने हुए उसकी कमर एवं जांघों को देखकर मुंह में पानी आ जाता था। वह कभी भी अपने होंठों पर लिपस्टिक नहीं लगाती थी फिर भी उसके होंठ गुलाबी थे, हर वक्त उसके होंठों को चूसने का दिल करता था।

एक दिन के बात है, मैं पढ़ा रहा था तभी मुझे अपने पैरों पर कुछ अजीब सा महसूस हुआ। जब मैंने देखा तो ज्योति अपने पैर से मेरे पैर को सहला रही थी और उसकी आँखों में एक अलग ही नशा था। उस दिन के बाद लगभग एक महीना बीत गया।

फिर एक दिन जब मैं पढ़ा रहा था तो मुझे जाँघ पर किसी के पैर महसूस हुये। मुझे सिगनल मिल चुका था। मैंने उसे बहाने से रविवार को बुलाया। वो दोपहर के समय आई। उसने जीन्स ओर टॉप पहना हुआ था। मैंने दरवाजा खोला जब वो अन्दर आई तो मैंने दरवाजा बन्द कर दिया, उसे उठा कर अपने बेडरूम में ले गया और उसे चूमने लग़ा। उसके बाद मैंने उसके एक स्तन को पकड़ कर दबाया, इतना मजा आया कि क्या बोलूं, उसके बाद मैं अपना हाथ जींस के ऊपर ही उसकी चूत पर फेरने लगा।

अब वो गरम होने लगी, मैंने सबसे पहले उसका टॉप उतारा, अन्दर ब्रा थी, उसके बाद जींस उतारी, फिर उठा कर बिस्तर पर ले गया। वहां अपनी जींस और शर्ट उतार दी। उसके बाद मैंने उसकी ब्रा उतारी और उसके मस्त गोरे गोरे टमाटर जैसे स्तनों को आजाद कर दिया।

उसके बाद मैं उसे दबाने लगा, वोह सिसकियाँ ले रही थी अह ह्ह्ह्ह्ह्छ …ऊओअया अआः … श बहुत मजा आ रहा है जान !

फिर मैंने उसकी पैंटी उतारी और अपना अंडरवियर भी, वो मेरा लंड देख कर खुश हो गई। उसके बाद मैंने एक ऊँगली उसकी बूर में डाल दी।

वो बोली- हाई…….मै मर गई !

उसके बाद मैं ऊँगली करने लगा, एक हाथ से ऊँगली कर रहा था और एक से उसके बूब्स दबा रहा था।

अब वो पूरी तरह गरम हो गई थी। मैंने उसके बूर से ऊँगली निकाली और खड़ा हो गया। वो भी घुटनों के बल बैठ गई, मैंने अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया फिर उसने थोड़ी देर तक मेरा लंड चूसा। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी चूत चाटने लगा। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक धक्का मारा। मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया।

वोह चिल्लाई आआआआअह ह्ह्ह्ह्ह्छ ह्ह्ह . .. …….धीरे !

उसके बाद मैंने धीरे धीरे पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा अब हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था। उसके बाद मैं लेट गया और वो अपनी चूत मेरे लंड पर सेट करके बैठ गई। अब मैं उसे जोर जोर से चोदने लगा, जब मैं झड़ने वाला था तो रुक गया और उसके बाद गोद में बिठा के फिर से मारने लगा। करीब १ घंटे तक हमने चोदा-चोदी का खेल खेला। मेरी चूत की प्यास उस दिन ठंडी हो गई। उसके बाद हम दोनों झड़ गए।

उसके बाद जब कभी भी हमे मौका मिला तो हमने हनीमून मनाया, मेरे पढ़ाने के कारण उसे ११वी में ९०% मार्क्स मिले और जब भी छुट्टी में आती है तो हम पूरा एन्जॉय करते हैं।

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