खेली खाई मेहनाज़ कुरैशी
इमरान
यह कहानी मेरे एक दोस्त संजय अग्रवाल की है, आपके सामने संजय के ही शब्दों में !
18 साल के अध्यापक जीवन में मुझे बहुत सारी चूतें, फ़ुद्दियाँ चोदने को मिल चुकी हैं। कुछ को तो मैंने कॉलेज के स्टाफरूम में ही लंड का प्रसाद दिया हुआ है।
लेकिन मेहनाज़ कुरैशी की चूत की खुशबू और उसके लंड चूसने का तरीका कुछ ऐसा था कि मैं उसकी देसी चूत का स्वाद आज तक नहीं भूला।
कॉलेज के प्राध्यापक लोगों में मेरा बड़ा नाम था क्योंकि मैं इससे पहले दिल्ली और मुंबई के अच्छे अच्छे कॉलेज में पढ़ा चुका था। मैं भले एक अच्छा प्रोफेसर था लेकिन साथ में मैं चुदाई का भी बहुत बड़ा रसिया था और यह बात मेरे साथ कम करने वाले सभी प्रोफेसर जानते थे। कम लोगों को ही पता था कि दिल्ली के एक कॉलेज ने तो मुझे इसलिए कॉलेज से निष्कासित किया था कि मैं कॉलेज के स्टाफ रूम में एक अध्यापिका के साथ चुदाई करता हुआ नंगा पकड़ा गया था। मेरे दिल्ली के राजनैतिक सम्बन्धों ने मुझे बचा लिया और मुझे यहाँ भोपाल भेज दिया। यहाँ पर शुरु में मैंने एक दो अध्यापिका को दाने डाले और उसमें से एक रीटा पटेल मेरे से चुदवाती थी लेकिन उसके चुदवाने में वो मजा नहीं था। मैं एक और ताज़ी चूत की तलाश में ही था जब मैंने मेहनाज़ को पहली बार देखा, मेहनाज़ के स्तन देखते मेरा 45 साल का लंड उछल पड़ा।
मेहनाज़ कुरैशी कॉलेज के नए अध्यापक की पोस्ट के लिए इंटरव्यू में आई थी और उसे किसी ने मेरे बारे में बताया था तो वह मेरे पास इंटरव्यू में मदद के लिए आई थी। उसके भारी बदन से लग ही नहीं रहा था कि वह अभी कँवारी थी, क्यूंकि उसका एक एक स्तन 2-3 किलो का था और गांड तक फैली पड़ी थी, शायद मेहनाज़ ने अपने कॉलेज के ज़माने में बड़े बड़े चुदाई के खेल खेले होंगे।
वैसे मुझे भी कुछ ऐसी ही औरत की तलाश थी क्यूंकि पतली को चोदने से अच्छा एकाध भरी हुई की चुदाई लो। मेहनाज़ ने मुझे हाय किया और बातें होने लगी हम दोनों के बीच में ! मैं इस कला में बहुत माहिर था कि कैसे चूत को जाल में लेते हैं, अगर मैं प्रोफेसर ना होता तो एक अच्छा मच्छीमार जरूर बन सकता था।
मेहनाज़ चौंक गई और मैंने अपने दाने डाले। मैंने उसे अपनी बीवी के सेक्स की अरुचि की अपनी पुरानी कहानी बताई और साथ में उसको भरोसा दिलाया कि उसकी गोपनीयता बनी रहेगी और मैं उसे काम में भी मदद करूँगा।
रात के करीब 8:00 बजे थे और मैंने गले का मफ़लर थोड़ा ऊँचा कर लिया था जिससे मेरा मुँह थोड़ा ढक जाए। थोड़ी देर में ही घंटी बजी फोन की और मेहनाज़ ने मुझे कहा कि वह 5 मिनट में वहाँ पहुँचेगी।
मैंने उसे सीधा रूम नंबर 203 में आने को कहा। मैंने रूम में जाकर रिसेप्शन से एक व्हिस्की का क्वार्टर और सिगरेट मंगा ली। मेहनाज़ के आने तक मैं गले को गीला कर चुका था।
दरवाजे पर हल्की दस्तक हुई और मैंने फट से दरवाजा खोल दिया। मेहनाज़ सामने गुलाबी साड़ी पहने हुए खड़ी थी और हल्के रंग की ब्लाऊज़ के अंदर उसकी काली ब्रा साफ़ नजर आ रही थी। मेरा लंड तभी चुदाई के लिए तैयार हो गया था।
मैंने उसे बिठाया और बाथरूम जाकर मैंने सिगरेट खत्म की।
मैंने आते ही अपने कपड़े उतार दिए और खुद सोफे पर बैठ गया। अब मैं केवल अपने अंडरवीयर में था और मेरा तना हुआ लंड मेहनाज़ को उसके अंदर साफ़ नजर आ रहा था। अनिता की नजर मेरे लंड पर ही थी, मैंने चड्डी खींच ली और मेरा 8 इंच का लंड हवा में झूलने लगा।
मैंने मेहनाज़ को इशारा किया और वह उठ के मेरे पास आ गई। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी गांड और स्तन के उपर घुमाने शरू कर दिए. मेहनाज़ मेरे हाथो को अपने स्तन पर दबा रही थी और मुझे बहुत मजा आ रही थी. मेरा लंड पूरा तन गया था. मैंने लंड को हाथ से पकड के मेहनाज़ की साड़ी के उपर से ही उस्के चूतड़ों के ऊपर रगड़ना चालू कर दिया।
मेहनाज़ आह… आह… करने लगी। मेरा लंड घर्षण से लाल लाल हो गया था। मेहनाज़ तभी साड़ी का पल्लू हटाती हुई मेरे पाँवों के बीच में बैठ गई, मैंने लंड उसके मुख में ठूंस दिया।उसके बदन से मस्त परफ़्यूम की सुगंध आ रही थी जिससे मैं और भी मोहित हो रहा था। मेहनाज़ पूरा लंड मुँह के अंदर बाहर करने लगी। लंड के ऊपर उसका सीधा हाथ चलने भी लगा था, वह एक साथ मुझे चुसाई और हस्तमैथुन का मजा दे रही थी। वो जिस तरह से लंड चूस रही थी, उससे तो ऐसा लग रहा था कि उसकी भरी हुई जवानी का राज लंड की प्यास और चुदाई ही था।
मैंने लंड को उसके मुख से बाहर निकाला जिसके ऊपर अब मुँह की लार से चिकनाहट की अलग ही परत लगी हुई थी। मेरा लंड चमक रहा था, ऐसे हिल रहा था, वह चुदाई के लिए तीव्र झंकार कर रहा था और मेहनाज़ भी अपने ब्लाउज और ब्रा को उतारने लगी थी।
मैंने अपनी पैंट की जेब से कंडोम निकाला और लंड के ऊपर लगा दिया। मेहनाज़ बिल्कुल नग्न हो गई और लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी।
मैंने उसे पलंग के ऊपर लिटाया और उसकी चूत के ऊपर उंगलियाँ घुमाने लगा। मेहनाज़ से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो आँखों की जुबान से मुझे चुदाई के लिए इशारे करने लगी थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने भी चुदाई का बहुत इंतजार कर लिया था, मैंने लंड को चूत के ऊपर सही तरीके से रखा और एक झटके में ही लंड का लोहा चूत के खड्डे में दे दिया।
मेहनाज़ के मुख से एक बड़ी आह निकल गई। मेरा लंड अब इस देसी इंडियन जवानी की चूत से अंदर बाहर होने लगा। और एक मिनट के बाद तो मेहनाज़ भी अपने कूल्हे उठा उठा कर हिलाने लगी। मेरा सेक्स पावर ज्यादा था और 20 मिनट और तीन अलग अलग पोजीशन की चुदाई के बाद मेहनाज़ को भी यह समझ आ गया था।
मैंने उस रात तीन बार मेहनाज़ की चुदाई की और उसने भी मेरा दिल से साथ दिया।
मेहनाज़ इंटरव्यू में सिलेक्ट हो गई, लेकिन यह प्रोफेसर मेरा अहसान लम्बे अरसे तक नहीं भूली और मुझ से कुछ कुछ दिनों के अन्तराल पर लंड का लावा ले लेती थी। मैंने भी उससे किए वादे के मुताबिक़ उसकी असलियत बाहर जाहिर नहीं की और वैसे भी चूत दे रही हो फिर क्यूँ उसे हैरान-परेशान करूँ…
पिछले साल जब मेरा ट्रांसफर हुआ, मैंने मेहनाज़ से वादा किया था कि मैं त्यौहारों की छुट्टियों में उसकी चुदाई करने के लिए भोपाल आऊँगा… लेकिन मेरी बीवी ने दिल्ली बुला लिया और मुझे पूरा महीना बीवी की घिसीपिटी चूत से संतोष करना पड़ा..!
What did you think of this story??
Comments