जाने कब मिलेंगे

manak_nahar 2005-12-22 Comments

प्रेषक : माणक नाहर

हैलो दोस्तो,

मैं पहली बार कोई कहानी लिख रहा हूँ। यह मेरी वास्तविक कहानी है। मैं ट्युशन पढ़ाने का कार्य करता हूँ। बात उस समय की है जब शमा परवीन नाम की एक लड़की ट्युशन पढ़ने आई। पहले ही दिन से उसे देखकर ना जाने मेरे मन में क्या होने लगा। हालांकि मैंने सैकडों लड़कियों को पढ़ाया है पर उसे देखकर ना जाने मेरे मन में क्या-क्या उमंगें उठने लगी।

वार्षिक परीक्षा के बाद जब सभी छात्र आखरी दिन मिलने आये तब वह बहुत जोर-जोर से रोने लगी और कहने लगी- अब तो हम सभी आपसे जाने कब मिलेंगे !

तब मैंने कहा- इसमें रोने की क्या बात है तुम जब चाहो मेरे मोबाईल पर कॉल करके मुझसे बातें कर लिया करना।

यह सुनकर उसने रोना बंद कर दिया।

उसके बाद उसने अगले दिन मुझे कॉल किया। तब हमने थोड़ी बहुत बातें की और उसके बाद हमारी बातों का सिलसिला चल पड़ा और यह सिलसिला धीरे-धीरे कब प्यार में बदल गया दोनों को पता ही नहीं चला।

फिर एक दिन हिम्मत जुटा कर मैंने उससे अपने प्यार का इजहार भी कर दिया। इजहार करते वक्त मुझे कितनी घबराहट हो रही थी, इसको मैं बता भी नहीं सकता। लेकिन मेरी घबराहट तब खुशी में बदल गई जब उसने भी मुझसे कहा कि वह भी मुझसे प्यार करती है।

इसके बाद हम दोनों अकेले में मिलने के रास्ते ढूँढने लगे। हमारा कस्बा ज्यादा बड़ा नहीं है, लगभग सभी लोग एक दूसरे को जानते हैं, ऐसे में बाहर हमारा मिलना सम्भव नहीं था।

तब एक दिन उसने मुझसे कहा- क्या तुम रात को मेरे घर पर आ सकते हो? मैं पढ़ाई के बहाने अलग कमरे में आ जाऊँगी।

मैंने भी उसे हाँ कर दी। इसके बाद उस रात को करीब २ बजे मैं उसके घर गया। हम दोनों अकेले एक बंद कमरे में अलग थे और उसके मम्मी-पापा तथा भाई बहन अलग कमरे में थे। हम दोनों धीरे-धीरे एक दूसरे से बातें करते रहे। धीरे-धीरे मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और फिर उसके गालों पर एक चुम्बन दे दिया। यह पहला मौका था जब मैंने उसे छुआ था। मेरे शरीर में एक अजीब सी सिरहन दौड़ गई। फिर हम दोनों ने एक दूसरे को चूमना शुरू किया और एक दूसरे से लिपट गये। धीरे-धीरे मैंने उसके स्तन दबाने शुरू किये जो कि बहुत ही कड़े थे, तो उसने मना कर दिया।

चूमा-चाटी तथा बाहों में लेने का यह सिलसिला करीब २ घण्टे तक चला और फिर मैंने कहा- अब मुझे चलना चाहिए।

उसके बाद करीब ४ बजे मैं वापस आ गया।

इसके बाद जब भी मौका मिलता हम उसके घर मिल लेते। एक बार उसने मुझे बताया कि उसके घर के सभी सदस्य किसी रिश्तेदार की शादी में गये हैं और वो आज घर में अकेली है।

यह सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।

मैं रात को ११ बजे ही उसके घर पहुँच गया। यह पहला मौका था जब हम बिना किसी डर के एक दूसरे से मिल रहे थे। जब मैं वहाँ पहुँचा तो मैंने देखा कि उसने बिस्तर लगा रखा था। मैंने उसे देखते ही उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा क्योंकि आज किसी के भी आने का डर नहीं था। फिर मैंने उसे उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और मैं उसके पास ही लेट गया। हम काफी देर तक एक दूसरे से प्यार की बातें करते रहे। इस बीच मैं उसके शरीर पर हाथ भी फेरता जा रहा था। आज वह मुझसे कोई विरोध नहीं कर रही थी क्योंकि शायद वह जानती थी कि ऐसे मौके बार-बार नहीं आते हैं।

मैंने फिर उसके कुर्ती के अन्दर हाथ डालकर उसके स्तन दबाने शुरू किये। उस समय तो मानो स्वर्ग का आनन्द मिल रहा था। काफी देर तक स्तन दबाने के बाद मैंने उसकी कुर्ती को उतार दिया और साथ ही उसके सलवार को भी उतार दिया। अब वह मेरे सामने ब्रा और पेंटी में लेटी थी। मैंने उसके शरीर को अच्छी तरह से सहलाना और रगड़ना शुरू कर दिया और उसे चूमने लगा।

मैंने अपने भी सारे कपड़े उतार दिये और उसके स्तनों को जोर-जोर से दबाने लगा। इसके बाद मैंने उसकी ब्रा और पेंटी को भी उतार दिया। इसके बाद हम ६९ की पोजीशन में आ गये। मैं उसकी चूत को काफी देर तक चाटता रहा और वह भी मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी।

हम दोनों ही बहुत ज्यादा गर्म हो चुके थे और मेरा लण्ड उसको चोदने के लिये उतावला हो रहा था। मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत के मुंह पर रखा और एक हल्का सा झटका दिया। वह चिल्लाने लगी तथा मुझे दूर हटाने लगी। लेकिन मैं उस पर हावी हो चुका था, मैंने उसके होठों पर अपने होठ रखकर उसके मुँह को बंद कर दिया और एक जोरदार झटका दिया जिससे मेरा आधा लण्ड उसकी कुंवारी चूत में घुस गया। वह बुरी तरह से छटपटाने लगी और रोने लगी। उसकी चूत से खून भी निकलने लगा था।

वह रोते हुए कहने लगी- प्लीज ! मुझे छोड़ दो ! फिर कभी करेंगे !

लेकिन मैंने उसकी एक भी न सुनी और दो-तीन झटकों में पूरे लण्ड को उसकी चूत में घुसेड़ दिया जिससे वह एक चीख के साथ बेहोश हो गई। मैंने बेहोशी में ही उसे चोदना जारी रखा। तेज दर्द के कारण वह फिर होश में आ गई और जोर-जोर से रोने लगी।

यह देख मैं रूक गया। मैंने कहा- अब घबराने की कोई जरूरत नहीं है, तुम्हारी सील टूट चुकी है और अब तुम्हे सिर्फ मजा आयेगा।

इसके बाद मैंने उसे धीरे-धीरे चोदना चालू किया तो उसे भी मजा आने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी। करीब आधा घण्टा चोदने के बाद हम दोनों ही एक साथ झड़ गये।

उसके बाद उसे मैंने कई बार चोदा।

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