छप्पर फाड़ कर-2
(Chhappar Fad Kar- Part 2)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left छप्पर फाड़ कर-1
-
View all stories in series
मैंने उसके उरोजों को सहलाना शुरू किया। उरोज क्या थे दो रुई के गोले थे। सुगंधा के उरोज तो इसके सामने कुछ भी नहीं थे। मेरा लिंग पजामें में तंबू बना रहा था। मैंने उरोजों को जोर जोर से मसलना शुरू किया तो उसके मुँह से कराह निकली।
अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने उसकी टीशर्ट ऊपर उठाई, उसने मेरे हाथ पकड़ लिए और बोली- कोई आ जाएगा।’
मैं झुका और उसके पेट के खुले भाग को चूमने लगा। वो गुदगुदी और आनंद के मिले जुले प्रभाव से सिसकने लगी। अब मैं दो काम एक साथ कर रहा था उसके पेट पर चूम रहा था और साथ ही साथ उसकी टीशर्ट उठा रहा था। उसके हाथों की विरोध करने की ताकत खत्म होती जा रही थी।
कुछ पलों बाद मैं उसकी टीशर्ट उठा कर उसके गले तक ले आया और उसकी सफ़ेद ब्रा के आसपास के नग्न स्थानों को चूमने लगा। मैंने उसके ब्रा का दायाँ कप हटाया। उसके दूधिया उभार पर छोटा सा चुचूक मेरा इंतजार कर रहा था। मैंने उसपर अपना जलता हुआ होंठ रखा। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
नेहा का पूरा बदन सिहर उठा। मैंने चूचुक को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। वो मचलने लगी। मैंने चूचुक अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। नेहा की हालत खराब होने लगी। चूसते चूसते ही मैंने उसकी ब्रा का बायाँ कप हटाया और उसके बाएँ उभार को कस कर मसलने लगा। कितने बड़े बड़े उरोज थे मेरी पूरी हथेली में उसका आधा उरोज भी नहीं आ रहा था।
फिर मैंने उसको बैठने को कहा और उसकी टीशर्ट बाहर खींचने लगा। उसने कोई विरोध नहीं किया और मैंने पीछे से हुक खोलकर उसकी ब्रा भी उतार दी। उसके उभार हल्का सा नीचे हो गए। बड़े उभारों के साथ यही समस्या होती है बहुत कम उम्र में ही ढीले होना शुरू हो जाते हैं इसलिए बड़े उभारों का असली आनंद तो अठारह की उम्र में ही मिल पाता है।
सुगंधा की जींस उतार कर मैं देख चुका था कि लड़कियों की जींस उतारना कितना मुश्किल काम है। मैंने उसके गले पर चूमते चूमते उससे कहा- नेहा अपनी जींस उतार दो।’
वो बोली- नहीं सर प्लीज, ये सब शादी के बाद।’
हद हो गई, इन अठारह साल की लड़कियों का चुम्बन भी ले लो तो शादी और बच्चों के सपने देखने लगती हैं। इससे अच्छी तो सुगंधा थी कम से कम उसे मालूम तो था कि हम दोनों की शादी नहीं हो सकती।
मैंने कहा- मैं सेक्स नहीं करूँगा सिर्फ़ तुम्हारी जाँघों और योनि पर चुम्बन लूँगा। मैं और कुछ करूँ तो तुम मुझे तुरंत रोक देना। प्लीज नेहा, जल्दी करो और मत तड़पाओ नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगा। तुम तो जानती हो पिछले पंद्रह दिनों से मैं सुगंधा के लिए तड़प रहा हूँ अगर तुमने न देखा होता तो मैं उसे हर रविवार को बुला लेता। अब अगर तुम चाहती हो कि मैं सुगंधा से न मिलूँ तो प्लीज अपनी जींस उतार दो और मुझे अपनी जाँघों और योनि को चूमने दो।’
मेरी बातों को सुनकर और मेरी खराब हालत को देखकर वो समझ गई कि मैं बिना उसको नग्नावस्था में देखे मानने वाला नहीं हूँ। उसने अपनी जींस उतार दी।
‘उफ़ ये दूध जैसी गोरी गोरी और गदराई हुई जाँघें!’
इनके सामने सुगंधा की हल्की साँवली जाँघें तो कुछ भी नहीं हैं।
हे कामदेव आज के बाद अगर नेहा मुझे यों ही मिलती रही तो मैं सुगंधा के बारे में सोचूँगा भी नहीं।
मैंने उसे बेड पर अच्छी तरह से लिटा दिया। अब उसके बदन पर सिर्फ़ जॉकी की पैंटी थी जो उसकी गदराई हुई जाँघों पर कयामत लग रही थी और पैंटी के ठीक बीच में उसकी योनि फूल कर कुप्पा हो गई थी।
हे कामदेव इतनी फूली हुई योनि! धन्यवाद, बहुत बहुत धन्यवाद।
मैंने उसकी जाँघों को चूमना शुरू किया। गोरी, चिकनी, बेदाग अनछुई जाँघें मेरे हर चुम्बन पर सिहर उठतीं थीं।
मैं चुम्बन लेते लेते धीरे धीरे ऊपर आया। उसकी योनि को पैंटी के ऊपर से मैंने चूमा तो उसके पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई। मैंने उसकी पैंटी के इलास्टिक में अपनी उँगलियाँ फँसाईं तो उसने मेरे हाथ पकड़ लिए।
वो बोली- आप तो कह रहे थे कि सिर्फ़ चूमेंगे।’
मैंने कहा- ठीक कह रहा था। लेकिन मुझे तुम्हारी नग्न योनि को चूमना है।’
उसने मेरे हाथ छोड़ दिए। मैंने उसकी पैंटी नीचे खींची। उसकी योनि पर बाल ही नहीं थे। मैं दंग रह गया। हे कामदेव ऐसी योनि भी होती है क्या जिस पर बाल ही न हों।
मैंने उसे चूम लिया। वो पूरी तरह सिहर उठी। मैंने उसकी योनि के बीचोबीच बनी पतली सी दरार पर अपनी जीभ रखी। उसकी टाँगें काँप उठीं। अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसकी योनि पर अपनी जीभ फिराना शुरू कर दिया। उसका जिस्म काँपना शुरू हो गया। उसकी योनि मेरी लार और उसके योनिरस से गीली होने लगी।
मैंने उसकी टाँगें फैला दीं। उसने कोई विरोध नहीं किया अब मेरी जीभ थोड़ा थोड़ा उसकी दरार में भी उतर रही थी। बिना बालों वाली कुँवारी योनि को चूसने से बड़ा सुख दुनिया में और कहीं नहीं। मैंने उसकी टाँगे और फैला दीं फिर मैं उसकी जाँघों के बीच इस तरह लेट गया कि मेरा मुँह उसकी योनि पर रहे।
इस बार मैंने अपनी उँगलियों से उसकी योनि की दरार फैला दी। अंदर छोटा सा छेद दिखाई पड़ रहा था। मैं अपनी जीभ उसकी दरार में घुसाने की कोशिश करने लगा। नेहा में अब विरोध करने की ताकत नहीं बची थी। वो अब पूरी तरह मेरी थी।
मेरी जीभ थोड़ा सा अंदर घुसी तो उसने अपने नितम्ब ऊपर उठा दिये। मैंने जीभ और अंदर डालने की कोशिश की मगर थोड़ा और अंदर जाने के बाद जीभ पर योनि का कसाव बहुत ज्यादा हो गया। मैं समझ गया कि और अंदर जीभ डालने के लिए पहले इस छेद की चौड़ाई बढ़ानी होगी।
मैंने जीभ छेद से निकालकर उसकी योनि की भगनासा को चाटने लगा और वो अपने नितम्ब उछालने लगी। उसकी भगनासा भी फूली हुई थी। योनि को चूसते चूसते मैंने अपने हाथ नीचे करके अपना पजामा और अंडरवियर नीचे सरका दिए। फिर मैं उसके ऊपर सरक आया। मैंने उसके होंठ चूमने चाहे तो उसने अपना मुँह घुमा लिया।
मैंने पूछा- क्या हुआ नेहा।’
वो बोली- आपका मुँह गंदा हो गया है।’
हद है यार ये लड़कियाँ भी न एक दिन जिसे गंदा कहकर उसकी तरफ देखना भी नहीं पसंद करतीं बाद में उसी को मुँह में लेकर लालीपॉप की तरह चूसती हैं। हे कामदेव कहाँ से मिट्टी लाकर तू बनाता है लड़कियाँ।
मैं उसके गालों को चूमने लगा। चूमते चूमते मैंने अपनी कमर और ऊपर उठाई। अब मेरा लिंग नेहा की मुलायम योनि पर था। उफ इसकी योनि कितनी गद्देदार है। मैं अपनी कमर हिलाकर अपना लिंग उसकी योनि पर रगड़ने लगा। फिर मैंने अपने हाथ से लिंग को पकड़कर योनि की गीली दरारों से रगड़ रगड़ कर गीला किया।
जब मुझे लगा कि लिंग में पर्याप्त गीलापन आ गया है तो मैंने उसकी योनि के छेद पर अपना लिंग रखा और हल्का सा दबाव बढ़ाया। जल्द ही मेरा लिंग उसकी दरार से गुजरते हुए उसकी गुफा के द्वार पर जाकर अटका। मैं जानता था कि धीरे धीरे डालूँगा तो ये दर्द के मारे मुझे अपने ऊपर से हटा देगी। इसलिए मैंने अपनी पूरी ताकत लगाकर एक जोरदार झटका मारा।
लिंगमुंड आधा ही अंदर गया लेकिन नेहा किसी जिबह होती बकरी की तरह चिल्लाई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ वो सुगंधा की तरह दुबली पतली तो थी नहीं। मोटी भी नहीं थी मगर हट्टी कट्टी थी। उसने मुझे अपने ऊपर से धकेल दिया। उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे वो रोए जा रही थी। मैंने उसकी योनि की तरफ देखा। वहाँ से खून रिसकर कर चादर पर गिर रहा था। मैंने इतना बड़ा लिंग देने के लिए कामदेव को कोसा।
मैंने अपना तौलिया उठाया और उसकी योनि से खून साफ करने लगा। कुछ पलों बाद खून का बहना रुक गया तो मैंने उसकी योनि को फैलाना चाहा। वो फिर दर्द से सिसक उठी। मैं समझ गया कि आगे कुछ करना ठीक नहीं होगा। मगर सुगंधा की योनि में से तो इतना खून नहीं निकला था। ये क्या माज़रा है। मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों और गालों को चूमने लगा।
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ, नेहा?’
वो बोली- बहुत दर्द हो रहा है। लगता है मैं मर जाऊँगी।’
मैंने कहा- आखिर शादी के बाद तो तुम्हें ये सब करना ही होगा। शादी के बाद कैसे करोगी।’
वो बोली- पता नहीं। लेकिन मैं अब कभी सेक्स नहीं करूँगी। बहुत दर्द हो रहा है।’
मैंने कहा- तो फिर मैं क्या करूँ। मेरा क्या होगा नेहा।’
वो बोली- आप सुगंधा के साथ ही कर लो। मैं नहीं कर सकती।’
मैंने कहा- चलो आज नहीं, अगले रविवार को फिर प्रयास करेंगे।’
वो बोली- नहीं, कभी नहीं।’
मैंने कहा- तो फिर शादी के बाद क्या करोगी। ऐसा करोगी तो शादी की पहली रात को ही तुम्हारा पति तुम्हें तलाक दे देगा।’
वो बोली- तो मैं क्या करूँ।’
मैंने कहा- किसी डॉक्टर को दिखा लो हो सकता है तुम्हारी योनि की मांसपेशियों में कुछ समस्या हो।’
वो बोली- नहीं, मैं क्या कहूँगी डॉक्टर से कि मैं योनि में लिंग घुसवा रही थी और वो नहीं घुस रहा था आप चेक करके बताइए कि क्या समस्या है।’
इस अवस्था में भी मैं हँस पड़ा, मैंने कहा- तो एक काम करता हूँ। सुगंधा तो जान ही चुकी है कि तुम मुझे और उसको संभोग करते हुए देख चुकी हो, मैंने झूठ बोला, अब उसके और मेरे बीच में कोई लाज शर्म तो बची नहीं है। मैं उससे बात करता हूँ। वो जीव विज्ञान की छात्रा है। हो सकता है वो तुम्हारी इस समस्या का कोई समाधान बता सके। नहीं तो तुम्हारी शादी के बाद क्या होगा।’
मैंने उसे डराया। अब शायद वो मुझसे शादी का तो क्या शादी करने के बारे में ही अपना ख्याल बदल चुकी थी।
वो बोली- मेरे बारे में कुछ मत कहिएगा, कह दीजिएगा कि आप की कोई दोस्त है जिसके साथ आप कर रहे थे और यह समस्या आ गई।’
मैंने कहा- चलो ऐसे ही सही। अच्छा अब एक काम करो अपनी आँखें बंद करो।’
वो बोली- क्यूँ?’
मैंने कहा- भरोसा करो और अपनी आँखें बंद करो।’
उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। मेरे दिमाग तेजी से काम कर रहा था। मुझे अपने लिंग को तो किसी भी तरह से शांत करना ही था। मैंने आलमारी में रखी शहद की शीशी उठाई उसमें से शहद अपने लिंग पर लगाया और उससे बोला- मुँह खोलो।’ सुगंधा के इंकार करने के बाद मैंनेहा को धोखे में रखकर अपना लिंग चुसवाना चाहता था। मेरे पास और कोई रास्ता भी नहीं था।
मैं उसकी छातियों पर इस तरह बैठा कि मेरा भार उस पर न पड़े। उसने मुँह खोला हुआ था। मैंने कहा- अगर तुम मुझसे सचमुच प्यार करती हो तो अपनी आँख नहीं खोलोगी।’
उसने और कसकर अपनी आँखें बंद कर लीं।
मैंने अपना शहद लगा लिंगमुंड उसके मुँह में डाल दिया। मैंने अपने पैर उसकी बाहों पर रखे हुए थे ताकि वो अपने हाथ से टटोलकर न देख सके कि मैं उसे क्या चुसवा रहा हूँ।
शहद का स्वाद मिला उसे तो उसने चूसना शुरू कर दिया। मुझे मजा आने लगा। आज पहली बार लिंग चुसवाने का सुख मिल रहा था। मैंने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया अब वो चूस रही थी और मैं अपनी कमर हिला रहा था। अचानक मेरे शरीर में तनाव आया और मेरे लिंग से वीर्य निकल निकल कर उसके मुँह में गिरना शुरू हो गया।
उसने आँखें खोलीं और जो उसने देखा उससे उसके होश उड़ गए। उसने अपना सिर खींचा तो लिंग से निकल रहा वीर्य उसके मुँह पर और उसके मांसल उरोजों पर गिरने लगा।
उसने पूरा जोर लगाकर मुझे अपने ऊपर से ढकेला और बाथरूम की तरफ भागी। बाथरूम से उल्टी करने की आवाजें आने लगीं। बहरहाल मेरा काम हो गया था और नेहा की शुरुआत हो चुकी थी।
अब मुझे सुगंधा और नेहा की मुलाकात करवानी थी ताकि नेहा के मन से लिंग का डर निकाल सकूँ।
मेरा दिमाग आगे की योजना बनाने में व्यस्त हो गया।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments