चूत में केले जैसा टेड़ा लण्ड-1
(Chut Me Kele Jaisa Teda Lund-1)
हैलो मेरा नाम श्याम है.. पर मैं अपने निकनेम यंग हेल्पर से अपनी नेट-फ्रेंड हॉट गर्ल्स से चैट करता हूँ।
वो अपनी चुदाई की कहानियाँ मुझे खुल कर मुझे बताती हैं.. फिर मैं उस चुदाई पर एक कहानी लिखता हूँ.. मेरी सारी कहानियाँ सच पर ही आधारित होती हैं। पाठकगण मेरी इस बात को सच मानें या ना मानें.. यह उन पर निर्भर करता है।
मेरी हॉट और हॉर्नी पाठकों से एक अपील है कि मेरी कहानी पढ़ने से पहले लड़के अपना लण्ड पकड़ लें और लड़कियाँ अपनी चूत में ऊँगली डाल लें.. ताकि कहानी पढ़ने में ज़्यादा मज़ा आ सके और जब कहानी अपने गरम मुकाम पर पहुँचेगी तो लण्ड की मुठ मारने में और लड़कियों को चूत में ऊँगली से चुदास शान्त करने में आसान रहेगा।
जिन लड़कियों को डिल्डो.. मूली.. खीरा या लंबे बैंगन से अपनी गरम और टपकती हुई चूत ठंडी करने का शौक हो.. वो भी जिस चीज़ से चूत ठंडी करती हों.. वो अपनी चूत में पहले से ही फिट कर लें..
एक और अपील.. पूरी कहानी पढ़ने तक कितनी बार चूत या लण्ड झड़ा.. जो लोग मुझको या इस कहानी की चुदक्कड़ हीरोइन को बताएंगे.. उन सबको मेरे दवारा लिखा हुआ सत्य चुदाई कथा संग्रह.. ईमेल किया ज़ाएगा।
दोस्तो, यह कहानी मेरी एक नेट फ्रेंड शिवानी की है जिसने मुझे अपनी चुदाई की दास्तान बताई और मैंने उसे शब्दों में पिरोया है।
आप शिवानी मेम की जुबानी इस कथा का आनन्द लीजिए।
प्रिय पाठको, हैलो.. मैं शिवानी.. राँची से हूँ.. मैं एक केमिस्ट्री की क्वालिफाइड टीचर हूँ। मैं 11वीं और 12वीं क्लास के छात्र-छात्राओं को पढ़ाती हूँ.. मैं चुदाई करना और करवाना नहीं पढ़ाती हूँ.. बाकी सब कुछ पढ़ाती हूँ।
मेरी उम्र 32 साल है.. मेरा रंग गोरा.. बदन लंबा.. मेरी फिगर 34-28-36 की है.. मेरी चूचियों की नोकें नुकीली हैं। जब मैं चलती हूँ.. तो मेरे लंबे बाल मेरे उठे हुए चूतड़ों पर एक सांप की तरह लहराते हैं.. उस वक्त मुझे ऐसा लगता है कि एक काला नाग मेरी गरम गाण्ड में घुसना चाहता हो।
मेरी आँखें.. झील सी गहरी.. किसी हिरनी की तरह मदहोश कर देने वाली हैं.. मेरे जिस्म में सेक्स अपील बहुत ज़्यादा है।
मेरा नाम कुछ भी हो.. पर कॉलेज के समय से ही मज़नूं टाइप के छोकरों ने मेरा नाम ‘चुदक्कड़ शिवि’ रखा हुआ था।
आज मैं शादी-शुदा हूँ और मेरा मायका कोलकाता में है। मेरी शादी आज़ से 4 साल पहले हो गई थी और मैं अपने पति के पास रहने के लिए राँची आ गई। मैं एक हॉट.. बांग्ला माल हूँ.. मैं तुम्हें यहाँ बता दूँ कि बंगाली लड़कियाँ मछली खाने की वजह से बहुत सुंदर और सेक्सी हो ज़ाती हैं।
मैं बहुत कामुक प्रवृत्ति की हूँ। मेरी पहली चुदाई कॉलेज वक्त में ही मुझसे 3 साल छोटे स्टूडेंट ने की थी।
पिछले दस सालों में मैं सैकड़ों बार भिन्न-भिन्न किस्म के लण्डों से चुद चुकी हूँ।
मुझे चोदने वालों की लिस्ट लम्बी है। दोस्तों द्वारा चुदाई.. दोस्तों के दोस्तों द्वारा.. अपने से छोटी उम्र 18 साल के छात्रों द्वारा चुदाई… कई किस्म के लण्डों को… जिनके साइज़ 6 से 9 इंच लंबे और 2-3 इंच मोटा थे.. अपने प्यारे छेद में कम से कम 500-600 बार ले चुकी हूँ।
मेरी प्यारी चूत ने एक से एक काले लण्ड.. एकदम गोरे-चिट्टे लण्ड.. सीधे लण्ड और केलेनुमा घुमावदार लण्डों की विभिन्नता अपने अन्दर चखी हुई है।
लेखक की अपील को ठुकरा नहीं सकती थी.. इसलिए मैं अपनी इस दास्तान को पूरी नंगी बैठकर लिख रही हूँ।
मेरी दो ऊँगलियाँ चूत में हैं।
मैं कहानी के अंत में बताऊँगी कि कहानी लिखते हुए मैंने अपनी चूत में कितनी बार ऊँगली से चूत की रगड़ाई की है।
प्रिय पाठकों आप भी शरमाएँ नहीं… सच लिखना कि इस कहानी को पढ़ते हुए कितनी बार अपना लण्ड या चूत को झाड़ा है।
मैं जो कहानी बताने ज़ा रही हूँ.. वो बिल्कुल सच है..
यह मेरे शादी से पहले की घटना है.. जो मेरे साथ तब हुई.. जब मैं राँची में 11वीं और 12वीं क्लास की टीचर थी।
वहाँ स्कूल में कुछ बदमाश किस्म के स्टूडेंट्स का एक ग्रुप था.. जो मुझे किसी न किसी बहाने तंग करता रहता था। जिनमें से एक अमन भी था.. वो एक बहुत अच्छा.. सुंदर और स्मार्ट ब्वॉय था.. पर पढ़ने-लिखने में बिल्कुल निकम्मा था। जब भी मैं उसके सामने आती.. तो उसकी निगाहें हमेशा मेरी नाभि या मम्मों पर ही रहती थीं।
वो मेरी मटकती हुए गाण्ड को भी बहुत कामुक निगाहों से देखता था और धीमे स्वर में गंदे कमेंट्स भी देता था।
एक दिन तो हद ही हो गई.. मैं स्कूल में सीढ़ियों से उतर रही थी.. मैंने एक बहुत ही सुन्दर वायल की साड़ी पहनी हुई थी.. जो कुछ ज्यादा ही फूली हुई थी। तब अमन और उसकी गैंग नीचे खड़ी थी। राज ने शायद नीचे से मेरी टाँगों और पैन्टी के दर्शन कर लिए थे।
मेरी टाँगों पर कुछ ज्यादा बाल हैं.. तो उसने मेरी तरफ देखते हुए कमेंट्स किया कि लड़कों को फ्रेंच दाड़ी और गर्ल्स को एनफ्रेंच (हेयर रिमूविंग क्रीम) बहुत शोभा देती है..
मैं खून का घूँट पीकर रह गई.. नहीं तो मेरा मन था कि उस कुत्ते के बच्चे को अभी स्कूल से सस्पेंड करवा दूँ.. पर यदि मैं इस बात को प्रिन्सिपल तक पहुँचाती.. तो इसमें मेरी भी बदनामी होती.. इसलिए मैं चुप रह गई।
फिर कोई एक महीने बाद हमारे स्कूल का टूर दार्जिलिंग गया.. जिसमें 12 लड़के और 5 लड़कियाँ थीं.. साथ में एक मेल टीचर और मैं अकेली फीमेल टीचर थी।
वहाँ हम एक होटल में रुके। लड़कों और लड़कियों को अलग-अलग कमरों में ठहरा दिया गया और मेल टीचर को एक कमरा और मुझे एक कमरा ठहरने के लिए मिल गया।
पहले दिन हम वहाँ लोकल साइट सीईंग के लिए पहाड़ों पर घूमने गए.. तो वापिसी में बहुत अधिक थक जाने के कारण मेरे पाँवों में बहुत जोर का दर्द और मोच भी आ गई थी। मैं बहुत दर्द वाला सूजा हुआ पाँव लेकर होटल वापिस पहुँची थी।
मेरे पाँव की गरम पानी से सिकाई की गई और वोलिनी क्रीम लगाकर मैं सो गई।
सुबह उठी तो पाँव में दर्द और भी ज्यादा था। मैंने अपने साथ के मेल टीचर और स्टूडेंट्स को कह दिया कि मैं आज़ घूमने नहीं ज़ा पाऊँगी..
सब लोग तैयार होकर चले गए.. मैं कोई 9 बजे नहाने के लिए बाथरूम में गई।
नहाते हुए मुझे महसूस हुआ कि बाथरूम की खिड़की से मुझे कोई देख रहा है। मैंने झाँक कर कई बार देखा तो मैंने वहाँ किसी को नहीं पाते हुए.. महसूस किया कि शायद खिड़की का परदा हवा से उड़ रहा होगा।
मैं बिंदास रगड़ रगड़ कर नहाने लगी.. होटल के बाथरूम में गरम पानी के फव्वारे ने मेरी गरम चूत की आग बुझाने की बजाए और बढ़ा दी थी।
मैं बाथरूम से नहा कर नंग-धड़ंग निकल आई और कमरे में लगे आईने के सामने खड़ी हो गई.. और तौलिए से अपने गीले बाल पोंछने लगी।
मैं अपनी गदराई हुए जवानी.. मोटे-मोटे गोल भरवां.. नुकीले मम्मों और गोल गाण्ड को घूम-घूम कर आईने में देख रही थी.. साथ में ये गाना भी गुनगुना रही थी- सजना है मुझे.. सजना के लिए..
तभी मुझे महसूस हुआ कि मेरे पीछे कोई खड़ा हुआ है.. मैंने पीछे देखा तो मेरे होश उड़ गए।
मेरे पीछे अमन खड़ा था और मैं पूरी नंग-धड़ंग उसके सामने खड़ी थी.. मैंने अपनी हाथ वाली तौलिए से अपने जिस्म को ढकने की बहुत कोशिश की और उसको बहुत ही गुस्से से कहा- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे कमरे में आने की.. तुम घूमने नहीं गए क्या?
तो वो बोला- मेम मैं तो आपका बाथरूम इस्तेमाल करना चाहता था.. क्योंकि बाहर वाले बाथरूम में पानी नहीं आ रहा है.. मुझे भी बुखार है.. इसलिए मैं भी घूमने नहीं गया हूँ.. और आपने खुद अपने कमरे का दरवाजा बन्द नहीं किया था.. सिर्फ़ उड़का रखा था…
इसके साथ ही उसने मेरे नंगे सेक्सी जिस्म को कामुकता भरी निगाहों से देखा और आगे बढ़ कर मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
उसने मुझे अपनी बाँहों में लेने के साथ ही एकदम से मेरे मुँह, गरदन और कंधों पर बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया।
मैं इस तरह के हमले से कैसे निपटना है सोच ही रही थी कि उसने मुझे पास पड़े हुए बिस्तर पर गिरा दिया और मेरे जिस्म से तौलिए को खींच कर अलग कर दिया।
तो मैंने अपनी नंगे बदन को बेडशीट से ढंकने की कोशिश की.. पर वो मुझसे ज्यादा ताकतवर था.. उसने मेरे जिस्म से बेडशीट भी अलग कर दी…
वो बेतहाशा मेरे सेक्सी जिस्म को चूम रहा था। मैं अपने आप को उससे छुड़ाने की भरसक कोशिश कर रही थी.. और साथ में उसको बहुत गुस्से से डांट भी रही थी- मैं तुम्हें स्कूल से निकलवा दूंगी.. मुझे छोड़ दो.. मैं तुम्हारी टीचर हूँ.. टीचर गुरू समान होता है.. तुम्हें अपने गुरू की इज्जत करनी चाहिए और तुम मेरा चोदन करने पर क्यों आमादा हो.. मैं तुम्हारी कंप्लेंट करूँगी..
मतलब मैंने उसे बहुत डांटा-धमकाया पर इस डांट का.. और न ही मेरी अनुनय-विनय का.. उस पर कोई असर नहीं हो रहा था.. बल्कि मेरी हर डांट पर वो और ज्यादा मतवाला होता ज़ा रहा था।
वो बोले ज़ा रहा था- मेम आप मुझे पागल कर देती हो.. मैं आपका दीवाना हूँ… मेम प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता.. ये बात सिर्फ़ हम दोनों में ही सीक्रेट रहेगी..
उसके लगातार चूमने और मेरे मम्मों को सहलाने से मुझे चुदास तो उठने लगी थी.. पर क्या एक स्टूडेंट से चुदाई करना ठीक रहेगा.. मैं अभी यही सोच रही थी।
मुझे आप सभी पाठकों के ईमेल जरूर चाहिए होंगे ताकि मैं और भी बिंदास होकर अपनी इस दास्तान को आप सभी के सामने लेखक के माध्यम से सुना सकूँ।
कहानी जारी है।
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