मामी की बहन की ग्रुप में चुदाई

(Xxx Porn Act Sex Story)

Xxx पोर्न एक्ट सेक्स स्टोरी में हम 3 भाई मामी की बहन के घर गए तो वहां हम पहले ही उनको और उनकी ननद को चोद कर काण्ड कर चुके थे. इस बार हम तीनों ने कैसे उसे चोदा.

मित्रो, मैं भगवान दास सभी का रिश्तों में चुदाई की कहानी में स्वागत करता हूँ।
सभी खड़े लंडों को नमस्कार और चटकती चूतों को दंडवत प्रणाम!

मैं 24 साल का सांवला सामान्य कद काठी का हूँ।
मुझमें नारी को वश में करने की अद्भुत क्षमता है जो हर जगह मेरी चूत की तलाश पूरी करने में कामयाब होती है।
रिश्तों में चुदाई करना सबसे सुरक्षित और सुगम होता है।

ऐसे ही रिश्तों में चूत चुदाई की एक सत्य घटना के साथ फिर हाजिर हूँ इस Xxx पोर्न एक्ट सेक्स स्टोरी में।

गुजरते पांच साल से अपनी वासना पूरी करन के लिए रिश्तेदारों महिलाएं मेरा इस्तेमाल करती रही है।
किन्तु समय के साथ मैं चूत का जबरदस्त आशिक बन गया।
एक बहुत बड़ी चुदक्कड़ गिरोह बना बैठा और सेक्सजीवन में असंतुष्ट महिलाओ और चुदक्कड़ लड़कियों कैो संतुष्ट कर लेता हूँ।

रिश्तेदारों में शामिल ममेरी बहन अर्चना (24) अपने भाई महंत (21) और सुमंत (19) के साथ संचालन करती।
इसमें फुफेरे भाई दीपक (25) और बहनें रीनामुनी (23) एवं रंजुमुनी (21) के साथ अपने 34-30-36 के गदराए बदन वाली मौसेरी बहन अनुष्का(25), शेयर दलाल की चुदक्कड़ बेगम आयशा (36), मामी की विवाहित बहन शैली (27) और उनकी ननद चेतना (22) के साथ मुहल्लों की असंतुष्ट महिलाओ के साथ कंवारी गोरियां चित्रलेखा, सनाया, कचनार, शहनाज, फातिमा शामिल है।

अभिजात्य परिवार की कभी कोई महिला अपनी काम वासना में असंतुष्ट सहेली या भाभी या दीदी को भी शामिल करा लेती रही इसलिए यहां हर रोज मिलकर कई नई चूत की आग बुझानी होती है जिससे हजारों रुपए महीने का अनुदान प्राप्त कर लेता हूं।

पिछल चुदाई की कहानी
ममेरी बहन की चुदाई उसके सगे भाइयों ने की
में आपने पढ़ा था कि मैं अपनी फुफेरी बहन रीना के रिश्ते की बात लेकर अपने मामी की बहन शैली के घर गया. वहाँ उनकी ननद चेतना का शील भंग कर आया था।

रीना दीदी की धूमधाम से शादी हुए महीना भर बीत गया था।
रीति रिवाज के अनुसार सावन में नए रिश्तेदार के यहां दीपक भाई कलेवर (हरे वस्त्र के साथ फल और मिठाई) के साथ मैं और महंत गया था।

हवेली छोटी किंतु सुंदर एक पोखरा के किनारे स्थित थी.
उसमें दोनों भाई अमरचंद (30) शैली के साथ और करमचंद (28) रीना के साथ एवं एक छोटी चुदक्कड़ बहन चेतना सहित माता-पिता कुल सात सदस्य का खुशहाल परिवार रहता है।
जीजा पास ही शहर में सिंचाई-विभाग में कार्यरत है।

औपचारिक बातचीत के दौरान बुजुर्ग माताजी-पिताजी ने खूब आवभगत की।
जीजा की मम्मी आज ठहरने के लिए बहुत आग्रह कर रही थी इसलिए खुशी जाहिर न करते हुए ठहर गए।

हम लोग पहले तयकर आए थे कि मामी की बहन के साथ मिलकर चेतना को चुदाई का मजा दिलायेंगे।
मैं मन ही मन सोच रहा था कि आज शैली की चूत नसीब हो जाए तो तीनों भाई चोद कर उसकी सूनी कोख आबाद कर जाएंगे।

इसलिए जब से मैं आया था बहुत सावधानी से बातों से कुरेदने में लगा था और शैली राजी भी हो गई।
इसलिए महंत को घर छोड़कर दिन में जीजा के साथ दीपक और मैं सिटी मॉल घूम आए।

इस शहर में हम लोगों ने नोटिस किया कि इस क्षेत्र की लड़कियों की गांड (बट) बड़ी बड़ी होती है।
शहर की नामचीन जगह पर घूमकर शाम ढले हम लोग जीजा के साथ वापस लौट आए।

घर में काफी चहल-पहल हो रही थी।
नई दुल्हन रीना दीदी घर की छोटी बहुत होने के नाते किचन सम्हाल रखी थी जहां हम लोग का मनपसंद बकरा का मीट पक रहा था।
पापाजी हुक्का गुड़गुड़ाते हुए लरजती आवाज में हम लोगों के लिए पानी चना-चबेना लाने को कह रहे थे।

अंधेरा घिरने लगा था.
तभी अमरचंद झूमते हुए एक पोटली लिए महंत के साथ आ धमके।

हम दोनों भाई को गाली देते हुए उन्होंने कहा- बेहनचोदो … यहाँ बैठे क्या कर रहे हो, चलो शाम रंगीन करते हैं।

एक दूसरे का मुंह ताकते हुए दोनों भाई पीछे पीछे ऊपर के हाल में पहुंच गए।

पोटली से रायल स्टैग की बोतल और सोयाबड़ी का चखना निकाल चारों बैठकर जमीन पर मजे लेने लगे।

दो दो पैग हलक से उतर गई तो अमरचंद ने कुछ लड़खड़ाते जबान से आवाज लगाई जो हम तीनों को समझ न आई।

तभी मिनटो में आंधी की तरह शैली आईस क्यूब लिए कमरे में हाजिर हो गई.
लेकिन हम मुस्टंडों को देख ठिठक गई।

शैली को यह रोज झेलना होता है क्योंकि शाम को दारू पीने के बाद कोई घर वाले अमरचंद से बात नहीं करते हैं।
फिर भी शैली नेहरदम मुस्कान लिए घर को सम्हाल रखा है.
और यह अमरचंद शराब में मदहोश छह साल में एक अदद संतानसुख न दे सका।

शैली मुस्कान बिखेरती आईस देकर मुझे अमरचंद को कम पिलाने की इशारे देती चली गई।
मैं पलभर के लिए सोचने लगा कितना मैच्योर हो गई है शैली।

करीब नौ बज गए थे.
अमरचंद का नशा सातवें आसमान पर था.
हम चारों अपना दो बोतल निबटा कर टुन्न थे।

तभी रात के भोजन के लिए मम्मीजी बार-बार बुलावा कर रही थी.
इसलिए दारू पीकर बेहोश अमरचंद को साथ लेकर नीचे उनके कमरे में छोड़ दिया।

फिर दीदी और चेतना ने मिलकर हम तीनों को मीट और चपाती खिलाई।

शैली अपने खसम को सम्हालने में लगी रही।

रीना दीदी ने बताया कि शैली को आज रात तुम्हारे कमरे में ऊपर भेज दूँगी. इसलिए कमरे में जाकर तीनों इंतजार करें।

महंत बार-बार चेतना की चुदाई का आग्रह कर रहा था.
लेकिन दीदी ने साफ मना कर दिया क्योंकि वह बेशक उम्र में बड़ी थी किंतु वह महंत का हब्शी लंड नहीं झेल पाती।

रीना कुछ जरूरी हिदायत चेतना को देकर करमचंद के साथ अपने कमरे में समा गई।

शैली ने चेतना को भाई अमरचंद के कमरे में देखरेख के लिए बंद कर दिया जहां अमरचंद उसे अपनी पत्नी समझकर रात भर चोदते रहे।
हिदायत के अनुसार चेतना भी खुशी खुशी चुदती रही.
यह बाद में पता लगी इसलिए फिर कभी पूरी कहानी लेकर हाज़िर होंगे।

मौका देखकर मैं दीपक और महंत ऊपर कमरे में शैली को लेकर बंद हो गए।

शैली 26 साल की 34-30-36 की मादक काया की एक देशी गदराई माल थीं, उनकी झील जैसी गहरी आंखें, सफेद सुराहीदार गर्दन से सटी बड़ी गोल गोल कठोर चूचियां के नीचे संगमरमर की तरह तराशी हुई गहरी नाभि के नीचे लचकती पतली कमर पर थिरकते गोल गोल गद्देदार चूतड़ों के ‘आह’ क्या कहने थे।
कदली जैसी गुदाज जांघों के बीच फूली हूई ढाई इंच की चिकनी चूत … तिस पर छलकती जवानी लेकर जब वे चलती थीं तो चौड़े चूतड़ हम तीनों लंड की वासना पर कहर बरपा रहे थे।

दूधिया रोशनी में शैली एक दुल्हन लग रही थी।

बारी बारी हम तीन-तीन की गोद में समाते हुए शरमा रही थी।

दीपक की उंगलियां शैली को बेपर्दा कर रही थी और महंत गोद में उठाए दोनों चूचियों का रसपान करने में लगा था.

सामने से मैंने शैली के दोनों पैर हवा में उठा अपने कंधों पर थाम लिए।

मैं चूत पर उंगली फेरने लगा.
उधर दीपक उसके रसीले होठों की जवानी चूस रहा था और सफेद रंग की बड़ी बड़ी चूचियों पर लाल दानों को चूसने से शैली और ज्यादा तड़पने लगी और बुरी तरह कांप रही थी- तेज़ करो … मैं आने वाली हूँ आह … ऐसे ही … और तेज़ हम्म्म्म!
और वे मेरे उंगली को अपनी चूत अन्दर खींचने सी लगी।

मैंने और तेजी से उंगली करना शुरू कर दिया।
कुछ देर के बाद शैली की बड़ा पाव की तरह फूली चूत ने पानी का फव्वारा छोड़ते हुए मेरे हाथ को भिगो दिया।
उनकी चूत पूरी पानी में गीली हो गई।

हम लोगों ने उनको बेड के किनारे पर बैठाया और उनकी चूत में मुंह लगाकर चाटने लगा।
उनको गुदगुदी हो रही थी लेकिन मजा भी आ रहा था।

मैं अंदर तक जीभ घुसाकर शैली की चूत को चाट रहा था।
चूत के नमकीन पानी का स्वाद मेरे मुंह में आ रहा था।

गर्म होकर वह मेरे मुंह को चूत में दबाए महंत का लंड चूस कर तैयार करने लगी।
दीपक अपनी जीभ से शैली के उजले जिस्म को नाप रहा था।

शैली अब फिर से उत्तेजित होकर चूत में लंड गटक जाने को तड़प रही थी।

मैंने पोजीशन बदली और महंत को फनफनाते लंड के साथ चूत चुदाई पर लगा दिया।
मैं अपना लंड तैयार होने के लिए शैली के मुंह में पकड़ा दिया।

महंत एकदम से फनफनाता आठ इंच लम्बा चमचमाता लंड पहले ही रस बहाकर चिकनी और चिपचिपी हो चुकी चूत के मुहाने पर रगड़ने लगा।

चुदाई के लिए बेचैन शैली नीचे से कमर उछाल कर करारा धक्का लगाया और दो-तीन इंच लंड गटक तो लिया लेकिन दर्द से बिलबिला उठी।
महंत भी कहां पीछे रहने वाला था, शैली के दोनों टांगों को अपने कंधों पर रख उसने एक धक्का दे मारा।

महंत का हब्शी लौड़ा रसभरी चूत को फ़ाड़ कर तीन चार इंच और समा गया।
शैली दर्द के मारे चीख मार कर छूटने के लिए लगातार बिलबिलाने लगी.
जबकि अभी आधा ही लंड अन्दर गया था।

महंत कहां बिना चोदे छोड़ने वाला था, इतने दिनों में अहसास हो चुका था कि उसका लंड जरूरत से कुछ ज्यादा ही बड़ा है।
बिना समय गंवाए महंत ने फिर से एक जोरदार झटका लगाकर दर्द में ही दर्द दे दिया और पूरा का पूरा आठ इंच लंड जड़ तक ठोक दिया।

शैली ने दर्द के मारे तड़प कर बिस्तर की चादर नौच डाली और आठ इंच का मूसल लंड गटक कर बेसुध हो गई थीं।
कराहती हुई वे कहने लगीं- उम्म्ह … माई रे … मर गई ईई ईईई … अआहह … दईया फ़ाड़ दिया साले ने मेरी निगोड़ी चूत को … आह उम्म्ह … मुझे छोड़ दो. मैं तुम्हारे लंड नहीं झेल सकती … ईईऊ … अहह … फाड़ दी मेरी कमसिन चूत हाय!

मैंने, दीपक ने लगातार चूचियों को चूसते हुए शैली को ढांढस बंधाया और उन्हें फिर सूखते हलक को राहत के लिए मैंने अपना लंड मुंह में पेल दिया।
गों गों करती कुछ मिनटों में छटपटाती शैली शांत हुईं और क़मर हिला कर चुदाई के लिए मचलने लगीं।

महंत भी सधी रफ्तार में उसे पेलने लगा।
हर धक्के के साथ महंत अपना लंड चूत में जड़ तक धकेलता तो वह कराह उठती थी।
हर बार लंड से धक्का मारने पर वो थोड़ा ऊपर को चिहुंक उठती थी।

आनन्द और दर्द मिश्रित झटकों के साथ दो धधकते जिस्मों के बीच वासना के जंग की शुरूआत हो चुकी थी।

अब शैली कमर उठा कर महंत के हर धक्के का जवाब देने लगी थीं।
गपागप घचाघच घचाघच चुदाई करते हुए महंत चूत की बखिया उधेड़ रहा था और चुदाई का खेल अपने चरम रोमांच पर था।

चुदाई के झटकों से हिलती बड़ी बड़ी चूचियों को दीपक अपने हाथों से संभाल कर बारी बारी से चूस और मसल रहा था।

शैली इतना गर्म हो गई थीं कि महंत के लंड को अपने चूत में दबाए पलट गईं और मुझे अपनी गांड में लंड पेलने को कहने लगी।

महंत नीचे आ गया था तो उसके मोटे लंड के ऊपर घोड़ी की तरह बैठ शैली अपने दोनों हाथ महंत की चौड़ी छाती पर टिका कर पहले की अपेक्षा ज्यादा तेज गति से अपने गद्देदार चौड़े चूतड़ों को पटक रही थीं और चौंतीस इंच की चूचियों की उछाल कर हवा में उड़ रही थी।

कमरे में चुदाई की मधुर आवाज़ फचा फच फच चट की जबरदस्त गूंज रही थी।

दस बारह झटके में शैली की चूत झड़ गई और महंत के ऊपर हांफती हुई औंधे मुँह गिर पड़ीं।

मैंने उनको बेड पर धकेल कर घोड़ी बना दिया और अपने लंड पर चूत से टपकती रस को लगाया और गांड के मुख पर लंड को ऊपर नीचे करते हुए रगड़ने लगा।
जब मैंने पीछे से लौड़ा पेल दिया तो शैली के मुंह से सिसकारियां निकल गई और आईई … उईई … आह्ह … मर गई … करके चिल्लाने लगी।

शायद बहुत समय से शैली ने गांड में कुछ नहीं लिया था।

धीरे धीरे मैंने पूरा लंड अंदर पेलकर उनकी गांड फाड़ना शुरू कर दिया।

ऐसे ही दर्द में छटपटाती बार बार छूटने की कोशिश कर रही थी क्योंकि उनकी चूत में नीचे से महंत का मूसल लंड जकड़ा हुआ था।

मैं एकदम शैली की चौड़ी गुदाज गांड को ऐसे ही पकड़े हुए बीस मिनट तक गांड मारता रहा।
हर धक्के पर नीचे से चूत में महंत का लंड गर्गर्भाशय में समा रहा था जिससे कांप कांप कर तीसरी बार चूत पानी छोड़ती रही.

और मैंने भी तुनक तुनक कर गांड में पिचकारी भर दिया।
दो लंड के बीच पीसती शैली की हालत खराब हुई जा रही थी लेकिन दीपक अपना लंड पर हाथ फेरते हुए मेरे हटते ही शैली की गांड में अपना लंड पेल दिए।

बहुत समय से उतावला महंत यह देखकर दोनों को लिए पलट गया।

अब नीचे दीपक का लंड गांड में फंसा था और शैली बीच में दोनों टांग उपर उठाकर के उपर से महंत का लंड गटक रही थी।

लंड शैली की चूत में अब स्पीड से अंदर बाहर होने लगा।
दो मिनट के बाद शैली को चुदाई में मजा आने लगा।
वे आराम से आह्ह … आह्ह … करते हुए चुदने लगी।

ताल मिलाकर नीचे से दीपक गांड चोद रहा था।

करीब दस मिनट की घनघोर चुदाई के बाद महंत और दीपक दोनों तड़प तड़प कर झड़ रहे थे।

आज महंत के लंड से हारकर भी मानो जीत गई।
शैली आत्मसंतोष से गहरी सांस छोड़ती गांड में नीचे से दीपक का लंड बहुत मनोयोग से चुदाई करवाती हुई अपनी चुदी हुई चूत पर फेरती खुश लग रही थी।

शैली की चूत का पत्तियां मोटा लौड़ा लेने के कारण सूज कर मरी हुई मछली के मुँह की तरह खुली दिख रही थी।

फिर शैली ने रुकने का इशारा किया और आगे सरक कर लंड को अपनी खुल चुकी गांड से पक्क … से बाहर निकलवा लिया।
वह पलट गई और फिर सामने टांगें खोल कर लेट गई।

दीपक ने उनकी टांगें फैलाते हुए लंड को चूत में पेल दिया।
उनकी टांगों ने दीपक की कमर को जकड़ लिया और नीचे खींचकर होंठों को चूसने लगी।

नीचे से लंड पूरी तेजी से चूत में अंदर बाहर हो रहा था क्योंकि महंत का हब्शीलंड गटक कर चूत पूरी तरह से खुल चुकी थी।
लगातार एक घण्टे से उल्ट पलट कर चुद रही शैली अब दीपक से रहम की भीख मांगने लगी।
पहले ही महंत ने बुरी तरह उसकी चूत को रगड़ कर चोद दिया था इसलिए उसकी चूत में जलन होने लगी थी।

दीपक का एक बार झड़ चुका लंड पानी नहीं निकलने तक चुदी हुई चूत की धज्जियां उड़ाता रहा।

दस मिनट बाद दीपक पूरा अपना गर्म लावा चूत में छोड़ दिया।
शैली की चूत का पानी सूख गया था।
पर एक रात में दो लंड का पानी पाकर शैली को एक सुखद अहसास दे रहे थे।

चारों भयंकर चुदाई से थक कर सो गए।

जब नींद खुली आधी रात को तो मैं फिर से शैली की बड़ी बड़ी गोरी चूचियों को चूसने लगा।
शैली जाग गई और एक हाथ से ही धीरे धीरे लौड़ा मुठिया रही थी।
मैं शैली को धीरे धीरे सिर से लेकर पैर तक उलट पुलट कर चूमने लगा।

अब मुझे चूत के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा था इसलिए चूत के मुहाने पर लंड के टोपे का दबाव बनाया और लम्बी सांस लेते हुए एक करारा धक्का दिया.
रातभर चुदाई चूत ने मेरा आधा लंड गटक लिया।

चूत की गर्मी पाकर मैंने फिर से दूसरा झटका मारा और जड़ तक लंड शैली की चूत में समा गया।
अबकी बार उसको दर्द हुआ और वे चीख उठी थी- ओह माई गॉड … आई आई … ईईई मर गई … आह मम्मी … मर गई … पूरा मूसल ठोक दिया!

जब वे शांत हो गई तो मैं लंड बाहर निकाल कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा।
सूजी हुई चूत में लंड जकड़ कर अन्दर बाहर हो रहा था जिससे बहुत मज़ा आ रहा था।

शैली थोड़ी ही देर में अपनी गांड नचा नचा कर चूत चुदवाने लगी.
उसकी चूत से पानी टपक रहा था।

फिर मैंने शैली को घोड़ी बना दिया तो मोटी जांघें और चौड़ी गांड के बीच फूली हुई चूत बाहर निकल आई तो मैंने पीछे से चूत में जड़ तक लंड पेल दिया और चुदाई करने लगा।
झुक कर मैंने उसकी दोनों चूचियों को लगाम की तरह खींच लिया और चूत की ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दीं।
मेरे नीचे पिसती शैली हर धक्के पर कराहती हुई अपनी गांड लंड पर ऐसे धकेल रही थी जैसे आंड समेत पूरा लंड गटक जाएगी।

आधे घंटे तक तक हम दोनों ऐसे ही चुदाई करते रहे फिर तृप्त होकर एक साथ झड़ गए।

दीपक और महंत से भी चुदाई के एक दौर चला जिसमें शैली बुरी तरह जख्मी होकर भी कोख आबाद होने की खुशी से चमकने लगी थी।

अमरचंद ने नशे में अपनी बहन चेतना की शैली समझ कर रातभर चुदाई करी, जिसका अहसास भोर में शैली ने रंगे हाथ कराया।
फिर कभी इस मज़ेदार घटनाक्रम लेकर हाज़िर होंगे।
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धन्यवाद.
भगवान दास
[email protected]

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