परपुरुष से शारीरिक सम्बन्ध- 3

(Xxx Bus Chudai Kahani)

Xxx बस चुदाई कहानी में मैं रात की बस से यात्रा कर रही थी. हालात कुछ ऐसे बने कि मैं 3 मर्दों के बीच अकेली थी. तीनों ही मुझे चोदने के लिए उतावले थे.

दोस्तो, मैं मध्यप्रदेश के भोपाल से काव्या आपको अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग से रूबरू कराने के लिए पुनः हाजिर हूँ.
कहानी के दूसरे भाग
बस में बैठे लड़के को मुठ मारते देखा
में अब तक आपने पढ़ा था कि मुझे चलती बस में आद्विक नाम के लड़के के लंड चूसने की मीठी सजा मिलना शुरू हो गई थी.
बस के कंडक्टर रवि ने मेरे ब्लाउज को खोल कर अलग कर दिया था.

अब आगे Xxx बस चुदाई कहानी:

मेरे ब्लाउज को हटाने के बाद रवि आगे आ गया.
उसने मेरी नाभि को अपनी जीभ से चाटा और मेरी साड़ी को खींचते हुए निकालना शुरू कर दिया.

वह मेरी साड़ी को जितना खींचता, उतनी मैं अपनी जगह पर गोल घूम जाती.
पूरी साड़ी निकालने के बाद उसने साड़ी ब्लाउज के साथ रख दी.

कुछ देर वह रुका रहा.
तो मैंने आंखें खोलीं तो देखा आद्विक टकटकी लगाए मुझे देख रहा था

ड्राइवर अभी भी वैसे ही बस चला रहा था.

फिर अचानक से रवि ने मेरा पेटीकोट का नाड़ा खींच लिया जिससे मेरा पेटीकोट एकदम से नीचे जा गिरा.

मैं जल्दी से नीचे झुकी और पेटीकोट उठाने लगी.
लेकिन रवि ने मुझसे भी ज्यादा तेजी दिखाते हुए पेटीकोट को मेरी टांगों से आज़ाद कर दिया.

रवि ने मुझे पीछे के सीट पर जाने को बोला और मेरे कपड़े लेकर चला गया.
अब मैं चुपचाप ब्रा पैंटी पहने पीछे जाकर बैठ गई.

थोड़ी देर बाद ड्राइवर मगनलाल अन्दर केबिन में दाखिल हुआ.

पहले उसने अन्दर से केबिन लॉक किया, फिर मेरे पास आकर रुक गया.
उसने मुझे देखा और खुद से बोला- बहुत मज़ा आएगा.

अब मगन ने अपने कपड़े पैंट शर्ट बनियान एक एक करके उतारने शुरू कर दिए.

मैंने एक बार उसके चेहरे को देखा.
भरा हुआ चेहरा, बड़ी दाढ़ी मूछें, माथे पर चोट का निशान.
उसका पेट भी थोड़ा सा निकला हुआ था.
वह औसत शरीर वाला था.

लेकिन जैसे ही उसने अपनी चड्डी उतारी, तो मेरी चीख निकलने वाली थी … ऐसा भीमकाय लंड मैंने सामने से पहली बार देखा था.
उसका लंड उससे भी ज्यादा काला था.

उसने अपने हाथ से लंड की चमड़ी पीछे की, तो एक तेज दुर्गंध आई.
उसके लंड से ऐसी गंध आ रही थी, जैसे कई दिन से लंड को साफ ही नहीं किया हो.
लंड के मुँह पर ढेर सारी सफेदी लगी थी.

उसने मुझसे लंड चूसने को बोला तो मैंने मना कर दिया.

तब उसने मेरे बालों को पकड़ा और आद्विक की तरफ इशारा करते हुए कहा- उसका लंड ज्यादा अच्छा था क्या जो मज़े से चूस रही थी?

उसने मेरे हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया.
लंड कम से कम 8 इंच का होगा और मोटाई तो पूछो मत.
मेरी पूरी मुट्ठी में फिट हो चुका था.

मैं भी क्या करती, धीमे से उसकी मुट्ठ मारने लगी.
कुछ देर बाद उसने मेरे हाथ से लंड आजाद करा लिया और मेरे चेहरे पर फिराने लगा.

कभी मेरी आंखों पर लंड फेरता, कभी गालों पर … तो कभी लंड को नाक के पास रख देता.
कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने पूरी ताकत से लंड मेरे मुँह में घुसा दिया और धीमी रफ्तार से आगे पीछे करने लगा.

अपने साथ ऐसा व्यवहार होता देख मुझे खुद से घृणा होने लगी थी लेकिन मैं और कर भी क्या सकती थी … मन मार कर लंड चूसने लगी.
उसने मुझे थोड़ा नीचे झुकाया और मेरी पीठ पर हाथ सहलाने लगा.

उसने मेरी ब्रा की हुक खोल दी.
हुक खुलते ही ब्रा मेरी चूचियों से अलग हो गई.

उसने मुझे खुद से ब्रा उतारने को बोला.
तो मैंने उसका लंड चूसते हुए ब्रा निकाल कर अलग रख दी.

मगन अपने गंदे हाथों से मेरे दूध मींजने लगा, जिससे मेरे दूध गोरे से भूरे होने लगे थे और निप्पल को तो उसने मरोड़ कर लाल कर दिया था.

फिर उसने मुँह से लंड निकाला और मेरी टांगें उठा कर मेरी पैंटी उतार दी.
मैंने झट से अपनी चूत को अपने हाथों से छुपा लिया.

जिससे मगन नाराज हो गया.
उसने मुझसे हाथ हटाने को बोला तो मैंने धीमे से अपना हाथ हटाया.

मेरी पियर्सिंग पर नज़र पड़ते ही मगनलाल ने हैरान होकर पूछा- यह क्या है?

मैंने मरी सी आवाज में कहा- मैंने ये अपने पति को सरप्राइस देने के लिए करवाया है.
इस पर वह बोला- तुम साली आज कल की लड़कियां एक नंबर की छिनाल होती जा रही हो!

अब उसने मेरी दोनों टांगें उठाकर अपने कंधों पर रख लीं और वह नीचे झुक गया.
उसने चूत पर अपनी जीभ लगा दी.

पहले वह चूत को केवल बाहर से चाट रहा था, फ़िर वह चूत की दोनों पंखुड़ियों को अपने होंठों से दबा कर खींचने लगा.

मैं भी उसकी कला के सागर में गोते लगा रही थी.
वासना से मैंने अपनी मुट्ठियों को जोर से बंद कर रखा था लेकिन जैसे ही उसने मेरी पियर्सिंग को मुँह भर कर खींचा तो मुझसे रुका नहीं गया और मैंने अपने हाथों को मगनलाल के बालों में फंसा दिया.

थोड़ी देर चूत चाटने के बाद मगन मुझे अपने साथ लेकर बस की पीछे वाली सीट पर लेट गया.

मेरा मुँह उसके सीने में दबा जा रहा था और सीट इतनी छोटी थी कि बमुश्किल हम दोनों लेट पा रहे थे.

उसने मुझे अपने से जोर से चिपका रखा था लेकिन फिर भी मेरी आधी गांड बाहर लटकी हुई थी.

मगन ने मेरी एक टांग उठा कर अपनी जांघ के ऊपर रख ली.
उसका लंड मेरी चूत के बगल में पड़ा हुआ तुनकी मार रहा था.

वह मेरी गांड को सहलाते हुए कान में धीमे से बोला- शुरू करें?

मेरे मन में आया कह दूं कि अगर मना करूंगी तो क्या मान जाओगे?

उसने एक हाथ नीचे किया और लंड को सीधा करके चूत के मुँह पर रख दिया.
फिर उसने पीठ पर एक हाथ लगाया और नीचे से दम लगाने लगा.

अभी उसके लंड का सुपारा ही अन्दर गया होगा कि मेरे चेहरे की रंगत बदलने लगी.
मेरा चेहरा गर्म होने लगा … आंखों में आंसू और कान लाल होने लगे थे.

लेकिन वह नहीं माना, वैसे ही लगा रहा.

धीमे धीमे उसने चार इंच लंड अन्दर कर दिया था.

अब मेरी चूत में दर्द होने लगा था.
तो मैंने उससे कहा- अब रुक जाओ, मैं और नहीं सह सकती. तुम्हारा बहुत मोटा है!

इस पर वह इठला कर बोला- ओफो … तुम लड़कियों के यही नखरे होते हैं, जरा सा मोटा लंड मिला नहीं कि तुरंत मना करने लगती हो. थोड़ा साथ दो … देखो कैसे मज़ा दिलाता हूं तुमको!
इतना बोलते ही उसने एक कड़क धक्के से अपना लंड जरा सा और अन्दर कर दिया.

फिर वह रुक गया और मेरे गालों पर कानों पर गर्दन पर चूमने लगा.
उसने मेरे एक दूध को दबाते हुए मेरे होंठ पर होंठ रख दिए और चूमने लगा.

उसकी मोटी मोटी मूछें मुझे होंठों के पास चुभ रही थीं.

उसने उतने ही लंड से मुझे चोदना शुरू कर दिया.
वह मुझ बड़े प्यार से चोद रहा था.

शुरू में कुछ खास असर नहीं हुआ लेकिन एक लंबे अंतराल के बाद चुदाई होने से मैं वासना की तरफ बढ़ने लगी और मेरी चूत ने आने वाले समय के लिए अभी से तैयारी कर दी.

शुरू में चूत से थोड़ी सी चिकनाई आ रही थी लेकिन अब चूत ने भर भर के सफ़ेद द्रव्य उगलना शुरू कर दिया था जिससे फच्च फच्छ आवाज आ रही थी.

जब मगनलाल ने देखा कि मैं भी मूड में आने लगी हूं तो उसने अपने होंठ अलग किए और पूछा- पूरा आ जाऊं मेरी जान!

उसने इतने प्यार से पूछा कि एक बार को लगा कि मेरे पति ही मेरे साथ चुदाई कर रहे हैं.
इसलिए मैंने भी बिना होंठ खोले बस ‘हम्म्म’ कर दिया.

वह थोड़ा नीचे को झुका और दमदार धक्के से पूरा लंड मेरी चूत में अन्दर तक पिरो दिया.

धक्का लगते ही मेरा मुँह एक तेज चीख के साथ खुल गया और मैं दहाड़ मार कर रोने लगी.

मेरा पूरा बदन बुरी तरह कांप रहा था, ऐसा लग रहा था मानी कोई गर्म सरिया चूत में भौंक दिया गया हो.

Xxx बस चुदाई से आंखों के सामने अंधेरा छा गया और मैं जोर से झड़ती हुई बेहोश हो गई.
कुछ देर बाद मैंने आंख खोल कर देखा तो मगनलाल मेरी एक चूची को पीते हुए मेरी बांह और पीठ को सहला रहा था.

मेरे होश में आते ही मगन बोला- तुम सच में बहुत मस्त हो, तुम्हारी जैसी चूत और तुम्हारे जैसी लड़की रोज़ नहीं मिलती. नीचे हाथ लगा कर देख ले, पूरा लंड अन्दर कर दिया.

उसने यह बात ऐसे घमंड से बोली जैसे माउंट एवरेस्ट फतह किया हो.

मैंने नीचे हाथ लगा कर चैक किया तो सच में पूरा लंड अन्दर था.
मुझे ख़ुद पर यकीन ही नहीं हुआ कि मेरी नन्हीं सी चूत इतना भीमकाय लंड भी खा सकती है.

अब वह नीचे कमर चलाते हुए धक्के लगाने लगा.
शुरू में वह इतने प्यार से धक्के लगा रहा था कि पूछो ही मत.

वह कभी पूरा लंड बाहर निकालता, कभी आधे लंड से खेलने लगता तो कभी केवल सुपाडरे को चूत में फंसा कर आगे पीछे करता.
उसकी इस कला पर मुझे प्यार आने लगा था इसलिए मैं चोरी से बीच–बीच में उसके सीने पर चुंबन कर लेती.

पता नहीं उसने इस बात पर ध्यान दिया या नहीं.
मगनलाल ने एक हाथ उठा कर मेरी गांड पर रख दिया और सहलाते हुए छेद की तरफ बढ़ने लगा.

कभी वह चूतड़ पर चिकोटी काटता, कभी अपनी छोटी उंगली को गांड के छेद घुमाने लगता.
वासना की दोहरी मार से मैं पागल होती जा रही थी.

बहुत देर से एक आसन में चुदाई करके वह बोर हो गया था इसलिए उसने पोजीशन बदलने के लिए चुदाई रोक दी.

उसने मुझसे खड़ा होने को बोला.
जैसे ही खड़ी होकर मुड़ी, तो मेरी आंखें आद्विक से लड़ गईं.

वह अपनी सीट से उठ कर मुझे चुदते हुए देख रहा था और शर्म से मेरी आंखें झुक गई थीं.

इतने में मगनलाल ने मेरी कलाई पकड़ कर मुझे खींचा.
तो मैं धम्म से उसके पास बैठ गई.

उसने मेरे सर पर दबाव बनाते हुए मुझे अपने साथ लिटा लिया.

मगन ने मेरी एक टांग उठाई और वापस से लंड एक बार में घुसा कर चुदाई शुरू कर दी.

अबकी बार वह शुरू से ही ताबड़तोड़ चोद रहा था.
फ़िर उसने एक हाथ मेरी चूत पर रख दिया और सहलाने लगा.

उसने मेरी पियर्सिंग में लगे लोहे के मोती को थोड़ा नीचे दबा दिया, जिससे वह मोती उसके लंड से रगड़ते हुए आगे पीछे होने लगा.

शुरू में हम दोनों को इससे मज़ा आने लगा और मैं आद्विक को देखते हुए मस्त चुदने लगी.
फिर जैसे ही मगन ने पियर्सिंग पर थोड़ा और दबाव डाला, तो मुझे ऐसा लगा कि क्लिट अभी फट जाएगी.

मैंने दर्द से चीखते हुए उसे पकड़ ढीली करने को बोला.
जिस पर वह नाराज़ हो गया लेकिन उसने ढीली कर दी.

अब उसके धक्के और विराट हो गए थे शायद वह अपने अंतिम बिंदु की ओर बढ़ चला था.
इसलिए उसने फिर मेरी जांघ से मेरी टांग उठा ली.

अब मेरे मुँह आह्ह्ह आह जैसी दर्द भरी टीस निकलने लगी थी.
उसके लगातार धक्कों से मेरी चूत में जलन होने लगी थी.

ऐसा लग रहा था कि जैसे चूत अन्दर से और गहरी हो गई हो.

मैंने उससे मिन्नत की- अब मुझे छोड़ दो.
लेकिन वह और जोर लगाने लगा.
अब उसका सुपारा मेरी बच्चेदानी के मुँह पर ठोकर मार रहा था.

वह बस हम्म्मम हम्म्म्म करके चोद रहा था जबकि पूरी बस में मेरी चीख सुनाई दे रही थी- आह मां बचा लो … प्लीज़ मुझे छोड़ दो … मैं मर जाऊंगी उम्मम्म!
परंतु वह कमीना वैसे ही लगा रहा.

अंत में उसने मेरी जांघ को जोर से पकड़ लिया और गुर्राया- आह ले मेरी रानी … खिला अपनी चूत को मेरे मूसल की रबड़ी … आह बहुत टाइट चूत है. तेरी जैसे कोरी लौंडिया को चोद कर लग रहा है कि तेरा पति अच्छे से तुझे मज़ा नहीं कराता है!

उधर मैं उसकी बात पर बिना ध्यान दिए लगातार रो रही थी.

अचानक उसने मेरे होंठ पर अपने होंठ रख दिए और लंड चूत के अन्दर घुसा कर अपना रस अन्दर छोड़ने लगा.

उसकी गर्मी को मैं बर्दाश्त नहीं कर पायी और उसके साथ फिर से झड़ने लगी.

वह इतना ज्यादा वीर्य उगल रहा था कि मेरी पूरी चूत लबालब भर चुकी थी.
लेकिन अभी उसके लंड से वीर्य आना बंद नहीं हुआ था तो मेरा और उसका मिश्रित रस सीट पर गिरने लगा था.

कुछ देर बाद उसने मेरी टांग धीरे से नीचे रख दी और उसने चुंबन करना बंद कर दिया था.
लेकिन मैं अभी भी मगनलाल की वासना में अंधी उससे अभी भी कस कर चिपकी हुई थी.

जब लंड पूरा रस उगल चुका था तो उसने हाथ से पकड़ कर लंड चूत से निकाला.

पसीने से हम दोनों का बदन भीग चुका था. रह रह कर चूत खुल और बंद हो रही थी.
शायद पुनः जैसी स्थिति में आने की कोशिश कर रही हो.

मगनलाल ने मुझे खड़े होने को बोला.
मैं जैसे ही खड़ी हुई तो मेरी चूत से ढेर सारा माल़ फर्श पर गिर गया.

मैंने बगल में देखा तो मेरी कई सारी चूड़ियां टूट कर सीट पर बिखर गई थीं.
कुछ तो मगन की छाती में भी चुभ गई थीं लेकिन फिर भी वह मुस्कुरा रहा था.

उसने मेरी पैंटी उठाई और अपना लंड पौंछा, फिर मेरी चूत भी पौंछी और मेरे गाल पर चुंबन करके चला गया.
जाते जाते उसने न जाने आद्विक से क्या कहा, मैं समझ ही न पाई.

मैं सीट पर बैठे गई और गोद में सिर रख कर सोचने लगी कि यह मैंने क्या किया.
क्या मैंने अभी अभी अपने पति को धोखा दिया.
एक परपुरुष से संबंध बनाए हैं … वह ऐसा पुरुष जिसकी उम्र लगभग मेरे पिता के बराबर ही है. कहीं मैं इस सबसे मां न बन जाऊं!

अभी कुछ देर ही हुई थी कि मुझे लगा कि जैसे कोई मेरी चूत को सहला रहा है.

मैंने नीचे देखा.
तो आद्विक नंगा मेरी चूत सहला रहा था.

मैंने उठना चाहा लेकिन उसने मेरी जांघों पर दबाव बनाते हुए न केवल मुझे वापस से बैठा दिया बल्कि मेरी दोनों टांगें अपनी छाती पर रख कर मुझे खींच लिया.

उसकी इस हरकत से मेरी टांगें फोल्ड हो गईं और चूत आद्विक के मुँह के करीब हो गई.

पहले तो वह चूत की खुशबू लेता रहा … फिर उसने जीभ से मेरी पियर्सिंग को मुँह में भर लिया.

अब वह जोर से खींच कर मेरे दाने को पीने लगा.

मैंने उसके सिर बहुत धकेलने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माना और वैसे ही चूसता रहा.

उसे तो शायद इस बात से भी फर्क नहीं था कि अभी भी चूत में मगनलाल का माल भरा हुआ है.
उसने हाथ ऊपर करके मेरी दोनों दूध पकड़ लिए दबाने लगा.

थोड़ी देर में मैं फिर से वासना की गिरफ्त में जाने लगी थी.
दोस्तो, मोटे भीमकाय लंड से चुदवाने के बाद मेरी चुत की आग कुछ ही देर के लिए ठंडी हुई थी मगर दूसरे लंड के चुत पुनः भड़कने लगी थी.

चलती बस में एक औरत के साथ तीन मर्दों से Xxx बस चुदाई कहानी में आपको कितना मजा आ रहा है, प्लीज मुझे जरूर बताएं
आपको अभी आगे और भी रस मिलेगा, प्लीज मेरे साथ बने रहें.
[email protected]

Xxx बस चुदाई कहानी का अगला भाग: परपुरुष से शारीरिक सम्बन्ध- 4

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top