दो मस्त कामवालियों को एक साथ चोदा- 2
(Village Sex Ki Kahani)
विलेज सेक्स की कहानी में पढ़ें कि मैं गाँव में दो चूतों को एक साथ पटा रहा था. दोनों चुदक्कड़ थी तो कोई मुश्किल नहीं थी. मैंने उन दोनों को पहली बार ही एक साथ चोदा.
दोस्तो, मैं अंकित पटेल एक बार पुन: आपके सामने अपनी विलेज सेक्स की कहानी के साथ हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
जवान पड़ोसन को पूरी नंगी देखा
में मैं आपको अपने घर की दो कामवालियों की चुत चुदाई की कहानी सुना रहा था. अब तक आपने पढ़ा था कि मेरे खेतों में काम करने वाली मदमस्त हफ्ज़ा मेरे घर की पुताई करने आई थी. वो सीढ़ी पर खड़ी थी और मैं बाथरूम में नंगा नहा रहा था और अपना लंड सहला रहा था.
अब आगे विलेज सेक्स की कहानी:
मैं बाथरूम में नंगा नहा रहा था और वो पुताई करती हुई मुझे ऊपर से देख रही थी.
उसने मुझे नहाते हुए देखा, तो वो मेरे गठीले बदन को देखकर अपने होंठों पर जीभ फेरने लगी.
मैंने ये बात नोटिस कर ली.
वो मेरे नंगे जिस्म को बहुत समय तक निहारती रही थी.
इससे मुझे पता चल गया था कि ये मेरे लंड का शिकार बनने वाली है.
अब अगले दिन मैं दीवाली के लिए शॉपिंग करने गया था.
तभी मुझे एक तरकीब सूझी कि क्यों ना मैं अपनी चुदक्कड़ रेखा के लिए ब्रा पैंटी ले जाऊं. बेचारी की एक ब्रा पैंटी मैंने चुरा ली थी.
मैंने उसके लिए 5 जोड़ी अलग अलग डिज़ाइन की सिंगल स्ट्रिंग थोंग ले ली थीं और उसको पैक करा दिया.
अपने लिए भी मैंने कपड़े ले लिए और वापस घर आ गया.
अगले दिन जब रेखा हमारे घर काम करने आई, तब मैं उसके घर जाकर चुपके से वो ब्रा और पैंटी उसके रूम में छोड़कर आ गया. उसमें एक चिट्ठी भी छोड़ दी.
उसमें मैंने लिखा:
बेबी, आपके लिए ब्रा और पैंटी मेरे तरफ से तोहफा हैं. मैंने तुम्हारी जो ब्रा और पैंटी चुरा ली थी, ये उसके एवज में हैं. उसको मैंने भी रख दिया है और उसमें मैंने अपना वीर्य डाल दिया है, तुम चाट लेना. यदि तुमको मेरे बारे में जानना है, तो यही पास में मेरे लिए एक चिट्ठी छोड़ देना और मेरा लंड लेना चाहती हो, तो यहां पर अपनी वीर्य वाली पैंटी रख देना और मुझे देखने मत आना. तुम्हारी चुदाई आने वाले कुछ दिनों में होगी. तुम्हें ये सभी सैट कैसे लगे, जो मैं लाया हूँ, वो मुझे बताना.
तुम्हारा आशिक.
अगले दिन मुझे सब चीज़ ओके मिल गईं और तय हो गया कि रेखा की चुत की चुदाई का आनन्द भी मिलने वाला था.
मगर मुझे क्या पता था कि मेरे लंड का नसीब जागने वाला है और मुझे एक साथ दो चुत का मजा मुझे मिलने वाला है.
दीवाली के त्यौहार के अगले दिन मम्मी पापा ने हफ्ज़ा और रेखा को खाने पर बुलाया.
हफ्ज़ा आ गई लेकिन रेखा नहीं आई.
जब मैं उसको बुलाने गया, तब देखा कि रेखा अपने बिस्तर पर नंगी सोई थी.
मैं जब भी उसके घर जाता था तो कभी आवाज नहीं देता था क्योंकि रेखा हमेशा ऐसी ही अवस्था में रहती थी. उसको ऐसे नंगी देखने के लिए मैं हमेशा से ताक में रहता था.
थोड़ी देर तक मैंने रेखा को देखा, फिर आवाज दी.
उसने मेरी आवाज सुनी तो कमरे से ही बोली- हां अंकित, क्या काम है?
मैंने उससे कहा- मां ने आपको खाने पर बुलाया है.
वो मेरे घर आ गई और हफ्ज़ा और रेखा ने साथ में खाना खाया.
फिर रेखा ने कहा- अंकित मेरे घर आना, तुझसे मुझे कुछ काम है.
ये बात हफ्ज़ा ने भी सुन ली.
मैं रेखा के जाते ही उसके पीछे पीछे चला गया.
रेखा मुझे अपने रूम के अन्दर ले गयी और पूछने लगी- मैं तुम्हें कैसी लगती हूँ?
मैंने कहा- अच्छी लगती हो.
उसको मैं सरप्राइज देने वाला था, मगर उसने मुझे ही सरप्राइज दे दिया.
उसने कहा- मेरी ये पैंटी तुम्हारे घर में क्या कर रही थी?
मैंने कहा- मुझे क्या पता बुआ जी?
उसने कहा- ज्यादा बनो मत, तुम मुझे चोदना चाहते हो?
मैंने उससे कहा- ऐसा नहीं है.
वो मेरे करीब आई और बोली- बेबी डरो मत … मैं भी तुमसे कब से चुदना चाहती हूँ.
बस फिर क्या था … मैं तो रेखा के होंठों को अपने होंठों में दबाकर चूमने लगा.
चुदाई की इस आनन फानन में हम दोनों दरवाजा बंद करना भूल गए थे.
इसी बीच हफ्ज़ा आ टपकी और एकदम से रूम में घुस आई.
उसे देखकर मैं और रेखा एकदम धक से रह गए.
हफ्ज़ा बोली- हायल्ला … तुम दोनों ये क्या कर रहे हो?
मैं और रेखा चुप थे.
फिर हफ्ज़ा गुस्से में बोली- चल रे कुतिया छिनाल, तेरी करतूत मैं इसकी मां को बताती हूँ.
रेखा भी बोली- तू भी ज्यादा सती सावित्री मत बन, उस दिन अंकित नहा रहा था, तो उसके बदन को कैसे देख रही थी!
मुझे दोनों तरफ से समस्या हो गयी.
मैंने वहां से खिसकने का सोचा लेकिन जैसे ही मैं खिसक रहा था, हफ्ज़ा ने मुझे पकड़ लिया.
उन दोनों में बहुत बहस होने लगी थी.
तभी गलती से हफ्ज़ा के मुँह से निकल गया- तू मेरे माल को खा रही है.
मैंने ये बात पकड़ ली. मैंने उन दोनों को शांत कराया और कहा- देखो मैं आज तुम दोनों को कुछ दिखाता हूँ. उससे तुम दोनों को समझ आ जाएगा कि मैं दोनों को एक साथ चोद सकता हूँ.
मैंने मोबाइल एक पोर्न मूवी चालू की, जिसमें एक लड़का दो औरतों को बारी बारी से चोद रहा था.
ये देखकर उन दोनों की वासना जाग गयी.
दोनों ही मुझसे चिपक गईं और मेरे बदन पर किस करने लगीं और मेरे बदन को चूसने चाटने लगीं. दोनों ही मेरे होंठों को प्यार से चूम रही थीं.
अब मेरी बारी थी.
मैंने उन दोनों को पहले अलग किया और कहा- मेरी चुदक्कड़ रानियो, तुम दोनों कभी भी लड़ाई मत करना. मैं तो तुम दोनों को ही चोदना चाहता था. जब से मैंने हफ्ज़ा को देखा है और इसके बारे में सुना है तब से इसकी चुत में अपना लंड पेलना चाहता था. और रेखा को तो मैंने उस दिन नंगी होकर अपने चुचों और चूत से खेलते देखा था. तब से मन बना लिया था कि इसकी चुत में अपना लंड जरूर पेलूंगा. रेखा मैं जिस दिन तुम्हारी मां से मिलने आया था उसी दिन तुम्हें नंगी देखा था और तभी से तुम्हें पसंद करने लगा था.
रेखा मेरी बात सुनकर मुझे चूमने लगी और मेरे लंड को सहलाने लगी.
मैंने उससे कहा- उस दिन तुझे नंगी देखकर तो मजा ही आ गया था और तुम्हारे लिए ही वो सब पैंटी ब्रा मैं ही लाया था. दूसरी बात ये कि आज के बाद तुम दोनों किसी और से नहीं चुदना, केवल मेरी रखैल बन कर रहना.
वो दोनों राजी हो गईं.
अब मैंने उन दोनों से कहा- तुम दोनों एक दूसरे को किस करो और मैं अपना काम करता हूँ. मैं तुम दोनों के जिस्म के हर अंग को चूमूंगा.
वे दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगीं.
मैं उनके पैरों की तरफ आकर उनके पैरों से उन्हें चूमते हुए ऊपर को बढ़ने लगा.
हफ्ज़ा कहने लगी- ये क्या कर रहे हो जानू?
मैंने कहा- तुम दोनों ने पोर्न मूवी नहीं देखी, सेक्स का मतलब ये नहीं होता कि पेला और माल निकाल कर खेल खत्म कर दिया. सेक्स में तो पूरा मजा आना चाहिए. अब तुम दोनों अपने अपने कपड़े निकालो और मेरे लंड को चूसो.
वो दोनों मेरे सेक्स के ज्ञान को सुनकर खुश हो गईं.
हफ्ज़ा ने तो अभी तक गांव के मर्दों से झाड़ियों में अपनी साड़ी उठाकर चुत में लंड लिया था. उसे चूमाचाटी का अहसास हुआ ही नहीं था.
मैंने उन दोनों को लिटाया और उनकी साड़ी के ऊपर से ही उनकी जांघों को चूमने लगा.
फिर मैंने हफ्ज़ा 38 इंच के चुचों को पकड़कर उसे अपनी ओर खींचा और उसके होंठों में अपने होंठ मिलाकर उसे चूमने लगा.
वो भी पूरी मदहोश होकर मेरा साथ देने लगी.
रेखा भी मेरे पीछे आकर मेरे शरीर को सहला रही थी, चूम रही थी.
फिर मैंने हफ्ज़ा को छोड़कर रेखा किस करना सहलाना चालू कर दिया.
अब मैंने धीरे धीरे रेखा के कपड़े उतारे, तो हफ्ज़ा ने भी अपने कपड़े उतार दिए.
हफ्ज़ा ने देखा कि रेखा ने एक थोंग पैंटी पहनी थी, जिसमें वो बहुत ही ज्यादा हॉट लग रही थी.
चूंकि मुझे मालूम था कि रेखा के पास मेरी लाई हुई थोंग पैंटी है तो मुझे भी उसे इस तरह की पैंटी में देख कर उत्तेजना बढ़ने लगी.
मैंने कहा- पूरे कपड़े नहीं निकालो, तुम दोनों सिर्फ ब्रा और पैंटी में ही रहो.
लेकिन हफ्ज़ा पैंटी नहीं पहनती थी तो मैं उसको पेटीकोट में ही रहने को कहा.
अब मैंने उन दोनों से कहा- पहले मैं रेखा की ब्रा पैंटी एक एक करके निकालूंगा और उसकी चूत चाटूंगा. उसके नंगे बदन और उसके गांड के छेद को भी चाटूंगा.
रेखा बोली- छी: … इस सबकी क्या जरूरत है?
मैंने कहा- जान तुमने आज तक चुदाई का असली आनन्द नहीं लिया है. मैं जैसा बोल रहा हूँ, तुम वैसा ही करो. मैं तुम्हारी चुत चाटूंगा और तुम हफ्ज़ा की चुत चाटना. फिर जब मैं हफ्ज़ा की चाटूं, तो हफ्ज़ा तुम्हारी चाटेगी.
वो दोनों समझ नहीं पा रही थीं कि चुत चाटने से मजा कैसे आएगा.
मैंने कहा- मेरा विश्वास रखो. मजा आएगा.
ये कहकर मैंने रेखा होंठों को चूमा और खेल शुरू हो गया.
मेरी योजना के मुताबिक मैंने धीरे धीरे रेखा को पूरी नंगी कर दिया और रेखा ने हफ्ज़ा को.
दोनों ही को नंगी देखकर मेरे लंड की हालत खराब होने लगी.
मैंने बड़े ही प्यार से दोनों के चुचों होंठों और जिस्म को मस्ती से चूसा और चूमा.
फिर मैं रेखा की चूत को अपनी जीभ से कुरेदने लगा और रेखा हफ्ज़ा की चूत को.
हफ्ज़ा भी रेखा के चुचों के साथ खेलने लगी.
उन दोनों के मुँह से तड़प भरी आवाजें निकल रही थीं और पूरे रूम में आनन्द का समागम चल रहा था.
फिर मैंने पोज़ बदला और हफ्ज़ा को चाटने लगा.
इस दौरान दोनों एक बार झड़ गई थीं.
अब उन दोनों ने मुझे नंगा किया और मेरा लंड देखते ही उन दोनों का मुँह खुला का खुला रह गया.
दोनों ने लगभग एक साथ कहा- अरे बाप रे … इतना बड़ा लौड़ा … हमने आज तक नहीं देखा.
मैं मुस्कुरा दिया और दोनों मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगीं, मेरे आंड को चूसने लगीं.
दोनों ने इतना अच्छे से लंड चूसा कि कुछ ही देर में मेरे लंड से फव्वारा निकल गया.
उन दोनों ने मेरा लंडरस सफाचट कर दिया.
फिर उन दोनों ने मेरे लंड को फिर से जगाया और दोनों ही कहने लगीं- अब रहा नहीं जाता, जल्दी से हमारी प्यास बुझा दो अंकित.
मैंने कहा- मैं एक समय में केवल एक को ही चोद सकता हूँ. मगर दूसरी हमें चुदाई करती देखती रहेगी, तो ये उसके साथ अन्याय होगा. इसलिए रेखा तुम एक काम करो, तुम लेट जाओ मैं पहले तुम्हारी चूत में लंड डालूंगा और तुम हफ्ज़ा की चूत चाटना.
ये सुनकर रेखा लेट गई.
मैंने रेखा की चूत में लंड रखा और पेला तो फिसल गया, अन्दर नहीं गया.
ये देख कर हफ्ज़ा आगे आई और उसने अपने थूक से मेरे लंड को गीला कर दिया.
साथ ही उसने रेखा की चूत में अपने थूक से सनी दो उंगलियां घुसा दीं.
हफ्ज़ा ने इशारा किया- अब पेलो.
मैंने अपने लंड को रेखा की चूत टिकाया और जोर का धक्का दे दिया.
मेरा पूरा लंड उसकी चूत को चीरते हुए अन्दर चला गया.
रेखा जोर से चीख पड़ी. वो मुझे अंटशंट बकने लगी- अरे मर माई रे … साले मादरचोद ऐसे कोई लंड डालता है … आंह निकाल मादरचोद.
मैंने उसकी एक नहीं सुनी और उसको धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद साली लंड सटक गई और अब वो भी कमर उठा उठाकर मेरा साथ देने लगी.
उसके मुँह उन्ह आंह गुन्ह गुंग की मस्त आवाज आने लगी.
चूंकि हफ्ज़ा ने अपनी चूत उसके मुँह पर लगा कर चटवाना शुरू कर दिया था तो उसकी खुल कर आवाज नहीं निकल पा रही थी.
उस रूम में चुदाई का गजब माहौल बन गया था.
मगर हम तीनों को क्या पता था कि रेखा की आवाज उनकी मां को इधर बुला देगी.
वो हमें खिड़की से देख रही थी.
वो भी पहली बार ऐसी थ्रीसम चुदाई देखकर पागल हो रही थी क्योंकि मेरी और हफ्ज़ा की नजर जब रेखा की मां पर पड़ी तब वो अपने चूत में उंगली कर रही थी.
रेखा को एक बार झाड़ने के बाद मैंने हफ्ज़ा को ठीक उसी पोजीशन में लिया और उसे चोदना आरम्भ कर दिया.
हफ्ज़ा लंड लेते ही बोली- आंह मर गई … मैं इतनी बड़ी चुदक्कड़ हूँ कि रोज ही किसी ना किसी का लंड लेती हूँ. लेकिन आज पहली बार इतना बड़ा लौड़ा ले रही हूँ. मेरे फैली हुई चूत में भी तुम्हारा लंड एकदम टाइट जा रहा है.
मैं उसको भकाभक चोदे जा रहा था.
वो भी रेखा की गूँ गूँ की आवाज कर रही थी, उसके मुँह में भी रेखा की चुत लगी थी.
दस मिनट बाद हफ्ज़ा भी झड़ गयी.
कुछ देर बाद मैं भी झड़ गया और मैं उन दोनों के बीच में लेट गया.
वो दोनों मेरे लंड को फिर से खड़ा करने के लिए उससे खेलने लगीं.
मैं भी उन दोनों को बड़े प्यार से चूम रहा था.
कुछ देर बाद मैंने फिर से उन दोनों को बारी बारी से हचक कर अलग अलग पोज़ में चोदा.
पूरे रूम में फच फच गच्च गच्च की आवाज आ रही थीं.
मैंने उन दोनों की गांड भी मारी.
वो दोनों मेरे साथ ऐसी ही नंगी सो गई थीं.
मैंने उन दोनों को सांड की तरह चोदा था.
वो दोनों मुझे ये बोलती हुई सो गईं कि आज से पहले हमारी इतनी अच्छी चुदाई नहीं हुई अंकित. अब हम दोनों तुमसे हमेशा ही चुदेंगी.
दो घंटा बाद हम तीनों उठे.
मैं और हफ्ज़ा जाने की तैयारी करने लगे.
उन दोनों ने ऐसे ही नंगे मुझे गले लगाकर चुदाई के लिए धन्यवाद दिया और मेरे होंठों पर किस करके कपड़े पहनने लगीं.
उसी समय रेखा की मां अन्दर आ गई.
वो कहने लगी- ये सब क्या चल रहा था. ये घर है या रंडी खाना.
मैंने कहा- आपको क्या लगता है. लगता है आपको हमारी चुदाई पसंद नहीं आई!
रेखा ने कहा- मां, आपने हम तीनों की चुदाई देखी थी न!
तभी हफ्ज़ा ने भी कहा- हां, इसने देखा भी और अपनी चुत में खूब उंगली भी की.
ये सुनकर रेखा की मां कहने लगी- हां अंकित, तुम्हारे ये घोड़े जैसे लंड का स्वाद मुझे भी लेना है.
मैंने कहा- अब इस उम्र में आप मेरा मूसल लंड सह भी पाओगी, दो तीन बार ही घुसाउंगा, तो आपकी गांड फ़ट जाएगी.
वो बोली- नहीं फटेगी … तुम पेलो.
मैंने रेखा की मां को सच में पेलना चालू कर दिया.
मैंने दो तीन बार ही लंड अन्दर डाला, उतने में ही रेखा की मां कराहने लगी- आंह बहुत बड़ा है … मैं नहीं सह सकती तुम्हारे लंड को … आह बाहर निकाल लो.
मैं समझ गया कि बुढ़िया की चुत इतने में ही झड़ गई है.
मगर अब मेरा लंड कड़क हो गया था.
फिर उन तीनों ने मेरा लंड चूसकर मेरे खड़े लंड को शांत किया और उसके रस को तीनों ने पिया.
उसके बाद मैंने दादी से कहा- देखो दादी, आज से मैं रेखा को रोज चोदने आऊंगा. हो सकता है कि मैं अपनी रातें भी इसी के साथ बिताऊं. इस बेचारी की शादी नहीं हुई, तो इसमें इसकी क्या गलती है. मगर लौड़े की जरूरत तो पड़ती ही है न! इसको भी शारीरिक सुख की जरूरत है. ये कैसे अपनी चुत की आग शांत करेगी! मैंने आपको उस दिन इसे गाली देते हुए सुना था. अब से ये हमेशा मुझसे ही चुदेगी.
उन्होंने कहा- ठीक है बेटा, तुम ठीक कह रहे हो.
इस घटना के बाद मैंने रेखा को जब चाहा, जहां चाहा, खूब चोदा और हफ्ज़ा को भी चोदा.
उन दोनों की जिस्म की खुशबू मुझे बहुत प्रिय थी.
हफ्ज़ा और रेखा के साथ मेरी बहुत सारी घटनाएं हैं. अगर आप लोग चाहेंगे, तो मैं आगे भी उन दोनों के साथ हुई चुदाई की कहानी आगे भी लिखता रहूँगा.
दोस्तो, आपको मेरी ये सच्ची विलेज सेक्स की कहानी कैसी लगी. मेरे ईमेल पर बताएं.
आप लोगों की प्रतिक्रिया का मुझे इंतजार रहेगा.
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