विधवा सहेली की अन्तर्वासना-5
(Vidhwa Saheli ki Antarvasna- Part 5)
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मेरे प्रिय दोस्तो, मैं फिर से हाजिर हूं अपनी सेक्सी कहानी का अगला भाग लेकर।
अभी तक आपने पढ़ा कि मैंने और सुमन ने पंचमढ़ी के होटल के कमरे में चूत और गांड की चुदाई का कितना मजा लिया. और जब हम होटल के रूम से बाहर निकले घूमने के लिए तो किस्मत से मेरा एक दोस्त मुझे मिल गया और हम तीनों के बीच ग्रुप सेक्स करने का प्रोग्राम बना या यूं कहिए इसमें भी किस्मत का ही साथ था।
तो दोस्तो, चलते हैं कहानी में आगे क्या हुआ।
मैं सुमन के गाल को चूम रहा था और हरकेश ने मौके का फायदा उठाते हुए उसके होंठों को चूमना शुरु कर दिया, हरकेश का एक हाथ सुमन की टांगों को सहला रहा था।
सुमन ने भी इस पर कोई विरोध नहीं किया. मतलब वह हम दोनों के साथ चुदाई के लिए तैयार हो चुकी थी, अब हम दोनों सुमन को रात भर चोद सकते थे।
देखते ही देखते हरकेश का हाथ सुमन के दूध पर चला गया और वह दूध को मसलने लगा.
अब तो सुमन भी जोश में आ चुकी थी, उसने मेरी पैंट से मेरा लंड निकाल लिया था और जोर जोर से हिला रही थी.
मैंने देखा कि अभी बोतल में कुछ वाइन बची हुई है। मैंने उन दोनों को रोकते हुए वाइन का पांचवा पेग भी बना लिया और हम सब ने उस पैग को खत्म किया।
अब हम तीनों नशे से चूर हो चुके थे. मैंने तुरंत सभी सामान किनारे कर दिया और सुमन को खींचकर कमरे के बीच में ले आया और एक झटके में उसका गाउन उतार फेंका, वो केवल चड्डी में ही थी क्योंकि उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी.
उसकी बड़ी बड़ी चूची देखकर हरकेश अपने आप को रोक नहीं पाया और सीधा उसके चूचों पर लिपट गया.
मैं भी सुमन के पीछे से उससे लिपट गया और उसके मोटे मोटे चूतड़ों को दोनों हाथों से सहलाते हुए उसकी चड्डी नीचे सरका दी.
वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी। मैंने अपनी चड्डी से लंड निकाल कर सुमन के चूतड़ों की दरार में फंसा दिया और उसकी पीठ को दांतों से काटने लगा।
हरकेश भी उसकी कमर को पकड़ कर उसके चूचों को चूम रहा था। सुमन भी पूरे जोश में आ चुकी थी, उसकी आंखों में नशा और हवस साफ-साफ दिख रही थी. उसके मुंह से आआ आहहह ऊहहह आआओ आहहह निकल रहा था.
धीरे-धीरे मैं और हरकेश भी नंगे हो गए. हम दोनों का लंड देखकर सुमन मन ही मन खुश हो रही थी.
सुमन एक हाथ से मेरा और एक हाथ से हरकेश का लंड पकड़े हुए थी मैंने अपना मुंह आगे करते हुए सुमन के होठों को काटना शुरू कर दिया।
हरकेश उसके दूध को बेइंतहा चूस रहा था.
कुछ ही देर बाद हरकेश ने उसके दोनों पैरों के बीच में अपना हाथ डालते हुए उसे हवा में उठा दिया मैंने भी सहारा देखकर सुमन को बिस्तर पर पटक दिया।
हरकेश तुरंत ही सुमन के दूध के ऊपर बैठ गया अब उसका लंड सुमन के मुंह के एकदम सामने था. सुमन ने उसके लंड को तुरंत अपने मुंह में भर लिया.
मैंने भी सुमन की चूत के पास बैठकर उसकी चूत चाटना शुरु कर दिया.
मैं बीच-बीच में उसकी गदराई हुई मांसल जांघों पर थप्पड़ मारता जा रहा था. कुछ देर में उसकी गोरी जांघें लाल हो गई. हरकेश भी अपना लंड चुसवाते हुए उसके दूध को मसल रहा था।
मैंने अपनी दो उंगलियां उसकी चूत के अंदर डाल दी और जोर जोर से उसे उंगलियों से चोदने लगा. सुमन यह सब बर्दाश्त नहीं कर पाई और झड़ गई। हरकेश का लंड उसके मुंह में था इसलिए उसकी आवाज नहीं निकल रही थी.
कुछ ही देर बाद हरकेश ने अपना पूरा माल सुमन के मुंह में भर दिया. सुमन बिना कुछ सोचे वह माल गटक गई और उसका लंड चूस चूस कर साफ कर दिया.
हरकेश झड़ने के बाद उसके ऊपर से उठा और उसकी जगह मैंने ले ली और अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया.
वो मेरा लंड भी वैसे ही चूसने लगी.
मैं उसके दूध के बिल्कुल ऊपर बैठा हुआ था और अपनी गांड से उसके दूध को रगड़ रहा था.
इस बीच हरकेश बाथरूम गया हुआ था और वहां से वापस आकर वह भी सुमन की चूत चाटने लगा. उसने अपनी एक ऊंगली उसकी गांड के छेद में डाल दी जिसके कारण सुमन उचक गई और मेरा लंड निकाल कर बोली- प्लीज, वहां उंगली मत डालो!
मगर हरकेश उसकी बातों को अनदेखा करते हुए जोर-जोर से गांड में उंगली करने लगा और अपनी जीभ को चूत के छेद में डालकर जीभ से चोदने लगा.
मैंने देखा कि हम दोनों के इस हमले से सुमन का पूरा बदन लाल हो चुका था. वह पसीने पसीने हो चुकी थी.
कुछ ही देर बाद मेरा भी पानी निकला और मैंने भी उसके मुंह में सारा माल भर दिया. सुमन उसे भी बड़े आराम से गटक गई.
हम तीनों ही एक बार झड़ चुके थे।
अब हम दोनों ने फिर से सुमन को कमरे के बीच में ले आए और किसी भूखे कुत्ते की तरह उसके बदन से चिपक गए. वह मचलती रही मगर हम उसके दूध दबाते रहे. वह आहें भरती रही मगर हम उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मारते रहे.
कुछ ही देर में हम दोनों का लंड फिर से खड़ा हो चुका था. इस बार मैं सोफे पर बैठ गया और सुमन घोड़ी बन कर मेरा लंड चूसने लगी उधर हरकेश उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया और अपना लंड उसकी चूत पर लगा कर जोरदार धक्के के साथ पूरा लंड उसकी चूत पर पेल दिया.
सुमन बिल्कुल सहम गई. हरकेश ने दनादन उसकी चुदाई चालू कर दी और सुमन मेरा लंड चूसती रही।
हरकेश इतनी जोर से धक्के लगा रहा था कि सुमन के मुंह के अंदर मेरा लंड अपने आप जा रहा था. उस वक्त सुमन किसी रंडी की तरह चुदवा रही थी।
इस बार ना तो मेरा … और ना ही हरकेश का निकल रहा था क्योंकि हम दोनों पहले ही एक बार झड़ चुके थे.
सुमन भी झड़ने में इस बार समय ले रही थी.
अब मैंने सुमन को अपनी गोद के ऊपर बुलाया और वो भी अपनी टांगें चौड़ी करके मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और सोफे में ही कूद-कूद कर चुदने लगी. पीछे से उसके चूतड़ फैले हुए थे जिसके कारण उसका काला सा छेद बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा था.
और हरकेश ने अपना लंड लगाकर एक बार में ही पूरा लंड उसकी गांड में उतार दिया.
सुमन जोर से चिल्लाई- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मम्मीईई ईईईई नहीईई ईई! नहीं … मत करो … मर जाऊंगी. प्लीज बाहर निकाल लो!
मगर हम दोनों ही नहीं माने और उसे चोदने लगे.
अब दो मूसल जैसे लंड उसकी गांड और चूत में घुसे हुए थे।
उसकी आहें अब चीख में बदल चुकी थी.
पीछे से हरकेश ने कसकर उसके दूध पकड़े हुए थे और मैं उसकी दोनों जांघों को संभाले हुए था।
जब हरकेश धक्के लगाता तो मेरा भी लंड अपने आप चूत में अंदर बाहर होता. मुझे कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ रही थी. एक साथ उसकी चूत और गांड में लंड अंदर बाहर हो रहा था.
वह जोर जोर से चिल्लाए जा रही थी- बस करो … बस करो … बस करो … रहम करो. रहने दो … निकाल लो अपना!
मगर हम दोनों ही अपने धुन में लगे रहे।
कुछ देर बाद हरकेश ने अपना लंड बाहर किया और सुमन को खींचकर बिस्तर के पास खड़ा कर दिया और सामने से उसकी एक टांग उठा ली और सामने से अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया
उसकी टांगें उठी हुई देखकर मैंने भी पीछे से अपना लंड उसकी गांड में लगा दिया और उसके दोनों दूधों को जोर से मसलते हुए उसे चोदने लगा. इस बार मेरी और हरकेश की स्पीड काफी तेज थी और हम दोनों ही जोरदार धक्के लगा रहे थे.
सुमन बहुत चीख रही थी तो हरकेश ने उसका मुंह अपने होठों से बंद कर दिया अब उसके मुंह से केवल मूऊऊऊ ऊऊऊऊऊ ही निकल रहा था।
करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद हरकेश झड़ गया और उसे छोड़ कर बिस्तर पर लेट गया।
मगर मैंने अभी भी उसे नहीं छोड़ा और लगातार दनादन उसके गांड में लंड उतारता रहा. कुछ देर में सुमन की चूत से उसका चूत रस निकल पड़ा.
वह भी झड़ चुकी थी और उसके 1 मिनट के बाद ही मैंने भी अपना माल उसकी गांड में उड़ेल दिया।
1 घंटे तक चली इस चुदाई में हम तीनों ही पस्त हो चुके थे और तीनों बिस्तर पर गिर गए. हम तीनों का नशा फट चुका था।
कुछ देर बाद मैं उठा और कपड़े पहन कर जाने लगा तो हरकेश ने पूछा- कहां जा रहे हो?
मैंने कहा- तुम यहीं रुको, मैं एक बोतल और लेकर आता हूं.
और मैं बाहर निकल गया।
जब मैं कमरे में वापस आया तो वहां का नजारा ही बदला हुआ था. उस वक्त हरकेश बिस्तर पर लेटा हुआ था और सुमन उसके लंड पर कूद रही थी.
मुझे देखकर सुमन उठने लगी मगर मैंने इशारे से उसे रोक दिया और वह मेरे सामने हरकेश के लंड पर कूदती रही.
मैं वहीं पास में बैठ कर तीनों के लिए पैग बनाने लगा.
इतने में हरकेश ने अपना लंड बाहर निकाला और उसकी गांड के छेद में टिका दिया. सुमन ने बिना हिचकिचाये उसका लंड अपनी गांड में घुसा लिया और कमर हिलाते हुए उस पर कूदने लगी. हरकेश उसके दोनों दूध को ऐसे मसल रहा था जैसे पंप में हवा भर रहा हो.
कुछ देर में हरकेश ने सुमन को घोड़ी बना दिया और उसके बालों को पकड़ लिया. फिर लंड को उसकी गांड में घुसा कर उस की जोरदार चुदाई चालू कर दी।
सुमन की आंखें मुझे ही देखे जा रही थी और मैं भी सुमन को ही देख रहा था. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि सुमन सेक्स की इतनी प्यासी होगी. जो कल तक किसी से नहीं मिली थी आज दो-दो लोगों से लंड खा रही थी।
कुछ देर में ही सुमन तीसरी बार झड़ गई और उसके तुरंत बाद हरकेश भी उसकी गांड में ही झड़ गया. वे दोनों ही काफी थक चुके थे.
हरकेश मेरे पास आया और एक ग्लास उठाकर पैग पिया और अपने कपड़े पहनने लगा।
मैंने पूछा- क्या हुआ भाई? कहां चल दिए?
तो उसने कहा- बस भाई, आज के लिए काफी है. अब तुम मजे करो. मुझे इजाजत दो!
और कपड़े पहन कर वह चला गया.
दरवाजा बंद किया मैंने और सोफे पर आकर बैठ गया. सुमन भी मेरे पास आकर बैठ गई और मुझसे चिपक गई.
मैंने एक गिलास उठाया और सुमन को अपने हाथों से पिलाया. कुछ देर बाद मैंने सुमन से पूछा- तुम तो ग्रुप सेक्स के लिए मना कर रही थी. फिर तैयार कैसे हो गई?
तो उसने कहा- पता नहीं कैसे मेरा मन कर गया और मैं अपने आप को रोक नहीं पाई.
मैंने भी कहा- चलो जो हुआ, अच्छा हुआ! तुम को भी एक अलग अनुभव मिला और मुझे भी!
वह मुस्कुराती हुई बोली- अनुभव तो ठीक है. मगर तुम दोनों ने तो मेरी गांड की बैंड बजा दी. बहुत दर्द कर रही है।
मैंने हंसते हुए उसकी टांग उठा कर कहा- दिखाओ?
और उंगली से उसकी गांड के छेद को सहलाते हुए बोला- बाप रे … यह तो आज कली से फूल बन गई है.
और हम दोनों ने अपना पैक खत्म किया, बिस्तर में लेट गए. अब हम दोनों का ही मन बिल्कुल नहीं कर रहा था चुदाई का।
जल्दी हम दोनों को नींद आ गई.
अगले दिन सुबह उठकर हमने अपने सारे कपड़े बैग में पैक किए और जाने से पहले एक आखरी चुदाई की।
और फिर मैंने कार से सुमन को उसके घर पहुंचा दिया।
रास्ते में सुमन ने कहा- जिस चीज की मुझे प्यास थी, तुमने पूरी कर दी. उम्मीद करती हूं कि आगे भी तुम मेरी प्यास बुझाते रहोगे।
मैंने वादा किया कि जब उसे जरूरत होगी मैं हाजिर हो जाऊंगा.
मैंने सुमन के बारे में कभी किसी को नहीं बताया. बस हम दोनों आज भी अपनी हवस मिटाने के लिए कहीं ना कहीं मिलते रहते हैं.
उम्मीद है कि हमारी यह सत्य घटना आप लोगों को पसंद आई होगी।
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