ट्रेन में धकाधक छुकपुक-छुकपुक-4
प्रेषक : जूजा जी
तभी शब्बो बोली- राजा इसकी सील तोड़नी पड़ेगी .. साली की चूत अभी तक पैक है ..!
मेरा लण्ड गनगना गया, जीवन में पहली सील तोड़ने का अवसर था। मैंने नीलू को अपनी तरफ घुमाया और उसके होंठों को अपने होंठों से दबा कर चूसने लगा। मैंने उसको ध्यान से देखा वो एक 20 साल की बछिया थी, बड़े-बड़े नयन, तीखी चितवन, गालों में डिंपल, सुराहीदार गर्दन, यौवन कलश ऐसे जैसे शहद से भरे दो प्याले हों, एकदम तने हुए, घने काले बाल, गाल टमाटर से लाल। मैंने धीरे से उसको खड़ा करके उसकी नंगा कर के देखने की सोची।
हय… चूत को ढकने के लिए एक पतली सी पट्टी-नुमा लंगोटी चिपकी थी, पानी से गीली लग रही थी।
मैंने नीलू की आँखों में झाँका तो वो नशीली आँखों से मानो मुझे कह रही हो कि उतार दो मेरी चड्डी, क्यों देर करते हो? मैंने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चड्डी में फंसाईं और एक झटके में चड्डी घुटने तक आ गई।
सफाचट गुलाबी बुर सामने लिसलिसा रही थी, दाना ऐसे अकड़ रहा था जैसे मेरे लौड़े को जीभ चिड़ा रहा हो। मैंने उसकी बुर को अपनी ऊँगली से टच किया, वो भी गनगना गई साली की बुर प्रीकम से चिपचिपा थी। सो उसने खुद ही अपने पैर फैला दिए और मुझे मूक आमंत्रण दे दिया कि डाल लो ऊँगली। मैंने अपनी ऊँगली को शब्बो के रम के गिलास में डुबोया और उसकी बुर में ठूँस दी और फिर जल्दी से निकाल कर एक बार चूस कर देखी, मजा आ गया रम और रज का मिला-जुला शेक मेरी जुबान को नमकीन रम का मजा दे गया था।
मैंने बार-बार अपनी ऊँगली को रम से भिगो कर ऐसा किया तो शब्बो बोली- अबे चूतिया, ये क्या कर रहा है नीलू को नीचे लेटा और उसकी बुर में रम डाल, फिर चचोर .. देखना मजा आ जाएगा…!
शब्बो की बात में दम थी मैंने नीलू को नीचे लिटाया और उसकी टाँगों को फैला कर बुर की दरार में रम डाली, वो जरा सुरसुराई और फिर मैंने झुक कर उसकी बुर को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। मजा आ गया साली नमकीन रम का स्वाद मिल रहा था। मुझे रम का मजा और नीलू को जीभ के स्पर्श से उत्तेजना का मजा मिल रहा था सो वो लगातार रिस रही थी और मुझे नमकीन रम का नशा चढ़ रहा था। अब नीलू कि तड़फन भी उफान ले रही थी, वो मचल रही थी।
नीलू- और कितनी चाटेगा .. अब क्या चोदना नहीं है?
मैं- मैं तो तेरी जुबान से कुछ सुनना चाहता था मुझे लगा तू गूंगी है .. चल तैयार हो जा रेलवे से सील तुड़ाई का भत्ता लेने को।
नीलू- मतलब ?
“अबे यार जब ट्रेन में कोई बच्चा पैदा होता है तो रेलवे उस बच्चे को आजीवन यात्रा पास देती है अब तू भी क्लेम कर देना कि तेरी सील ट्रेन में टूटी थी सो रेलवे तुमको भी आजीवन ट्रेन में चुदने का पास से देगी हा हा हा ..!”
मेरी बात सुन कर शब्बो और सीमा दोनों हँसने लगीं।
नीलू- साले मसखरी मत कर… लौड़ा डाल.. देख नहीं रहा है मेरी बुर कैसे लपलपा रही है?
मैंने अब देर करना ठीक नहीं समझा और शब्बो की तरफ एक इशारा किया और समझ गई कि नीलू को संभालना है। मैंने अपने लौड़े को अपने ही थूक से चिकना किया और पहले से लिसलिसी बुर की दरार पर लौड़े को टिका कर हल्का सा दबाब दिया.. मेरा सुपारा नीलू की बुर में ऐसे फंस गया गया जैसे कोई रबड़ की सील में पिस्टन का सिरा.. उसकी मुँह से घुटी सी आवाज निकली, “उई,” मैं थोड़ा रुका और नीलू की नारंगियों को अपने हाथ से सहला कर उसे बड़े प्यार से देखा और इशारे से पूछा तो उसने भी मूक स्वीकृति दी मैंने उसकी सहमति से एक ठाप और लगाई।
“उई ईईई.. माँ मर गई ई.. निकाल लो..!”
मेरे आधा मूसल उसकी अनचुदी ओखली में था और मैंने शब्बो को देखा वो तड़फती नीलू को सहला कर शान्त कर रही थी।
“बस हो गया .. कुछ नहीं होगा .. मैं हूँ ना ..! तुम्हें कुछ नहीं होगा …!”
मैंने एक पल रुक कर अपना घोड़ाऔर आगे बढ़ाया और अबकी बार लौड़े को थोड़ा बाहर खींचा तो उसकी बुर से रक्त की कुछ बूँदें मेरे मूसल पर लगी थी। मुझे खून देख कर एक झुरझुरी सी आई, मैंने आँख बन्द करके अपनी पूरी ताकत से शॉट मारा। मेरा लौड़ा उसकी चूत को चीरता हुआ पूरा अन्दर पेवस्त हो गया।
इधर लौड़े का घुसना हुआ और उधर नीलू की एक तेज चीख निकली, “ आई आयाआई .. मार दिया ऊ ऊ ई ई लग रही है ई ई मुझे छोड़ दो प्लीज़ .ज.. ज .. बहुत दर्द हो रहा..आ है..ई ई ..!”
मैं रुका और और उसकी चूचियों पर लगे गुलाबी निप्पलों को अपनी जीभ से खींचने लगा उधर शब्बो भी लगातार नीलू के सर को सहला रही थी, लगभग एक मिनट तक मैं शान्त पड़ा रहा फिर थोड़ा लंड को उसकी चूत में ही हल्के से हिलाया उसकी “ऊँ.. ऊँ” अभी जारी थी। लंड को हिलाने में कुछ और बढोत्तरी की अब जरा वो शान्त हो गई थी। मैंने फिर उसके चूत का बजा बजाना चालू कर दिया। लगभग दस मिनट बाद उसको भी आनन्द आने लगा और उसने भी सहयोग करना शुरू कर दिया।
लगभग 20 मिनट तक उसकी बुर में लौड़े ने हंगामा किया और फिर नीलू की तरफ देखा तो वो अकड़ने लगी थी और अपनी कमर ऊपर उचकाने की कोशिश कर रही थी। मुझे उसकी चूत में एक गरम रस की अनुभूति हुई और उसकी इस गरमी से मेरे लौड़े को भी पिघलन आ गई और तेज धक्कों के नीलू की चूत में मैं अपना पानी छोड़ दिया। हम दोनों ही ठक चुके थे। वो मुझसे लता सी लिपट गई और मैं भी उससे चिपक गया। फिर हम दोनों उठे। सीमा ने हमारे लिए पैग तैयार कर रखे थे। मैंने एक ही घूँट में रम का पैग खाली किया और सिगरेट के छल्ले उड़ाने का मजा लेने लगा।
इस ट्रेन की चुदाई के बाद हम लोगों ने अपने अपने कपड़े पहने, और कुछ समय बाद मेरा स्टेशन आ गया मैं उन तीनों से गले लग कर विदा ली।
स्टेशन पर जब मैं उतरा तो बहुत नशे में था सो वहीं एक बेंच पर लेट गया और कब मेरी आँख लग गई मुझे होश ही नहीं था।
मेरी इस दास्तान को आप झूट नहीं समझना हाँ कहानी को कुछ रसीला बनाने के लिए कुछ गालियों और शब्दों का इस्तेमाल किया है। आपकी टिप्पणियों का स्वागत है।
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