ट्रेन में धकाधक छुकपुक-छुकपुक-2
प्रेषक : जूजा जी
सीमा ने बडे़ ही मादक अन्दाज से सिगरेट का एक कश खींचा और मुझसे बोली- तुम्हारा डण्डा तो बहुत मजेदार है।
मैं सोचने लगा कि अभी तूने देखा ही कहाँ है मेरा डण्डा?
वो शायद समझ गई, बोली- क्या सोच रहे हो डियर, डण्डे की बात सुन कर?
तभी नीलू जो सीमा से भी एक कदम आगे थी, बोली- ये शायद किसी और डण्डे की बात सोचने लगे।
मैंने कहा- और कौन सा डण्डा?
शबनम बोली- क्यों कोई और डण्डा नहीं है तुम्हारे पास?
इस पर मैंने कहा- है, पर उसकी कुछ शर्तें हैं।
सीमा बोली- बताओ क्या शर्त है, तुम्हारे उस डण्डे की?
मैंने कहा- जैसे अभी जो डण्डा तुम चूस रही हो उसी तरह तुम सबको उसको भी चूसना पड़ेगा।
सीमा बोली- ठीक है दिखाओ, किधर है तुम्हारा वो डण्डा?
मैंने कहा- इतना उतावलापन ठीक नहीं है, जब तुम उसको देखना चाहती हो तो उसके स्वागत की तैयारी करो।
अब इतना तो तय था कि यह बात मेरे हथियार के विषय में हो रही थी।
मेरी बात को सुन कर शबनम ने सीमा से सिगरेट ली और एक जोर का कश लगाया, बड़ी शान से धुंआ को छोड़ते हुए सिगरेट नीलू को दे दी।
और अपने टॉप को एक झटके में उतार दिया, और बोली- क्या गोल-मोल बातें हो रही हैं, लो मैं ही शुरूआत करती हूँ। सुनील मुझे चूसना है तुम्हारा डण्डा, अब निकालो मुझ से और सब्र नहीं होता।
उसके टॉप उतरते ही उसके दोनों कबूतर जो एक जरा सी ब्रा में कैद थे और लगभग पूरे ही नुमायाँ हो रहे थे।
वाह …क्या शानदार माल था….!
उसकी 36 साइज की चूचियों को देख कर मेरा हथियार ‘टन्ना’ गया। पर मैं अभी जल्दबाजी के मूड में नहीं था। मुझे अभी बाकी की उन दोनों को भी नंगा करना था।
मैंने सीमा और नीलू से कहा- तुम्हारा क्या कोई मुहूर्त है, जब पर्दा उठेगा?
सीमा जो मेरे बगल में बैठी थी, बोली- तुम जब चाहो पर्दा उठा सकते हो।
मैंने अगले क्षण ही उसके कंधे पर अपना एक हाथ रखा और दूसरे हाथ से उसकी चूचियों को ऊपर से ही मसला।
उसने भी अपने होंठों को मेरे होंठों से चिपका कर मेरा जोर का चुम्बन लिया।
अब मैंने उसकी गेंदों को छोड़ कर उसके टॉप को एक ही झटके में ऊपर उठा दिया। वो नीचे ब्रा नहीं पहनें थी। उसकी गोल-गोल नारंगियाँ, जिन पर भूरे रंग के अंगूर लगे थे, मेरे सामने अपना भरपूर प्रदर्शन कर रहे थे।
तभी उसका हाथ मेरे हथियार की तरफ बढ़ा।
उधर मैंने देखा कि नीलू ने अपने बैग में से एक रम की बोतल और एक गिलास निकाल लिया। शबनम और नीलू ने मिल कर एक बड़ा सा पैग बनाया और बारी-बारी से अपने गले तर करने शुरू कर दिए।
इधर सीमा ने मेरी पैंट की जिप खोल कर मेरे लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में रख कर चचोरना शुरू कर दिया था मुझे भी गरमी चढ़ने लगी थी।
मैंने शबनम को कहा- आओ हनी.. अब चूसो मेरे डण्डे को और मुझे भी अपनी चूत के दीदार कराओ।
शबनम चहकते हुए उठी और उसने अपनी जींस उतार कर अपनी पैंटी को अपनी जांघों तक सरकाया। उसकी सफाचट चूत को देख कर मेरे लण्ड में फुरफुरी सी आ गई जिससे सीमा जो सिर्फ मेरे लौड़े के सुपाड़े को चूस रही थी उसके मुँह में मेरा आधा लंड घुस गया।
शबनम अपने हाथ में ‘नीट’ शराब का गिलास लेकर मेरे पास आई और अपनी चूत को मेरे मुँह के पास लगा कर खड़ी हो गई।
मैं उसकी चूत की महक से पागल सा हो गया। साली ने कोई पाउडर लगा रखा था। मैंने ज्यों ही उसके दाने को अपनी जीभ से टच किया, उसने अपने गिलास से थोड़ी सी रम अपनी चूत पर डाल दी। मुझे ऐसा लगा कि जैसे मुझे अमृत पिला रही हो। मैंने अपने हाथ से उसको उसके नितम्बों की तरफ से अपनी ओर को खींचा और उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
उसकी दशा भी ऐसी थी कि जैसे वो अपनी चूत को मेरे मुँह में घुसेड़ देना चाह रही हो। कुछ ही पलों में उसकी सिसकारियाँ छूटने लगी, मुझे भी सीमा ने मेरे लौडे़ को चचोर-चचोर कर पागल सा कर दिया था
मैं भी उचक-उचक कर उसके मुँह को अपने लंड से चोद सा रहा था। तभी मैंने देखा कि नीलू जो अभी भी सामने वाली सीट पर ही बैठी थी रम की बोतल से नीट ही पी रही थी और सिगरेट पी रही थी।
मैंने उसको कहा- हनी तुम भी अपने कपड़े उतार लो और इधर आ कर मेरे लंड का स्वाद चख लो।
वो बोली- ठीक है डियर.. मेरे को अभी पी लेने दो तब तक तुम सीमा की चूत का बाजा बजा दो।
मैं बोला- ठीक है पर अपने कपड़े तो उतार कर जरा अपनी गेंदें तो दिखाओ।
उसने बोतल बगल में रखकर अपनी टाइट शर्ट को, जो सामने से ही चिटकनी बटन को खोलने से खुलती थी, एक झटके में ही खोल दी।
अंदर डोरी वाली जालीदार ब्रा उसके कबूतरों को जकड़ने में असमर्थ सी दिख रही थी। उसने ऊपर से ही अपनी फ्रंट-ओपनेबुल ब्रा का हुक भी खोल दिया। अब उसके दोनों 34 साइज के अनार उचक बाहर आ गए।
उसने अपने उन अनारों की बौडि़यों को अपनी उगंलियों से मसला और मुझे एक आंख मार कर पूछा, “कैसे लगे ?”
मैंने कहा- बहुत सुन्दर.. पर इन्हें अभी मसाज की जरूरत है। कुछ बड़े हो जायें तो इनकी छटा ही देखने लायक होगी।
वो बोली- जब मसलती तो हूँ.. तभी तो 28 से 34 कर पाई, अब तुम चूस कर इन्हें और बड़ा कर देना।
उसके निप्पल वाकई बिल्कुल पिंक कलर के थे। वो बहुत सैक्सी लग रही थी। तभी उसने अपनी जींस भी उतार कर वहीं डाल दी। बिल्कुल जरा सी चड्डी में उसकी चिकनी जांघें गजब ढा रही थी। अब मेरा अपना ध्यान सीमा पर गया, वो मेरे लौड़े को चूस-चूस कर मजा ले रही थी और शबनम मेरी ऊँगली से अपनी चूत खुदवा रही थी।
मुझे लगा कि अब चुदाई का वक्त आ गया है, परन्तु मेरे मन में एक ख्याल आया कि क्यों न इनकी चुदाई भी एक साथ की जाए, इससे मेरा काम भी हो जाएगा और इन तीनों की चूत की खुजली भी मिट जाएगी।
सो मैंने पहले शबनम की चूत चोदने का फैसला किया और कहा- चल शब्बो रानी तेरे खेत में जुताई की जाए।
वो अब शराब के नशे में झूम रही थी ,
उसने तो जैसे माहौल ही हॉट कर दिया, बोली- माई डियर मादरचोद, बहन के लौड़े, चल डाल अपने इस मूसल छाप घोडे़ के लंड को मेरी बुर में और फाड़ दे हरामी मेरी चूत को।
उसकी इस भाषा ने मेरी खुपड़िया घुमा दी। उसकी आवाजें इतनी तेज थी कि अगर हम लोग किसी कमरे में या और कोई जगह होते तो लोग पूछने आ जाते कि क्या हुआ भाई कौन को लग गई, कहीं चोट तो नहीं आई, बगैरह बगैरह……..।
शबनम ने अपनी टाँगें रण्डियों के जैसे फैला दीं, मैंने अपना लौड़ा उसकी लपलपाती चूत में एक ही झटके में ठूँस दिया, फिर जरा बाहर खींचा और दुबारा जोर से उसकी बुर में ठांस दिया। अबके झटके में पूरा 6 इंच लंड अन्दर घुस गया था।
शबनम की हालत खराब थी, उसका सारा नशा फट गया था और वो लगातार चीख रही थी, “साले बाहर निकाल ले मादरचोद, मेरी चूत फट जाएगी कुत्ते, मुझसे गलती हो गई। मुझे क्षमा कर दो …. आह…… मत चो…दो साले…..।”
पर मैं कहां मानने वाला था। मेरे ऊपर तो भूत सवार था। धकाधक 10-12 टापें जब उसके छेद पर लगीं और मैंने उसके ऊपर लगभग लेटते हुए उसकी रस से भरी गोल-गोल मस्त नारंगियों के निप्पलों को अपने होंठों से चुभलाना शुरू किया, तो उसको कुछ राहत सी मिलने लगी।वो अब चिल्लाना बंद करके सिसकारियाँ भर रही थी। उसकी इन आवाजों में मुझे उसके आनन्द प्राप्त करने जैसी ध्वनि सी लग रही थी।
मैंने पूछा, “क्यों शब्बो रानी मजा आने लगा क्या ?
उसने मुस्करा कर कहा- हाँ डियर अब ठीक है, मुझे तुम्हारी जो चूची चूसने की हरकत है, वो बहुत मजा दे रही है। प्लीज और चचोरो न।
मैं जुट गया उसके निप्पलों को टूंगने। उसके थन बहुत ठोस से हो गए थे। मुझे अभी भी याद था कि दो छेद मेरे लंड का बड़ी बेकरारी से इंतजार कर रहे हैं। मैंने सीमा की तरफ देखा तो मैडम अपनी चूत में ऊँगली अन्दर-बाहर कर रही थीं।
मैंने कहा- आओ रानी लेटो इधर.. तुम्हारा चुदाई का ख्वाव भी पूरा कर देता हूँ।
वो बोली, “पहले शब्बो को तो निपटा दो।”
मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं और ईमेल आईडी भी लिख रहा हूँ।
कहानी जारी है।
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