चढ़ती जवानी में हुई मेरी चूत मस्तानी- 3
(Teen Nude Girls On Railway Station)
दो टीन न्यूड गर्ल्स रेलवे प्लेटफार्म पर अपने भाइयों के सामने … भाई उनकी जवानी का भोग लगाने को आतुर हो रहे थे. बहनें भी कुछ कम नहीं थी. वे भी सेक्स का खेल खेलने को तैयार थी.
कहानी के पिछले भाग
चचेरे भाई बहन की चुदाई छुपकर देखी
में आपने पढ़ा कि मैं अपने भाई के साथ स्टेशन पर थी. वहीं हमने अपने चचेरे भाई बहन को सेक्स करते देखा तो हम भी सेक्स करने लगे.
अब आगे टीन न्यूड गर्ल्स:
थोड़ा नॉर्मल होते हुए सोनू ने अपने लंड को मेरी चूत से निकाला और रुमाल से पौंछ कर अपने लोअर को ऊपर कर लिया।
मैंने भी अपनी सलवार ठीक कर पहन ली।
उधर अमित और स्वीटी भी अपने कपड़ों को ठीक कर रहे थे।
जब उन्होंने अपने कपड़े ठीक से पहन लिये और बैठ गए तब सोनू ने धीरे से मेरे कान में कहा- दीदी, अब हम भी सामने आ जाते हैं।
मैंने धीरे से कहा- उन्हें पता नहीं चल जाएगा कि हमने सब देख लिया है।
सोनू- तो क्या हुआ … उन्हें भी तो पता चले कि उनकी पोल खुल चुकी है।
और यह कह कर वो मुस्कुराने लगा।
मैं- ठीक है, चलो।
अब मैं भी मजा ले रही थी.
चुदाई का खेल खत्म करने के बाद अमित और स्वीटी बैठ गये।
स्वीटी ने टाइम देखते हुए अमित से कहा- भैया 7.30 बज गए हैं, गरिमा दीदी और सोनू भी आते ही होंगे। चलो अब चलकर उधर बैठते हैं।
अमित- ठीक है, चलो उधर ही बैठते हैं।
अमित और स्वीटी अभी उठने ही वाले थे कि सोनू ने बैग उठाया और पेड़ के पीछे से सामने आते हुए कहा- अरे कहां जा रहे हो, हम भी यहीं हैं।
तब तक मैं भी सामने आ गई।
हम दोनों को देखते ही अमित और स्वीटी के चेहरे का रंग ही उड़ गया।
उनके मुंह से कुछ आवाज ही नहीं निकली।
इस पर सोनू हंसते हुए बोला- अरे क्या हुआ भाई, हमें देख कर अच्छा नहीं लगा क्या?
तब अमित ने थोड़ा संभलते हुए बोला- अरे ऐसी बात नहीं है। तुम लोग अचानक कैसे आ गए?
सोनू ने कहा- ‘अचानक कहां भाई, हम तो काफी देर से यहां हैं।’
अमित ने मेरी तरफ देखा तो मैं भी हंस पड़ी।
उधर स्वीटी का चेहरा शर्म से लाल हो गया था।
वे दोनों समझ गये थे कि हमने सब कुछ देख और सुन लिया है।
मैंने स्वीटी को छेड़ते हुए कहा- क्या हुआ स्वीटी, कुछ तो बोलो? अगर हमारा आना पसंद नहीं तो कहो, हम चले जाएं।
इस पर स्वीटी शर्माती हुई बोली- नहीं दीदी, ऐसी बात नहीं है, आओ बैठो।
सोनू ने कहा- अरे घबराओ मत भाई … मैंने कुछ नहीं देखा है क्योंकि मैंने अपनी आंखें बंद कर ली थीं। हां, गरिमा दीदी के बारे में नहीं कह सकता कि इन्होंने कुछ देखा है या नहीं!
इस पर हम चारों हंसने लगे।
लेकिन अमित और स्वीटी अभी भी शर्मा रहे थे कि उनकी पोल खुल गई है।
मैं जाकर स्वीटी के बगल चबूतरे पर बैठ गई और अपने हाथ को स्वीटी के बगल में डाल कर अपनी या खींच लिया और माहौल को नॉर्मल करने के लिए सोनू को चिढ़ाते हुए कहा- अच्छा बड़ा शरीफ बन रहे हो! मैं बताऊं अमित और स्वीटी को कि तुम क्या कर रहे थे। कहो तो तुम्हारी पोल खोलूं?
सोनू- और मैं बता दूँ कि तुम क्या कर रही थी तो?
फिर हम हंसने लगे.
हम दोनों की नोकझोंक से अमित और स्वीटी भी थोड़े नॉर्मल होने लगे।
अमित ने मुस्कुराते हुए कहा- अरे भाई, क्यों एक दूसरे की पोल खोल रहे हो।
मैंने स्वीटी के गाल पर चुटकी काटते हुए कहा- क्या हुआ मेरी रानी, चुप क्यों है?
इस पर स्वीटी हंसने लगी और बोली- नहीं दीदी, कुछ नहीं।
फिर हम सब कुछ देर चुप रहे.
थोड़ी देर बाद चुप्पी तोड़ते हुए अमित शर्माते हुए बोला- यार तुम लोग सब जान गए हो पर प्लीज किसी को कुछ बताना नहीं।
सोनू हंसते हुए बोला- अरे यार, बताने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता। अभी तुम्हें एक बात बताऊंगा तो तुम दोनों भी परेशान होकर रह जाओगे।
अमित ने पूछा- कौन सी बात?
सोनू मेरी या देख कर आँख मारते हुए बोला- क्यों दीदी, कहो तो बता दूँ?
मैं हंस पड़ी.
तब स्वीटी भी थोड़ी नॉर्मल होती हुई बोली- हां हां बताओ।
मैंने फिर स्वीटी के गाल पर चिकोटी काटते हुए कहा- अच्छा तुम्हें बहुत जल्दी है जानने की?
फ़िर हम सब हंस दिये।
अब हम सब नॉर्मल होने लगे और आपस में खुल कर बात करने लगे।
सोनू ने फिर मेरी या देख कर कहा- बोलो दीदी, बता दूँ?
अब मैं भी सोच रही थी कि जब अमित और स्वीटी के बारे में हम जान ही गए हैं तो हम भी अपने और सोनू के बारे में बता दें।
क्योंकि तब हमें एक दूसरे से कोई शर्म भी नहीं रहेगी और फिर हम खुलकर मजे कर सकते हैं।
मैंने सोनू से हंसते हुए कहा- चलो बता दो।
अमित ने कहा- अरे भाई, क्या बात है कुछ बताओगे भी?
सोनू ने अमित से कहा- तुम्हें पता है हम इतनी जल्दी क्यों आये थे?
अमित बोला- नहीं!
सोनू ने मेरी या देखकर मुस्कुराते हुए बोला- जो तुम दोनों कर रहे थे उसके चक्कर में मैं और गरिमा दीदी भी आये थे।
जैसे ही सोनू ने ये कहा, अमित और स्वीटी चौंक कर हंस दिये।
स्वीटी मेरे बगल में ही थी.
इस बार उसने मुझे चिकोटी काटते हुए कहा- अच्छा दीदी, तभी चोरी से यहां आकर बैठी थी।
अमित ने कहा- अच्छा ये बताओ कि जब हम यहां पहुंचे तो तुम दोनों भी वही कर रहे थे क्या?
सोनू बोला- नहीं यार, बस माहौल अभी बन ही रहा था कि तुम दोनों टपक पड़े। सच कहूं तो तुम दोनों को आते हुए देख कर मेरा मूड खराब हो गया था। मुझे लगा तुम लोगों ने सब गड़बड़ कर दी। मगर उसके बाद जो हुआ … भाई मजा आ गया।
स्वीटी ने हंसते हुए अमित से कहा- भैया, हमने थोड़ी जल्दी कर दी। अगर हम थोड़ी देर से आए होते तो शायद जो इन लोगों ने हमें करते देखा वही हम इन्हें करते हुए देख रहे होते।
हम सब हंसने लगे.
मैंने स्वीटी को छेड़ते हुए कहा- अरे वाह मेरी रानी, अभी तो मुंह से बोल नहीं पा रहे थे अब बहुत बोल रही हो।
सोनू ने स्वीटी से कहा- स्वीटी, तुम्हारे पास अभी अच्छा मौका है अपने सपने पूरे करने का!
इतना सुनते ही स्वीटी शर्मा गई।
तभी अमित ने मुस्कुराते हुए कहा- हां स्वीटी, तुम अपना सपना पूरा कर लो।
इस पर स्वीटी अमित को चिढ़ाते हुए बोली- अच्छा भैया … मुझे तो लगता है कि मेरा सपना पूरा होने के बहाने आप भी कुछ देखना चाहते हो।
इस पर हम सब फिर हंस पड़े।
सच कहूँ तो हमारे आपस की नोक-झोंक से माहौल एक बार फिर सेक्सी होने लगा था।
अमित ने सोनू से कहा- वैसे ये तो बेईमानी है। तुमने और गरिमा ने चोरी से ही सही मगर हमें और स्वीटी को तो सब करते हुए देख लिया। इसलिए अब तुम और गरिमा वो सब करो जो हमने किया था और मैं और स्वीटी देखेंगे.
फिर अमित ने स्वीटी की तरफ देखते हुए कहा- क्यों स्वीटी, ठीक कहा ना?
स्वीटी बोली- बिल्कुल सही भैया, अब इनकी बारी है।
इसके बाद स्वीटी मेरी तरफ देख कर बोली- गरिमा दीदी, प्लीज ये बेईमानी नहीं चलेगी। अब आप दोनों भी वही करिए जिसके लिए आप लोग इतनी जल्दी स्टेशन आए।
हम और सोनू दोनों हंस दिये।
सोनू ने कहा- जब तुम दोनों इधर लगे हुए थे, तभी हमने भी उधर अपना काम कर लिया था।
और यह कह कर उसने मेरी तरफ देखा और आंख मार दी।
मैं हल्का सा मुस्कुरा दिया।
अमित बोला- अच्छा जी … इसका मतलब तुम दोनों ने डबल मजा लिया। मगर अब कुछ भी हो तुम दोनों को दोबारा करना पड़ेगा।
फिर सोनू ने कहा- देखो ऐसा है, तुम दोनों को पता नहीं था कि हम यहां पर हैं इसलिए तुम्हें कोई परेशानी नहीं हुई और हमने और गरिमा दीदी ने मजा ले लिया। मगर अब ये तो नहीं हो सकता है कि तुम दोनों कपड़े पहन कर हमें देखो और मैं और दीदी नंगे होकर चुदाई करें।
फ़िर उसने मेरी ओर देख कर कहा- क्यों दीदी सही है ना?
सोनू अब खुल कर चुदाई, चूत और लंड जैसा शब्द बोल रहा था।
मैं भी अब गर्म और बेशर्म दोनों हो चुकी थी।
मैने- हाँ … यह बात तो सही है।
स्वीटी बोली- फिर क्या करें?
अमित- फिर तो यही है कि जो करना है हम सब एक साथ करें।
सोनू- हां … ये ठीक रहेगा। इसमें कोई एक दूसरे से शर्माएगा भी नहीं।
अमित- तो कौन शुरू करेगा?
स्वीटी तपाक से बोली- सबसे पहले भाई लोग!
हम सब फिर हंस दिये.
सोनू- ठीक है, हम तैयार हैं लेकिन बहनें भी तैयार होनी चाहियें।
मैं स्वीटी की ओर देखते हुए बोली- बहनें भी तैयार है! क्यों स्वीटी?
स्वीटी बोली- बिल्कुल।
अमित ने फिर मेरे और स्वीटी की तरफ देखे हुए कहा- पहले मैं और सोनू अपनी पैंट उतारेंगे, उसके बाद तुम दोनों अपनी सलवार और कुर्ते उतारोगी।
मैंने और स्वीटी ने हां में सर हिला दिया।
उसके बाद अमित ने अपनी जींस के बटन खोल कर उसे घुटनों तक सरका दिया और फिर अपने अंडरवियर को भी पकड़ कर घुटनों तक कर लिया।
सोनू ने भी एक ही झटके में अपना निचला खींच कर नीचे कर दिया।
अब दोनों के लंड हमारे आँखों के सामने थे।
दोनों लंड अभी कुछ ही देर पहले झड़े थे इसलिए धीरे थे मगर उन्हें हल्का तनाव आने लगा था।
थोड़ी देर पहले मैंने अमित का लंड थोड़ी दूरी से देखा था मगर अब एक दम पास से उसका लंड देख रही थी।
उधर स्वीटी भी एकटक सोनू के लंड को देख रही थी।
तभी सोनू ने कहा- अब तुम दोनों अपने कपड़े उतारो!
फिर मैंने और स्वीटी ने एक दूसरी की तरफ देखा और खड़ी होकर अपने सलवार का नाड़ा खोल दिया.
नाड़ा खुलते ही सलवार जमीन पर गिर गई, फिर उसे पैरों से बाहर कर दिया।
मैंने अंदर पैंटी नहीं पहनी थी इसलिए कमर से नीचे मैं पूरी नंगी हो गई।
हालांकि कुर्ती की वजह से चूत अभी भी ढकी हुई थी।
मुझे देख कर स्वीटी ने भी अपनी सलवार को पैर से बाहर कर दिया और फिर अपनी पैंटी भी उतार दी।
सोनू ने कहा- कुर्ते भी उतारो।
स्वीटी- कुरते रहने दो भैया, वरना हमें ठंड लग जाएगी।
अमित- यार, फिर ऐसे तो मजा नहीं आएगा।
मैं बोली- कोई बात नहीं, हम अपने कुर्ते के बटन खोल देती हैं।
यह कह कर मैंने अपने कुर्ते के आगे के सारे बटन खोल दिये।
मैंने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए कुर्ते का बटन खोलते ही मेरी दोनों चूचियां छलक कर बाहर आ गईं।
अमित एकटक मेरी चूचियों को देखने लगा।
वहीं मेरे कहने पर स्वीटी ने भी अपने कुर्ते के अगले बटन को खोला और फिर कुर्ते को दोनों ओर थोड़ा-थोड़ा फैला कर चूचियों को बाहर कर दिया।
स्वीटी ने भी अंदर ब्रा नहीं पहनी थी।
मैंने देखा कि स्वीटी भले ही उम्र में मुझसे छोटी थी लेकिन उसकी चूचियां मेरे से बड़ी तो नहीं मगर बहुत छोटी भी नहीं थी।
उधर अमित मेरी चूचियों को देख रहा था और सोनू स्वीटी की चूचियों को घूरे जा रहा था।
हमारी चूचियों को देखते ही दोनों के लंड हल्के झटके लेने लगे।
लंड देख कर मेरे मुँह में पानी आने लगा था.
मगर मैंने कुछ कहा नहीं.
तभी सोनू ने मुस्कुराते हुए अमित से कहा- क्यों अमित किसकी चूची ज्यादा अच्छी है? मेरी बहन की या तुम्हारी बहन की?
अमित ने हंसकर सोनू को आंख मारते हुए कहा- देखने में तो दोनों की चूची अच्छी है। बाकी तो स्वाद लेने पर पता चलेगा।
इस पर हम चारों हंस दिये।
प्रिय पाठको, आपको इस टीन न्यूड गर्ल्स कहानी में मजा आया होगा ना?
मुझे कमेंट्स में बताएं.
टीन न्यूड गर्ल्स कहानी का अगला भाग: चढ़ती जवानी में हुई मेरी चूत मस्तानी- 4
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