मोहल्ले के लड़कों ने मेरी चुत गांड बजायी- 2

(Sexy Lady Xxx Kahani)

सेक्सी लेडी Xxx कहानी मेरी चूत और गांड की चुदाई की खुले में लगे एक टेंट में. मुझे मोहल्ले के कई लड़कों ने मेरी चूत और गांड मारी. लंड भी चुसवाया.

हैलो फ्रेंड्स, मैं आपकी अपनी स्वाति एक बार फिर से अपनी सेक्स कहानी में स्वागत करती हूँ.
सेक्सी लेडी Xxx कहानी के पहले भाग
मोहल्ले के लड़कों ने मेरी चूचियों के दूध की खीर बनायी
में अब तक आपने पढ़ा था कि पिछली रात मेरी धुआंधार चुत चुदाई हुई थी.
मैं इतनी ज्यादा थक गई थी कि दूसरे दिन अपनी जॉब से आते ही सो गई थी.

उस दिन रात आठ बजे उठ कर मैंने अपने बेटे को अपना दूध पिला कर सुला दिया था. तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी.

अब आगे सेक्सी लेडी Xxx कहानी:

मैंने सोचा कि इस टाईम पर कौन आया होगा. यही सोचते सोचते मैंने दरवाजा खोल दिया.

दरवाजा खोलते ही मेरा दिल धक से किया, कल रात के लड़कों में से एक आया था.
हालांकि एक पल बाद मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई थी.

उसने कहा- भाभी, आप आज बाहर नहीं निकलीं?
मैंने कहा- हां आज मेरा घूमने जाने का मन नहीं था.

उसने कहा- कोई बात नहीं, आप फटाफट पण्डाल में आ जाइए.
मैंने इठला कर अपने मम्मे उसकी तरफ ताने और पूछा- किस लिए?

उसने बिंदास मेरे स्तनों को पकड़ कर कहा- आप भूल गईं कि आपको पांच लीटर दूध देना है. अभी तो एक लीटर ही हुआ है. आ जाइए, आपके थनों से दूध दुहना है.
मैंने हंस कर कहा- मुझे नहीं आना. आज मेरा मूड नहीं है.

ये कह कर मैंने उसका हाथ झटक दिया.

जैसे ही मैं दरवाजा बंद कर रही थी, उसने कहा- कल शाम को पण्डाल आइएगा, हम लोगों ने सारे मोहल्ले के लिए छोटा सा प्रोग्राम रखा है कि दूध कैसे दुहा जाता है और मलाई कैसे निकालते हैं. वैसे आपके हस्बैंड यहां नहीं हैं, पर जब आएंगे तो उन्हें भी ये वृतचित्र बहुत पसंद आएगा.

मैं समझ गई कि ये क्या कह रहा है. सोच कर ही मेरे माथे से पसीना आ गया.

अपनी बदहवासी सम्भाल कर मैंने कहा- ठीक है, मैं आती हूं.
उसने कहा- अन्दर कुछ मत पहनिएगा, दूध निकालने में बहुत दिक्कत होती है.

मैंने सर हिलाया, तो वो चला गया.

मैं बेडरूम में गई और मैंने बदन से सारे कपड़े हटा दिए. एक नाईटी पहन कर दरवाजा बंद किया और पण्डाल की तरफ चल दी.

रास्ते में ये सोच रही थी कि कल जो कुछ हुआ वो तो इत्तेफाक था, पर आज तो वो लोग मुझे एक निचले दर्जे की रंडी की तरह इस्तेमाल करेंगे.

यही सोच कर मैंने अपने पति की वोडका की बोतल से दो पैग जल्दी जल्दी खींचे और बाहर निकल आई.

मैं कुछ ही देर में पण्डाल में आ गई.
वहां वही पांच लड़के कुर्सी लगा कर इस तरह से बैठे थे कि उधर का भाग दूर से देखा न जा सके.

मैं पहुंची तो देखी कि वो लोग एक तरफ गद्दे बिछा कर तैयारी किए हुए थे और एक बड़ी सी टेबल पास में रखी थी.

मुझे देख कर एक लड़के ने कहा- भाभी, नाईटी उतार कर कृपा करके घुटनों और हाथों के बल टेबल पर घोड़ी बन जाइए.

मैंने उसे एक मिनट तक देखा तो उसने कहा- आपको संकोच हो रहा है तो मैं मोहल्ले से दो चार लोगों को मदद के लिए बुलवा लेता हूं.

मैंने अपनी नाईटी उतारी और उसने जैसे कहा था, वैसे ही टेबल पर अपने दूध लटका कर झुक गई.

दो लड़के तेल लेकर आ गए और मेरे स्तनों की मालिश करने लगे. मैंने उनकी तरफ देखा तो एक ने कहा कि गाय का भी दूध दुहने से पहले उसके थन की मालिश की जाती है. इससे दूध जल्दी … और ज्यादा आता है.

ये लोग मेरी गाय से तुलना कर रहे थे.

तभी मैंने एक तरफ देखा तो पाया कि एक लड़का डिजिटल कैमरा से वीडियो रिकार्डिंग कर रहा है.

मैंने कहा- प्लीज, तुम लोग जो बोल रहे हो, मैं कर रही हूं. तो फिर ये वीडियो रिकार्डिंग क्यों कर रहे हो … प्लीज इसे बंद कर दो.

एक ने कहा- भाभी, कल ही रिकार्डिंग ही आपका काम करने के लिए काफी है, पर ये तो हम अपने पर्सनल कलेक्शन के लिए कर रहे हैं. अगर आप मना करेंगी तो हो सकता है हम में से किसी को बात बुरी लग जाए और कल आपके सहयोग के चित्र मोहल्ले भर में बंट जाएं.

मैं चुप हो गई.

तभी तीन लड़के और वहां आ धमके.

मैंने फिर से कहा- ये लोग कौन हैं?

एक ने कहा- भाभी, हम लोगों को दूध दुहने की आदत तो है नहीं, तो हमने इन्हें बुला लिया है. ये लोग पेशे से ग्वाले हैं और अच्छे से आपके थन से दूध दुह लेंगे. इन्होंने ही तो दूध की मालिश करने का सजेशन दिया था.

मैंने कहा- ज्यादा लोगों से तो मैं मर ही जाऊंगी.
उसने कहा- अरे भाभी आप जितने लोगों को बर्दाश्त कर सकती हों, उतने लोगों को झेल लेना, बाकियों की मलाई चूस कर निकाल देना.

मैं फिर चुप हो गई.

उन तीनों में से दो मेरे बाजू में आकर खड़े हो गए. दोनों ने दोनों तरफ से मेरा स्तन पकड़ा और एक एक कटोरे में दूध दोहने लगे.

सच में आज उतना दर्द नहीं हो रहा था, जैसे कल रात हुआ था.
ये मालिश की वजह से हो रहा था.

मुझे भी आज मजा आ रहा था. मेरे स्तन खाली होने लगे थे, तो दर्द से निजात भी मिलने लगी थी.

लगभग तीस मिनट में उन्होंने मेरे दोनों स्तनों से दूध की आखरी बूंद तक निचोड़ ली.

फिर एक ने कहा- चलो भाभी अब गद्दे पर लेट जाओ. दूध हो गया, अब मलाई भी निकाल लेते हैं.

मैं उठी और गद्दे पर जाकर चित लेट गई. मेरी चुत लंड से चुदने के लिए खुल गई थी.

वो सारे लोग कपड़े उतार कर आ गए. एक ने मेरे चुत में अपना लंड घुसाया और धक्के लगाने लगा. लगातार धक्के लगाने के बाद उसने पानी छोड़ दिया.

एक एक करके अपने क्रम से लोग मेरी चुत का भोग करते गए और पानी निकालते रहे.
मेरी चुत का भोसड़ा बन रहा था, पर लंड चूसने में घिन के कारण मैं चुपचाप चुदवाती रही.

मुझे अपनी चुत रगड़वाने में मजा भी आ रहा था. किस्म किस्म के लंड मेरी चुत की खुजली शांत कर रहे थे.

आखिर ढाई घंटे तक सबने मुझे रगड़ा और सबने अपना अपना पानी निकाल कर मुझे छोड़ दिया.

मैं उठी तो एक ने कहा- भाभी कल बुलावा तो नहीं भेजना पड़ेगा न?
मैंने धीरे से हंस कर कहा- मैं समय से आ जाऊंगी.

उसने सर हिलाया और मैं घर की तरफ चलने को हुई, तो पता चला कि चलते नहीं बन रहा था.

एक ने कहा- अरे भाभी आप तो चल नहीं पा रही हैं. रूकिए आपको घर छुड़वा देता हूं.

इससे पहले मैं कुछ बोलती, तीन लोग मेरे साथ हो लिए. मैं उनका सहारा लेकर धीरे धीरे चलती हुई घर तक पहुंची और दरवाजा खोल लिया.

इस बात की गनीमत थी कि उस समय सारा मोहल्ला सुनसान था.

मैं अन्दर घुस कर दरवाजा बंद करने ही वाली थी तो एक ने कहा- भाभी आप शायद घर पर अकेली हैं. एक जवान औरत को इस तरह से घर में अकेले नहीं रहना चाहिए. चलिए हम आपके साथ ही रूक जाते हैं.

फिर वो तीनों ने अन्दर घुस कर दरवाजा बंद कर दिया.

मैं किनारे में ही खड़ी थी तो एक ने कहा- भाभी … हम आपके साथ रूकेंगे, तो आपको बहुत से फायदे हैं. एक तो डर नहीं लगेगा, आप सुरक्षित रहेंगी. आपको भईया की याद भी नहीं आएगी. चलिए फटाफट कपड़े उतार कर नहा लीजिए और बेडरूम में चलिए. हम आज आपको भईया की कमी महसूस नहीं होने देंगे.

मैं समझ गई थी ये तीनों रात भर मुझे चोदेंगे. न चाहते हुए भी मुझे मना करते नहीं बना.

उसने कहा- अब जल्दी से कपड़े उतारिए.

मैंने कुछ नहीं कहा और अपनी नाईटी उतार कर अपनी वोडका की बोतल को मुँह से लगा कर खाली किया और सीधे बाथरूम में घुस गई.

वो तीनों मेरे बेडरूम में चले गए थे.

मैं नहा कर तौलिया लपेटकर जब कमरे में घुसी तो देखा कि तीनों कपड़े उतार कर मेरे बिस्तर पर लेटे थे.
सब अपने अपने लंड को सहला रहे थे.

मुझे आते देख कर एक ने कहा- क्या हुआ भाभी? ऐसे क्या देख रही हैं. अब तो रात भर हम तीनों आपके पति की भूमिका निभाएंगे. हमसे क्या पर्दा, उतार दीजिए टावेल.

मैंने मदहोश थी सो बिना कुछ बोले टावेल उतार दिया. मुझे शरीर में भले ही थकान महसूस हो रही थी लेकिन मेरी चुत अभी भी लंड लंड कर रही थी.

उसने आगे कहा- आप थक गई होंगी, आइए बिस्तर पर लेट जाइए.

मैं बिस्तर पर जा कर बैठ गई और एक ने मुझे खींच कर बिस्तर पर लिटा दिया. मैं पीठ के बल लेट गई तो वो लोग मेरे बदन से खेलने लगे.

जब खेलते खेलते तृप्त हो गए, तो एक ने मेरी टांगों के बीच जगह बना ली.

उसने पूछा- भाभी, प्रेग्नेन्सी कंट्रोल करने के लिए आप कुछ लेती है या नहीं?
मैंने धीरे से कहा- हां लेती हूं.

उसने आगे कहा- तब ठीक है, हमें भी कंडोम के साथ मजा नहीं आता है. वैसे आपके पति बहुत लक्की हैं, जो आप जैसी मक्खन मलाई से उनकी शादी हुई है.
दूसरे ने कहा- मक्खन मलाई से शादी उसकी हुई है और मक्खन मलाई उतार हम रहे हैं.

कोई कुछ नहीं बोला, तो उसने लंड अन्दर घुसा कर धक्का लगाना शुरू कर दिया.

लगातार धक्के लगाने के बाद वो मेरे चुत में ही पानी छोड़ कर अलग हो गया.
फिर उसकी जगह दूसरे ने ले ली.

रात भर लगातार ये लोग मेरी चुत का भोसड़ा बनाते रहे और मैं बिना कुछ बोले इनके नीचे पड़ी चुदती रही.

आखिर सब थक गए और मुझे बीच में दबाए हुए सब सो गए.

सुबह किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी तो एक उठा और बिना कपड़े पहने दरवाजे की तरफ चल दिया.

मुझे तो डर लग रहा था कि अगर कोई जान पहचान वाला होगा तो क्या होगा.

दो मिनट के बाद वो उसी लड़के के साथ वापस आया जिसने कल मुझे खीर खिलाई थी.

वो आज फिर खीर लेकर आया था, मेरे ही दूध की खीर.

उसने हम सबको बिना कपड़ों के देखा तो बोला- तुम सब यहां क्या कर रहे हो?
एक ने कहा- कल रात को जब भाभी को छोड़ने आए तो भाभी बोली थीं कि रात में इनको डर लगता है, इसलिए रूक गए थे.

वो लोग साफ झूठ बोल रहे थे.

उसने आगे कहा- हम पहले तो तैयार नहीं हुए थे. मगर जब भाभी बोलीं कि कोई घर पर नहीं है और हम सबको रात भर अपने चुत की सेवा देंगी, तो हम मन मार कर रूक गए.
खीर वाले ने कहा- तो मुझे बुलाने में कोई दिक्कत थी क्या?

दूसरे ने कहा- अरे नाराज क्यों होता है, अगली रात को तू रूक जाना. भाभी के फैमिली वाले तो दूसरे दिन दोपहर में आ रहे हैं न!

उसने सर हिलाया और सबने कपड़े पहने, खीर की कटोरी साईड में रख कर सब निकल गए.

मैंने आज बड़े चाव से खीर खाई. मुझे बड़ी स्वादिष्ट खीर लग रही थी … मेरे दूध से जो बनी थी.

मैंने मन ही मन सोचा कि आज रात ये लोग फिर मेरी चुत की चुदाई करेंगे.

शाम तक मैं सोती रही, जब उठी तो बाहर शोर सुन कर बाहर निकली. देखा कि शोभा यात्रा निकल रही थी.

मैं फिर घर के अन्दर आ गई.

रात में बाहर देखा तो पूरा मोहल्ला सुनसान था. जबकि अभी सिर्फ नौ बज रहे थे. तभी उन लड़कों में से एक मेरी तरफ आता दिखा.

उसने मेरे पास आकर उसने कहा- चलिए भाभी.
मैंने कहा- आज तो समापन हो गया फिर किस लिए?

उसने कहा- आप चलिए तो फिर बताते हैं.
मैं मन मार कर उसके साथ चल दी. वहां पहुंची तो उनके लीडर से मैंने पूछा- आज तो कार्यक्रम खत्म हो गया, फिर किस लिए बुलवाया है?

उसने कहा- आप तो देख ही रही हैं कि हमने कितनी मेहनत की है. हमें भी तो मेहनताना मिलना चाहिए. चलिए जल्दी कपड़े उतारिए और हमें अपना मेहनताना लेने दीजिए.

मैंने मन मार कर उनकी बात मानी और कपड़े उतारने लगी.
आज टेबल पर ही गद्दे बिछाये गए थे, मैं उस पर लेट गई.

सबने जल्दी जल्दी कपड़े उतारे और मेरे इर्दगिर्द आ गए.

एक ने मेरी टांगों के बीच आकर अपना कार्यक्रम चालू कर दिया. जब वो मेरी चुत में धक्के लगा रहा था, तभी मैंने देखा कि एक अपने लंड पर क्रीम लगा रहा था.

जो मर्द मेरी चुत में धक्के लगा रहा था, उसने पानी मेरी चुत में ही छोड़ दिया और अलग हो गया.

फिर जिसे मैंने लंड पर क्रीम लगाते देखा था, वो पास आया और मुझे खींच लिया.
मुझे उठाकर खड़ा कर दिया.

उसके बाद उसने मुझे सामने की तरफ झुकाया और मेरे हाथों को टेबल पर रख दिया.

मैं पशोपेश में थी, जब उसने मेरी चुत की जगह मेरी गांड के छेद से अपना लंड टिकाया तो मैं सिहर गई.

जब तक मैं उसकी इच्छा समझ पाती, तब तक उसने एक झटका दे दिया और सारा लंड क्रीम में सने होने की वजह से अन्दर चला गया.

मैंने एक हल्की सी चीख मारी, चीखना तो जोर से चाहती थी, पर इससे आस पास से लोगों का ध्यान चला जाता.

एक ने कहा- क्या भाभी, भईया भी कितने बड़े गांडू हैं, आज तक इस तरफ का उपयोग नहीं किया है. आपकी गांड तो कोरी निकली.

अब वो सब लोग आज मेरी गांड का भुर्ता बना रहे थे और मुझे ये बता रहे थे कि मेरे पति ने ऐसा नहीं किया तो वो बेवकूफ है.

लेकिन मैं कुछ बोलने या बहस करने की स्थिति में नहीं थी. अभी की स्थिति में इन लोगों के नजर में मैं तो एक रंडी थी. ये लोग अपने चंदे के स्थान पर मेरी चुदाई करके वसूल कर रहे थे.

ये अलग बात थी कि मुझे एक रंडी बनकर चुदवाने में कोई पैसा नहीं मिलने वाला था जबकि मुझे अंदरूनी सुख भी मिल रहा था.
यह सुख मुझे अनजाने में ही मिल गया था.

मैं इन सबकी बात इसलिए मान रही थी कि आज अपनी मन की करने के बाद शायद ये लोग मुझे भविष्य में परेशान न करें.

पर ये भी तय नहीं था. हो सकता है कि आज ये मुझे एक रंडी की भांति इस्तेमाल करें और भविष्य में मुझे एक रखैल के रूप में उपयोग करें.

हालांकि दूसरी तरफ मैं खुद भी इन हरामियों के लंड से चुत चुदवाने का मजा लेने लगी थी.

वो लड़का मेरी गांड में ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा, उसके हर एक धक्के से मेरी हल्की चीख निकल रही थी.

पर शायद बाकी लोगों को इसमें मजा आ रहा था. उसने लगातार धक्के लगाते हुए मेरी गांड में ही पानी छोड़ दिया और अलग हट गया.

उसके हटते ही एक ने मुझे टेबल से नीचे उतारा और खुद एक कुर्सी पर बैठ गया.
उसने मुझे अपने सामने घुटनों के बल बैठाया और मुझे इशारे से अपना लंड चूसने को कहने लगा.

मैंने ये भी आज तक नहीं किया था, सो मैंने बहुत ही मरी सी आवाज में कहा कि मैंने आज तक नहीं किया है, मुझसे नहीं होगा.

वो मुझे देख कर मुस्कुराया और कहा- साली रंडी, नौटंकी करती है, अब तक गांड भी तो नहीं मरवाई थी … तो आज लंड भी चूस ले साली. इसमें भी तुझे मजा आएगा.
एक ने टोका- क्या यार, भाभी इतना सहयोग कर रही हैं. वो लंड भी चूसेंगी यार. चलो भाभी चूसना शुरू करो.

फिर मैंने उसका लंड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.

उसका लंड बमुश्किल से मेरे मुँह में अन्दर जा रहा था और स्वाद भी अजीब सा था. मैं जैसे तैसे उसका लंड चूसती रही और अचानक उसने मेरे मुँह में ही पानी छोड़ दिया.

मैंने सब थूक दिया और वो अलग हट गया.

उसके बाद तो सब एक एक करके मेरे जिस्म को भोगने लगे, जिसे जो पसंद आता, वो वैसा करता. कोई मेरी चुत का भुर्ता बनाता, कोई मेरी गांड का, जिसे अच्छा लगता वो मुझसे अपना लंड चुसवाता. मुझे अब गांड मरवाने में और लंड चूसने में भी अच्छा लगने लगा था.

जब तक वो सब संतुष्ट नहीं हो गए, मैं सबका सहयोग करती रही.

उसके बाद दो को छोड़ कर बाकी के लोग कपड़े पहन कर अपने अपने घर चले गए.

अब सिर्फ दो लोग रूके रहे थे.
मैं एक कोने में कुर्सी पर बैठ गई और उधर रखी वोडका की बोतल मुँह से लगा कर सिगरेट पीने लगी.

वो लोग आपस में बात करने लगे.
पहली बार दोनों ने एक दूसरे का नाम लिया. एक का नाम रघु था और एक का विशू.

रघू ने कहा- यार, कोई सोच भी नहीं सकता कि कोई इस तरह के पण्डाल में मौज मस्ती भी कर सकता है.
विशू बोला- यार, कोई ये भी तो नहीं सोच सकता कि इस जैसी घरेलू औरत इतने लोगों को एक साथ सह ले और फिर भी अपनी टांगों पर खड़ी रह सके.

रघु बोला- सही बोल रहा है, आम तौर पर तो इतने लोगों के साथ चुदने के बाद किसी भी औरत की गांड फट जाएगी, पर मानना पड़ेगा भाभी को.
विशू बोला- तो क्यों रोक कर रखा है इनको … जाने दे अब!

उसने कहा- अरे एक एक डबलरोटी वाला राऊंड मार लेते हैं, बहुत दिन हो गए हैं. वैसे भी कल इनके फैमिली वाले आ रहे हैं. फिर पता नहीं कभी मौका मिले भी या नहीं.
विशू बोला- ठीक बोल रहा है तू.

दोनों मेरे पास आए और मुझे खींच कर उठा लिया. उन्होंने मुझे कुर्सी से दूर खड़ा करके मेरी टांगें फैला दीं और दोनों मेरे आगे पीछे खड़े हो गए.

दोनों क्या करना चाहते हैं, इस बात को जानने की मेरी उत्सुकता थी.
पर जैसे ही समझ आया, तो मेरे पसीने छूट गए.

दोनों ने आगे पीछे से मेरी चुत और गांड में एक साथ अपना लंड घुसा दिया.

अब मुझे समझ आया कि डबलरोटी क्यों बोल रहे थे. ये दोनों डबलरोटी और मैं बीच की मक्खन.

दोनों एक साथ धक्के लगाने लगे और लगातार धक्के लगाते हुए एक साथ पानी छोड़ दिया.

कुछ देर बाद उन दोनों ने अपनी जगह बदली और फिर से धक्के चालू कर दिए.
इस बार उन दोनों ने जल्द ही पानी छोड़ दिया और अलग हो गए.

मैं वहीं कुर्सी पर बैठ कर आराम करने लगी और वो लोग भी कुर्सी पर बैठ गए.

दस मिनट बाद मैंने रघु से पूछा- अब मैं जाऊं?

रघु ने कहा- चली जाना भाभी, पर जाने से पहले एक एक बार हमारा लंड चूस लो.

मैं अनमने मन से उनके सामने बैठ गई और एक एक करके दोनों का लंड चूस कर पानी निकाल दिया.

मैंने फिर से पूछा- अब मैं जाऊं?
विशू ने कहा- अरे भाभी! चली जाना, पर जाने से पहले अपना थन तो खाली करवा दो.

ये कह कर दोनों ने एक एक ग्लास मेरी ओर बढ़ा दिया.

मैंने पैर पसारते हुए कहा- अब गिलास में क्या निकालना … सीधे मुँह लगा कर चूस लो.

वो दोनों मेरे एक एक थन से लग गए. मैंने अपने दोनों स्तनों से जितना हो सकता था, उतना दूध दोनों को पिला दिया.

फिर मैंने कपड़े पहने और घर की ओर निकल गई. घर पहुंच कर मैंने सबसे पहले नहाया और एक पैग लगा कर सो गई.

अगले दिन मेरे सास ससुर वापस आ गए और सब बंद हो गया.

पर जैसा कि मैं अपेक्षा करती थी, सब हमेशा के लिए बंद नहीं हुआ.

जब भी मैं कभी किसी सुनसान एरिया से गुजरती, तो एक या दो लड़के मेरा रास्ता रोक लेते और मुझे लेकर झाड़ियों में घुस जाते. जल्दी जल्दी मेरे बदन से अपनी प्यास बुझाते और निकल जाते.
मुझे भी काफी अच्छा लगता था.

कभी मैं घर में अकेली होती तो कोई न कोई पहुंच कर उस मौके का फायदा उठा लेता.

दोस्तो ये मेरी सेक्सी लेडी Xxx कहानी थी. आप मुझे अपने सुझाव इस पते पर ईमेल करें.
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