सविता भाभी का बकरा-10

(Savita Bhabhi ka Bakra-10)

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भाभी और मैं कमरे में आ गए और सोनम दूसरे कमरे में चली गई।

भाभी ने अपने कपड़े उतार कर साइड में डाल दिए और मुझे भी नंगा कर दिया।

पलंग पर लेट कर उन्होंने चुदने के लिए टांगें छोड़ी कर दीं और मुझे खींचकर अपने ऊपर लेटा लिया।

मैं भी ऊपर चढ़कर उनको चोदने लगा।

उन्होंने अपनी टांगें मेरी पीठ पर बाँध लीं और नीचे से पूरा लौड़ा अन्दर तक घुसवा कर गाण्ड हिला हिला कर चुदने का आनन्द लेने लगीं।

कुछ देर बाद मेरे वीर्य ने उनकी चूत की गगरी भर दी उसके बाद हम दोनों चिपक कर सो गए।

सुबह 8 बजे सुलगते लौड़ा को मैंने भाभी की चूत में पेल दिया और हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सोते हुए से लेट गए।

रात में हम दरवाजे की चिटकनी बंद करना भूल गए थे, तभी सोनम ने आकर हमारी रजाई खींच दी।

मैं और भाभी चुदाई के मज़े ले रहे थे, रजाई खिंचने से हम दोनों चौंक गए, मेरा लौड़ा चूत से बाहर निकल आया, जो पूरा तना हुआ था, भाभी की चूत में सोनल ने उंगली करते हुए कहा- रंडी, तूने बहुत मस्ती कर ली, देख कितनी चौड़ी हो रही है तेरी सुरंग… अब उठ कर बाहर जा और हम सबके लिए चाय बना, तब तक तेरे देवरजी का थोड़ा सा रस मैं भी पी लेती हूँ।

भाभी ने अंगड़ाई लेते हुए कहा- तेरी भट्टी बहुत उबल रही है? चल लेट जा।

भाभी उठ गईं और सोनम मेरे पास लेट गई, उसने मेरे लौड़े को हिलाया और बोली- रात भर से चूत खुजा रही हूँ। अब जल्दी से अन्दर डाल दो, फिर तुम चले जाओगे, पता नहीं दुबारा कब इस निगोड़ी को लौड़ा मिलेगा।

भाभी बाहर चली गईं, सोनम ने अपनी मैक्सी उतार दी, मैंने सोनम को पकड़ कर अपने नीचे लेटा लिया और उसे चोदने लगा॥

चुदने के बाद सोनम मुझसे चिपक गई और बातें करने लगी।

हम लोग एक घंटे बातें करते रहे।

इस बीच मैंने एक बार सोनम के साथ दुबारा भी सेक्स किया।

11 बजे करीब भाभी हाथ में चाय नाश्ते की ट्रे लेकर आईं, वो पूरी नंगी थीं, उनकी मोटी चूचियाँ, गले में हार, बालों में सिन्दूर और पतली सी चूत की रेखा एक कभी न भूलने वाला नजारा पेश कर रही थीं।

मैं और सोनम एकटक उन्हें देख रहे थे और यह भूल गए कि हम लोग भी नंगे बैठे हैं।

भाभी ने चाय नाश्ता एक तरफ रखा और हमारी चादर खींच कर फेंकते हुए बोलीं- आहा… नंगे बैठकर चाय पीने में मज़ा आ जाएगा।
भाभी ने हमें चाय दी और हम लोग चाय पीने लगे।

चाय के बाद मौसी का फ़ोन आ गया, पूछ रही थीं कि कब आ रहे हो।

भाभी ने मेरे से फ़ोन ले लिया और बोलीं- मम्मीजी, हम लोग लंच करके एक बजे चलेंगे।

इस बीच सोनम मेरे कंधे पर सर रखकर मेरा लौड़ा अपने हाथों से सहला रही थी, मैं भाभी की चूचियाँ दोनों हाथों से धीरे धीरे दबा रहा था।

फ़ोन पर बात करने के बाद भाभी सोनम और मैं साथ साथ नंगे नहाए।
और नहाते हुए एक दूसरे के अंगों को हमने खूब सहलाया-दबाया और एक दूसरे के छेदों में गुदगुदी की, बड़ा मज़ा आया।

नहाने के बाद लंच करके मैं और भाभी वापस जाने के लिए निकलने लगे।

जब हम चलने लगे तो सोनम रोने लगी और मुझसे चिपक गई।
उसने मेरे गालों पर पप्पियों की बारिश कर दी और सुबकते हुए कई बार उसने ‘आई लव यू’ कहा।

मैंने भी उसे बाहों में बाँध लिया और 3-4 गहरे लब-चुम्बन दे दिए।

उसके बाद हम लोग ऑटो लेकर बस स्टैंड आ गए और हमने घर के लिए बस पकड़ ली।

हम लोगों ने 2 दिन सेक्स के बहुत मज़े लिए थे इसलिए दोनों जने शांत महसूस कर रहे थे।

हल्की फुल्की बातें करते हुए मैं और भाभी शाम 7 बजे घर आ गए।

भाभी की चूत का लाइसेंस मुझे मिल गया था वो मुझसे चुदवाने को आतुर रहतीं थीं।

कहानी जारी रहेगी।
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