निदा की अन्तर्वासना-4
(Nida Ki Antarvasna-4)
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इमरान ओवैश
कुछ देर बाद निदा अपना एक हाथ उठा कर अपने चूतड़ सहलाने लगी जो कि मेरे लिए इशारा था कि वह अब बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।
मैंने सीधे होकर अपना लण्ड थूक से गीला करके उसके गुलाबी दुपदुपाते हुए छेद पर रखा और थोड़ा ज़ोर लगा कर अन्दर उतार दिया।
निदा की एक गहरी सांस छूट गई और उसने नितिन का लंड बाहर निकाल कर अपनी आँखें बंद की और अपने शरीर के निचले हिस्से में लण्ड और जुबान से पैदा आनन्द की लहरों को एकाग्र होकर अनुभव करने लगी।
लेकिन इस तरह की गाण्ड मराई में मेरी गोलियाँ नितिन की नाक से टकरा रही थीं लेकिन उसने भी आज किसी ऐतराज़ अवरोध को खातिर में नहीं लाना था। वह अपना काम करता रहा और मैं निदा की गाण्ड मारता रहा।
कुछ देर की चुदाई के बाद निदा ने आँखें खोल कर मुझे देखा। वह कुछ बोली नहीं लेकिन मैं उसकी आँखों की भाषा समझ सकता था और मैं हट गया और नितिन को ऊपर आने को बोला।
खुद नीचे होकर निदा के नीचे नितिन की जगह पहुँच गया और नितिन बाहर निकल कर मेरी जगह। मैंने उसकी बहती हुई बुर को हाथ से ही साफ़ किया और फिर खुद जुबान लगा दी। मेरे चेहरे के बिल्कुल पास निदा की गाण्ड का खुला हुआ छेद था, बल्कि नितिन का केले जैसा लन्ड भी जो वो नोक से निदा को घुसा रहा था।
अब ज़ाहिर है कि मेरी बनाई जगह उसके लिए अपर्याप्त थी, तो वह ऐसे लग रहा था जैसे फंस गया हो। निदा को भी पता था कि नितिन के लण्ड से उसकी गाण्ड का हाल बुरा होने वाला था और उसे दर्द सहना पड़ेगा, लेकिन अब जब मिला ही था तो वह इस लण्ड को हर तरह से ग्रहण कर लेने में पीछे नहीं रहना चाहती थी।
मैंने नितिन को थोड़ा पीछे सरका कर अपना ढेर सा गाढ़ा थूक निदा के पानी सहित निदा के छेद पर उगल दिया, जिससे छेद एकदम से चिकना होकर चमक उठा और अब जब नितिन ने टोपी सटा कर ज़रा सा ज़ोर लगाया तो निदा का छल्ला खुद को फैलने से न बचा पाया और नितिन की टोपी एकदम से अन्दर हो गई।
दर्द से निदा ज़ोर से कराही और स्वाभाविक रूप से आगे सरकी ताकि नितिन के लण्ड को निकाल फेंके। लेकिन उसी पल में मैंने और नितिन ने उसे रोक लिया और उसने भी अपनी बर्दाश्त की क्षमता को उपयोग करते हुए खुद को ढीला छोड़ दिया।
नितिन ने कुछ देर लण्ड अन्दर रख कर जो बाहर निकाला तो मेरे एकदम समीप ‘पक्क’ की आवाज़ हुई और नितिन का सुपाड़ा बाहर आते ही निदा का छेद एकदम इस हद तक खुला रह गया कि उसकी चूत में जुबान घुसाते हुए मुझे छेद के अन्दर के गुलाबी भाग तक के दर्शन हो गए।
पऱ अगले पल में नितिन ने फिर अपना लण्ड छेद से सटा कर दबाया तो फिर निदा कराही और लण्ड का अगला भाग अन्दर हो गया। इस बार नितिन ने दो इंच और अन्दर सरकाया, कुछ पल रोक कर छेद को एडजस्ट होने का मौका दिया और फिर बाहर निकाल लिया, छेद फिर उसी तरह खुला और मैंने एक बार और अपना गाढ़ा थूक उसमें उगल दिया।
तीसरी बार नितिन ने जब निदा की गाण्ड में अपना लण्ड घुसाया तो अपेक्षाकृत आसानी से घुस गया और इस बार नितिन ने लण्ड बाहर न निकाल कर धीरे-धीरे ऐसा अन्दर सरकाया कि उसकी गोलियाँ मेरी नाक के पास आ गईं और उसका समूचा लन्ड निदा की गाण्ड में अन्दर तक धंस गया।
बर्दाश्त करने में निदा का पसीना छूट गया और वह हांफने लगी।
यह तो मैं लगातार उसकी चूत में घुसा, उसे गर्म कर रहा था जिससे वह इस दर्द से लड़ पा रही थी वरना उसे पक्का आफत आ जाती। मेरी चटाई उसे उस दर्द के एहसास से बाहर ले आई और फिर नितिन ने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। अजीब नज़ारा था। मेरी आँखों से सिर्फ डेढ़ इंच दूर एक मोटा लम्बा लंड एक कसे हुए छेद में अन्दर-बाहर हो रहा था। उसकी गोलियाँ हिलती हुई मेरे चेहरे से दूर होती और फिर पास आ जाती।
धीरे-धीरे निदा उस दर्द से उबर गई और चूतड़ खुद ही आगे-पीछे करने लगी, तो मुझे अब उसकी चूत की चटाई की आवश्यकता न लगी और मैं उसके नीचे से निकल आया और नितिन को हटा कर खुद लन्ड घुसा दिया।
मुझे छेद बुर की तरह ही एकदम ढीला और फैला हुआ लगा जो मेरे लण्ड को मज़ा न दे पाया, साथ ही मैंने निदा के शरीर में भी मायूसी सी महसूस की जैसे नितिन के लण्ड को लेने के बाद मेरे लन्ड से मज़ा न आ रहा हो। लेकिन बहरहाल हिस्सेदारी ज़रूरी थी और इसी वजह से मैंने अपने धक्कों में कोताही न की, नितिन पास ही बैठ कर हाथ से उसकी चूत सहलाने लगा।
फिर कुछ देर में मैं हटा तो नितिन ने निदा की गाण्ड की पेलाई चालू कर दी।
अब निदा को भी भरपूर मज़ा आने लगा था। उसने एक बार फिर मेरी तरफ निगाहें घुमा कर इशारा किया। जिसे नितिन तो न समझा लेकिन मैं बखूबी समझा और मैंने नितिन को सीधा लेट जाने को कहा।
मेरे आदेश के मुताबिक नितिन बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया और मेरे सहारे से निदा सीधी हो गई। फिर मेरे हाथों की हरकत के हिसाब से संचालित हो कर वो नितिन के लण्ड पर ऐसे बैठी कि नितिन का खड़ा लण्ड उसकी चूत में जगह बनाते हुए अन्दर उतर गया।
पूरा लण्ड अन्दर लेने के बाद निदा नितिन के ऊपर ऐसे झुकी कि उसके होंठ नितिन के होंठों से टकराने लगे और नितिन भी उन्हें चूसने से कहाँ बाज़ आने वाला था।
पर इस पोज़ीशन में उसके दोनों छेद मेरे ठीक सामने हो गए। बुर में नितिन का लण्ड ठुँसा हुआ था और गाण्ड मुझे बुला रही थी।
मैंने छेद में अपना लण्ड उतार दिया। निदा के अगले छेद में नितिन का मोटा और भारी लण्ड होने के कारण उसके पिछले छेद में जगह कम बची थी जिससे मेरे लण्ड पर भी वैसे ही कसाव महसूस हो रहा था जैसे पहले होता था।
और यूँ दो लंडों को एकसाथ अपने दोनों छेदों में लेकर निदा को तो जैसे जन्नत नसीब हो गई। उसने नितिन के चेहरे से अपना चेहरा हटा लिया और आँखें बंद करके इस आनन्द को पूरी तरह महसूस करके सिसकारने लगी और इसी स्थिति में हम दोनों धक्के लगाने लगे।
नितिन इस तरह नीचे होने के कारण ठीक से धक्के नहीं लगा पा रहा था तो निदा ने ही खुद को ऐसे आगे-पीछे करना शुरू किया कि हम दोनों के लंडों को धक्के मिलने लगे और इस तरह वह बेचारी घोर चुदक्कड़ कन्या तब अपने दोनों छेदो को चुदाती रही जब तक कि थक न गई।
थोड़ी देर के बाद हमने जगह बदली।
मुझे नितिन के लण्ड से खाली हुई निदा की बुर फिर एकदम ढीली और फैली लगी लेकिन जैसे ही उसने निदा की गाण्ड में अपना लण्ड पेला, एकदम से कसाव महसूस हुआ। अब थकी निदा तो धक्के न लगा पाई, नितिन ही आगे-पीछे हो कर ऐसे तूफानी धक्के लगाने लगा कि मेरे लन्ड को अपने आप धक्के मिलने लगे।
निदा ने अपनी आँखें फिर भींच ली थी, पर उसके चेहरे पर छाए बेपनाह आनन्द के भाव मुझसे छिपे नहीं थे।
जब नितिन भी कुछ थक गया तो हम दोनों ही अलग हो गए।
अब मैं बेड के किनारे बैठा और अपने ऊपर निदा को ऐसे बिठाया कि उसकी गाण्ड मेरे लण्ड पर फिट हो गई और मैंने उसके घुटनों के नीचे से हाथ निकाल कर उसकी टाँगें ऐसे फैलाईं कि उसकी चूत नितिन के सामने आ गई और उसने भी अपना लन्ड पेलने में ज़रा भी देर नहीं की और यूँ हम दोनों ही आगे-पीछे से धक्के लगाते निदा को बुरी तरह पेलते रहे।
उसकी इस घड़ी बेसहारा हो गई चूचियां बुरी तरह हिलती उछलती रहीं।
जब इस तरह नितिन थक गया तो वो मेरी जगह बैठ गया और मैं उसकी जगह खड़े हो क़र निदा को चोदने लगा।
इस बीच शायद निदा का पानी तीन बार छूट चुका था और अब भी वो वैसे ही मज़ा ले रही थी।
इसी तरह जब पोजीशन बदल-बदल कर उसे चोदते हम तीनों ही थक गए, तो तीनों ही बिस्तर पर ऐसे लेट गए कि उसके दोनों तरफ लन्ड घुसाए मैं और नितिन चिपके थे और बीच में निदा सैंडविच बनी हुई थी। निदा का मुँह नितिन की तरफ था और वो उसके होंठ चूसने में लगा था और मैं निदा की गाण्ड मारते पीठ से चिपका उसकी चूचियों को मसल रहा था।
इसी तरह जब निदा के शरीर में चरम आनन्द की लहरें महसूस हुईं तो हम भी उसी पल में चरमोत्कर्ष पर पहुँच गए और तीनों ही एक साथ आवाज़ें निकालते ऐसे झड़े कि हम दोनों के बीच भींचने से निदा की हड्डियां तक चरमरा गईं और उसकी बुर और गाण्ड एक साथ ढेर सारे माल से भर गई।
जब हम दोनों के लन्ड एकदम वीर्य से खाली होकर ‘ठुनकने’ लगे तो दोनों ने ही लण्ड बाहर निकाल लिए और चित लेट कर बुरी तरह हांफने लगे।
इस ताबड़तोड़ चुदाई ने हम तीनों को ही इस बुरी तरह थका डाला था कि जब निपट कर हम बिस्तर पर फैले तो दिमाग पर नशा सा सवार था और हमें पता भी न चला कि कब हम नींद के आगोश में चले गए।
मुझे नहीं पता कि कितनी देर बाद मेरी नींद टूटी लेकिन जब उठा तो आवाज़ें कानों में पड़ रही थीं और सामने नज़ारा यह था कि निदा डॉगी स्टाइल में झुकी हुई थी, उसका चेहरा मेरे सामने था और आनन्द के कारण अजीब सा हो रहा था और वह मुझे देख रही थी। जबकि नितिन पलंग के नीचे खड़ा उसकी चूत में अपना लण्ड पेले उसके चूतड़ों को थामे आंधी तूफ़ान की तरह उसे चोद रहा था और उसकी जाँघों से निदा की गाण्ड के टकराने से ‘थप.. थप..’ की पैदा होती आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। इसी आवाज़ ने मुझे जगाया था।
मैं तो निदा को चोदते ही रहता था लेकिन नितिन के लिए निदा नया माल थी और निदा के लिए भी नितिन एक नया और अलग ज़ायका था इसलिए ज़ाहिर था कि वह नहीं बाज़ आने वाले थे।
अच्छा है कि नितिन जी भर के उसे चोद ले … उसकी भी ख्वाहिश पूरी हो जाए।
मेरे होंठों पर मुस्कराहट आ गई और मुझे मुस्कराते देख निदा भी मुस्कराने लगी और मैं अधलेटा हो कर उसे नितिन के हाथों चुदते देखने लगा।
कमरे में निदा की चूत पर चलते नितिन के लन्ड की ‘पक.. पक..’ और दोनों की जाँघें और चूतड़ टकराने से पैदा होती ‘थप.. थप..’ वैसे ही गूंजती रही।
आप को मेरी कहानी कैसी लगी, उत्साहवर्धन के लिए बताइएगा ज़रूर।
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