न्यूज़ चैनल की एंकर की चुदाई-4
(News Channel Ki Anchor Ki Chudai-Part 4)
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यकायक बहुत ही तेज़ चुदास से बेकाबू होकर बेबी रानी ने लौड़े को बेसाख्ता चूमना शुरू कर दिया. उसने दीवानावार बीसियों चुम्मियाँ लौडे पर मारीं. ज़ोरों से तन्नाया हुआ लण्ड अब पूरे तनाव में आ चुका था एकदम एक सख्त डंडे की भांति.
मैंने झट से बेबी रानी को चुचूक से पकड़ के खींचा और चूचों से ही उसको उठाकर उसे लौड़े पर टिका दिया और फिर बड़ी ताक़त से उसके चूचों को नीचे को घसीटा तो धमाक से लण्ड रानी की रस से लबालब भरी हुई बुर में पूरा का पूरा जड़ तक जा घुसा. चूचों से पूरा शरीर खींचने से हुए मस्ती भरे दर्द ने बेबीरानी को और भी ज़्यादा उत्तेजित कर दिया और वो फ़ौरन स्खलित होकर चरम आनन्द प्राप्त कर गई.
लौड़े पर चूत रस की एक धारा एक फुहार के रूप में पड़ी जिस से मेरा मज़ा दो गुना हो गया. रानी झड़ के मेरे सीने के ऊपर ढेर हो गई. लण्ड चूत में घुसा हुआ था और गर्म गर्म रस का लुत्फ़ लूट रहा था जबकि चूत लप लप लप लप करती हुई रस छोड़ रही थी. बेबी रानी का सिर मेरे सीने से टिका हुआ था. उसके तितर बितर बाल इधर उधर बिखरे पड़े थे. उसने अपने लम्बे लम्बे सुन्दर नाख़ून मेरी बाँहों के ऊपरी मांसपेशियों में कस के गड़ा रखे थे. मैंने बेबीरानी के कंधे पकड़ के उसको सीधा बिठाया और उसको उछाल उछाल के चोदना शुरू किया.
थोड़ी ही देर में रानी भी दुबारा से कामवासना की मार से घायल हो गयी और लगी सीत्कार भर भर के चुदवाने. मैंने उसके मम्मों को इतने ज़ोर से भींच रखा था कि वो कभी कराहती थी तो कभी मस्ता के सी सी सी सी करके चूतड़ उछाल उछाल के लौड़ा तेजी से अंदर बाहर करती थी.
वो बोले भी जा रही थी भर्राई हुई आवाज़ में- राजा … माँ के यार … और ज़ोर से निचोड़ मेरे मम्मे … चटनी बना दे कमीने … हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ … आअह आअह आअह … हाय मैं क्या करूँ … बता न बहन चोद … साले माँ चोद दे आज अपनी नई नई रानी की … आआह आआह … हाय मज़े दे दे कर मार ही डालेगा क्या कुत्ते … हाय मैं फिर से झड़ी … ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ … हाय मैं मर जाऊं … तेरी माँ की चूत कुत्ते.’
काफी देर तक ऐसे ही ज़बरदस्त चुदाई चली. फिर मैंने एक गुलाटी मारते हुए रानी को नीचे और खुद को ऊपर कर लिया. अब उसका नाज़ुक सा बदन मेरे नीचे दबा हुआ था और मैंने घुटनों के बल खुद को टिका लिया और बहुत हौले हौले धक्के मारते हुए उसको चोदना शुरू किया.
मेरे हाथ लगातार उसके मस्त चूचियाँ दबा दबा के निचोड़ रहे थे. मैंने बेबी रानी के पैर उठाकर अपने कन्धों पर जमा दिए और फिर कभी हल्के, कभी तगड़े और बीच बीच में कभी बहुत तगड़े धक्के ठोक के चोदने लगा. मैं घुटनों के बल बेबीरानी की चुदाई किये जा रहा था कि उसने मस्ता कर अपने पैर मेरे गालों के इधर उधर जमा दिए.
मलाई जैसे मुलायम चिकने और बेहद हसीन पैरों के स्पर्श से मेरी चुदास कई गुना बढ़ गई और मैंने दीवानावार रानी के पैरों को चाटना शुरू कर दिया. एक कुत्ते की माफिक जीभ से जो मैंने रानी के पैर चाटे कि हरामज़ादी ने मस्ती में बौखला कर नीचे से चूतड़ उछालने शुरू कर दिए.
मैंने बेबीरानी के पैरों के तलवे चाट चाट के तर कर दिए और फिर मैंने एक एक करके उसके पैरों की सुन्दर सुडौल उंगलियां अंगूठे मुंह में लेकर खूब चूसे. बहुत सुन्दर!!! मज़ा आ गया!!! नीचे लौड़ा चूत के रस में डूब कर आनन्दमय था जबकि ऊपर मेरा मुंह बेबीरानी के पैरों को चाट चूस के मेरी आत्मा को तृप्त किये जा रहा था. बुर से रस निकले जा रहा था जिसके कारण लण्ड के अंदर बाहर आने जाने से ज़ोर ज़ोर से फिच्च … फिच्च … फिच्च … फिच्च की आवाज़ें कमरे में गूंज उठीं.
भयंकर रूप से चढ़ी हुई और बढ़ी हुई चुदास में बेबीरानी बहकने लगी थी. उसने अपनी टाँगें क्रॉस कीं और मेरा सिर बड़ी ज़ोर से अपने प्यारे प्यारे टखनों के बीच दबोच लिया. फिर उसने धमाधम धमाधम गांड उछाल उछाल के जो धक्के लगाये हैं तो यारों क्या कहना !!!
तभी एक ज़ोर की सीत्कार भरते हुए गुड्डी बेबी रानी के मुंह पर चढ़ बैठी- बहनचोद जीभ से चोद मेरी चूत … चूस चूस के जान निचोड़ दे मेरी.
गुड्डी तेज़ तेज़ अपनी चूत बेबी रानी के मुंह पर रगड़ने लगी. बहुत अधिक गरमा चुकी थी गुड्डी. हम दोनों की ऐसी ज़ोरदार चुदाई के दृश्य से ऐसा कौन है जो भयंकर उत्तेजना से ना भर जायगा.
गुड्डी के गोल गोल मक्खन से चिकने, भूरी निप्पल वाले कश्मीरी मम्मे मेरी नज़र के बिल्कुल सामने हो गए तो मेरा दिल उनके साथ खेलने के लिए ललचाने लगा था.
मैंने बेबी रानी के पैर कन्धों पर से हटाये और टाँगें चौड़ा दीं. फिर मैंने लौड़ा चूत में घुसाये घुसाये ही गुड्डी को चूचियों से पकड़ के घसीट के अपनी तरफ झुकाया और लपक के अपना मुंह उसके मस्त स्वादिष्ट चूचियों पर लगा के बेसाख्ता चूसने लगा और साथ साथ बेबी रानी को हौले हौले धक्के लगाने लगा. मैं बारीबारी से गुड्डी की चूचियाँ चूसे जा रहा था और बेबी रानी को धीरे धीरे धक्के ठोक ठोक के चोद रहा था.
गुड्डी ज़ोर ज़ोर से सी सी सी कर रही थी. जैसे ही मैं बेबी रानी को धक्का ठोकता वैसे ही मेरे पंजों की गिरफ्त में उसके चूचों को भी ज़ोर का धक्का लगाता और मेरी उंगलियां उन मुलायम दूधों में घुस जातीं.
गुड्डी ज़ोर से हाय हाय हाय करती. बेबी रानी का मुंह तो गुड्डी की चूत में चिपका हुआ था इसलिए उसके गले से घूं … घूं … घूं के सिवा कोई ध्वनि नहीं निकल पा रही थी.
बेबी रानी चुदाई के आनन्द में भरी हुई बिदक गई थी. उसने अपनी टाँगें मेरी टांगों में कस के लपेट लीं थीं और गुड्डी की चूत में जीभ से चुदाई कर रही थी. वह अपने पंजे ज़ोरों से कभी मेरी बाँहों में, कभी मेरी छाती में तो कभी मेरी पीठ में गड़ा के गांड हिलहिला के चुदाई करती. सारे बाल तितर बितर हो चुके थे. चेहरा हवस से लाल सुर्ख हो गया था और माथा पसीने से भीग गया था. उसके मुंह से घुटी घुटी सी अजीब अजीब आवाज़ें आ रही थीं… घूं … घूं … घूं उसका पूरा बदन कसमसाने लगा था.
इतने में गुड्डी ने एक हुंकार भरी और अम्मा … अम्मा हाय अम्मा … मर गयी कहकर ज़ोरों से झड़ी और बेसुध सी होकर सामने मेरी तरफ को गिर पड़ी. उसका माथा मेरी छाती से टकराया और चूत बेबी रानी के मुंह से हट गई.
मैंने उसके कंधे पकड़ के उसको उठाया और साइड में सरका दिया. संज्ञाशून्य हुई गुड्डी हमारे बग़ल में गिर के ढेर हो गई. जैसे ही बेबी रानी का मुंह आज़ाद हुआ उसके गले से आवाज़ें निकलने लगीं. रानी का मुंह, होंठ और ठुड्डी सब गुड्डी की चूत रस से भीगे हुए थे.
“आह आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय हाय … राजे ज़ोर से ठोक कमीने … उई उई … माँ … बना दे हरामी बेबी रानी को बेबी रंडी … तेरी रखैल बनी रहूंगी … अब ज़ोर से चोद ना मादरचोद.”
मैंने थोड़ी सी धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी लेकिन पूरे ज़ोर से नहीं. मैं चूत के रस में डूबे हुए लौड़े को बेतहाशा मज़ा देना चाहता था … फिच्च फिच्च फिच्च … धम धम धम … लौड़ा भीतर लौड़ा बाहर … और तेज़ … और तेज़ … और तेज़!
मैं कभी बेबी रानी के चुचे चूसता, कभी ऊपर को होके उसके गुलाब जैसे रसीले होंठों का स्वाद लेता. वो जीभ निकाल देती तो मैं उसकी जीभ मुंह में लेकर उसको चूसता. नीचे धक्के पे धक्का … धक्के पे धक्का … धक्के पे धक्का … फिच्च फिच्च फिच्च … फिच्च फिच्च फिच्च … बेबी रानी अब तक कई बार झड़ चुकी थी. शायद बीस पच्चीस बार तो चरम सीमा के पार पहुँचने का आनन्द उठा चुकी थी.
इधर मेरे टट्टों में भी दबाब बढ़ने लगा था. यूँ लगता था मेरी गोलियां किसी फुले हुए गुब्बारे जैसे फ़ट न जाएँ. मेरा लौड़ा अब झड़ जाना चाहता था. उधर बेबी रानी चुदाई के नशे में मतवाली हो चली थी. वो तेज़ तेज़ चोदने की गुहार लगाने लगी थी. हरामज़ादी ने मेरे बाल पकड़ के खींचना शुरू कर दिया था जबकि मेरी पीठ पर अपने लम्बे नाखूनों से बहुत सारी खरोंचें वो पहले ही मार चुकी थी.
रानी ने अपनी टाँगें मेरी टांगों से पूरी ताक़त से लिपटा लीं और मुझे बाँहों में जकड़ के मुझ से बड़े ज़ोर से चिपक गई. उसका मुंह मेरी छाती में घुस गया और उसके मस्त मम्मे मेरे पेट को दबाने लगे. पसीने से तर उसके चेहरा मेरे सीने को भी गीला कर रहा था. अब हमारी साँस फूल गई थी और बदन थरथराने लगे थे.
रानी ने फिर से मुझे तेज़ चुदाई करने को कहा- राजे … राजे … हाय मैं मार जाऊंगी … मादरचोद … अब नहीं रुका जा रहा. अब बस जल्दी से चूत को भोसड़ा बना दे … चोद चोद बहन के लोड़े पूरी ताक़त लगा दे धक्के में … जब तक चूत का कचूमर नहीं निकलता मुझे न तसल्ली होने वाली हरामी पिल्ले … हाय हाय हाय … प्लीज राजे प्लीज … आ आ ऊँ ऊँ … हाय मेरी माँ देख कुतिया क्या हाल हुआ है तेरी बेटी का.
मैंने अपने को कोहनियों के बल टिकाया और धमाधम इतने ज़ोर से पंद्रह बीस धक्के मारे कि पलंग की चूलें हिल गयीं.
बेबीरानी बड़े ऊँची आवाज़ में आहें भरते हुई ज़ोर से झड़ी.
उसका झड़ना था कि चूत रस की बौछार से मैं भी धड़ाम से स्खलित हुआ. वीर्य की मोटी मोटी भारी भारी बूंदों से बेबीरानी की चूत भर गई. चूत के रस और लौड़े के लावा का मिला जुला एक तरल चूत से निकल निकल कर उसकी जांघों और मेरी झांटों को भिगोने लगा.
गहरी सांसें लेता हुआ मैं बेबीरानी के ऊपर ढह गया. वो भी चुदाई की मस्त क्रिया से मग्न होकर ढीली सी पड़ी थी. एक मंद मंद मुस्कान उसके सुन्दर मुखड़े पर छाई हुई थी और वो बहुत ही संतुष्ट लग रही थी. उसने अपने बदन को दबाते हुए मेरे अस्सी किलो के भार से एक चूं तक न की थी.
मैंने बार बार बेबीरानी के होंठ चूमे. मुझे उसपर बेइंतिहा प्यार आ रहा था. वो भी आनन्दमय होकर मेरा मुंह बारम्बार चूम रही थी.
हम दोनों ही काफी तक चुके थे. दोनों लेट गए और जल्दी ही गहरी नींद ने बेहोश हो गए.
कितनी देर तक सोये रहे इसका कुछ अंदाज़ा नहीं लेकिन जब मेरी नींद खुली तो देखा की दोनों रानियां गहरी नींद में थीं. बेबी रानी ने एक टांग अपने सामने को घुटना मोड़ के फैला रखी थी जिससे उसकी गांड दिख रही थी.
गांड का प्यारा सा छोटा सा छेद देखकर मेरा सोया हुआ लौड़ा फिर से जाग उठा.
मैंने खुद को दोनों रानियों के बीच में सेट किया और बेबी रानी की गांड के छेद पर जीभ घुमाने लगा. इतनी सुन्दर गांड के नज़ारे से मुंह में पानी आना तो स्वाभाविक ही था. थोड़ी देर गांड को बाहर से भली भांति चाटा.
बेबी रानी की आंख खुल गयी और वो मस्ताकर ऊँऊँऊँ ऊँ करने लगी.
कसमसाते हुई बेबी रानी मेरी कामेच्छा और भी तीव्र कर रही थी. मैंने झट से जीभ उसकी गांड में घुसा दी और हाथ बढ़ाकर एक उंगली रानी की चूत में दे दी. रानी ने ज़ोर से सी … सी … सी … किया और मैं उंगली को तेज़ तेज़ चूत में भीतर बाहर भीतर बाहर करने लगा. गांड को जीभ से और चूत को उंगली से मार रहा था.
रानी व्याकुल हो चली थी, वो चाहती थी कि लंड उसकी गांड में ठोक कर अच्छे से गांड मारूं.
रानी को गालियाँ बकते हुए मैंने उसको उठाकर कुतिया के पोज़ में सेट कर दिया यानि पैर फर्श पर, वो झुकी हुई, उसके हाथ बेड पर टिके हुए और चूतड़ पीछे को उठे हुए. इस पोजीशन में एक ही शॉट में पूरा लण्ड उसकी छोटी सी गांड में सूत दिया.
बेबी रानी पीड़ा से कराह उठी.
अपने दोनों हाथ रानी के उरोजों पर जमा कर मैंने हल्के हल्के धक्कों से गांड मारनी शुरू कर दी. साथ साथ उसके चूचुक निचोड़ने लगा. एक शॉट पेलता और ज़ोर से मम्मे मसल देता. रानी को मज़ा आने लगा था और वो मस्त धीमे धीमे नितम्ब मटका कर गांड मरवा रही थी.
इतने में गुड्डी की नींद हमारी आवाज़ों से टूट गई. उचक के बैठ गई और बेबी रानी की गांड मरवाई का नज़ारा देखने लगी. उसकी सब नींद उड़न छू हो चुकी थी.
इस प्रकार गांड मरवाते हुए रानी को इतना बेतहाशा आनन्द मिला कि वो अनेकों बार चरम सीमा पार कर गई. ये हाल हो गया कि चूत से बहते ढेर सारे रस की वजह से बेबी रानी की जांघें तक भीग गईं. आखिर में दनादन ज़ोरदार धक्के मार मार के मैंने झाड़ के सारा लावा उसकी गांड में भर दिया.
आनन्द में चूर होकर रानी मचल उठी, प्यार से राजे राजे राजे कहती हुई वह मुझ से लिपट गई और मेरे ऊपर चुम्मियों की झड़ी सी लगा दी.
फिर वो बोली- बहुत थक गई हूँ राजे … थोड़ा और आराम कर लूँ मैं!
मैंने कहा- हाँ रानी, जितना दिल करे उतना आराम कर. अभी तो पूरी शाम और पूरी रात चुदना है. अच्छे से आराम करके फ्रेश हो जा ताकि चुदाई का एक नया राउंड चालू करें.
इसके बाद मैंने शैम्पेन की बोतल, जो मैं अपने साथ लेकर आया था, उसको खोला और शैम्पेन का एक गिलास बेबी रानी और एक गुड्डी को दिया.
गुड्डी ने पूछा- क्यों तुम नहीं लोगे?
मैंने कहा- ज़रूर लूंगा गुड्डी मेरी जान … मैं तुम दोनों के मुंह से पियूँगा. तू एक सिप ले और मुंह में घुमा. फिर मैं तेरे होंठ से होंठ लगाऊंगा और तू शैम्पेन मेरे मुंह में टपका दियो. ऐसा ही बेबी रानी को करना है … तुम दो दो रंडियों के होते हुए मैं अलग से गिलास क्यों लूँ? फिर तुम्हारे मुंह का जूस भी तो मिक्स हो जायगा शैम्पेन में? ले एक सिप और जो बताया वैसा कर … तू भी रंडी बेबी.
बेबी रानी बोली- मुझे पता है क्या करना है … किसी एक कहानी में तूने ऐसे ही दारू पी थी, माँ के लौड़े.
दोनों ने सिप लिया और मेरे कहे अनुसार मुंह में खूब घुमाया. पहले गुड्डी और फिर बेबी रानी के संतरे जैसे होंठों से होंठ चिपकाकर मैंने उनके मुंह वाली शैम्पेन अपने मुंह में ले ली. आह आह आह आह आह. बहनचोद स्वाद आ गया. ऐसी नशीली दारू का क्या कहना! जिसमें वाइन भी हो और रानियों के मुंह का जूस भी. कोई है तोड़ ऐसी शराब का?
इसके बाद मैं गुड्डी की गोदी में बैठ गया और इसी तरह से शैम्पेन पीने लगा. ये दोनों भी एक एक सिप मुझे पिलाती और एक एक सिप खुद पी लेतीं. गुड्डी की गोदी में पड़ा हुआ मैं कभी उसकी चूचियों से खेलता तो कभी बेबी रानी की.
अब ऐसे खेल में सबको चुदास की गर्मी चढ़नी तो लाज़मी थी ही. बेबी रानी और गुड्डी दोनों वासना में जलने लगी थीं. शैम्पेन का नशा और मेरे द्वारा की जा रही छेड़ छाड़ व खेल खिलवाड़.
गुड्डी ने बेबी रानी के कान में कुछ फुसफुसाया.
बेबी रानी हंसी और मुझसे बोली- राजे … आज तो तेरी ऐश लग गयी कुत्ते.
मैंने रानी की निप्पल्स उमेठ कर पूछा- हाँ ऐश तो लग ही गयी कुतिया … तेरी जैसी हसीना को चोद लिया तो ऐश तो हुई ही.
बेबी रानी ने इठलाते हुए कहा- सुन तो मादरचोद … गुड्डी ने दिल पक्का कर लिया है … कह रही थी कि वो भी चुदना चाहती है … हमारी चुदाई के दृश्य से उसको बहुत अच्छा लगा … शरमाते शरमाते कह रही है कि मेरी चूत का भी कुछ ध्यान कर ले.
मैंने खुश होकर कहा- जानू मैंने तो ध्यान अच्छे से रखूंगा … लेकिन यह अचानक से मन का डर निकला कैसे?
गुड्डी बोली- तेरा बर्ताव देखकर अच्छा लगा … तूने मुझे ज़रा सा भी परेशान नहीं किया … इसलिए लगा कि तेरी सम्बन्ध बनाकर अच्छा रहेगा … चुदाई भी तू बहुत मस्त करता न मेरे राजा.
“हाँ, अब तो मैं तुझे गुड्डी रानी कह सकता हूँ … आजा मेरी जान तेरी सील तोड़ ही दूँ.”
गुड्डी रानी ने शर्मा कर सर झुका लिया.
“हरामज़ादी अब शर्म क्यों आ रही है … बहन की लौड़ी रांड जब बेबी रानी को चूत पिला रही थी … नंगी हुई भगनासा रगड़ रही थी तब तो शर्म आयी नहीं अब कमीनी शर्माने का ढोंग कर रही है, बेटीचोद वेश्या.”
“राजे सील टूटने की बात से शर्म आ गयी न … इतना नाराज़ क्यों हो रहा तू?”
मैंने गुड्डी रानी को बाँहों में समेट लिया- जान गुड्डी रानी नाराज़ तो मैं हो ही नहीं सकता … यूँही कुछ कुछ बोलता रहता हूँ.
दोस्तो, इसके बाद शैम्पेन तो छूट गई और मैं गुड्डी को अपनी गुड्डी रानी बनाने में जुट गया, उसके कौमार्य को कैसे भंग किया गया इसका वर्णन अगली कहानी में करूँगा. इंतज़ार करियेगा.
बेबी रानी की कहानी यहीं समाप्त हुई.
यह बता दूँ कि हम लोग होटल में तीन दिन रहे. अंधाधुन्ध चुदाई हुई इन तीन दिनों में. सुबह, शाम और रात चुदाई और बस चुदाई. चोदा और सो गए, फिर चोदा और फिर सो गए . बस यही चला बिना ब्रेक के.
आखिर यह चुदाई समारोह से विदा लेने का वक़्त आ गया. होटल से चेक आउट करके हम अपने अपने घर चले गए.
इसके बाद फिर होटल में नहीं गए.
बेबी रानी, गुड्डी रानी और इनकी तीसरी सहेली पिंकी नॉएडा में एक फ्लैट में साथ रहती हैं. अब उसी फ्लैट में चुदाई चलती है. गुड्डी के बाद पिंकी भी मेरी रानी बन गयी. वह भी इन दोनों वाले टीवी चैनल में है.
पिंकी रानी की कहानी लिखूंगा गुड्डी रानी की कहानी पूरी करने के बाद. प्रतीक्षा का फल मीठा मिलेगा.
हमेशा की तरह यह कहानी भी अर्पित करता हूँ अपनी महान महारानी की शान में, जो मेरी बेग़म जान और मल्लिका ए आलिया भी है.
धन्यवाद
चूतेश
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