चढ़ती जवानी में हुई मेरी चूत मस्तानी- 5

(New Sex Relation In Family)

न्यू सेक्स रिलेशन इन फॅमिली कहानी में पढ़ें कि सुनसान रेलवे स्टेशन पर चार भाई बहनों ने आपस में सेक्स का मजा लेकर नए सम्बन्ध बना लिए. भाई-बहन का रिश्ता वही मगर सोच नयी हो गयी.

कहानी के पिछले भाग
बहनों ने भाई बदल कर सेक्स किया
में आपने पढ़ा कि हम भाई बहन ने चूत लंड चाट चूस कर, फिर चचेरी बहनों ने एक दूसरी की चूत चाटी.

थोड़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा.
फिर सोनू ने स्वीटी की चूची से मुंह हटाया और मुझसे बोला- अरे दीदी, स्वीटी की चूत का सारा रस तुम्हीं चाट लोगी क्या? थोड़ा मुझे भी मौका दो।

मैंने स्वीटी की चूत से मुंह हटाते हुए कहा- लो भाई तुम भी स्वाद ले लो।

अब आगे:

और फिर मैं खड़ी हो गई। फिर वहां सोनू आकर घुटनों के बल बैठ गया और दोनों हाथों से स्वीटी की जांघों को फैला दिया, फिर जीभ से चूत को चाटने लगा।
इधर अमित अभी भी स्वीटी की एक चूची को मुँह में लेकर चूस रहा था।

मेरे खड़े होते ही अमित ने स्वीटी की चूची चूसना छोड़ कर मेरे पास आ गया और फिर मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गया।

मैंने अपने दोनों जांघों को फैला दिया।
फिर अमित ने मेरी दोनों जाँघों को हाथ से पकड़ कर थोड़ा और फैलाया और फिर मेरी झाँट पर हाथ फेरते हुए चूत के चने को उंगली से छेड़ने लगा।
मेरे शरीर में सिहरन दौड़ गई।

फिर उसने उंगलियों से मेरी चूत की दोनों फांकों को फैलाया और जीभ निकाल कर चूत के गुलाबी हिस्से को चाटने लगा।

मेरी शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गई।

हालांकि इसके पहले भी सोनू मेरी चूत को चाट चुका था।
मगर अमित तो ऐसा लग रहा था जैसे चूत चाटने में एक्सपर्ट हो।

अमित ने अब अपनी पूरी तरह से मेरी चूत में घुसेड़ दी और अंदर घुमाने लगा।
मेरी हालत ख़राब होने लगी.

मैंने हाथों से अमित के सिर को कस कर पकड़ लिया और अपनी कमर को हिलाने लगी।

उधर स्वीटी ने सोनू के सर को पकड़ा हुआ था और अपनी आंखें बंद कर कमर हिला-हिला कर चूत चटवा रही थी।

अमित ने अब अपना सिर मेरी दोनों जाँघों के बीच में एडजस्ट कर लिया, जीभ से चूत चाट रहा था और अपने हाथों से मेरी गांड को सहलाता जा रहा था।

करीब दस मिनट तक चटवाने के बाद मेरी हिम्मत ने जवाब दिया और मैंने तेजी से कमर हिलाते हुए अमित के मुंह में अपनी चूत का सारा पानी निकाल दिया।

अमित ने मेरी चूत का सारा रस पी लिया और आखिरी बूंद तक चाट लिया।

मैं अमित के सिर को दोनों जांघों में फंसाये हुए ही लंबी-लंबी सांस लेने लगी।

फ़िर अमित ने अपना मुँह मेरी जाँघों के बीच से निकाला और हाथ से अपने मुँह को साफ करने लगा।
मैंने देखा कि उसके मुँह और नाक पर मेरी चूत पानी लगा हुआ था।

अमित और मेरी निगाह मिली तो हम दोनों मुस्कुरा दिये।
उधर स्वीटी भी शायद सोनू के मुंह में ही झड़ चुकी थी क्योंकि सोनू भी स्वीटी के सामने ही बैठा था.

सोनू अपने मुंह को रुमाल से साफ कर रहा था और स्वीटी पीछे चबूतरे का टेक लेकर खड़ी थी और आंख बंद कर लंबी-लंबी सांसें ले रही थी।
अब तक हम चारों दो-दो बार झड़ चुके थे।

मैं भी अब नॉर्मल हो चुकी थी।

अमित और सोनू भी खड़े हो गए।

मेरी निगाह दोनों के लंड पर पड़ी तो देखा उनका लंड भी अब पूरा टाइट हो कर खड़ा था।

मैं थोड़े पीछे होकर चबूतरे का सहारा लेकर स्वीटी के बगल ही खड़ी हो गई।

थोड़ी देर हम चारों चुप होकर हमारी हालत में खड़े रहे।

अब तक स्वीटी भी नॉर्मल हो चुकी है।
उसकी भी निगाह दोनों के खड़े लंड पर चली गई।

तभी अमित आगे बढ़कर स्वीटी के पास आया और झुक कर उसकी चूचियों को मुंह में लेकर चूसने लगा साथ ही एक हाथ से मेरी चूचियों को भी दबाने लगा।

सोनू थोड़ी देर देखता रहा, फिर मेरे पास आकार पहले तो एक चूची को मुंह में लेकर चूसने लगा.
फिर वह नीचे बैठ गया और हाथों से पकड़ कर मेरी दोनों जांघों को फैला दिया और मेरी चूत चाटने लगा।

हालांकि अभी कुछ मिनट पहले ही मेरी चूत का पानी निकला था लेकिन जब सोनू ने जब चाटना शुरू किया तो मुझ पर दोबारा मस्ती छाने लगी।

उधर अमित स्वीटी की चूची चूसते हुए अपनी उंगलियों को उसकी चूत में डाल कर आगे पीछे करने लगा।

स्वीटी पर भी दोबारा मस्ती छाने लगी थी और वह अपने कमर को हल्का-हल्का हिला रही थी।
इधर सोनू मेरी चूत के दाने को मुंह में भर लिया और हल्का सा उस पर दांत गड़ा कर चूसने लगा।

मेरे ऊपर फिर चुदासी छाने लगी।

कुछ देर इसी तरह चूत चाटने के बाद सोनू खड़ा हो गया और मुझसे बोला- दीदी थोड़ा घूमो।
मैं समझ गई कि अब चूत की चुदाई होनी है.

घूमकर मैंने अपने दोनों हाथ चबूतरे पर टिका दिए और पैरों को फैला कर खड़ी हो गई।

सोनू ने अपने लंड को मेरी चूत से सटाया और एक ही धक्के में जड़ तक पूरा लंड घुसा दिया और फिर धक्के मारने लगा।

मैंने हल्का सा पलट कर स्वीटी को देखा तो चबूतरे के एकदम किनारे बैठी थी और पीछे झुक कर अपने हाथ की कोहनी का टेक लिया हुआ था।
अमित ने उसके पैरों को पकड़ कर फैला दिया था और उसकी चूत में लंड डाल कर चोद रहा था।

थोड़ी देर तक दोनों भाई अपनी बहन की चुदाई करते रहे।
मैं भी गांड उछाल कर सोनू का साथ दे रही थी।

थोड़ी देर बाद अमित बोला- सोनू, अब तुम इधर आ जाओ।

मैंने पलट कर देखा तो अमित स्वीटी की चूत से अपना लंड निकाल कर मेरे पीछे आ गया था।

तब सोनू ने भी मेरी चूत से अपना लंड निकाला और स्वीटी के पास चला गया।

अब स्वीटी ने भी खड़ी होकर मेरी तरह की पोजीशन बना ली थी।
इधर अमित ने अपना लंड मेरी चूत पर रख कर जोरदार धक्का मारा।

एक ही धक्के में अमित का लंड मेरी चूत में घुस गया मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई क्योंकि अमित का लंड सोनू के लंड से थोड़ा मोटा था।

फिर धीरे-धीरे कमर हिलाते हुए अमित ने मुझे चोदना शुरू कर दिया।
उधर सोनू भी स्वीटी को चोदने लगा था।

हम चारों दो-दो बार झड़ चुके थे इसलिए जल्दी झड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे.
और मस्त चुदाई चल रही थी।

करीब 15 मिनट की चुदाई के दौर के बाद सबसे पहले सोनू और स्वीटी झड़े.
और फिर कुछ ही देर बाद मैं और अमित भी झड़ गए।

हम चारों इतना थक गए थे कि उसकी तरह नंगी हालत में चबूतरे पर बैठ गए।

थोड़ी देर बाद जब हम सामान्य हुए तो सब अपने कपड़े ठीक से पहनने लगे।

इस बीच हमने आपस में कोई बात नहीं की।

जब हम सब कपड़े ठीक से पहन कर बैठ गए, तब स्वीटी अमित से बोली- भैया, अब अगले एक हफ्ते तक मुझे छूना भी मत, अगले एक हफ्ते की सारी कसर आज ही निकल गई है।
यह सुनते ही हम सब हंस पड़े।

अमित ने टाइम देखते हुए कहा- अभी 8.30 बजे बजने वाले हैं। ट्रेन आने में आधा घण्टा बचा है। तब तक क्या करें?
इस पर सोनू हंसते हुए कहा- क्यों तुम्हारा लंड फिर खड़ा हो रहा है क्या?
हम सब फिर हंस पड़े.

अमित- नहीं, उसकी प्यास तो बुझ चुकी है। मगर कुछ पीने का मन कर रहा है।

स्वीटी- मेरी चूत का रस तो ख़त्म हो गया है भैया! गरिमा दीदी से पूछ लो अगर उनके पास बचा है तो पी लो!
मैं हंसती हुई- ना बाबा, मेरा भी रस ख़त्म हो चुका है।

सोनू- अच्छा चलो, एक-एक बार और चूची चूसते हैं। क्यों अमित?
अमित- ठीक है।
फिर उसने स्वीटी और मेरी या देखते हुए कहा- चलो, तुम दोनों अपने कुर्ते के बटन खोलो।

और यह कहते हुए अमित स्वीटी के सामने जा कर खड़ा हो गया और बोला- बटन खोलो स्वीटी!
स्वीटी- अरे भैया, तुम्हारी ही बहन ही हूं घर चलकर जितना मर्जी हो चूस लेना मेरी चूचियों को। अभी तो गरिमा दीदी की चूची चूस लो, वरना वे अपने घर चली जाएंगी।

मैं हंसती हुई- स्वीटी, मैं तो तुम्हारे भाई को अपनी चूची चूसने दूंगी लेकिन मेरे भाई का भी कुछ ख्याल करो। इसे अपनी चूची चूसने दो।
स्वीटी- अरे, मैंने कब मना किया है। मैं तो अमित भैया को बोल रही थी।
फिर हम सब हंस पड़े।

सोनू- कुछ भी हो लेकिन अपनी बहन की चूची चूसने का अलग ही मजा है। क्यों अमित?
अमित बोला- हां, ये तो सही है। लेकिन स्वीटी भी सही कह रही है। मैं तो उसकी चूची घर पर कभी भी चूस लूंगा, मगर गरिमा की चूची फिर कहां मिलेगी। इसलिए तुम मेरी बहन की चूची चूसो और मैं तुम्हारी बहन की चूसता हूँ।

यह कह कर अमित मेरे सामने आकर खड़ा हो गया।

मैंने चबूतरे पर बैठे हुए ही अपनी जैकेट की चेन खोल दी और कुर्ते के बटन को खोल कर चूचियों को बाहर कर दिया।
अमित ने बैग खींच कर नीचे रख दिया और उस पर बैठ गया.

अब उसका मुंह ठीक मेरी चूची के लेवल में आ गया.
फिर उसने अपने हाथों को मेरे अगल-बगल से ले जा कर मेरी पीठ पर रख और अपनी तरफ खींच लिया और चूचियों को मुंह में भर कर बारी-बारी से चूसने लगा।

उधर स्वीटी ने भी अपने कुर्ते को खोल कर चूचियां बाहर कर दी थी.
सोनू भी बैग के ऊपर बैठ कर उसकी चूचियों को चूस रहा था।

वे दोनों तब तक हमारी चूचियों को चुनते रहे जब तक ट्रेन की सीटी नहीं सुनाई दी।
हालांकि इस बीच दोनों ने दो बार अदला-बदली भी की।

गाड़ी के आने पर हम सब एक बोगी में बैठ गये।
ट्रेन में हमारे बीच सिर्फ इधर-उधर की बातें हुई।

हमारा स्टेशन कब आया, हमें पता ही नहीं चला.
पापा हम दोनों को लेने स्टेशन आये थे।

फिर मैंने और सोनू ने अमित और स्वीटी को बाय-बाय किया और घर आ गए।

यह मेरी जिंदगी का सबसे बेहतर और यादगार सफर था जिसे मैं आज तक नहीं भूली हूं।

उसके बाद से सोनू को जब भी मौका मिलता वह मुझे चोद लेता, मेरी चूत चाट लेता था।

धीरे-धीरे उसने मेरी गांड भी मारनी शुरू कर दी थी।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी ये कहानी?
रेलवे स्टेशन की चुदाई ने बदल दी जिन्दगी … भाई-बहन का रिश्ता वही मगर सोच नयी हो गयी.

मुझे जरूर बताइयेगा।

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