मेरी चालू बीवी-128

(Meri Chalu Biwi-128)

इमरान 2015-02-20 Comments

This story is part of a series:

मैं- तुम्हें कुछ पता है? बिल्कुल मूर्ख हो तुम… ऐसे ही नंगी आकर खड़ी हो गयी… यहाँ बेड पर अरविन्द अंकल बैठे थे।

किशोरी- क्याआआ?? पापआआआ यहाँ ओह नो??

मैं- जी मैडमजी… और उन्होंने तुम्हारे सब आइटम खुले नंगे देख भी लिये।

किशोरी- अरे यार उसकी चिन्ता नहीं है… पापा हैं नंगी देख भी लिया तो कोई बात नहीं… पर आपको यहाँ देख कर तो समझ गए होंगे कि हमने क्या क्या किया होगा। मर गई यार… उनको तो बहुत बुरा लगा होगा।

मैं- ओह, तो तुम्हें उसकी चिन्ता है… वो तुम ना करो… मैं तो यह सोच रहा था कि तुम्हें नंगी देखे जाने की चिंता होगी।

किशोरी- तो उसकी क्यों नहीं… अब पूछेंगे नहीं कि मैं अकेली तुम्हारे साथ नंगी क्या कर रही थी?

मैं- अरे कुछ नहीं पूछेंगे… तुमको पता है.. आजकल उन्होंने सलोनी को पटा लिया है और दोनों खूब मस्ती कर रहे हैं।

किशोरी- क्याआआ? सलोनी भाभी के साथ?

मैं- हाँ यार आजकल दोनों में खूब जम रही है… सलोनी और अंकल दोनों को बिना कपड़ों के कई बार देख चुका हूँ …

किशोरी- तुम्हारा मतलब है कि दोनों आपस में..???

मैं- हाँ यार दोनों खूब चुदाई भी करते हैं…

किशोरी- छीइइ इइइ… ये कैसी भाषा का प्रयोग कर रहे हो??

मैं- कमाल है यार… जो कर रहे हैं उसे बोलने में क्या हर्ज है.. तुम भी क्या यार..?? पापा और भाई जैसे पड़ोसी के समक्ष नंगी होने में शरम नहीं है… पर चुदाई जैसा पवित्र शब्द बोलने में शरम आती है… और कौन सा हम किसी और के सामने बोल रहे हैं… अकेले में ही तो ना… और यह भी सुन लो कि तुम्हारे पापाजी और सलोनी ऐसी ही बातें बोलकर खूब चोदम-चुदाई करते हैं।

मैंने किशोरी की चूचियों को दबाते हुए उसके काम्पते हुए होंठों को चूस लिया।

किशोरी- मतलब पापा अभी भी ये सब करते हैं..??

मैं- क्या कह रही हो मेरी जान… आदमी और घोड़ा कभी बूढ़ा नहीं होता। और तुम्हें तो पापा के सामने नंगी खड़ा होने में कोई ऐतराज नहीं था। पर वे तो तुम्हारी इन मदमस्त चूचियों और फ़ुद्दी को घूर घूर कर मस्त हो रहे थे… हाहा… हाहा…

किशोरी मुझे पीछे धकेलते हुए बोली- बहुत मारूँगी हाँ… अब ज्यादा मत बकवास…

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तभी कमरे में नलिनी भाभी आ गयी…

नलिनी भाभी- क्या कर रहे हो तुम लोग..?? चलो ना…

किशोरी का बच्चा भी जाग गया था… तो मैं नलिनी भाभी के साथ बाहर आ गया।

मैं- और सुनाओ भाभीजी, क्या चल रहा है?

नलिनी- कुछ नहीं… मैं तो वहाँ ऋतु और रिया के साथ थी.. अभी सलोनी आई तो यहां आ गई।

मैं चौंक गया…

मैं- क्या मतलब..?? सलोनी आपके संग नहीं थी क्या? तो फिर कहाँ थी वह?

नलिनी भाभी मुस्कुराने लगी…

नलिनी भाभी- तू तो सोते ही रहना बस… वो मेहता अंकल के मित्रगण लोग आ गए हैं…उन्हीं की व्यवस्था में लगी थी।

मेरी नज़र के सामने मेहता के वो सभी कमीने यार आ गये जो महिला संगीत में सलोनी से गाण्डपंगा कर रहे थे।

मैं- अरे यार पहेलियां ना बुझाओ ना, भाभी बताओ ना कि क्या हुआ?

नलिनी भाभी- ओह्ह्ह मैं उसके साथ थोड़े ना थी… वैसे उसके हालात से लग रहा था कि वो उन बुढ्ढों के कमरे में खूब धमा-चौकड़ी मचा के आई है।

मैं- तो क्या भाभी, आप भी ना… आपने उस से कुछ पूछा नहीं क्या?

नलिनी भाभी- अभी तक तो नहीं… ठीक है, तू नीचे चल, फिर बात करती हूँ… बता दूँगी सब.. ठीक है?

मैं- अरे क्या हुआ? मुझे भी अन्दर आने दो न..

नलिनी भाभी- अर…रे… क्या कर रहा है… वो ऋतु की वैक्सिंग हो रही है अन्दर! वो पूरी नंगी थी जब मैं गई थी।

मैं- अरे तो क्या हो गया… बस एक नज़र देखने दो न.. इस साली ॠतु को देखा ही नहीं अभी तक…

और मैं भी भाभी के संग कमरे में घुस गया।

बहुत ही सुन्दर दृश्य मेरा इंतजार कर रहा था।

एक तरफ़ कोने वाले बिस्तर पर सलोनी सो रही थी, सामने सोफे पर ऋतु पूर्ण नग्न पेट के बल लेटी हुई थी, उसके मुखड़े और चूतड़ों पर कोई लेप लगा हुआ था। आँखें बिल्कुल बन्द थी… नहीं तो मुझे देख कर जरूर चीख पड़ती।

ड्रेसिंग टेबल के स्टूल पर रिया एक स्लीवलेस पारदर्शी गाऊन पहने बैठी हुई अपना एक पैर दूसरे घुटने पर रख उसके नेल्स फाइल कर रही थी।

उसने मुझे देखा और मुस्कुरा दी।

मैंने अपनी ऊंगली अपने होंठों पर रख उसे चुप रहने का इशारा दिया।

रिया समझदार थी तो उसने कोई आवाज़ नहीं की।

ऋतु- आप आ गई भाभी… देखो न हिप्स में बहुत चिरमिराहट लग रही है।

नलिनी भाभी- हाँ मेरी बन्नो… वो तो होगी ही न… लण्ड लेते हुए भी तो हुई होगी न… तब तो खूब ले लिए अन्दर तक.. देखो जरा दोनों छेद कैसे हो गये थे… रंग भी काला सा पड़ गया था। अब क्रीम लगाई है… कुछ तो करना ही था ना इनको ठीक करने के लिए…

मैंने भी देखा… ऋतु के कूल्हे बहुत गोरे थे.. और उठे भी काफ़ी थे… उसकी गाण्ड के छेद पर कोई भूरे रंग की क्रीम लगी हुई थी…

मुझे पता है कि यही क्रीम चूत और गाण्ड के छेद को फिर से खूबसूरत बना देती है। यही क्रीम सलोनी भी इस्तेमाल करती है, इसीलिए तो सलोनी की चूत एक छोटी बच्ची जैसे कोमल सी और प्यारी सी है।

ॠतु ने अपने दोनों पैरों को कस कर सिकौड़ा हुआ था इसलिए पीछे से योनिलब नहीं दिख रहे थे।

मैं रिया के पास गया और उसके होंठों का एक जोरदार चुम्मा लिया… साथ ही साथ उसकी चूचियों को भी मसल दिया।

वो भी बहुत तेज थी… उसने अपने पैरों के अंगूठे से मेरे लौड़े को सहला दिया।

तभी नलिनी भाभी की आवाज आई… वो हमें नहीं बल्कि ऋतु को देख रही थी।

नलिनी भाभी- अभी दस मिनट और ऐसे ही लेटी रहना तू…
वो ऋतु को इतना कह कर सलोनी के पास गई।

नलिनी भाभी- उफ़्फ़… कैसी सुस्ती आई हुई है तुझे… पहले वहाँ चली गई… अब देखो कैसे पड़ कर सो गयी? अरी उठ ना… तुझे कुछ नहीं करना क्या… चल मेरे चेहरे की मालिश ही कर दे।

सलोनी- ओह, सोने दो ना भाभी… पूरी रात सो नहीं पाई हूँ… बस दस मिनट रुक जाओ…प्लीज़…

सलोनी मुझे नहीं देख सकती थी… नलिनी भाभी हम दोनों के बीच में बैठी थी… और वो वैसे भी दूसरे कोने में लेटी थी।

तभी नलिनी भाभी ने सलोनी की साड़ी जो घुटनों तक थी, उसे जांघों से ऊपर कर दिया।

सलोनी- ओह सोने दो ना… क्या कर रही हो??

नलिनी भाभी- यह सब क्या किया… देख कितनी गन्दी हो रही है। तेरी जांघें और ओह्ह्ह… यह पेटिकोट तो कितना गंदा हो चुका है…
क्या रात से ऐसे ही पहने हुए है इसे… कितना गंदा… ओह …इस पर तो कितने सारे धब्बे हैं।

सलोनी- ओह नहीं भाभी… वो मेहता अंकल के यार हैं ना… ये…

और वो कहते कहते रुक गई…

नलिनी भाभी- तो यह सब उन्होंने किया… ओह… बता ना क्या क्या करके आई… और कोई नहीं है… तू बता…

सलोनी- पर वो ऋतु और रिया?

नलिनी- अरे उनकी चिन्ता मत कर, वो सब जानती हैं… तू बता कि क्या क्या हुआ उनके कमरे में…

सलोनी- अब क्या बताऊँ भाभी, मैं तो बस मेहता अंकल के मेहमानों को कमरे ही दिखाने गयी थी। पर वे तो बहुत ही चालू निकले।

नलिनी भाभी- थे कौन… वही तीनों रिटायर्ड बुड्ढे ना?

तभी आँखें बन्द किए हुये ही ऋतु बोल पड़ी- भाभी, वो तीनों अनवर, जोज़फ और कपूर अंकल होंगे ना… बहुत अच्छे दोस्त हैं पापा के… और उतने ही बड़े हरामी भी हैं।

रिया- हां हां, मुझे सब पता है… तीनों ने हमारी मॉम को भी नहीं छोड़ा था… जब भी मौका मिलता था… चोद देते थे।

ऋतु- रिया… तू कुछ पागल है? यह सब क्यों बोलती है.. अब तो मॉम जीवित भी नहीं है।

रिया- अरे बस बता ही तो रही हूँ.. उन की नज़र तो हम दोनों पर भी रहती है… है ना…

नलिनी भाभी- अरे तुम दोनों चुप करो पहले… जरा सलोनी की भी तो सुन लो… इसका तो लगता है तीनों ने एक साथ मिलकर काम तमाम कर दिया है। उन तीनों अपने सफ़र की सारी थकान इसी पर उतारी है.. हा हा…

सलोनी- क्या भाभी आप भी… वैसे कह तो आप ठीक रही हैं… मैं जैसे ही उन्हें लेकर कमरे में पहुँची कि…

कहानी जारी रहेगी।

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