मेरा गुप्त जीवन- 151

(Mera Gupt Jeewan- part 151 Group Sex Samuhik Chut Chodan)

यश देव 2016-03-17 Comments

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ग्रुप सेक्स यानि सामूहिक चूत चोदन

कम्मो कुछ सोचते हुए बोली- कल जब ग्रुप सेक्स शुरू होगा, उससे पहले मैं सब लड़कियों को समझा दूंगी और कुछ उपाय भी कर दूंगी, तुम घबराओ नहीं सलोनी डार्लिंग।
मैं बोला- लेकिन कम्मो डार्लिंग, उन लड़कों का क्या होगा जिनकी चुदाई का समय बहुत ही कम होगा यानि वो शीघ्र पतन के शिकार होंगे और जल्दी ही घुड़सवारी से गिर जाएंगे?

कम्मो बोली- उनका भी इलाज मेरे पास है, खेल शुरू करने से पहले मैं उनका भी कुछ उपचार कर दूंगी। सिर्फ आपको उन सब लड़कों को मेरा बताया हुआ उपचार करने के लिए बाध्य करना पड़ेगा। बोलो हाँ?
मैं और सलोनी बोली- हाँ जी हाँ!

अगले दिन कॉलेज के बाद ग्रुप सेक्स के सब सदस्य सलोनी के घर इकट्ठे होने शुरू हो गए। कुल मिलाकर 5 जोड़े थे जो बाहर से आये थे और सलोनी और मुझको मिला कर 6 युगल हो गए थे।
कम्मो और सलोनी सब लड़कियों को अपने साथ लेकर एक बैडरूम में चली गई और लड़कों के साथ मुझको समझाने का कार्यक्रम करने का हुक्म हुआ।

मैंने लड़कों को इस सारे कार्यक्रम को गुप्त रखने की शपथ दिलाई और उनको अच्छी तरह से समझा दिया कि अगर इस ग्रुप सेक्स की भनक अगर किसी को भी पड़ गई तो हम सबके चाल चलन पर उँगलियाँ उठ सकती हैं तो सबको इस कार्यक्रम के बारे में कोई भी डींग हांकने से अपने आप को रोकना होगा।

फिर मैंने एक एक लड़के से उनके सेक्स के अनुभव के बारे में पूछा तो सबने यही विश्वास दिलाया कि वो सब 2-3 पार्टनर्स के साथ सेक्स कर चुके हैं और उनको अपने अभी के सेक्स पार्टनर का किसी और से सम्बन्ध के बारे में कोई ऐतराज़ नहीं होगा।
यह पूछे जाने पर वो लड़कियों में प्रेगनेंसी न हो पाये के बारे में क्या प्रबंध कर रहे हैं तो सबने कहा कि वे काफी सारे कंडोम साथ ले कर आये हैं और वो कंडोम लगा कर ही लड़कियों की चूत चुदाई करेंगे।

थोड़ी देर में कम्मो सब लड़कियों को लेकर वापस कमरे में आई और आते ही उसने कहा- सबको पूरी तरह से समझा दिया!
जवाब में मैंने भी उसको बताया कि मैंने लड़कों को भी पूरी तरह से समझा दिया है।
और विश्वास व्यक्त किया कि सब अपना दिया हुआ वायदा याद रखेंगे और आगे चल कर आज के सामूहिक चोदन प्रोग्राम के बारे में किसी से भी कोई ज़िक्र नहीं करेंगे।

अब प्रश्न उठा कि लड़के और लड़की की जोड़ी का चयन कैसे किया जाए।
कम्मो और मैंने आपस में सलाह करने के बाद यह फैसला किया कि सब लड़कों के नाम की एक एक चिट बना कर एक जगह रख दी जायेगी और सब लड़कियाँ बारी बारी से एक चिट उठाएंगी और जिस लड़के का नाम उस चिट पर होगा वो लड़का उनका शुरू का पार्टनर होगा।
उसके बाद के पार्टनर एक दूसरे की सहमति से ही चुने जाएगा और किसी किस्म की कोई ज़बरदस्ती नहीं की जायेगी।

हर लड़की एक चिट उठाती थी और उस पर लिखे लड़के का नाम ज़ोर से बुलाती थी और फिर वो उसके साथ जाकर खड़ी हो जाती थी।
मेरा नाम अंत में पुकारा गया और मेरे हिस्से में एक साधारण रूप रंग वाली लड़की ही आई और वो जल्दी ही आकर मेरे साथ खड़ी हो गई और हम दोनों ने बड़ी गर्म जोशी से एक दूसरे का हाथ मिलाया।

जब सब जोड़ियाँ बन गई और एक दूजे के साथ खड़ी हो गई तो मैंने और कम्मो ने सब को अच्छी तरह से देखा भाला।
सलोनी ने अपनी कोठी का हाल कमरा इस काम के लिए चुना था और वहाँ 7-8 मोटे गद्दे और तकिये फर्श पर बिछे हुए थे।

छोटे से नाश्ते पानी के बाद कम्मो ने एक ख़ास किस्म के स्वादिष्ट दूध को बना रखा था जो उसने सबको पिला दिया।

मेरे साथ वाली लड़की का नाम रूचि था और वो गंदमी रंग की छोटे छोटे उरोजों और छोटे चूतड़ों वाली थी।
उसको देख कर मन में कोई विशेष उत्साह नहीं जगा था और फिर मैंने बाकी लड़कियों ध्यान से देखा।

उनमें से 3 काफी सुन्दर शरीर वाली और मनमोहक लग रही थी लेकिन उनके हिस्से में आये लड़के भी एकदम साधारण से दिख रहे थे। यह तो लाटरी थी जिसके हिस्से में जो माल आया उसको उससे सब्र करना था।

फिर हम एक दूसरे संग चुम्बन और आलिंगन करने में व्यस्त हो गए।
रूचि बहुत ही अधिक कामुक थी और वो चूमते हुए अपनी चूत को मेरे लौड़े के साथ कपड़ों के बाहर से ही रगड़ रही थी और मेरी कमीज के बटन भी खोल रही थी।

मैंने भी उसके छोटे परन्तु गोल उरोजों को मसलना शुरू कर दिया और उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी सररर से उतरती सलवार को बीच में हाथ से रोक दिया और इसी बहाने उसकी चूत पर छाये काली ज़ुल्फ़ों को सहला दिया।
यह मौका देख कर रूचि ने मेरी पैंट को उतारना शुरू कर दिया और तभी मैंने अपने चारों तरफ देखा तो मेरे साथ वाले गद्दे पर युगल अपने कपड़े उतार कर चुदाई में संलग्न होने वाले ही थे।

और दूसरी तरफ के युगल अभी भी किसिंग में ही मशगूल थे हालाँकि उनके हाथ एक दूसरे के शरीर के गुप्त अंगों पर चल रहे थे।

अब मैंने जल्दी करते हुए कुछ ही क्षणों में रूचि को निर्वस्त्र कर दिया और उसने भी मुझे वस्त्रहीन कर दिया।
जब मेरा लंड उछल कर रूचि के हाथ में आया तो उसके मुंह में से तेज़ आवाज़ में ‘हाय राम…’ निकल गया।

सबकी नज़र एकदम हम दोनों पर आ टिकी और जब सबने मेरे लंड के साइज को देखा तो सारी लड़कियाँ कुछ पूरी नंगी और कुछ अधनंगी दौड़ कर हमारे पास आ गई और बड़ी ही हैरानी से मेरे लौड़े को देखने लगी।

सब लड़कियाँ उत्सुकता से मेरे लंड को देख कर उसको छू भी रही थी और उसको ऊपर नीचे भी करने की कोशिश कर रही थी।
कुछ ने नीचे झुक कर उसको चूमने की कोशिश भी की लेकिन मैंने मना कर दिया और कहा- बाद में हम सब करेंगे इस लंड को प्यार… तब तक रहो अपने वाले लंड के साथ!

इस सामूहिक चोदन प्रोग्राम की तीनों सुंदरियों ने मुझसे आँखें चार कर के आखों में ही इल्तजा की हमें मत भूल जाना।
सब लड़कियाँ अब काफी गर्म हो चुकी थी, उनके साथियों ने उनकी चुदाई शुरू कर दी थी।

ज्यादातर युगल लड़की नीच और लड़का ऊपर वाले आसन में चुदाई में मग्न थे लेकिन मैंने रूचि को अपनी गोद में बिठा कर बहुत ही अधिक टाइट चूत में लंड को डाल कर कभी धीरे और कभी तेज़ चुदाई का क्रम शुरू कर दिया।

रूचि भी अपनी बाहें मेरे गले में डाल कर बहुत तीव्रता से झूला झूलते हुए आगे पीछे हो रही थी।
वो थोड़ी थोड़ी देर बाद की चुदाई में 3-4 बार छूट चुकी थी और हर बार उसके छूटने पर वो हल्के से कांपती थी और फिर वो छुटाने के लिए झट दोबारा तैयार हो जाती थी।

अब मैंने उसको घोड़ी बना कर चोदना शुरू किया लेकिन उसके मुंह से हलकी हाय हाय निकल रही थी जिससे मैं चिंतित हकर उस से बोला- रूचि अगर दर्द हो रहा है तो निकाल लूं क्या?
उसने मुस्करा कर पीछे मुड़ कर देखा और कहा- अरे सोमू यार, इस दर्द में भी कितन मज़ा छुपा है। यह चुदाई मुझको ज़िंदगी भर याद रहेगी! उफ्फ्फ मेरी माँ!

फिर मैंने जल्दी करके उसको अंतिम बार चरम सुख दे दिया और वो पूरी तरह से थक हार कर गद्दे पर पसर गई।
अपन गीला लंड निकाला और साथ वाली जोड़ी की तरफ देखा तो लड़का तो बेसुध पड़ा था लेकिन उसकी साथी लड़की मुझको बड़ी गौर से देख रही थी और मैंने उसको इशारा किया और उसको अपने गद्दे पर बुला लिया।
जैसे हो वो आई, उसने मेरे कान में फुस्फसाहट में कहा- शर्मीली मेरा नाम है सोमू जी!

मैंने भी कहा- वेलकम शर्मीला जी, तुम सुंदरता का जीता जागता नमूना हो यार! क्या रंगत है और क्या शरीर की बनावट है… उफ़ मेरे मौला मेरी खैर रखियो।
शर्मीला हंस पड़ी- क्यों सोमू राजा, मुझसे डरते हो क्या? क्या मैं तुमको खा जाऊँगी?
मैं भी हंस कर बोला- काश ऐसा हो सकता कि तुम मुझको खा जाती तो मैं हर वक्त तुम्हारे साथ रहता।

शर्मीली ने मेरा गीला लंड पकड़ रखा था और उसको ऊपर नीचे कर रही थी। मैं भी उसके गोल और शानदार मुम्मों को सहला रहा था।
फिर उंगली से उसकी चूत को महसूस किया तो वो सूखी थी एकदम!
मैं बोला- यह क्या है शर्मीली? क्या तुमको अभी फक नहीं किया उस लड़के ने?

शर्मीली बोली- फक तो किया साले ने… पर उसकी लुल्ली बहुत ही छोटी थी, उससे मेरा कुछ नहीं बना तो अब तुम्हारी शरण में हूँ, देखो तुम क्या करते हो?
मैं बोला- ऐसा है क्या? चैलेंज दे रही हो मुझको?
वो हँसते हुए बोली- यही समझ लो जानी, अगर मेरा पानी छूटा दो तो एक के साथ एक फ्री?

मैं बड़े ज़ोर से हंस पड़ा जिसको देख कर बाकी युगल अपना काम छोड़ कर मुझको देखने लगे।
मैंने उन सबको इशारा किया कि लगे रहो भाइयो अंदर बाहर की गेम में!

शर्मीली को अब मैंने अपनी बाहों में बाँध लिया और उसके लबों पर एक कामुक चुंबन दे दिया, साथ में ही उसकी चूत जो सफाचट थी, में अपनी ऊँगली डाली और उसकी भग को मसलने लगा।
भग पर हाथ लगते ही वो चिहुंक कर उछल पड़ी।

मैंने उसको लिटा दिया और स्वयं उसकी जांघों के बीच बैठ कर उसकी चूत को चूसने लगा।

चूत पर मुंह लगते ही वो फिर उछल पड़ी लेकिन मैंने भी हाथों से उसकी कमर को पकड़ रखा था और फिर खूब तेज़ी से उसकी भग को अपने होटों में रख कर खेलने लगा।
उसकी कमर और गांड काफ़ी हिल रही थी लेकिन मैंने भी उसको नहीं छोड़ा और अपने मुंह से उसकी चूत और भग को बार बार चूसने और चाटने लगा।

धीरे धीरे उसकी चूत में गीलापन आना शुरू हो गया और वो अब स्वयं अपनी चूत को मेरे मुंह से जोड़ कर अपनी कमर ऊपर कर रही थी।
जब तंदूर तप गया तो मैंने उसको चित लिटा कर और एक झटके से अपने अकड़े लंड को उसकी फूली चूत में डाल दिया।
लंड का अंदर प्रवेश होते ही उसकी कमर एकदम ऊपर उठी और मेरे लंड को पूरा अंदर लील गई।

अब मैंने उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर उसको मस्ती से चोदना शुरू कर दिया। शर्मीली ने अब अपनी आँखें बंद कर ली थी और वो मेरे लंड के करतब का मज़ा लेने लगी।
थोड़ी देर की धक्काशाही के बाद वो एकदम ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी और वो हाय हाय करती हुई झड़ गई।

झड़ने से पहले शर्मीली ने मुझको कस कर आलिंगनबद्ध कर लिया और मेरा मुंह चुम्बनों से भर दिया।
जब शर्मीली ने आँख खोली तो मैंने उसको आँखों से ही इशारे से कहा कि मैं इधर उधर मुंह मार लेता हूँ जब तक तुम रेस्ट कर लो।
उसने भी ख़ुशी से हाँ कर दी।

और फिर मैंने इधर उधर देखा कि कौन सी गद्दे वाली चुदवाने के लिए तैयार है। दो गद्दे छोड़ कर एक और ख़ूबसूरती का मुजस्समा मेरी तरफ टिकटिकी बाँध कर देख रहा था।
जैसे ही हम दोनों की आँखें मिली, उसने मुस्करा कर मुझको हाथ के इशारे से अपने गद्देदार महल में बुला लिया।
मैं भी जल्दी से उठा और उस हसीना के महल में तख्तनशीन हो गया।

उसने अपना नाम ज़ुल्फी बताया और उसके नाम के अनुरूप ही उसके सर और चूत की ज़ुल्फ़ें थी, घनी, रेशमी और काली!
मैंने जाते ही अपना सर उसके सर की ज़ुल्फ़ों में छुपा दिया… क्या खुशबू थी… माशाअल्लाह!!

वो बड़े ही आहिस्ता और शाइस्तगी से बोली- खैर मुकदम हज़ूर-ऐ-आली, आपके जिन्सी करतब देख रही थी! वाह क्या कुवते मर्दानगी है… क्या यह नाचीज़ आपकी मर्दानगी का एक जलवा देख सकती है?
मै बोला- ऐ मल्लिका-ऐ-हुस्न, आप पर कई सैकड़ो मर्दानगियाँ न्यौछावर हैं, आप हुक्म कीजिये, ग़ुलाम आपके लिए क्या कर सकता है?

वो भी वैसे ही मुस्कराते हुए बोली- हज़ूर-ऐ-अनवर, बस सिर्फ एक बार आप अपने से इस हथियारे जिन्सी(लंड) से लौंडिया की गुफाये- ऐ-जन्नत (चूत) की सैर करवा दीजिये।
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यह सारी बातें दूसरे लड़के और लड़कियाँ गौर से सुन रहे थे और जैसे ही चूत की सेवा का ज़िक्र आया तो सब ज़ोर से हंस पड़े।
मैंने नकली गुस्से से उन सबको देखा और उन सबको कहा- इन खूबसूरत मोहतरमा की दिली ख्वाहिश को पूरा करना मैं अपना फ़र्ज़ समझता हूँ।

बाकी सदस्य हमारे बिस्तर के चारों तरफ खड़े हो गए और इस चूत और लंड के दंगल को देखने के लिए तैयार हो गए।
उनके साथ उनकी पार्टनर्स भी थी जो उन लड़कों के आगे थी और उनके साथी लड़के उनके पीछे अपने अधखड़े लण्डों को हाथ में ले कर अपनी साथियों के चूतड़ों के साथ रगड़ रहे थे।
आलम यह था कि चारों तरफ ग्रुप सेक्स के कारण सेक्स की खशबू फैली हुई थी और जिसको सूंघ कर वैसे ही इंसान पागल हो रहे थे।

मैंने मोहतरमा से पूछा- ऐ मल्लिका-ऐ-हुस्न आप अपने गुफाये जिन्सी में किस तरह से हल चलवाना चाहती हैं? लेट कर या घोड़ी बन कर या फिर मल्लिके-ऐ-अवध की तरह तख़्त पर बैठ कर?
वो बोली- ऐ मेरे ज़र खरीद ग़ुलाम, हम तुम्हारे ऊपर अपना तख़्त लगाकर तुम्हारे इस औज़ारे जांघवी को चखना चाहते हैं।

मैं अपने लौड़े को एकदम सीधा खड़ा करके गद्दे पर बैठ गया और तब बाकी सब लड़कियों ने आगे बड़ कर ज़ुल्फी को मेरे लौड़े के ऊपर बिठा दिया और मैंने उसके मोटे और गोल चूतड़ों को पकड़ कर अपने जिन्सी औज़ार पर बिठा दिया।

ज़ुल्फी ऊपर से काफी देर ऊपर नीचे होती रही पर जब मैंने देखा कि उसको छूटने में परेशानी हो रही है तो मैंने उसको घोड़ी बना कर ज़बरदस्त चुदाई शुरू कर दी और वो थोड़ी देर में ही पस्त हो गई और चिल्लाती हुई- मरी रे मरी रे… छूट गई!

फिर मैं उठा और अपने अकड़े खड़े लंड को हवा में लहलाते हुए बोला- कोई लड़की जिसका एक बार भी ना छूटा हो, वो सामने आये,उसकी दिल की तमन्ना पूरी करने की कोशिश की जा सकती है।

कोई भी लड़की सामने नहीं आई तो फिर मैंने सब लड़कियों से पूछा- आप में से कोई ऐसी लड़की है जो मुझसे चुदवाने की ख्वाहिश रखती हो, वो भी सामने आ सकती है और अपनी इच्छा ज़ाहिर कर सकती है?
एक गौरी लड़की सामने आई, उसने कहा- मेरा नाम डायना है और मैं एंग्लो इंडियन हूँ और मेरी दिली खवाहिश है कि मैं सोमु राजा से एक बार फक करवाऊँ अगर उनको कोई ऐतराज़ ना हो तो!

मैंने मुस्कराते हुए कहा- तुम्हारा वेलकम है… लेकिन मैं सोचता हूँ बाकी सबको सिर्फ आपके लिए रोके रखना ठीक नहीं है, आप मेरे साथ मेरी कोठी में चल सकती हैं, वहाँ आपकी पूरी तसल्ली कर दी जायेगी। क्यों कम्मो ठीक है ना?
कम्मो ने भी हामी भर दी।

एक दूसरे को चूमने के बाद कपड़े पहन कर सब जाने के लिए तैयार हो गए। और जाने से पहले सबने एक दूसरे को थैंक्स किया और सलोनी को भी धन्यवाद दिया।
सबने जाते हुए अपने टेलीफोन नंबर बता दिए और यह वायदा भी किया कि फिर ज़रूर मिलेंगे।

मैंने कम्मो को बोला- तुम रिक्शा कर के घर पहुँचो, मैं डायना को लेकर घर आता हूँ।

कहानी जारी रहेगी।
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