लिफ्ट का अहसान चूत देकर चुकाया-5
(Lift Ka Ahsan Choot Dekar Chukaya- Part 5)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left लिफ्ट का अहसान चूत देकर चुकाया-4
-
keyboard_arrow_right लिफ्ट का अहसान चूत देकर चुकाया-6
-
View all stories in series
मैंने गाड़ी आगे बढ़ाते हुए रेशमा को देखते हुए कहा- तुमने कभी लंड चुसाई की है?
“नहीं, बस अपनी चूत में उंगली तब तक करती रहती थी, जब तक मैं शांत न हो जाऊँ और जब पानी निकल जाता था तो मैं शांत हो जाती थी। बस इतना ही किया है, लंड तो हमारे लिये दूर की बात थी।”
“तो फिर आज तुम्हारे पास लंड चूसने का मौका भी है।”सोनी भी मेरा साथ देते हुए बोली- हाँ रेशमा, शरद का लंड चूसो, बहुत मजा आयेगा!
इतना कहकर सोनी एक बार पीछे की सीट पर जाने लगी, इसी बीच मैंने उसके चूतड़ों को सहला दिया।
रेशमा अब आगे आ चुकी थी।
थोड़ी देर तक तो वो मेरे लंड को सहलाती रही।
“अरे यार, हाथ से सहलाने में मजा नहीं आयेगा!”
एक हाथ से मैंने खोल को पीछे धकेला, सुपारे को और खोलते हुए अपनी उंगली उस पर टच करके रेशमा को बताया- इसको लॉलीपॉप की तरह चूसो, फिर इसका मजा लो।
रेशमा ने सुपारे को चूमा और मुंह खोल कर लंड को मुंह के अन्दर लिया।
दो चार बार उसने ऐसा ही किया।
मैं फिर बोला- यार, इस तरह मजा नहीं आयेगा; अच्छे से करो! अच्छा हम तीनों एक काम करते हैं!
“क्या?” दोनों एक साथ बोली।
“मैं बता रहा हूँ लेकिन बार बार नहीं बताऊँगा… और तुम दोनों में जो नखरा करेगा, तो उसके साथ मजा भी नहीं लूंगा। तैयार हो तुम दोनों?”
“ठीक है, अब हम कुछ नहीं कहेंगी, जैसा आप कहेंगे वैसा ही करेंगे।”
“तब ठीक है। अब बताओ क्या करना है?”
“पहले यह बताओ कि हम लोग क्या करने जा रहे हैं इतनी दूर?”
“मस्ती करने, सेक्स करने!” सोनी बोली।
“खुल कर बोलो तुम दोनों… यह क्या है, मस्ती करने, सेक्स करने? तुम दोनों बोलो कि हम दोनों तुमसे अपनी चुत चुदवायेंगी और तुम हम दोनों की चुत चोदोगे।”
दोनों ने बिना वक्त गंवाये, मेरी बातों को रिपीट कर दिया।
“तो ठीक… अब रेशमा, तुम मेरे लंड अपने हाथ में लेकर मुठ मारोगी और जो मेरा रस निकलेगा, वो तुम दोनों शेयर करोगी!” उसके बाद रेशमा तुम अपना हाथ जगन्नाथ वाला काम करोगी और जो तुम्हारी चूत से रस निकलेगा, उसको मैं और सोनी शेयर करेंगे, उसके बाद सोनी आगे की सीट पर आयेगी और अपना हाथ जगन्नाथ करेगी और उसके रस को हम दोनों शेयर करेंगे।”
दोनों एक साथ बोली- ठीक है।
अब मेरी बताई बातों को रेशमा ने करना शुरू किया, कभी वो अपने हाथों से मेरे लंड का मुठ मारती तो कभी लंड को मुंह के अन्दर ले लेती, बीच-बीच में सोनी भी सीट के बीच से मेरे लंड की मुठ मारती, दोनों की थोड़ी देर के मेहनत से मेरे लंड से पिचकारी छूटी और रेशमा के पूरे मुंह पर, उसके हाथों पर, मेरी जांघों पर… हर जगह सफेद-सफेद मलाई बिखरी पड़ी थी.
मैंने तुरन्त रेशमा को निर्देश दिया कि वो मेरी जांघों के आस पास की मलाई और उसके हाथों में लगी मलाई को चाटेगी और सोनी उसके मुंह को चाट-चाट कर साफ करेगी।
दोनों ने मेरी बातों पर बखूबी अमल किया. हालाँकि सोनी पहले ही मेरी मलाई का स्वाद ले चुकी थी, जबकि रेशमा के लिये नया था, तो उसे वोमेटिंग सी लगने लगी थी। सोनी उसकी पीठ थपथपा कर उसकी वोमेटिंग को कंट्रोल करने लगी थी।
थोड़ी देर बाद रेशमा नार्मल हो गयी।
एक बार फिर हम लोगों के बीच पेप्सी का दौर चला। लगभग आधी बोतल पेप्सी खत्म हो चुकी थी। अब एक बार फिर बारी रेशमा की थी, वो सीट पर इस तरह आगे होकर बैठी कि उसकी कमर ही सीट के सबसे आगे के भाग से टिका हुआ था और उसकी चूत बाहर हो चुकी थी, सिर को उसने सीट से टिकाया और फिर एक उंगली को अपने फांकों के बीच हौले हौले चलाने लगी।
अब तक हम लोग 80 किलोमीटर का ही सफर तय कर चुके थे, कारण आप सभी लोग जानते हैं, 30-40 से ज्यादा की स्पीड नहीं थी। अब रेशमा की उंगली कभी फांकों के बीच तो कभी चूत के अन्दर तो कभी अपने भगनासा को सहलाती तो कभी गांड को रगड़ती.
चूंकि तीनों के बीच शर्त यही थी कि जो अपने जिस्म के अंगों से खेलेगा तो बाकी सभी लोग उसको देखेंगे और अपने जिस्म में कोई हरकत नहीं करेंगे।
सोनी भी बड़े ध्यान से देख रही थी, मैं सड़क पर नजर रखने के साथ साथ उसको खेलते हुए भी देख रहा था।
धीरे धीरे रेशमा के ऊपर खुमारी बढ़ती जा रही थी, सिसियाने के साथ साथ उसने आँखें बन्द कर ली थी। तभी वो अपने चूची को भी सहलाने लगी, मैंने उसके हाथ को पकड़ा और ऐसा करने से मना किया क्योंकि बाहर से लोगों की नजर अन्दर पड़ सकती थी और फिर कोई बात हो सकती थी।
धीरे धीरे रेशमा पर उत्तेजना हावी होती जा रही थी, जो उंगली अभी तक उसके सबसे कोमल अंगों को सहला रही थी, अब पूरा हाथ ही उस कोमल चूत को कठोरता के साथ मसल रहा था। वो अपने होंठों को काटे जा रही थी साथ ही साथ हम्म…आह… हम्म… आह… की आवाज आ रही थी।
मैं समझ चुका था कि रेशमा का रज बाहर आने को बेताब है, मैं रेशमा के सुर में अपने सुर को मिलाते हुए बोला- अपनी दूसरी हथेली को चूत के पास लगाओ और रज को बाहर गिरने से रोको!
रेशमा ने अपनी दूसरी हथेली को चूत के पास लगाया, ठीक उसी समय रेशमा का रज चूत की बाधाओं को तोड़ता हुआ बाहर उसकी हथेली में गिरने लगा। रेशमा के एक हाथ को मैं और दूसरे हाथ को रेशमा चाटने लगी।
उसके बाद मैं बैक मिरर से पीछे की तरफ और चारों तरफ आस-पास देखने लगा, तो काफी सन्नाटा था, मैंने गाड़ी को एक किनारे लगाया और रेशमा की चूत को चाट कर साफ किया.
फिर सोनी से रेशमा के चूतड़ को फैलाने के लिये कहा.
सोनी ने रेशमा के चूतड़ों को फैलाया, मैंने उसकी गांड के छेद में थूका और उसकी गांड को चाटने लगा, उसके बाद मैंने गाड़ी आगे बढ़ा दी।
अब बारी थी सोनी की।
सोनी अब आगे की सीट पर थी और रेशमा पीछे की सीट पर!
पर इससे पहले सोनी कुछ करती, एक दौर पेप्सी का और चल चुका था और इस बार पूरी की पूरी पेप्सी खाली हो चुकी थी। अब सोनी भी रेशमा जैसे पोजिशन ले चुकी थी। शुरू शुरू में सोनी को करने में परेशानी हो रही थी लेकिन रेशमा ने उसकी मदद करना शुरू की। धीरे धीरे सोनी भी मस्ती में आती जा रही थी और जो हाथ अब तक हौले हौले चल रहे थे, कुछ ही देर में उसके ऊपर उत्तेजना हावी होने लगी और जिस तरह रेशमा कर रही थी, उसी तरह सोनी के मुंह से हम्म… आह… हम्म… आह… की आवाज आने लगी और कुछ ही देर के बाद ही सोनी का रज भी उसके हाथों में था और इस बार रेशमा और मैंने सोनी के एक एक हाथ को चाटने लगा।
उसके बाद एक बार फिर मैंने सड़क के चारों ओर देखा और झट से गाड़ी को एक किनारे लगाया और उसकी चूत से निकलते हुए रज को चाट कर साफ किया.
इस बार रेशमा ने सोनी के चूतड़ों को फैलाया, मैंने उसकी गांड में थूका और जीभ की टिप लगा कर उसकी गांड को भी चाटने का मजा दिया।
फिर हम सभी ने कपड़े पहने और गाड़ी आगे बढ़ा दी।
15-20 मिनट और चलने के बाद एक होटल दिखायी पड़ा और मैंने अपनी गाड़ी पार्क कर दी। होटल के अन्दर पहुंच कर हम लोगों ने एक केबिन लिया और आराम से खाना खाया। करीब 30-40 मिनट के बाद हम लोग वहां से लखनऊ के लिए चल दिये।
जैसे हमारी गाड़ी थोड़ी आगे बढ़ी, वैसे ही सोनी ने जल्दी जल्दी अपनी सलवार उतारी और झट से पेप्सी वाली खाली बोतल चूत के मुहाने पर लगा दी, सर्रर्रर्र शर्रर्रर्र… की आवाज के साथ बोतल भरने लगी।
इतने बीच में रेशमा ने भी अपनी शलवार को उतार फेंकी और उसने भी सोनी से जल्दी बोतल ली और वो भी शर्रर्रर्र शर्ररर्र… के साथ उस बोतल को भरने लगी।
दोनों को मूतास बहुत तेज लगी थी, फिर भी मैंने मजा लेने के लिये बोला- यार जब तुम दोनों रेस्टोरेन्ट में थी तो वहीं मूत कर आना चाहिए था।
पर दोनों मुझसे भी ज्यादा चालाक निकली और झट से बोली- फालतू में हम अपनी मूत को नाली में नहीं बहाना चाहती।
“क्या?” अब चौंकने की मेरी बारी थी।
दोनों हँसती हुए बोली- अब बोतल में मूतने का मजा आने लगा है… और हो सकता है कि पीछे वाली बोतल के साथ साथ यह भी किसी के हाथ लग जाये। तुम भी मूत लो।
इतना कहने के साथ सोनी ने मेरी कैपरी को उतारने लगी, मैंने भी उसको सपोर्ट करते हुए अपनी कैपरी उससे उतरवा दी।
उसके बाद सोनी ने रेशमा से बोतल ली और फिर उस बोतल के मुंह को मेरे लंड से सटा दिया, मैंने भी बिना देर किये शू शू करना शुरू कर दिया।
मेरे पेशाब करने के बाद सोनी ने बोतल हटा दिया और फिर ढक्कन लगा कर अपने अंगूठे से मेरे सुपारे को साफ करने लगी। उसके बाद मैंने फिर गाड़ी किनारे खड़ी की, सोनी ने तुरन्त बोतल बाहर रख दी, उसके बाद मैंने गाड़ी आगे बढ़ा दी।
गाड़ी आगे बढ़ाते हुए मैंने दोनों से पूछा- बताओ अब तक कि यात्रा कैसी रही।
दोनों ने चहकते हुए कहा- बहुत मजा आया।
लेकिन अभी भी 110 किलोमीटर का रास्ता और बचा है, क्या करना है?
“जो तुम कहोगे वो हम दोनों करेंगी!” दोनों एक साथ बोली।
“तो ठीक है, अब हम लोग बात करेंगे और उसमें मजा लेंगे। ठीक है रेशमा, तुम बताओ, तुम्हारी साईज क्या है?”
“साईज?”
“हाँ साईज!”
“मैं समझी नहीं?”
तुम दोनों सेक्सी कहानी पढ़ती हो, तो उस कहानी में बताया जाता है कि 30-26-32 या कुछ ऐसा!”
“हाँ पढ़ा तो कई बार है पर कभी ध्यान नहीं दिया, और न ही हमें मालूम है।”
“चलो कोई बात नही!”
“अच्छा एक काम करो, सोनी तुम भी पीछे चली जाओ।”
सोनी भी पीछे चली गई।
“रेशमा, तुम अपने चूतड़ दिखाओ मुझे!”
रेशमा तुरन्त ही सीट पर घुटने के बल हो गयी उसकी पीठ मेरे बैक मिरर में साफ साफ दिखाई दे रही थी।
फिर रेशमा ने अपनी कुर्ती को ऊपर उठाया, इससे उसके चूतड़ के दीदार बहुत अच्छे से होने लगे।
“रेशमा, तुम अपने चूतड़ को फैलाओ!”
रेशमा ने अपनी कुर्ती को अपनी कोहनी के बीच फंसाते हुए अपने चूतड़ों को और फैला दिया। बीच में हल्का भूरा और काले रंग के संगम लिये हुए गांड का छेद दिखाई दिया।
मैंने मुंह को गोल करके एक सीटी बजाई और बोला- रेशमा क्या मस्त गांड है तुम्हारी! तुम इसी तरह रहो।
“सोनी अब तुम भी इसी तरह से हो जाओ!”
सोनी ने भी तुरन्त उसी पोजिशन में आकर अपनी गांड खोल दी।
मेरे मुंह से एक बार फिर सीटी बजी और मैंने उसके गांड की भी तारीफ की।
“रेशमा अब तुम सोनी के चूतड़ों को चूची समझ कर कस कस कर दबाओ और बेदर्दी होकर उसकी गांड को जितना फैला सकती हो, फैलाओ।”
रेशमा मेरे कहे को मानते हुए सोनी की गांड पर पिल पड़ी और बड़ी ही बेदर्दी से उसके चूतड़ो को दबाने लगी, सोनी ‘आह आह…’ करती जा रही थी।
“रेशमा अब तुम इसकी गांड में थूको!”
रेशमा ने वैसा ही किया।
“अब तुम अपनी जीभ से थूक को छेद के अन्दर और आस पास की जगह पर फैलाओ।”
रेशमा ने अपनी जीभ से काम करना शुरू कर दिया और इधर सोनी अजीब सी आवाज के साथ ‘सीईईई…ईई… आह!’ की आवाज निकालने लगी।
मैंने सोनी से पूछा- कैसा लग रहा है?
वो बोली- ऐसा लग रहा है कि हजारों चींटियाँ मेरी गांड के अन्दर घुस कर काट रही है, बहुत ही सुरसुराहट हो रही है। बहुत खुजली हो रही है।
“अच्छा तो तुम अब अपनी उंगली अपनी गांड में डाल कर खुजली मिटा लो।”
सोनी अपनी गांड में उंगली डाल कर बहुत तेज तेज चलाने लगी और फिर हाँफ कर बैठ गयी।
मेरी हिंदी एडल्ट स्टोरी जारी रहेगी.
कृपा करके मेल के माध्यम से मुझे अपने विचार बतायें।
शरद सक्सेना
[email protected]
[email protected]
What did you think of this story??
Comments