खान चाचा ने चुदाई का चस्का लगाया -2
(Khan Chacha Ne Chudai Ka Chaska Lagaya-2)
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अब तक आपने पढ़ा कि किस तरह खान चाचा ने हमको गाण्ड चुदाई में एक्सपर्ट कर दिया था।
अब आगे..
अब हम लोग में गाण्ड मारने मरवाने से ऊब चुके थे, अब कुछ नया चोदने की इच्छा हो रही थी।
एक दिन चाचा के यहाँ कोई मेहमान आई थी.. जिसका नाम चांदनी था और उसके साथ एक लड़की थी.. जिसका नाम रेशमा था।
दोनों बहुत ही सुन्दर थीं।
अगले दिन जब हम लोग चाचा के घर गए तो घर का दरवाजा बंद था लेकिन अन्दर कुछ से आवाजें आ रही थीं।
हम लोग दरवाजे में कान लगा कर खड़े हो गए.. अन्दर से आवाजें आ रही थी ‘और अन्दर डालो.. आजा.. मेरे जानू.. फाड़ दो मेरी चूत को.. निकाल दो मेरा दम.. आआह… आआआ.. और जोर से.. ऐसे ही करते रहो ईईईई इस्स्स्स्स.. बिल्कुल रहम न खाना.. फाड़ दो आज साली का.. भजिया बना दो.. ह्म्म म्म्म्म आआआह.. मजा आ रहा है.. जल्दी नहीं करना.. तुमसे चुदने ही आई हूँ.. आआआआ.. रेशमा मेरे दूध कसक दबाओ.. मेरा होने के बाद मौसा तुम्हें भी करेंगे.. पहले मेरा हो जाने दो.. अईई.. आआहह.. उईईइ.. हाआआअ.. मेरा तो हो गया.. अब छोड़ो भी.. देखो रेशमा परेशान है..’
हम लोग समझ गए कि अन्दर क्या हो रहा है.. हमने दरवाजा बजाया तो चाचा की आवाज आई- कौन है?
तो मोहन बोला- मैं हूँ मोहन और राकेश भी है दरवाजा खोलो..
अन्दर से चाचा- थोड़ी देर में आना, मैं काम कर रहा हूँ।
मोहन- हमें पता है कि क्या काम कर रहे हो। दरवाजा खोलो नहीं तो हम हल्ला करेंगे।
चाचा समझ गए कि बिना अन्दर आए हम नहीं मानेंगे.. तो उन्होंने थोड़ी देर बाद दरवाजा खोला और हम दोनों तुरंत अन्दर आ गए।
अन्दर चांदनी बिना कपड़ों के बेड पर लेटी थी और रेशमा भी अपने मम्मों को खोले खड़ी थी। हम दोनों को देखकर चांदनी ने अपने ऊपर चादर ओढ़ ली तभी..
चाचा- अरे डार्लिंग इनसे क्या शर्माना.. ये वही दोनों है.. जिनके बारे में बताया था.. गाण्ड चुदाऊ.. इनकी गाण्ड मार कबड्डी देखना है? बड़ी अच्छी तरह से गाण्ड मरवाते और मारते हैं। चलो.. दोनों कपड़े उतार कर अपने करतब दिखाओ।
तभी मोहन बोला- चाचा एक शर्त पर.. रेशमा को हमारा लंड चूसना पड़ेगा.. और बाद में रेशमा की हम गाण्ड भी मारेंगे।
चाचा चांदनी को ओर देखकर बोले- क्या कहती हो.. कर दें रेशमा को इनके हवाले.. मेरा तो सहन नहीं कर पाएगी.. ये इनसे मजा लेगी.. तुम हमसे मजा ले लेना.. क्या बोलती हो?
चांदनी ने भी हामी भर दी और बोली- ठीक है.. पर आराम से.. अभी नई है.. पहली बार है.. इसे ज्यादा अनुभव भी नहीं है।
चाचा- ठीक है.. आराम से करना.. आज तुम्हें चूत का नया मजा दिलाऊँगा।
अब हम दोनों अपने कपड़े उतार कर नंगे हो गए और चांदनी के पजामे का नाड़ा खोलकर नीचे सरका दिया।
अब चांदनी भी नंगी थी।
कमरे में सभी नंगे हो चुके थे, चाचा अपने हाथ में लंड पकड़ कर सहला रहे थे और हम दोनों एक-दूसरे के लंड को सहला रहे थे।
तभी चाचा ने रेशमा को पकड़ कर नीचे बैठाया और उसको मुँह से हम दोनों के लंड चूसने को कहा।
इधर रेशमा बारी-बारी से हम दोनों के लंड चूस रही थी, उधर चांदनी भी चाचा का लंड चूसने में मस्त हो रही थी। चांदनी के मुँह से लंड चूसने के साथ ‘पच..पुच.. सपड़.. सपड़.. हुफ़.. हफ..’ की आवाजें आ रही थीं.. जिसे सुनकर और उत्तेजना आ रही थी।
अब कमरे का ऐसा माहौल था कि जिसका लंड खड़ा न होता हो.. तो उसका भी खड़ा हो जाएगा।
रेशमा नीचे से बड़े प्यार से मेरा लंड चूस रही थी और मोहन मुझे घोड़ा बनाकर मेरी गाण्ड में अपना लंड पेलकर मेरी गाण्ड मार रहा था जिसे चांदनी बड़े ध्यान से देख रही थी।
चांदनी- वाह.. क्या बात है.. पहली बार ऐसा सीन देख रही हूँ।
अब चाचा ने रेशमा को लेटने के लिए कहा, रेशमा के लेट जाने के बाद मेरा लंड रेशमा की चूत पर रखकर अन्दर डालने को कहा। रेशमा की चूत कसी हुई थी.. जिससे मेरा लंड फिसल जाता था।
तब चाचा ने रेशमा की चूत को फैलाकर मेरे लंड को उसके छेद पर रख दिया और अन्दर करने के लिए कहा.. तो मैंने भी एक करारा झटका मार दिया।
अब लंड के आगे का हिस्सा अन्दर जा चुका था.. तभी रेशमा चीख उठी- आआअरे.. लआहह.. रे.. मर गईईई.. निकालो.. अम्मम्मा..
रेशमा की चूत से खून बहने लगा था।
मैंने डरकर लंड बाहर निकालना चाहा.. तो चाचा ने कहा- निकालना नहीं.. अभी और अन्दर डालो.. और झटका दो..
तो मैंने कहा- रेशमा को लग रही है.. वो रो रही है!
चाचा ने कहा- जब तुम्हारी गाण्ड में लंड घुसा था.. तो कैसा लगा था? और बाद में मजा आया था कि नहीं.. वैसे इसे भी होगा.. बस तुम बिना रुके लंड अन्दर-बाहर करते रहो..
थोड़ी देर बाद रेशमा ‘आआह… आआअ.. ईईईई.. इस्स स्स्स्स् स्स्स्स…’ कहते हुए अपने चूतड़ों को नीचे से उचकाने लगी।
अब मैं भी समझ गया कि रेशमा को मजा आने लगा है और मैं भी लंड जोर-जोर से अन्दर-बाहर करने लगा।
उधर चाचा चांदनी की गाण्ड को जीभ से चाटने लगे.. और थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना लंड उसकी गाण्ड के अन्दर कर दिया।
चांदनी- आआअ धीरे.. मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ.. आराम से करो पूरा डालो.. उईईई… ईईईई.. हाँ.. ऐसे करो.. ह्म्म म्म्म म्ममेऐरी गाण्ड का बाजा बजा दो.. आज इन दोनों की गाण्ड मराई देखकर मुझे भी अपनी गाण्ड मरवाने का मन हो रहा था.. आआ.. फाड़ दो.. चोदो और जोर से चोदो.. हरामजादे अगर मेरा भी लंड होता.. तो आज मैं तुम्हारी गाण्ड जरूर मारती.. बहनचोद!
कमरे में अजीब माहौल था.. मोहन मेरी गाण्ड का.. मैं रेशमा की चूत का.. और चाचा चांदनी की गाण्ड का बाजा बजा रहे थे।
जब मोहन का पानी छूट गया तो चांदनी उसे अपने पास बुलाकर उसके लंड को चाटकर साफ करने लगी।
मोहन का लंड फिर से टनटना गया.. तो चाचा ने चांदनी से कहा- क्यों दो-दो लंड एक साथ लेना है?
तो चांदनी ने पहले तो मना किया.. पर चाचा के मनाने से मान गई और चाचा ने उसे सीधा लेटने को कहा और बोले- अब ये बेचारा खड़ा रह कर क्या करेगा.. अब मैं आगे से और मोहन पीछे से करेगा।
तब चाचा ने मोहन को उसके ऊपर बैठाकर और लंड उसकी चूत में डालने को कहा। वो खुद उसकी गाण्ड में लंड डालने लगे। अब दो-दो लंड आपस में अन्दर रगड़ रहे थे.. चांदनी भी दो-दो लौड़ों का एक साथ मजा ले रही थी।
चांदनी- आआआह.. मेरे प्यारे लौंडे.. जोर जोर से चोद.. आअह.. मजा आ रहा है.. ऐसा जन्नत का मजा पहले कभी नहीं आया.. चोद साले.. घुसा दे पूरा.. मेरी चूत में.. अबे भोसड़ी के.. धीरे-धीरे कर.. ये मेरी गाण्ड है.. चूत नहीं.. जो जोर जोर से धक्के लगाए जा रहा है। साले मादरचोद.. फ्री का सामान पा गया है.. तो गांड की बऊचोद देगा क्या.. हरामी साला..
चांदनी गालियाँ दे रही थी.. तो मोहन ने डर कर अपना लंड बाहर निकाल लिया तो चांदनी बोली- क्या हुआ बे.. बाहर क्यों निकाला मादरचोद?
मोहन- आप गालियां दे रही थीं..
चांदनी- अबे ये तो जोश दिलाने के लिए होती हैं.. जब तक ऐसी बातें जुबान से न निकलें.. तब तक चुदने का मजा नहीं आता.. समझे.. चल डाल जल्दी..
मोहन फिर से चोदने लगा।
इधर रेशमा को भी मजा आने लगा था.. तो वो अपने कूल्हे उचकाकर मजा ले रही थी। अब मैंने भी आसन बदल और रेशमा को अपने ऊपर ले लिया। रेशमा ने भी लंड पकड़ कर अपनी चूत में डाल लिया और उठक-बैठक लगाने लगी.. जिससे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जा रहा था।
थोड़ी देर में रेशमा की चूत में से माल निकल कर बहने लगा और मेरे लंड को गीला कर दिया।
अब मेरा लंड आराम से अन्दर-बाहर हो रहा था और ‘फक.. फक..’ की आवाज आ रही थी.. जिस कारण मुझे और उत्तेजना आ रही थी।
मैं भी नीचे से जोर-जोर से धक्के देने लगा। कुछ देर बाद मेरा भी हो गया.. तो रेशमा ने उठ कर मेरे लंड को चाटकर साफ़ किया।
इस तरह चूत चोदने का ज्ञान भी प्राप्त हो गया था।
जब तक रेशमा और चांदनी यहाँ रहीं तब तक दोनों को चोदने का कार्यक्रम ऐसा ही चलता रहा। इस प्रकार हम दोनों को चूत चुदाई का भी चस्का लग चुका था और हम किसी न किसी को चोदते ही रहते थे।
यह मेरी सच्ची दास्तान है.. उम्मीद करता हूँ कि आप सबको मजा आया होगा। मुझे आपके विचारों को जानने की उत्सुकता रहेगी..
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