देहाती लौड़ों से चुदने की ख्वाहिश हुई पूरी

(Hindi Dehati Xxx Kahani)

हिंदी देहाती Xxx कहानी में पढ़ें कि मेरी इच्छा थी कि मैं गांव वालों के काले बड़े लंड से अपनी चूत गांड मरवा कर मजा लूं. मेरी तमन्ना कैसे पूरी हुई?

यह कहानी सुनें.

प्रणाम पाठको, कैसे हो आप सब. मैं आपकी कनिका मिश्रा, अपनी सेक्स स्टोरी लेकर फिर से हाजिर हूँ.

मैं काफी पहले से अन्तर्वासना और फ्री सेक्स कहानी की स्टोरीज पढ़ती आ रही थी, तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं आप सभी के अपनी कोई नई स्टोरी लेकर हाजिर होती हूँ.
तो मजा लें मेरी नयी हिंदी देहाती Xxx कहानी का!

मेरी पिछली कहानी थी: मेरी चूत को लगा लंड का चस्का

मैं पंजाब की रहने वाली हूँ. मेरी उम्र 27 साल की है. मैं एक शादीशुदा औरत हूँ. पर मैं अपनी सेक्स लाइफ से खुश नहीं रहती हूँ.

मेरे पति की उम्र 32 साल की है. पहले वो ठीक थे लेकिन उनकी सेक्स ड्राइव दिन ब दिन कमजोर होने लगी है.

मैं अपने पति के साथ ही बिजनेस चलाती हूँ.

शादी से पहले ही मैं बहुत बड़ी चुदक्कड़ बन गई थी और नए नए तरीकों से सेक्स लाइफ इंजॉय करती थी.

फिर मेरी मुलाकात मेरे पति मुकेश से हुई, जिनका प्रोपर्टी डीलिंग का काम था.

एक पार्टी में हम दोनों मिले और फिर प्यार हो गया. उस वक्त मुकेश सेक्स में जबरदस्त थे.

जल्दी ही हम दोनों ने जबरदस्त चुदाई भी की और हमने शादी कर ली.

वो शुरू में मेरी बहुत मस्त चुदाई करते थे लेकिन अधिक दारू पीने और स्मोकिंग की वजह से वो कमजोर होने लगे थे.

हम दोनों पीकर खूब चुदाई का मजा लेते थे. मेरी फंतासियां कुछ अलग किस्म की थीं; मुझे जंगली प्यार, अलग अलग तरीकों से चुदाई करवाना बहुत पसंद था.

मेरी लाइफ की एक फंतासी थी काला और मोटा लंड … और उस तरह के लौड़ों के साथ ग्रुप सेक्स करना.

अपनी इस कल्पना को मैं अक्सर चुदाई के दौरान ख्यालों में लेकर आती थी; उससे मुझे चुदाई के दौरान बहुत मजा आता था.

प्रॉपर्टी डीलिंग के साथ हमने एक शोरूम भी खोल लिया जिसको हम मिलकर चलाते थे.
उसी के साथ घर बना बना कर उन्हें बेचने का काम भी करते हैं.

पति की कमज़ोरी के चलते दुबारा से मेरे जिस्मानी रिश्ते बाहर बनने लगे थे.
पर ग्रुप सेक्स और काले रंग के देहाती लंड अब तक सिर्फ मेरी सेक्स के दौरान इमेजिनेशन ही थे.

पति की जानकारी में आए बिना मैंने उनके कुछ दोस्तों के साथ भी संबंध बनाए थे पर वो काले मोटे लौड़ों से एक ग्रुप सेक्स करने की लालसा को भी पूरा करना मेरा अब तक एक सपना ही था.

एक बार की बात है … हमने एक जमीन का सौदा किया और वहां घर बनाने लगे.
उस जमीन की लोकेशन शहर के थोड़ा बाहर थी.

लॉकडाउन से पहले हमने वहां काम शुरू किया था पर अगस्त तक काम रोकना भी पड़ गया.

उसके बाद थोड़ा काम चला.

फिर दो घरों के लेंटर डलने के बाद हमने वहां कुछ मजदूरों को रख लिया ताकि वहां पड़े सामान की चौकीदारी भी हो सके.

उसी समय मेरे पति थोड़े बीमार पड़ गए. उनको हार्निया की प्रॉब्लम आ गई, जिसको कोरोना के समय में ऑपरेट करवाना पड़ा.

पति की बीमारी के कारण मुझको ही साईट पर जाना पड़ता था. मेरे पास कोई और चारा भी नहीं था.

लेंटर के बाद फिर से काम शुरू हुआ. मैं वैसे तो साईट पर सुबह के समय जाती थी, मगर एक दिन मैं शाम को वहां गई.

मैं उधर काम देखने लगी.

फिर ऊपर गई और उधर का काम देख कर जब मैं वापस निकलने लगी तो मैंने देखा कि एक बलिष्ठ सा मजदूर बाहर लुंगी पहनकर नहा रहा था.

वो काले रंग का देहाती गबरू था. मेरी नजर सीधी उसकी लुंगी पर गई.
उसकी लुंगी एकदम चिपकी हुई थी और उसका भयंकर सा दिखने वाला लंड गीली लुंगी में से साफ उभरा हुआ दिख रहा था.

मेरी नजर कुछ पल के लिए वहीं रुक सी गई.
मेरी चूत में अजीब सी सिरहन सी उठने लगी.

उसने जब मुझे घूरते हुए देखा तो वो भी थोड़ा मुझे भांप सा गया.

उसने जल्दी से तौलिये से बदन साफ किया और उसी गीले तौलिये को लपेट लिया.

मैंने उससे पूछा- तुम ही यहां रहते हो?
‘जी मेम साहिब हम ही रहते हैं और साथ में दो और साथी भी हैं, वो अभी बाज़ार गए हुए हैं … सौदा पत्ता लेने. आप बैठिए मैडम, मैं आपके लिए चाय बनाता हूँ.’

मैं बड़ी कामुक आवाज़ में बोली- नहीं नहीं … रहने दो.
मैंने कामुकता भरी नजरों से उसको ताकते हुए जब ये कहा, तो वो हल्के से मुस्कुरा दिया.

मैं घर आ गई और उसको याद करके मैंने बाथरूम में अपनी चूत को खूब मसला.

अब मैंने सोच लिया था कि उस गबरू से अपना जिस्म रगड़वाना ही है.

अगले दिन शाम को मैं गाड़ी लेकर फिर से साईट पर गई.
आज मैंने कसा हुआ स्लीवलेस ब्लाउज पहना, साड़ी नाभि से नीचे बंधी हुई थी और ऊंची हील के सैंडल पहन कर मैं एकदम पटाखा माल बनकर गई थी.

मेरी फैंटेसी शायद पूरी होने का समय आ गया था.

मुझे काले मर्द से पूरी नंगी, सिर्फ सेंडल पहनकर जंगलियों की तरह चुदना था.

मैं मटकती हुई अन्दर गई तो आज वो अभी बैठा फोन पर भोजपुरी गीत सुन रहा था.

मुझे देख कर उसने कहा- अरे आप … आइये मेमसाब … आप कैसी हैं मैडम जी?

मैं- हां मैं ठीक हूँ. आज कितना काम हुआ है.
वो बोला- चलिए आपको दिखाता हूँ!

वो मुझे अपने साथ ऊपर ले जाकर दिखाने लगा.

ऊपर थोड़ा अंधेरा था, वहां पहुंचते मैंने गिरने का ड्रामा किया.
‘उफ …’

वो- अरे क्या हुआ मैडम जी.
उसने मुझे सहारा दिया तो मैंने अपना पल्लू सरका दिया और उसकी बांहों में आ गई.
उसका हाथ मेरी कमर पर था. उसका बड़ा ही कड़क शरीर था.

मैंने कहा- पांव अटक गया मेरा!

मैंने इस बहाने से सीधी होते हुए ही उसकी लुंगी के ऊपर हाथ फेर दिया और लंड का तनाव महसूस किया.

उसका लंड छूते ही मेरी चूत में चींटियां रेंगने लगीं.

फिर हम दोनों नीचे आ गए.

मैंने कहा- चलो ठीक है, मैं कल आऊंगी … अभी तुम्हें भी नहाना होगा.
वो बोला- हां हां नहाना तो है. आप बैठिए न … आज चाय पीकर ही जाइए. अभी वो मेरे साथ के दूध लेकर आने वाले हैं.

मैं- ठीक है, तुम नहा लो.
मैं आज मूड में थी, सो बैठ गई.

वो मेरे सामने नहाने लगा.
मैं उसको नहाते हुए देखने लगी.

उसको शायद मालूम कल गया था कि मैं प्यासी हूँ.

नहाते हुए उसने साबुन लुंगी के अन्दर लगाया. वो अपने लंड को हाथ से सहलाते समय मुझे देख रहा था.
मेरे होंठ सूख रहे थे और उसको देख कर मैं अपने होंठों पर ज़ुबान घुमाने लगी.

फिर मैं उठ कर उसके करीब गई.

मैं- थोड़ा पानी पिला दो, पाइप देना.

उसने पाइप मुझे पकड़ाते समय अपना हाथ मेरे हाथ के करीब कर दिया था.
मैंने उसके हाथ को सहलाया.

उसी समय पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैं साबुन पकड़ उसकी पीठ पर लगाने लगी और मैंने अपना पल्लू नीचे सरका दिया.

मेरे यौवन को देख कर उससे रहा नहीं गया और उसके लंड ने आकार ले लिया.

मैं नशीली आवाज में उसके लंड को देख कर बोली- अरे तुम्हारे इसको क्या हुआ?
वो- मैडम आपका हाथ लग गया तो यह खड़ा हो गया है.

मैं वहीं बैठ गई.

उसने अपनी लुंगी हटा दी … तो मेरे सामने भयंकर काला लंड फुंफकार मार रहा था.

मैंने उसके लंड को हाथ लगा दिया. मेरे हाथ लगाते ही वो और ज्यादा फुंफकारने लगा.

मैं- क्या नाम है तुम्हारा?
वो- जी, मेरा नाम बलदेव है.

मैं- तुम कितने कड़क हो बलदेव.

मैंने अभी उसके मोटे लंड को पकड़ कर चूमा ही था कि गेट खटक गया.

मैं अलग हुई और जरा पीछे हटकर बैठ गई.

दो गबरू जवान और अन्दर आ गए.

बलदेव बोला- ये मालकिन हैं.

वो दोनों आंखें फाड़ फाड़ मुझे देख रहे थे.

बलदेव बोला- मैडम टेंशन ना लो … यह अपने ही साथी हैं.

उसने आकर मेरी कमर में अपना हाथ डाल दिया और पल्लू हटा ऊपर से मेरे चुचों पर मुँह रख दिया.

मैं जरा सहम सी गई.

वो- आप डरो मत, ये किसी को कुछ नहीं बताएंगे.
मैं- ऐसा है बलदेव कि आज मैं कोई बहाना बना कर नहीं आई थी. मैं कल शाम को आऊंगी, फिर हम सब मस्ती करेंगे.

तभी उनमें से एक आगे बढ़ा और मेरी गांड पर हाथ फेरते हुए बोला- मैडम थोड़ा रुको ना!

उसने मेरा हाथ अपने लंड पर रख दिया.

मैं- नहीं बाबू, मैं कल आऊंगी.

तभी बलदेव ने अपना लंड निकाल लिया, वो बोला- अच्छा आज थोड़ा सा प्रोग्राम कर लो, बाकी कल कर लेना.

ये कह कर उसने अपना लंड हवा में लहरा दिया और हाथ से सहलाने लगा.

मैं समझ गई कि ये लंड चुसवाना चाहता है. मैं झुकी और पागलों की तरह उसका लंड चूसने लगी.
वो भी मस्त हो गया.

मैं लंड चूसते चूसते बोली- रुको एक मिनट रुको!

मैं बलदेव के लंड को अपने हाथ में लेकर चूमती हुई फोन लगाने लगी.

मैंने पति को फोन लगाया- आज मेरी सहेली मधु ने किट्टी रखी है, मैं रात लेट आउंगी.
ये सब बात करते करते मैं बलदेव के लंड को भी चूम ले रही थी.

पति बोले- ठीक है ज्यादा मत पीना वहां!
मैं- ठीक है डार्लिंग.

इतने में दूसरे वाले ने भी अपना भीमकाय लंड मेरे होंठों के पास कर दिया.

मैंने उसके लंड को भी चूमते हुए फोन पर अपने पति से बोली- हां जानू, मैं कम ही पियूंगी, डांट वरी.

अब फोन बंद करके मैंने मोबाइल एक तरफ रखा और लपक लपक लंड चूसने लगी.
कभी एक कभी दूसरा चूसती.

तीसरे वाला भी अपना लंड खड़ा करके पजामे के अन्दर से ही पकड़ कर बैठा था.

तभी मैं उठी और उसे तीसरे वाले बोली- ये चाभी पकड़ो … कार की डिग्गी खोलना. उसमें सामने दारू की बोतल पड़ी है. उसे उठा लाओ और वापस आना, तो गेट लॉक कर देना.

तीनों अपने कमरे में चले गए.
नीचे ही बिस्तर लगे हुए थे और तीनों लुंगी में ही थे.

कुछ ही पलों में वो सब आ गए.

मैं- आओ मेरे शेरो … आज मेरे हाथ के बने पैग पियो. मैं तुम्हें अपने हाथ से पिलाऊंगी आज!
बलदेव मुझे गाली देते हुए बोला- साली छिनाल … पहले नंगी तो हो जा. मेरा नशा डबल हो जाएगा.

ये कहते हुए उसने मेरा ब्लाउज खोला और मुझे घुमा घुमा कर साड़ी अलग कर दी.
देखते ही देखते लाल ब्रा और पैंटी में एक हसीन खूबसूरत औरत उन देहातियों के सामने आ गई थी.

उनका भी सपना ही होगा कि वो ऐसी हसीन औरत नंगी सामने देखें.

मैं- तुम बैठो.

ब्रा पैंटी में उनके सामने से मटकती हुई मैं गई और ग्लास उठा कर पैग डालने लगी.
मैंने उनको पैग दिए.

अपना पैग एक सांस में खींच कर बलदेव ने मुझे अपनी गोदी में बिठा लिया.
उसने जोश में मेरी ब्रा भी फाड़ डाली और मेरे स्तनों को चूसने लगा.

‘उफ बलदेव …’

तभी एक मजदूर मेरी जांघों को चूमने लगा और दूसरा मेरी टांगों को चूमने लगा.

‘कुतिया लंड की भूखी साली देख तू मादरचोदी आज मजे ले.’
मैं- हां मैं भूखी हूँ तुम्हारे लंड की कुत्तों … आज मेरी चूत फाड़ दो अपने काले लौड़ों से.

‘आह साली कुतिया रुक आज तुझे हम तीनों पूरा नौंच लेंगे.’

तभी एक ने मेरी पैंटी खींची और चूत को चाटने लगा.

मस्ती में आकर मैंने बलदेव के मोटे काले लंड को मुँह में भर कर थूक थूक कर गीला करके चाटना शुरू कर दिया.

फिर उन्होंने एक एक पैग और खींचा और बोतल से शराब मेरे मम्मों पर डालकर चाटने लगे.
एक ने मेरी चूत पर डालकर चाटना शुरू कर दी.

बलदेव सामने खड़ा हो गया.
मैं घोड़ी सी बनकर उसके लंड को गप गप चूस रही थी.

एक पीछे से मेरी गीली चूत चाट रहा था, एक नीचे से मेरे मम्मों को चूस रहा था.

मैं- तुम भी बहनचोद सामने आओ लंड लेकर.
वो सामने आ गया.

अब मैं कभी एक लंड को चूसती, तो कभी दूसरा, कभी हिला हिला कर खेलती.

तभी बलदेव मेरे पीछे आ गया और पीछे वाला मर्द आगे आ गया.
उसने आगे आते ही अपना पूरा लंड मेरे मुँह में घुसा दिया.

उधर बलदेव ने मेरे चूतड़ों में ही अपना मुँह घुसा दिया और कभी वो गांड के छेद को चाटता, तो कभी मेरी लपलप करती चूत को चाटता.
उसने मेरी गोरी गांड को काट लिया और उस पर थप्पड़ लगाने लगा.

मैं मस्त होकर आवाज निकालने लगी- उफ मादरचोद … और मार थप्पड़ … आज मैं तेरे लिए एक रंडी हूँ … उफ साले मार!
बलदेव- ले मेरी कुतिया, साली रंडी भैन की लवड़ी.

उसने अपने हाथ से अपने लंड पकड़ कर मेरी चूत पर ज़ोर ज़ोर से मारा.

मैं उसे पीछे देखती हुई बोली- हाय मादरचोद साले क्यों तड़पा रहा अपनी इस रंडी को … घुसा दे हरामी.

मैं अभी बलदेव को ही देख रही थी कि तभी सामने वाले मर्द ने मेरे बालों से पकड़ा और खींच कर गाल पर थप्पड़ लगा कर बोला- साली रंडी मुँह में ले हमारा बाबूलाल.

उसने ये कह कर मेरे गले तक लंड घुसा दिया और बोला- साली रांड, आज तेरी गांड और चूत के छेद चोद चोद कर एक कर देंगे.

उसका लंड वाकयी बहुत मोटा था. मेरी आंखों से पानी निकलने लगा. उसका मोटा लंड गले तक जा रहा था.

दोनों मर्द सामने से मुझे सांस नहीं लेने दे रहे थे.

उसी समय मेरे पति का फोन बजा. मैंने मुँह से लंड निकाला और हैलो बोली.

फिर जीभ की नोक से लंड को चाटते हुए मैं पूछा- हाँ जी बोलिए.
पति- मेरी दवाई कहां रखी हैं?

तभी बलदेव ने झटके से लंड पेल दिया.

मेरी मरी सी आवाज निकली- उन्ह … व्वो मेरी अलमारी में है.
‘क्या हुआ हनी?’

मैंने कहा- अरे यार डांस कर रही थी तो पैर मुड़ गया.
‘ओके जानू इंजॉय करो.’

मैं ज़ोर ज़ोर से लंड चूस रही थी.

कितने दिन बाद भीमकाय लंड मेरी चूत की गहराई में गया था. शायद ज़िन्दगी का ये पहला बड़ा लंड था.
उसका लंड मेरी चूत में घुस कर मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था … बहुत मजा दे रहा था.

मेरी फेंटेसी पूरी हो रही थी.
तीन तीन काले देहाती लौड़े मुझ पर हावी हो रहे थे, मुझे मसल रहे थे.

तभी एक ने उठकर एक पटियाला पैग बनाया और मेरे मुँह से लगा दिया. मैंने पैग पी लिया.

मेरे बाद उन तीनों ने भी लार्ज पैग लगा लिए.

अब बलदेव फौलाद की तरह मेरी चूत का भोसड़ा बना रहा था और दो मूसल लंड मेरे गुलाबी होंठों में खेल रहे थे.

बलदेव- साली कुतिया बोल … माँ की लवड़ी रंडी मालकिन की चोदी … आंह लंड में मजा आया?
मैं- आहं आह उफ बहुत मजा आ रहा है मेरे लवड़े … आंह रगड़ते जाओ मेरी चूत को भोसड़ी के.

बलदेव लंड पटक पटक कर मेरी चूत चोद रहा था. उसकी मजबूत जांघें मेरे चूतड़ों पर थपक थपक बज रही थीं.

‘आंह कुतिया चूस आह …’

हम चारों नशे में चूर हुए लगे पड़े थे.

बलदेव ने गीला लंड चूत से निकाल गांड के छेद पर टिका दिया और झटका लगा दिया.

मैं- हाय बलदेव … साले मादरचोद निकाल इसको … बहनचोद फट गई मेरी.
सामने वाला बोला- चल साली कुतिया बड़ी आई फट गई … साली तेरी गांड में दो लंड भी एक साथ घुस जाएं, तब भी तुझे फर्क नहीं पड़ने वाला है.

ये कह कर उसने मेरे हलक तक लंड ठूंस दिया.
पीछे मेरी गांड फट रही थी, बलदेव का मजबूत लंड मेरी गांड की सिकाई कर रहा था.

मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी चूत के दाने को मसलना शुरू कर दिया, इसे मुझे मजा आने लगा.

‘चल कुतिया उठ …’

ये कह कर बलदेव सीधा लेट गया और मैं उसकी छाती की तरफ पीठ करके लंड गांड में डालकर कूदने लगी.

एक ने लंड मेरे मुँह में ठूंस रखा था, दूसरा मेरी चूत को चाटने लगा.
फिर उसी ने ऊपर आकर मेरी चूत पर लंड टिका दिया.

बलदेव थोड़ा रुक गया और दूसरे ने लंड मेरी चूत में ठूंस दिया.
अब एक ऊपर से झटका मारता तो बलदेव नीचे से चोदने लगता.
बीच में मैं रंडी बनकर फंसी हुई थी, मेरे दोनों छेदों में लंड फंसे हुए थे.

‘उफ मादरचोदो … तुम साले हलवा बनाओगे मेरा … उफ उफ.’

मेरी आवाज पर उन दोनों के लंड और ज़ोर ज़ोर से चलने लगे.

साथ ही मेरा जबड़ा भी लंड चूस चूस कर थक गया था.
मैं पागल कुतिया की तरह लंड चूस रही थी.

तभी बलदेव तेज़ झटके देने लगा और दूसरे को ऊपर से हटा कर उसने मुझे सीधी नीचे लिटा दिया.
वो मेरे ऊपर चढ़ गया और तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा.

मैं झड़ने लगी और मेरी गर्मी से बलदेव का भी पानी निकल गया. वो मुझसे लिपट गया और उसने गीला लंड निकाल कर मेरे मुँह में ठूंस दिया.

बलदेव हांफने लगा पर दूसरे वाले ने मेरी चूत में लंड घुसा दिया और तेज़ तेज़ झटके देने लगा.

वो भैन का लंड इतना ज्यादा रगड़ रहा था कि मेरी चूत दुखने लगी, पर वो नहीं हार रहा था.

उफ आ उफ आह …

ज़ोर ज़ोर से चोदते हुए अंत उसने भी अपने लंड का गर्म लावा मेरी चूत में उगल दिया और हांफने लगा.

मेरी चूत के आसपास और गोरी जांघों पर उनका मिश्रित वीर्य बहने लगा था.

तीसरे वाले का लंड कुछ देर तक मैं चूसती रही.
फिर मैंने उसको बोला- थोड़ा रुक कर तू भी डाल देना!

अंतत: उसने भी मोटा लंड पेल ही दिया और मेरी धाकड़ चुदाई करने लगा.

मैंने उससे कहा- तुम मेरे अन्दर मत डालना … अपना पानी मुझे पिला देना.

उसने मुझे तीसरी बार झाड़ दिया और जब उसका निकलने वाला था तो उसने लंड मेरे मुँह में घुसा दिया.

मैं उसका पूरा पानी पी गई.

फिर हम तीनों नंगे एक दूसरे से लिपट कर चुम्मा चाटी करते हुए पैग लगाने लगे.

कुछ देर बाद वो तीनों मुझ पर फिर से सवार हो गए.
रात के एक बजे तक चूत गांड चुदाई का नंगा नाच चला.

मैं थक कर चूर हो चुकी थी.
मेरी मनोकामना पूरी हो चुकी थी.
चूत के मुँह का भोसड़ा बना चुका था.

जब मैं घर लौटी तो मेरा पति सोया पड़ा था.

मैं शॉवर लेने के लिए बाथरूम में गई. उधर शीशे में देखा, तो मेरी गांड लाल हुई पड़ी थी. चूचियां भी लाल हुई पड़ी थीं.
उन तीनों का सफेद सफेद माल मेरी जांघों पर जम चुका था, चूचियों पर भी उनका माल जम चुका था.

मैं नहा कर पति के पास लेट गई और चुपचाप सो गई.

सुबह 11 बजे आंख खुली और मैं एकदम फ्रेश हो गई थी.

मुझे कल रात चुद कर मजा आ गया था.

अब मैं अक्सर उनसे चुदवाने जाती हूँ.

यह थी मेरी फैंटेसी से लबरेज सेक्स कहानी, जो सच हो गई थी.

जल्दी ही मैं अपनी कोई और मस्त चुदाई की कहानी लेकर आपके सामने आऊंगी.

आपकी कनिका रंडी
[email protected]

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