मज़हबी लड़की निकली सेक्स की प्यासी- 5
(Garam Ladki Chut Chudai Story)
गर्म लड़की चूत चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि कैसे एक सीधी देसी दिखने वाली लड़की अन्तर्वासना के वश में होकर मेरे साथ चुदाई के लिए आयी. उसे हमने कैसे मजा दिया!
मेरी गर्म लड़की चूत चुदाई स्टोरी के पिछले भाग
मज़हबी लड़की निकली सेक्स की प्यासी- 4
में आपने पढ़ा कि
वह रोहित के ऊपर आ गयी। उसने अपनी पीठ रोहित के चेहरे की तरफ रखते, घुटने मोड़ते खुद को इतना झुकाया कि उसकी योनि का छेद रोहित के लिंग के छेद से सट गया।
“धीरे-धीरे नीचे होकर आराम से अंदर लो।” मैंने उसे प्रोत्साहन देते हुए कहा।उसने खुद को नीचे दबाया और रोहित का सुपारा उसके छेद में फंस गया। रोहित का सुपारा अंदर सरकने लगा उसकी योनि की चिकनाई, रस छोड़ती दीवारों को सरकाते और उसके चेहरे पर हल्के दर्द के लक्षण उभर आये।
अब आगे की गर्म लड़की चूत चुदाई स्टोरी:
लेकिन फिर भी उसकी योनि ने रोहित के पूरे लिंग को निगल लिया और उसके नीचे लटकते मोटे भगोष्ठ रोहित की झांटों से रगड़ खाने लगे।
“थोड़ा एडजस्ट होने का मौका दो और फिर धीरे-धीरे खुद अंदर बाहर लो, फिर रोहित धक्के लगा के पेलेगा।” मैंने उसका चेहरा सहला कर कहा।
उसने होंठ दांतों से दबाते सहमति में सर हिलाया और फिर खुद एक हाथ आगे कर के अपने दाने को रगड़ने लगी।
रोहित पीछे से हाथ उसकी चूचियों पर ले आया था और उन्हें मसलने लगा था।
थोड़ी देर में जब हिना की योनि ने रोहित के लिंग को अच्छे से आत्मसात कर लिया तब वह खुद से अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगी।
रोहित ने अपने हाथ उसकी चूचियों से हटा कर उसके चूतड़ों के नीचे लगा लिये थे और उसे ऊपर नीचे होने में सपोर्ट कर रहा था। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां हवा में उछलने लगीं और मुंह से दबी-दबी उत्तेजना भरी आवाजें निकलने लगीं।
मैं उसे चुदते देख कर रोमांचित हो रहा था और कमरे में लिंग और योनि के घर्षण की मधुर आवाज़ें गूंजती कानों में रस घोल रही थीं।
शिवम भी देख तो उत्तेजना के साथ रहा था मगर अब उसका लिंग भी मुरझाने लगा था अपनी बारी के इंतजार में।
यूं रोहित के लिंग पर उछलते जब हिना थक गयी तो थम गयी और खुद से रोहित को थपथपा कर उसे धक्के लगाने का इशारा किया।
उसने रोहित के उन हाथों के सपोर्ट से खुद को इतना नीचे से उठा लिया जो उसके चूतड़ों के नीचे लगे थे … कि नीचे से कमर उठाते रोहित जब धक्के लगाये तो पूरे लिंग को अंदर बाहर कर सके।
“ऐसे न मेरी जान!” रोहित ने नीचे पूरा लिंग जड़ तक उसकी योनि में पहुंचाते हुए कहा।
“हां ऐसे ही … ऐसे ही।” हिना ने सिसकार कर कहा।
“लो ऐसे ही लो … यह लो यह लो।”
फिर वह घपाघप नीचे से धक्के लगाने लगा और तेजी से बढ़ते काम रस की वजह से अच्छी लम्बाई-मोटाई के बावजूद रोहित का लिंग गचागच अंदर-बाहर होने लगा। कमरे में तेज आवाजें गूंजने लगीं।
हिना ने कुछ देर तो अपनी आवाजें दबाने की कोशिश की लेकिन फिर उसका नियंत्रण हट गया और कामोत्तेजना से भरी घुटी-घुटी चीखें कमरे में गूंजने लगीं।
धक्के लगाते-लगाते रोहित थक गया तो उसने हिना की पीठ थपथपाते उसे हटने का इशारा किया। वह खुद को संभालते उसके ऊपर से हट गयी।
“अब तू चोद … डॉगी स्टाईल में।” मैंने शिवम से कहा।
“पहले लंड तो टाईट करे!” शिवम हिना के मुंह के पास पहुंचता हुआ बोला।
अब उसे मेरे इशारे की जरूरत नहीं थी, उसने खुद से मुंह खोल के शिवम के लिंग को मुंह में ले लिया और जीभ रोल करती लपड़-लपड़ चूसने लगी। साथ ही उंगलियों से उसके टट्टों भी सहला रही थी जिससे शिवम का लिंग जल्दी ही टाईट हो गया।
“अब तुम घुटनों पर जोर देती कुतिया की पोजीशन में आ जाओ। हाँ इसी तरह … दोनों घुटने फैलाओ और कमर एकदम नीचे दबा अपनी पुसी को पीछे की तरफ धकेलो।
“हां ऐसे … थोड़ा और … जहाँ तक धकेल सको … शाबाश।”
मेरे कहने के हिसाब से वह परफेक्ट डॉगी स्टाईल में आ गयी। उसके नर्म-नर्म चूतड़ जैसे दोनों तरफ सरक गये और बीच की दरार खुल गयी जिसमें ऊपर सामने तो पीछे का गोल छेद था जो देखने से ही टाईट लग रहा था और उससे थोड़ा नीचे उसकी योनि का चुदने के बाद खुल चुका छेद रस छोड़ता चमक रहा था जिसे घेरने वाली बड़ी और मोटी दीवारें नीचे लटकती खतरनाक लग रही थीं।
शिवम ने उसके पीछे वाले छेद पर लार गिराई और अंगूठे से उसे खोदने लगा जबकि दूसरे हाथ से अपने लिंग को पकड़े उसे योनि के साथ रगड़ रहा था।
फिर उसने अंगूठा अंदर दबाया तो हिना जोर से चिंहुकी और अंगूठा छेद की चुन्नटों को फैलाता अंदर सरक गया। हिना कसमसाई तो लेकिन आगे हटने या अपनी पोजीशन चेंज करने की जरूरत नहीं समझी।
शिवम ने अंगूठे को अंदर-बाहर करने साथ उसकी योनि के छेद पर सुपारा टिका कर जोर लगाया।
उसका लिंग दीवारों को ककड़ी की तरह चीरता अंदर धंस गया।
हिना जोर से सिसकारी और योनि को आगे खींचने की कोशिश की … लेकिन शिवम ने दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़ कर उसे रोक लिया और पूरा लिंग उसकी गहराई में उतार दिया।
“आह … फट न जाये।” हिना के मुंह से निकला।
“कुछ नहीं होगा … इससे लम्बे और मोटे भी इसी तरह अंदर चले जायेंगे। तुम नीचे से हाथ ले कर अपने दाने को सहलाओ, अभी गर्म हो कर मजा देने लगेगी पुसी।” मैंने उसका हौसला बढ़ाते हुए कहा।
उसने वैसे ही किया … वह एक हाथ नीचे से योनि तक ला कर अपने दाने को रगड़ने लगी और अपने चूतड़ उसने फिर पीछे दबा दिये जिससे शिवम अब कमर छोड़ कर उसके नर्म मुलायम नितम्बों को दबोचते, मसलने अपने लिंग को धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा।
मामला एडजस्ट हो गया तो हिना ने हाथ हटा लिया और दोनों हाथ चेहरे के पास रख कर एंजाय करने लगी … आगे के इस्तेमाल के मद्देनजर शिवम ने वापस अंगूठे से उसके पिछले छेद को खोदना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर में उसे मजा आने लगा और वह वैसे ही ‘सी-सी’ करने लगी।
“अब आ रहा है न मजा?” मैंने चेहरा झुका कर हिना की आंखों में देखते हुए कहा।
“हम्म।” उसने भारी सांसों के साथ जवाब दिया।
शिवम ने भी ज्यादा जोर से और जल्दी-जल्दी धक्के लगाने से परहेज किया और इत्मीनान से धीरे-धीरे धक्के लगाता रहा। जो लिंग पहले कसा-कसा अंदर जा रहा था, वह फिर पानी की तरह एकदम स्मूदली अंदर-बाहर होने लगा। उसकी योनि अब अच्छी तरह ढीली हो कर फैल गयी थी।
अगर हम अकेले ही लगातार चोदते तो अब तक झड़ने की नौबत आ जाती लेकिन चूँकि एक-एक हो कर बारी-बारी चोद रहे थे तो जब तक एक का पारा चढ़ता तब तक उसके हटने का नम्बर आ जाता और जब दोबारा नम्बर आता तब तक सामान का पारा उतर चुका होता तो इस तरह हमे सेशन को लंबा खींचने का वक्त मिल रहा था.
जबकि हिना लगातार चुद रही थी तो वह दो बार झड़ चुकी थी.
और जब हमारे झड़ने की नौबत आई तब उसके भी तिबारा झड़ने की नौबत आ चुकी थी। इस बीच हर उस आसन पर तीनों ने ही बारी-बारी उसे चोदा जो हम इस्तेमाल कर सकते थे।
“तीनों अलग-अलग जगह झड़ो बे, क्यों एक ही जगह कीचड़ करना है।” मैंने ही यह बात उठाई।
उन दोनों ने भी सहमति जताई और सबसे पहले नम्बर के हिसाब से मुझे झड़ना था तो उस वक्त उसे पीठ के बल लिटा के, उसकी टांगें पीछे धकेल कर उसकी योनि में लिंग ठूंसे धक्के लगाते मेरे दिमाग में यही आया कि क्यों न अभी ही पीछे का रास्ता खोल लूं।
वह भी इस हद तक गर्म थी कि अभी उस जोश में दर्द भी बर्दाश्त कर लेगी। तो लिंग बाहर निकाल कर उसकी टांगें और पीछे इस तरह धकेलीं कि पिछला छेद ऊपर आ जाये और उस पर ढेर सी लार उगल दी … साथ ही दो उंगलियों से उसे खोदने लगा।
चूंकि इस बीच उसे चोदते हुए हम लगातार उसके उस छेद में उंगली अंगूठा घुसाते रहे थे तो मतलब भर गीला और ढीला तो वह हो ही चुका था और खुद हिना भी मानसिक रूप से इसके लिये तैयार थी कि आज उसे भी चुदना ही है तो कोई चिंता की बात भी नहीं थी।
फिर उंगलियों से मतलब भर खुदाई कर चुकने के बाद मैंने बाबूराव की नोक छेद पर टिकाई और ताकत लगा कर उसे दबाने लगा। एकदम जोर पड़ने पर सारी चुन्नटें फैलीं और ‘पक’ से टोपी अंदर उतर गयी।
हिना जोर से तड़की और पीछे हटने की कोशिश की लेकिन मैंने उसे दबा दिया।
“इजी-इजी … कुछ वक्त दो। अभी ढीला हो जायेगा।” मैंने उसे दबाने के बाद उसका भगांकुर सहलाना शुरू कर दिया था।
वह समझती थी, पहले भी इस मरहले से गुजर चुकी थी तो एकदम अंजान तो नहीं थी कि पीछे के छेद में लेने पर क्या फील आता है। वह थम गयी तो मैं अंदर सरकाने लगा और पप्पू गहराई नापता चला गया।
जब जड़ तक अंदर पहुंच गया तब उसका हाथ पकड़ कर उसकी क्लिट पर रख दिया और इशारा समझ कर वह तेजी से उसे सहलाने लगी।
मैं दोनों हाथों से पूरी बेरहमी से उसकी चूचियों को दबाने लगा।
मैं कुछ हद तक उस पर छा गया था और अपना सामान बड़ी धीमी गति से अंदर-बाहर करने लगा था।
एकदम टाईट और गर्म छेद था … ऐसा लग रहा था जैसे उसने मेरे लिंग को कस कर जकड़ रखा हो। योनि के मुकाबले उसकी कसावट देर तक बरकरार रहती थी। योनि तो पानी छोड़ते गीली होते ढीली हो जाती थी और लिंग फचाफच चलने लगता था जबकि पिछले होल में ऐसी प्रक्रिया नहीं होती थी और एक तरह से कसावट देर तक बरकरार रहती थी।
हम जैसे शौकीनों के लिये बस यही तो मजा था, जो हमें आगे से ज्यादा पीछे मजा आता था।
छेद की सख्ती के साथ लिंग का पारा चढ़ने लगा और चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ते मैं सीधे हो कर उसे घुटनों से थाम कर हचक-हचक के धक्के लगाने लगा।
उसकी भी कराहें निकलने लगीं।
वह गर्म होने के लिहाज से लगातार अपनी योनि को रगड़े डाल रही थी और दूसरे हाथ से अपने वक्षों को मसल रही थी।
फिर मेरी नसें खिंच गयीं और एक गुर्राहट के साथ उसकी गांड के अंदर ही लिंग ने सफेदी उगल दी।
थोड़ी देर तक मैं उसे थामे झड़ता रहा और फिर अलग हट के वहीं फैल गया।
यकीनन उसके छेद से मेरा माल बाहर बहने लगा होगा लेकिन वह सब देखने संभालने का वक्त कहां था। मेरे जगह खाली करते ही रोहित उसकी टांगों के बीच आ गया और उसने अपना कुछ हद तक मुरझा चुका लिंग उसकी योनि में ठूंस दिया और उसके पैर अपने कंधों पर रख कर जोर-जोर से धक्के लगाने लगा।
योनि का पानी और गर्माहट पाते ही उसका लिंग टाईट हो गया जबकि लिंग का स्पर्श मिलते ही हिना ने अपना हाथ पीछे कर लिया था और अब सिसकार-सिसकार कर बिस्तर में हिलते हुए धक्के खा रही थी। दोनों दूध बुरी तरह उछल रहे थे।
जब उसका ऑर्गेज्म पास आ गया तो उसने रोहित के कंधों से अपने पैर हटा लिये और उसे अपने ऊपर खींच लिया।
दोनों एक दूसरे से चिपक गये.
हिना ने अब अपनी टांगें उसकी जांघों पर चढ़ा ली थी और उसकी पीठ दोनों हाथों से दबोच ली थी।
रोहित की स्पीड भी बढ़ती जा रही थी और लिंग और योनि के घर्षण से पैदा होती घचर-पचर जोर-जोर से कमरे में गूंजने लगी थी। फिर जोरदार कराह और गुर्राहट के साथ दोनों ही झड़ गये. अंतिम पल में दोनों ने एक दूसरे को ऐसे भींच लिया था जैसे एक दूसरे में समा ही जायेंगे।
शिवम तब तक अपने लिंग को हाथ से सहलाता रहा था कि उसका पारा उतर न जाये और जैसे ही रोहित हांफता हुआ उससे अलग हुआ, उसने हिना की पीठ के नीचे सपोर्ट देते उसे बिठा लिया।
फिर खुद उसके सामने घुटनों के सहारे खड़ा हो गया कि अपना लिंग उसके मुंह में दे सके।
हिना ने पूरी आत्मीयता से उसके हथियार का अपने मुंह में स्वागत किया और वह उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
उसके सर को थाम कर अपनी कमर आगे पीछे करते वह हिना के होंठों को चोदने लगा।
लिंग में पूरी तरह तनाव आते ही उसकी गति बढ़ने लगी और वह भारी सांसों के साथ जोर-जोर से लिंग चलाने लगा।
यूं चर्मोत्कर्ष पर पहुंचते एक तेज कराह के साथ वह भी बह चला। अंतिम पलों में उसने हिना के सर को एकदम जकड़ लिया था और उसके लिंग से निकले वीर्य के स्वाद का अनुभव होते ही हिना ने मुंह पीछे हटाना चाहा था लेकिन शिवम ने उसे इसकी इजाजत नहीं दी और अंतिम बूंद निकलने तक उसे सख्ती से पकड़े रहा।
शुरुआती धार तो पक्का उसके गले में उतर गयी होगी लेकिन बाद के माल को उसने मुंह में संभाल लिया था और शिवम के अपना लिंग उसके मुंह से निकालते ही मुंह में मौजूद वीर्य उसने बेड के साईड में उगल दिया लेकिन उसके चेहरे पर नाराजगी या बुरा मानने जैसे कोई भाव न आये बल्कि चेहरे से वह पूरी तरह संतुष्ट लग रही थी।
फिर हमारी तरह वह भी हमारे बीच पसर गयी और तृप्ति पूर्ण ढंग से हंसने लगी। मैं उसके पास था तो उसकी छातियां सहलाने लगा।
“मजा आया?” मैंने मुस्कराते हुए पूछा।
“बहुत ज्यादा … उम्मीद से कहीं ज्यादा!” वह आंखें चमकाती हुई बोली।
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