होली में मेरी चूत और चोली खुली

(Friend Wife Sex Ki Kahani )

फ्रेंड वाइफ सेक्स की कहानी में मैं अपने पति के दोस्तों से चुदी. मेरे पति विदेश में हैं तो मेरी चूत की आग सुलगी रहती थी. तो मैं उनके दोस्तों से ही अपनी चूत मरवाकर मजा करती हूँ.

यह कहानी सुनें.

मित्रो, मेरा नाम निकिता है।
मैं एक हाउस वाइफ हूं।
मेरे पति बाहर काम करते हैं और कई महीनों में बाद ही घर आ पाते हैं।

मैं आपके सामने अपनी एक सच्ची और आपके यौन अंगों को उत्तेजित कर देने वाली फ्रेंड वाइफ सेक्स की कहानी के साथ उपस्थित हूं।

मेरी शादी को 4 साल हो गए।
मेरे घर में और कोई नहीं है तो उनके न होने से मैं अकेली ही रहती हूं। और मेरे जिस्म गर्मी अक्सर दूसरे या उनके दोस्त ही शांत करते हैं।
वे सब हमेशा घर आते रहते हैं।

मेरा बदन एकदम फिट, कसा हुआ और स्लिम है।
मेरा फिगर 36-28-36 है जो किसी को भी अपने लंड को पकड़ने के लिए इतना उकसा देता है कि वह खुद को रोक नहीं सकता।
मुझे बहुत मन करता है तो मैं अपनी क्लीवेज दिखा दिखा कर सबको हमेशा ललचाती रहती हूं।

एक दिन की बात है, होली के दिन जब मेरे पति घर पर थे।

उस दिन मुझे बहुत मजा आया था क्योंकि मेरे पति के दोस्त भी आए हुए थे जो काफी कसे हुए और काफी हॉट लग रहे थे।
उन सबकी शर्ट फटी हुई थी और उनके गठीले बदन को देख कर मेरा मन जोर जोर से मचल रहा था।

पर पति थे तो मैं कुछ कर नही सकती थी।
वे 7-8 के गैंग में थे।

उन्होंने पहले मेरे पति के साथ थोड़ी होली खेली और दारू पी।
फिर चुपके से मेरे पति के ड्रिंक में नींद की गोलियां मिलाकर उन्हें सुला दिया।

मैं रूम में थी तो वे सब मेरे पास आ गए और मुझे होली खेलने के लिए बार बार बुलाने लगे।

मेरा मन भी बहुत जोरों पर था कि मैं उन सबकी बाहों में जाकर चिपक कर खूब होली खेलूं.
पर मैं उनके साथ होली न खेलने का नाटक करने लगी।

कुछ देर तक मैं उनको ऐसे ही उकसाती रही और अपनी ब्लाउज की ऊपर की एक बटन खोल कर उनको ललचा भी रही थी।

फिर वे कमरे में आ गए और मुझे उठा कर रूम से बाहर लाए।
तब उन्होंने मेरी एक भी नहीं सुनी।

चूंकि मेरे घर पर मेरे सोए हुए पति के अलावा कोई और नहीं था तो वे सारे कई तरह के रंग लेकर मेरे ऊपर कूद पड़े।

मैं इधर उधर भागने लगी लेकिन वे बहुत लोग थे तो मैं आखिर पकड़ी ही गई।

फिर वे बोले- अरे भाभीजान, आज कहाँ भाग रही हो? आज तो आप हमारे रंग में पूरी रंग जाओगी. आज हम तुम्हें बिल्कुल नहीं छोड़ेंगे।

उनमें से एक ने मुझे पीछे से मेरी कमर में हाथ डाल कर जोर से पकड़ लिया और सब मिलकर मेरे चेहरे पर साथ ही रंग लेकर रगड़ना शुरू हो गए।

मेरी कोमल गालों रगड़ रगड़ कर रंगों से सराबोर कर दिया और लाल, हरा, नीला, काला, सिल्वर और सुनहरा रंगों से मेरी जबरदस्त पुताई शुरू कर दी.
मैं कुछ नहीं कर पा रही थीं।

वे मेरे चेहरे को रंगने के साथ ही नहीं रुके।
उसके बाद उन्होंने मेरे बदन के गुप्त भागों को भी रंगना शुरू कर दिया।
उनके गठीले हाथ जो मेरे जिस्म पर इधर उधर फिरा रहे थे, मेरे जिस्म की गर्मी को बढ़ावा दे रहे थे।

मैंने फिर उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन पर उन्होंने कुछ नहीं सुना।
वे मेरे साथ थोड़ी बहुत जबरदस्ती कर रहे थे।

उनके गठीले ताकतवर हाथ, वे मेरे जिस्म के अंदरूनी अंगों को एक-एक करके कई रंगों से जोर जोर से मसल मसल कर रगड़ रहे थे।
किसी का हाथ मेरी चूचियों की कोमलता पर प्रहार कर रहा था, किसी का पीठ पर, किसी का गले पर और किसी का चेहरे पर तो किसी का गांड पर भी था।

और वास्तव में मेरे पूरे शरीर में हर समय कोई न कोई अपने हाथों से मेरे जिस्म की उत्तेजना/गर्मी को बढ़ा रहा था।
पहले उनके हाथ मेरे लो कट ब्लाउज में पीछे से घुसे और फिर गले के किनारे से मेरे सटी हुई चूचियों की दरारों को चीरते हुए मेरी चूचियों पर रंग मसल रहे थे।
उन्होंने मेरी चूचियों को बहुत जोर जोर से रगड़ा।

मैं थोड़ा कराह रही थी लेकिन कुछ देर तक मसले जाने के बाद आखिरकार मेरी उत्तेजना बढ़ चुकी थी और मुझे बहुत मजा आने लगा।
लेकिन वे मेरे ब्लाउज और क्लीवेज पर भी नहीं रुके, उन्होंने मेरी लाल साड़ी उतार कर फेंक दी जो उन सबके रंग में रंगी हुई थी और बहुत गीली हो गई थी।

अब मैं उनके सामने कमसिन जवानी लिए सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी जो उन्हें मेरे साथ कुछ भी करने का दावत दे रही थी।
मुझे लगा कि ये सब मुझे नंगी किए बिना नहीं छोड़ेंगे।

कुछ कैसे करके मुझे उनके बीच भागने का रास्ता मिल गया।

लेकिन जैसे ही मैंने भागना शुरू किया, उन्होंने मुझे फिर से पकड़ लिया और मुझे बालों से खींचते हुए मेरे घर के आंगन में ले गए।
वे मेरे पूरे बदन पर जैसे रंगों की मालिश करने लगे।

उन्होंने मेरे पेट, हाथ, कलाई, कमर, चूचियों और जांघों को भी रगड़ना शुरू कर दिया।
मैं रोने का दिखावा कर रही थी और उन्हें दिखाने करने की कोशिश कर रही थी कि मुझे यह नहीं पसंद है; मुझे छोड़ दो।
लेकिन असल में मुझे इसमें बहुत मजा आ रहा था।

उनके सख्त हाथ जिस्म के अंगों पर बहुत जोर जोर से रगड़ रहे थे जो मेरी जिस्म की आग को और भी ज्यादा उत्तेजित कर रहे थे।

कुछ देर बाद मैं जोर-जोर से आआ आआह्ह हउह्ह आउच आउच उम्म म्म्मआ आआआ ह्हह करके सिसकारियां लेने लगी।
मुझे भी उनके हाथों पूरे रंग में रंगने में मजा आ रहा था।

फिर वे गंदे गंदे भोजपुरी गानों पर मुझे साथ नचाने लगे।
लेकिन जब कुछ ही रंग और बचे थे तो उन्होंने अचानक मेरे सारे कपड़े धीरे धीरे फाड़ने शुरु कर दिए और देखते ही देखते मुझे पूरी तरह से नंगी कर दिया।

मैंने वहां से भागने की थोड़ी बहुत कोशिश की और पूरी तरह से नग्न न होने की कोशिश की.
लेकिन वे बहुत सारे थे और मुझे घेर लिया और मेरे पूरे कपड़े फाड़ दिए।

और अंत में कुछ ही कोशिशों के बाद उन्होंने मुझे नंगी कर दिया पूरी तरह से!

वे मुझे और मेरी चूचियों, गांड और पूरे बदन को अपनी हवस भरी निगाहों से घूरने लगे; मेरे अंगों पर प्यार से थप्पड़ भी मारने लगे जो मुझे और उत्तेजित करने लगा।

अब वे मुझे खींच कर एक-दूसरे की ओर धकेल कर मेरे साथ खेलने लगे और मेरे शरीर के बचे हुए अंगों को अपने सख्त हाथों से रंगने लगे।

मैं बहुत जोर जोर से सिसकारियां ले रही थी।
मेरा आंगन आआ आआह्ह ह्ह्ह … प्लीज … प्लीज यार … की आवाज़ के साथ गूंज रहा था.
मैं बोल रही थी- मुझे छोड़ दो … प्लीज प्लीज … उफ आआ आआह ह्ह उम्म म्मम्म!

हर एक ने मेरी गांड को रंगने में खूब आनंद लिया और थप्पड़ भी मारे और मेरी चूत को खोल कर रंग दिया।
और मैं उनसे बचने के लिए कुछ नहीं कर सकी।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था पर उनके सामने बहुत शर्म महसूस होने लगी.
लेकिन उन्हें कुछ भी महसूस नहीं हुआ।
वे मेरी पुताई के मजे ले रहे थे और मेरी जिस्म को पोत पोत कर हंस रहे थे।

लेकिन वे यहीं नहीं रुके, वे मुझे गेट के पास ले गए.
अब उन्होंने मेरे साथ गंदे तरीके से खेलना शुरू कर दिया और सड़क की कीचड़ को लाकर मुझ पर रगड़ कर मुझे जितना हो सके गंदा कर दिया।

मेरा पूरा जिस्म रगड़ दिया।
मैं पूरी तरह से उनकी गन्दगी में गन्दी हो गई थी।

उनके सख्त हाथों ने मेरे बदन के अंगों को एक प्यारे से दर्द में छोड़ दिया।

उन्होंने मुझ पर और मेरे पूरे बदन पर भी पेशाब किया। उन्होंने मुझे पेशाब से स्नान ही करा दिया।

तब उन्होंने मुझ पर कई अंडे भी फोड़े।
मुझसे बहुत ही गंदी सी गंध आ रही थी।
पर वह गंध उन्हें और अश्लील होने के लिए उत्तेजित कर रही थी।

लेकिन अंत में मैंने उनका भरपूर आनंद लिया।

वे अपनी हरकतों से मुझे बहुत प्यारे लग रहे थे।
उन्होंने मुझसे अपने बड़े बड़े लन्ड भी चुसवाए और मुझ पर अपने वीर्य भी गिराया, मुझे अपना वीर्य भी पिलाया जो मैं भी मजे ले लेकर पी गई।

उस मदमस्त दिन के बाद जब मेरे पति चले जाते हैं और मैं घर पर अकेली होती हूँ तो मेरे पति के दोस्त मुझे मेरे घर में गैंग में मेरी चूत मारते हैं.
मैं मजे लेने के बाद निढाल होकर पड़ी रहती।

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