इंग्लिश की क्लास में चुदाई की पढ़ाई-4
(Funny Sex Story: English Ki Class Me Chudai Ki Padhai- Part 4)
अब तक की इस फनी सेक्स स्टोरी के तीसरे भाग
इंग्लिश की क्लास में चुदाई की पढ़ाई-3
में आपने पढ़ा था कि जब मैं पिंकी की चूचियों के साथ खेल रहा था तभी रोशनी ने गुस्से से मेरी तरफ देखा.
अब आगे..
मैं डर गया, तभी मुझे रोशनी की गांड पे चमकते हुए मोती जैसे गाढ़े जूस की दो बूँदें नजर आई- अरे वो रोशनी तुम्हारी गांड पर भी जूस लगा है.. वो सिर्फ मैं ही साफ़ करना चाहता हूँ.
रोशनी बड़ी खुश हुई और पिंकी भी खुश थी क्योंकि उसके चुचे मैंने चूस लिए थे.
विक्की बोला- सर, पिंकी का तो जूस निकलता जा रहा है, अब तो बोतल भी भरने वाली है.
“पिंकी, ये कैसे बंद होगा?”
पिंकी बोली- सर, अब तो मुझे इसमें कुछ घुसाना पड़ेगा, जैसे कि कोई केला या कुछ भी लंबा सा आइटम हो.
मैं पिंकी का इशारा समझ गया, रोशनी ने झट से कहा- ठीक है विक्की की लंबी ककड़ी घुसा देते हैं.
लेकिन पिंकी तो सिर्फ मेरे बैंगन की दीवानी हो रही थी, पर उस वक्त उसने ओके कर दिया.
“पर सर मुझे चोदना नहीं आता!” विक्की ने कहा.
“अरे विक्की चुदाई करना बहुत आसान है, चलो मैं तुम्हें दिखाता हूँ.”
मैंने अपनी पॉकेट से तीन कंडोम निकाले- विक्की ये निरोध हैं. पहले इसे अपने लंड पे चढ़ाना होता है. विक्की और गोलू तुम अपने सारे कपड़े उतार दो, तुम्हारी नंगी रोशनी दीदी और पिंकी जैसे फ्री हो जाओ.
मैंने विक्की के ककड़ी जैसे पतले लंबे और कड़क लंड पर कंडोम चढ़ा दिया. फिर गोलू से कहा- अब तुम भी पहनो, जैसा मैंने सिखाया वैसे ही करो.
गोलू का लंड मुर्झाई हुई भिन्डी जैसा लटक रहा था, इसलिए वो कंडोम नहीं चढ़ा पा रहा था- सर मुझसे नहीं हो रहा!
मैंने कहा- ठीक है अभी तू रहने दे.. एक बार फिर से देख मुझे.
मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए- रोशनी, जरा तुम इधर आओ और गोलू को दिखाओ कि कंडोम को खड़े लंड पे ही चढ़ाया जाता है.
रोशनी ने मेरे भारी लंड को हाथ में पकड़ा और उस पर कंडोम चढ़ा दिया.
“ओके विक्की पहले लड़की को सीधा करके बिस्तर पे लेटा देते हैं.”
मैंने रोशनी की पतली कमर को पकड़ के उसे पिंकी के बाजू में लेटा दिया- विक्की, अब तुम दोनों टांगों को उलटे भी शेप में फैला दो.
विक्की ने बोतल गोलू को पकड़ा दी, पर पिंकी ने अपनी टांगें खुद ही फैला दीं.
मैंने भी रोशनी की टांगों को पकड़ कर फैला दिया- विक्की, अब मुझे देखो कैसे मैं दोनों जाँघों के बीच बैठकर अपना लंड चूत की लकीर पे रगड़ रहा हूँ, ऐसा करने से चूत गीली हो जाती है और लंड आसानी से घुस जाता है.
“सर पिंकी की चूत तो पूरी खुली हुई है गुलाब के फूल के जैसे.. और वो तो वैसे भी गीली है.. इसमें से पानी से टपक रहा है.”
विक्की सही कह रहा था, रोशनी की चूत अभी एक छोटी सी बंद कली थी जिसका छेद काफी अन्दर छुपा हुआ था.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, तुम चूत को लंड से रगड़ो.. इससे तुम्हारा लंड कड़क हो जाएगा.
विक्की ने अपना लंबा ककड़ी जैसा लंड पिंकी की चूत पे रगड़ा तो वह फिसलता हुआ चूत में घुस गया.
पिंकी को हंसी आने लगी.
“क्या हुआ पिंकी?”
“सर मुझे चूत में गुदगुदी हो रही है.”
विक्की ने पूछा- सर अब क्या करना है?
मैंने कहा- एक मिनट रुक.. पहले मैं भी अपना अन्दर घुसा लूँ.
मैंने थोड़ी ताकत लगाई तो रोशनी “उई मम्मी उई मम्मी..” कह कर चिल्लाने लगी और अपनी दोनों टाँगों को उठा के एड़ी से मेरी पीठ पे दे मारी.
“राहुल हट जाओ..!”
मैंने कहा- नहीं मुझे ये लंड घुसा कर विक्की को सिखाना है.
“राहुल मैं मम्मी से कह दूंगी यदि तुमने जबरदस्ती की तो!”
मैं गुस्से से उसके ऊपर से हटा और विक्की को पिंकी के ऊपर से हटाकर पिंकी पर चढ़ गया. पिंकी बहुत खुश हो गई, पर मैं बहुत गुस्से में था. मैंने अपनी हाथ की मुट्ठी में लेकर पिंकी के टमाटर जैसी चुचियों को पिचका दिया. पिंकी ने “उफ्फ..” करके अपने गुब्बारे जैसे पुट्ठों को ऊँचा उठा लिया.
अचानक उसके दोनों स्ट्राबेरी जैसे निप्पल पॉप करके मेरी मुठ्ठी की एक दरार, जो कि अंगूठे और उंगली के बीच होती है, वहां से निकल कर लाल लाल चमकने लगे.
मैंने एक जोरदार झटका मारा, मेरा पूरा 8 इंच का लंड उसकी चूत में घुस गया. पिंकी अब न तो हंस रही थी और ना ही चिल्ला रही थी. वो बस आंखों को बंद करके एक सुख को महसूस कर रही थी.
मैंने अपने लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया, बड़ा आसानी से मेरा लंड उसकी चूत में रगड़ रहा था.
लगभग 60 धक्के मारने के बाद मैं भी छूटने वाला था. फिर मैंने कंडोम में ही अपना जूस छोड़ दिया. अब पिंकी की चुचियां मेरी मुट्ठी से आज़ाद हो गईं और एकदम से नारंगी जैसी फूल गईं. उसके निप्पल भी बड़े बड़े स्ट्रॉबेरी जैसे हो गए थे. शायद पिंकी के निप्पल रोशनी के काले अंगूरों से भी ज्यादा बड़े उग आए थे.
पिंकी अपनी चूचियों को देख कर बहुत खुश हुई. मैंने पिंकी को उठाया और कहा- तुम पूरा 2 घंटे पलंग पे लेटी लेटी हम सबका मजा ले रही हो, अब थोड़ा आराम करो.
रोशनी ने प्यार से मेरे पास आकर सॉरी कहा और मेरा कंडोम उतार कर कचरे में फेंक दिया.
विक्की बोला- सर, मैंने अभी चोदना नहीं सीखा, आपने हटा दिया, मैं एक बार दीदी को चोद सकता हूँ.
रोशनी ने चीख कर बोला- तू ऐसा सोचना भी मत, मुझे सपनों मैं भी राहुल सर के अलावा कोई और नहीं छू सकता.
“विक्की तू चिंता मत कर.. तू कल पिंकी की चूत चोदना और मैं गांड मारूँगा.”
पिंकी खुश हो गई. पर रोशनी से ये सहन नहीं हुआ, वो बोली- राहुल मैं तुम मुझसे प्यार करते हो.. फिर क्यों पिंकी की गांड मारोगे?
“अच्छा तू अपनी चूत तक नहीं मारने देती, तू कैसे अपनी गांड देगी मुझे?”
“राहुल मुझे दर्द होता है, मुझे तुम और कुछ भी कहो, मैं करूँगी.”
मेरे लंड पर अभी भी मेरा गाढ़ा जूस लगा था- ले इसे चूसकर साफ़ कर दे.
रोशनी ने अपनी आंख और नाक बंद करके मेरा लंड चूसना शुरू किया. मुझे मजा तो बहुत आया, पर फिर मैं पिंकी की गांड नहीं मार पाता, इसलिए गुस्से से रोशनी को दूर कर दिया.
“क्या कोई प्रेमी नाक बंद करके एक-दूसरे को चूसते हैं. राहुल मुझे इसे चूसने में बहुत बदबू आ रही है.”
“अरे पगली इसे ही प्यार की खुशबू कहते है.. पर खैर तू नहीं समझेगी इस प्यार को.”
रोशनी बहुत गुस्से में अपने कपड़े पहन कर चली गई, फिर हम सब भी बाथरूम में अपने आपको अच्छे से क्लीन करके चले गए.
बस अब मुझे कल का इंतज़ार था.
अगली सुबह रोशनी जल्दी क्लास में आ गई और उसने मुझे मुस्करा कर देखा, मैंने उसे टालना शुरू कर दिया.
उसने कहा- सुनो, तुम्हें पिंकी की गांड मारनी है तो मैं तुम्हारा साथ दूंगी, पर तुम मुझसे नाराज मत रहो.
यह सुन कर मैं खुश हो गया और रोशनी के गाल पर एक जोरदार पप्पी लेकर उसे आई लव यू कहा.
इतने में तीनों पिंकी विक्की और गोलू आ गए. पिंकी ने आते ही अपनी स्कर्ट और टी-शर्ट उतार दी. आज उसने अन्दर से कुछ नहीं पहना था. पूरी नंगी होकर मम्मे मेरी तरफ तानकर बोली- सर कैसी लग रही हूँ मैं आज?
आह.. क्या माल लग रही थी वो.. उसकी गुब्बारे जैसी फूली हुई गांड, उसकी कल की चुदाई में उगे हुए संतरा, स्ट्रॉबेरी जैसे तने हुए निप्पल.. हम सभी को उसकी ओर खींच रहे थे. मेरी और विक्की की पेंट में तम्बू बन गया था. गोलू की नुन्नी भी तन तन कर रही थी.
पिंकी बिस्तर पर जाकर कल जैसे लेट गई.
“नहीं पिंकी आज विक्की यहाँ लेटेगा.”
विक्की ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपनी खड़ी डंडी के साथ बिस्तर पे चढ़ कर सीधा लेट गया.
रोशनी बड़े प्यार से मेरे पास आई और मेरी पेंट उतार कर बोली- मेरे पास दो कंडोम हैं, मैं तुम दोनों के लंड पर चढ़ा देती हूँ.
सभी आश्चर्य से रोशनी को ख़ुशी से देखने लगे. उसने हमारे लंड पे कंडोम को चढ़ा दिया, मैंने धीरे से उसे थैंक्यू कहा.
“पिंकी अब तुम घोड़ी बन कर विक्की के खड़े लंड पर चढ़ जाओ.”
पिंकी तो जैसे लंड की सवारी के लिए मरी जा रही थी. वो लपक कर लंड पर बैठ गई. उसके निप्पल ठीक विक्की के मुँह के सामने आ गए. मैंने पीछे से घुटनों के बल चल कर पिंकी के दोनों गुब्बारे जैसे पुट्ठों को पकड़ कर फैला दिया. उसकी गांड का मुलायम छेद छोटा सा ब्राउन कलर का था. जैसे ही मैंने उसकी गांड को जरा सा ऊंचा करके एक धक्का मारा, पिंकी का बैलेंस बिगड़ गया और उसके निप्पल विक्की के मुँह में जाके घुस गए.”
“आह.. सर क्या कर रहे हैं आप.. ठीक से कीजिये ना..!”
“ठीक है पिंकी पहले मैं विक्की की डंडी तुम्हारी चूत में डालता हूँ, फिर धीरे धीरे करने अपना लंड घुसाउंगा.”
विक्की की कड़क कड़की को पकड़ के पिंकी की चूत पे रखते ही वो फिसल के अन्दर घुस गई.
पिंकी को चूत में विक्की की ककड़ी का जरा सा भी अहसास नहीं हुआ. मैंने उसकी गांड के छेद को देखा, वो अभी खुला नहीं था. पिंकी अभी तक उसमें बैंगन नहीं घुसा पाई है. आज मेरा लंड पिंकी की चीखें निकाल देगा.
विक्की को पिंकी की चूत की गर्मी महसूस हो रही थी और कुछ पिघलने की महक भी आ रही थी. मैंने ज्यादा नहीं सोचा और अपना लंड ठीक पिंकी की गांड के छेद पे टिका दिया. पिंकी बहुत जोर से चीखी, मैंने अभी एक भी धक्का नहीं दिया, पर पिंकी क्यों रो रही थी. उसकी नीली आँखों से आंसू टपकने लगे.
“क्या हुआ पिंकी?”
“सर मुझे चूत में बहुत जलन हो रही है.”
रोशनी जोर से हँस कर बोली- अभी तो तेरी गांड बच गई.
मैंने पिंकी की गांड को देखा तो उस पर सफ़ेद कलर का कुछ लगा हुआ था.
“अरे ये तो सर दर्द वाला बाम है, ओह्ह तो रोशनी तुमने हमारे कंडोम पे बाम लगा रखा था. हमने अपना कंडोम निकाल कर फेंक दिए. पिंकी सी सी की आवाज निकाल रोने लगी और बाथरूम में जाकर ऊपर से चूत और गांड को साफ़ करके आई.
“सर बहुत जलन हो रही, मैं आज नहीं चुदवा सकती.”
“पिंकी तुम घबराओ मत.. बस 30 मिनट में ये जलन चली जाएगी. तुम अपनी चूत को खुला छोड़ कर साइड में बैठ जाओ. मैं इस रोशनी की बच्ची को सबक सिखाता हूँ.”
हम सभी को रोशनी की इस हरकत से बहुत गुस्सा आया.
“विक्की तू अपनी रोशनी दीदी के पीछे से हाथ पकड़ और मैं इसके कपड़े उतारता हूँ.”
रोशनी ने बहुत बार सॉरी कहा, पर हम लोगों ने उसे पूरी नंगी कर दिया.
“विक्की तू वैसे ही पलंग पे लेट जा.”
“नहीं राहुल, मैं सिर्फ तुमसे प्यार करती हूँ.”
“हा हा… सपनों में भी भला प्यार होता है.. आज तो मैं तुम्हें हकीकत का प्यार दिखाऊंगा.”
“राहुल अब तो हमारे पास कंडोम भी नहीं है.”
“हा हा.. सच्चे प्यार में कोई कंडोम की जरूरत नहीं होती है.”
“मैं जानता हूँ कि तुम्हारी चूत में आज तक कोई लंड नहीं गया है.”
मैंने एक जोर का धक्का मार कर रोशनी को सीधा विक्की पे गिरा दिया. विक्की की ककड़ी रोशनी के दबे हुए पुट्ठों से टकराई.
“विक्की तू अपनी दीदी को उठने मत देना.”
विक्की ने अपने दोनों हाथों से रोशनी के मोटे मोटे चुचों का दबोच लिया और बोला- दीदी, ज्यादा हिली डुलीं तो मैं तेरे काले अंगूर जैसे निप्पल को मसल के लाल रसभरी बना दूंगा.
रोशनी बहुत डर गई और बोली कि राहुल मैं मम्मी से बोल दूंगी.
“क्या बोलेगी तू कि तूने पिंकी की चूत जला दी?”
रोशनी भी अब रोकर सॉरी बोलने लगी. मैंने उसकी जाँघों को पूरा फैला दिया फिर उसकी नाजुक कली जैसी चूत पे अपना लंड टिका कर रगड़ दिया. उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया.
“राहुल मत डालो प्लीज..!”
“गोलू इधर आ और तेरी दीदी के दोनों हाथों को कस कर पकड़.. ताकि वो हिल ना सके.”
गोलू रोशनी के सर के पास जाकर उसके दोनों हाथों को ऊपर खींचकर एक वी शेप बना दिया. मुझे उसके हाथों के बगल वाले काले काले घने बाल दिख रहे थे, जो उसने कभी साफ़ नहीं किए थे. रोशनी की चूत और गांड पूरी तरफ से सूखी हुई थी.
मैं जाकर बोतल ले आया, जिसमें पिंकी और रोशनी की जूस का मिक्सचर भरा था. मैंने उस चिपचिपे जूस को विक्की और अपने लंड पे लगाया, फिर अपनी उंगली से रोशनी की गांड में ढेर सारा जूस डाल दिया ताकि विक्की की ककड़ी आसानी से उसमें घुस जाए.
रोशनी बोली- नहीं राहुल, मैं बहुत तेज चिल्लाऊंगी अगर तुमने विक्की का लंड मेरी गांड में फंसाया तो.
मैंने रोती हुई पिंकी को बुलाया और उसके कान में एक आईडिया दिया, वह खुश हो गई और उसने रोना बंद कर दिया. ये देख कर रोशनी हैरान परेशान हो गई.
पिंकी पलंग पे चलकर अपनी गुब्बारों जैसे चूतड़ों को रोशनी के मुँह पे रख कर बैठ गई. मैं और पिंकी रोशनी के आमने सामने बैठे थे.
पिंकी के स्ट्राबेरी जैसे निप्पल मुझे कह रहे थे कि सर आके हमें चूम लो.
रोशनी की नाक पिंकी की गांड में जाके घुस गई और चूत उसके मुँह पर जाके टिक गई.
रोशनी ने जैसे ही चिल्लाने की कोशिश की, उसके मुँह में बाम से भरा रस टपकने लगा. इसलिए बस वो मुँह बंद करके “ऊऊऊ ऊऊऊ..” ही कर पा रही थी.
मैंने मौका देखकर विक्की की ककड़ी को रोशनी की गांड में घुसा डाला. उसकी “उईईईइ..” की आवाज निकली.
उसी वक्त मेरा मोटा तगड़ा लंड उसकी चूत में एक एक इंच करके जाने लगा. रोशनी “आआआऊऊ..” की आवाज निकाल रही थी. मैं अपना 8 इंच का लंड पूरा घुसा चुका था. अब मुझे उसके वी शेप वाले झांट चुभ रहे थे.
रोशनी की आँखों से आंसू निकल कर पिंकी की गांड की ओर बहने लगे. मैंने अपना लंड पीछे खींचा, पर ऐसा लगा मानो रोशनी की चूत ने मेरे लंड को कसकर पकड़ लिया हो.
मैंने धीरे धीरे अपने लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया. हर एक धक्के के साथ “चर चर चप्प चप..” की आवाजें आने लगीं. ऐसा लग रहा था मानो मैं उसकी नाजुक फूल की कली की एक एक पंखुड़ी खोलता जा रहा हूँ.
अब रोशनी ने रोना बंद कर दिया था. उसकी तेज तेज साँसों की आवाजें आ रही थीं. वह नाक और मुँह से लंबी लंबी साँसें लेकर छोड़ रही थी. पिंकी भी उसकी गरम साँसों से अपनी चूत में बहुत आराम महसूस कर रही थी.
मेरा लंड भी अब अपने अंतिम चरण तक आ गया था. मैंने ताकत से अपना पूरा लंड बाहर खींचा, रोशनी एक जोरदार चीख निकली और पिंकी की चूत का रस उसके मुँह में जाने लगा.
मैंने अपना लंड पिंकी के मुँह में रखकर जोर से पिचकारी मारी. विक्की का लंड अभी भी रोशनी की गांड में था.
“अरे विक्की, तूने धक्के नहीं दिये क्या?”
“सर आपने बताया ही नहीं.. बस आप दीदी को चोदे जा रहे थे.”
उसकी बातें सुनकर मुझे जोर से हँसी आ गई. पिंकी और रोशनी दोनों साथ में बाथरूम की तरफ दौड़कर थूक कर आ गए. मैंने रोशनी की नंगी जाँघों को देखा, उस पर पसीने की बूँदें चमक रही थीं, जैसे कसरत करने के बाद शरीर पे पसीना आ जाता है.
वो अब बहुत तगड़ी और भरी हुई दिख रही थी, पर अभी भी उसके पुठ्ठे दबे हुए से थे.
मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, रोशनी नजरें झुका कर मेरे पास आई. उसने मेरे लंड को देख कर समझ लिया कि मैं उसकी गांड मारने की फिराक में हूँ. वो चुपचाप बिना कुछ बोले अपने कपड़े पहन कर रूम से चली गई.
पिंकी ने पीछे से आकर कहा कि दीदी कहां जा रही हैं, शायद हमसे नाराज हो गई हैं?
“खैर जाने दो उसे पिंकी, तुम बताओ कि अब तुम्हारी जलन कैसी है?”
“सर मेरी चूत में अभी भी थोड़ी जलन है पर..”
“पर क्या पिंकी?”
पिंकी मेरे लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे बैठ गई और बोली- पर मुझे आज अपनी गांड आपसे ठुकवानी ही है.
उसने मेरे लंड की लाल टोपी को चूसना शुरू कर दिया.
ओफ्फ्फ.. क्या मजा आ रहा था… मैंने उसे पकड़ कर वहीं जमीन पर घोड़ी बना दिया और धप्प से अपना लंड फंसा कर ठोकने लगा.
उसके मुँह से पहली बार “आऊच..” की आवाज निकली और 15 मिनट के बाद हम दोनों एक दूसरे पर ढेर हो गए.
वो मुझसे गांड मरा कर बहुत खुश थी. वो अपने कपड़े पहन कर विक्की और गोलू के साथ घर चली गई. मैं खाना खाके वापस रूम में आया और बुक्स पढ़ने लगा.
करीब दिन के 2 बजे रोशनी मेरे कमरे में आई और मुझे सॉरी बोल कर मेरे पास आके बैठ गई.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.. अब से तुम कभी भी ऐसा काम मत करना.
“मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ.. पर जब आप पिंकी को चोदते हैं, तो मुझे बहुत बुरा लगता है.”
“अरे तुम ही तो मुझे चोदने नहीं देती.. इसलिए मैं पिंकी को चोदता हूँ.”
“मुझे बहुत दर्द होता है और मेरी ये हाल देखकर पिंकी मुझ पर हंसती है, तो मुझे बहुत गुस्सा भी आता है. लेकिन मैं आज आपको थैंक्यू कहने आई हूँ, क्योंकि आपने मेरी चूत फाड़ दी और आज मुझे अपनी मटर की लुल्ली दिख रही है.”
“ओह्ह सच्ची.. ये तो बहुत अच्छा हुआ, मुझे भी दिखाओ.”
वो उठ कर रूम को लॉक करके आई और अपनी जीन्स और पेंटी खोल कर खड़ी हो गई. मैंने उसकी टी-शर्ट भी उतार फेंकी. वह पूरी नंगी खड़ी थी और प्यार भरी आँखों से मुझे देख रही थी.
उसने कुर्सी पर बैठ कर अपने दोनों पैरों को फैलाया. उसकी चूत की नाजुक कली अब एक सफ़ेद चमेली के फूल सी खिल गई थी. उसने अपनी दो उंगलियों से चूत की ऊपरी परत को फैलाया, उसमें एक छोटे से दाने जैसे आकार वाली झिल्ली लटक रही थी. मैंने फ़ौरन से उसे चूस लिया, वह एकदम से गरम होने लगी.
“राहुल आई लव यू, खा जाओ मुझे प्लीज..”
“तुम मुझसे इतना प्यार करती हो तो अभी तुम्हें अपनी गांड का ढक्कन भी मुझसे खुलवाना पड़ेगा. वैसे भी यहाँ पिंकी नहीं है, जो कि तुम्हारी चीखों पर हँसी उड़ाए.”
उसने हाँ में सर हिलाया और पलट कर चेयर को पकड़ कर अपनी दबी हुई गांड को मेरे सामने कर दिया- राहुल जरा धीरे धीरे करना, जैसे तुमने मेरी चूत में किया था.
मैंने उसकी छेद को देखा, वह अभी भी सूखा हुआ था. मैं वह जूस वाली बोतल लेके अपने लंड की टोपी को उसमें डुबोया और उसकी गांड के छेद पे थोड़ा सा घुसा कर टपकाने लगा, ऐसा दस बीस बार किया तो बोतल अब आधी से ज्यादा ख़ाली हो गई और उसकी गांड पूरी तरफ से चिपचिपी सी हो गई.
रोशनी को बहुत गुदगुदी जैसा मजा आ रहा था. इस बार मैंने ताकत से झटका दिया और मेरा 4 इंच उसकी गांड में रगड़ता हुआ घुस गया. रोशनी बहुत जोर से चीखी- मर गर्इ मैं.. मम्मी बचाओ.
वो चेयर को छोड़ कर सीधा जमीन पर आ गिरी और एक कुतिया के जैसे पड़ी रही. मैं भी एक बुलडॉग जैसे उस पर चढ़ा रहा. मैंने उसके चुचों को कसके पकड़ा और ताकत से एक एक इंच अन्दर घुसाता हुआ हिलने लगा.
हम दोनों हर धक्के के साथ फर्श पर थोड़ा थोड़ा आगे खिसकते जा रहे थे. उसकी चूत से ढेर सारा पानी टपक रहा था. मेरा अब पूरा 8 इंच का लंड उसके एसहोल में फंस चुका था.
मैंने देखा कि उसकी चूत के रस की एक लंबी सी लाइन कुर्सी से लेकर दरवाजे तक एक साँप की केंचुली जैसे बिछी पड़ी है. अब रोशनी की चीखें उसके आंसू बन कर निकल रही थीं. मेरे लंड में भी थोड़ा दर्द हो रहा था.
मैं कुछ देर उस पर कुत्ते जैसा ही चढ़ा रहा. उसकी गांड अब सूखने लगी थी और बोतल वाला जूस पूरी तरह से फेविकोल बनकर चिपक गया था. अब मैंने ताकत से मेरा लंड निकालने की कोशिश की, पर हम दोनों को बहुत दर्द हो रहा था.
रोशनी रोने लगी- राहुल क्या हम अब हमेशा इसी तरह कुत्तों जैसे चिपक जाएंगे.
मैं भी थोड़ा डर सा गया, फिर मैंने कहा- नहीं हम पहले बिस्तर पे चलकर एक दूसरे को गरम करते हैं, हो सकता है तुम्हारी गांड में सूखा हुआ फेवीकोल पिघल जाए.
दोनों धीरे से खड़े हुए, उसके दबे हुए पुठ्ठे मेरी जाँघों पर आकर और भी दबने लगे. हम बिस्तर पर जाकर साइड करके लेट गए. मैंने पीछे से एक हाथ की उंगलियों से बड़े प्यार से उसकी निप्पल को सहलाया, दूसरे हाथ की उंगलियों से उसकी क्लिट वाली लुल्ली पे घुमाने लगा.
उसकी साँसें गरम होने लगी, चूत भी गीली हो गई. मुझे उसकी गांड के अन्दर एक गर्मी का आभास हुआ. मेरा लंड भी अब पतला सा पानी छोड़ रहा था.
मैंने अब हल्के हल्के धक्के देना शुरू कर दिए. रोशनी भी मस्त होकर “शह्ह्ह्ह्शुऊऊ..” की आवाजें निकाल रही थी. उसके दबे पुठ्ठे भी फूलने लगे थे.
इतने में मेरा गरम गरम लावा जैसा पदार्थ उसकी गांड में छूट गया. मेरा लंड एक बिना हवा के गुबारे जैसा ढीला पड़ गया. पर अभी भी लंड फंसा हुआ था.
मैंने जोर से मेरे रबर जैसे लंड को बाहर खींचा, एक पच्च की आवाज के साथ वो अब आजाद हो गया. रोशनी की गांड से बहुत सारा जूस का मिक्सचर बाहर आने लगा.
मैं उसे बाथरूम में लेके गया और उसकी गांड को अच्छे से धोया. रोशनी की गांड का ढक्कन खुल बंद हो रहा, जैसे वो एक जल बिन मछली की तरफ उछल उछल के सारे जूस को बाहर फेंक रहा हो.
तभी मैंने कहा- रोशनी तुम्हारी गांड से गुलाब, चमेली और गेंदे की खुशबू आ रही है.
वो समझ गई कि गुलाब की खुशबू पिंकी की है.. क्योंकि उसने भी उसका स्वाद चखा था.
“राहुल ये गेंदे की महक किसकी है?”
मैंने अपना लंड उसके मुँह पर रख कर कहा- एक बार चूस कर देख लो अपने प्यार को.
“ओह्ह राहुल आई लव यू..”
उसने मेरा लंड बिना किसी शर्म और झिझक के अपने मुँह में लेके चूसा. ऐसा अहसास हुआ कि आज मुझे मेरा सच्चा प्यार मिल गया है.
अब वो उठ कर बोली- तुम्हें अपनी चमेली की महक तो पसंद है ना..
इतना कह कर वो शर्मा कर बाथरूम से बाहर चली गई. मैं उसे जाते हुए देख रहा था, उसके पुठ्ठे मस्त गोल गोल होकर लचक खा रहे थे.
मेरी इस फनी सेक्स स्टोरी के ऊपर आपके मेल पाना चाहूँगा. प्लीज मेल जरूर कीजिएगा.
कहानी जारी है.
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