गन्ने के खेत में दो लौड़े चूत गांड में

(Do Lund Khet Sex)

दो लंड मैंने लिए खेत सेक्स के दौरान जब मैं अपने ननदोई से चुद रही थी. उसने अपने एक दोस्त को भी मेरी चूत गांड की दावत पर बुला रखा था. गन्ने के खेत में मैं दो लंड से चुदी.

यह कहानी सुनें.

प्यारे अन्तर्वासना पाठकों और मेरे सभी चाहकों को अंजू भाभी का प्यार भरा नमस्कार।

मैं अंजलि भाभी गुजरात जामनगर से!
कैसे हैं आप सब?

आपने मेरी पिछली कहानियां पढ़ी हो होगी जिनमें मैंने बताया कि कैसे मैं एक फ्री स्टाइल लाइफ जीने वाली औरत हूं और जब, जैसा, जिससे जी चाहे अपनी चूत मरवाती हूं।
मैं शर्म, हया, पुराने तौर तरीके ये सब छोड़ छाड़ कर अपनी मर्जी से जीने वाली औरत हूं।

मेरे पति बहुत अच्छे हैं और मुझे बेतहाशा प्यार करते हैं।
मगर वे मुझे समय नहीं दे पाते और इसी वजह से मुझे अपनी फुद्दी की प्यास बुझाने बाहर निकलना पड़ता है।

मेरी पिछली कहानी
सरदार जी को खिलाया चूत का मेवा
को आपने पढ़ा, सराहा और ढेर सारा प्यार दिया इसके लिए तहे चूत से शुक्रिया।

ढेरों मेल मुझे आपने किए, बहुतों ने मुझसे मिलने की, मुझे और मेरी मां को भी चोदने की इच्छा जताई।
मगर मैं सब को रिप्लाई नही दे पाई, इसके लिए बहुत बहुत सॉरी।

आपके इस प्यार से मैं और मेरी चूत एकदम गदगद हुए।

तो चलते हैं आज की मेरी कामक्रीड़ा की एक नई दास्तां पर!
आपने मेरी और ननदोई जी की हल्दी रात वाली चूदाई की कहानी पढ़ी होगी ही!

तबसे उनके साथ एक या दो बार मैं अपनी चूत मरवा चुकी थी।
और हम फोन पर भी बातें करते थे।

मेरे ननदोई अशोक जी बहुत ही रंगीन मिजाज के इंसान हैं और मुझे अपनी रखैल कह कर पुकारते हैं।
मैं इसे मजाक समझ कर छोड़ देती क्योंकि मैं उनकी चुदाई की दीवानी थी।

उनकी बड़ी बड़ी मूंछें और हट्टा कट्टा बदन और तगड़ा लन्ड मुझे हमेशा ही रिझाता।

एक बार हुआ यूं कि मेरे पति काम से बाहर गए थे और उधर मेरी ननद भी किसी रिश्तेदार की शादी में गई हुई थी।

ननदोई जी के खेतों में गन्ने की कटाई थी तो वे गांव में ही रुके हुए थे।

अब मैं और अशोक जी यह मौका हाथ से थोड़ी ना जाने देते।
उन्होंने मुझे बताया कि मायके जाने के बहाने से तू घर से निकल और सीधा यहां पहुंच!

अपनी रण्डी मां को भी मैंने ये बताया कि ससुराल से किसी का फोन आया तो मैं आई हूं, ये बताना है।
मैं भी प्लान के मुताबिक घर में यही बताकर दोपहर के बाद निकल गई।

तय जगह पर ननदोई जी मुझे लेने आये।
मैं उनके साथ कार में बैठ कर गांव की ओर निकल पड़ी।

रास्ते में ननदोई मुझे हमेशा की तरह छेड़ने लगे- और मेरी रखैल, अब दो दिन तुझे रण्डी बनाकर चोदूंगा।
अशोक जी बोल पड़े।

मैंने कहा- हां बाबा, रखैल तो मैं हूं आपकी, अब रण्डी भी बना दीजिए। बस, खुश!
अशोक जी- उसका तो पूरा इंतजाम किया है मैंने खेत में मेरी रण्डी। तू बस पीछे मत हटना!

मैं- खेत में? वहां क्यों? घर पर या बाहर कहीं क्यों नहीं?
अशोक जी- अरे रखैल को घर में थोड़ी ना ले जाते हैं। तू दो दिन अब वही करेगी जो मैं कहूंगा, मेरी छीनाल अंजू।

मैं कितनी बड़ी रण्डी हूं आपको पता ही है।
मुझसे ना तो होने वाला था ही नहीं … तो मैंने कहा- जी मेरे मालिक जैसा आप कहें, मैं वैसा ही करूंगी।

कुछ देर बाद हम अशोक जी के खेतों में पहुंच गए।
मैं समझ गयी कि आज खेत सेक्स का मजा मिलने वाल है मुझे!
वहां एक बड़ा सा जानवरों का कोठा था … यानि शेड।
जिसमें एक तरफ नौकर के रहने वाली जगह थी।

हम दोनों वहां गए।
बिल्कुल गांव का माहौल था वहां।
कमरे में चारों ओर घास बांधी गई थी ताकि ठंड ज्यादा न लगे।
और पास में ही जानवर थे।

गोबर और गोमूत्र की महक मुझे और भी मस्त करने लगी थी।

दिन ठंडी के थे और गुजरात की ठंडी तो अपने चरम पर रहती है।
इसीलिए पास में ही एक तापड़ा किया हुआ था मतलब आग जलाई हुई थी।
हम वहां जाकर सेंकने लगे।

इतने में ननदोई जी ने सुट्टा जलाया और पीने लगे।
उसमें कुछ नशीली चीज थी।

उन्होंने मुझे भी पीने को कहा, बोले- इससे ठंड कम लगेगी।
मैंने भी अब दो चार कश ले लिए।

अब उन्होंने मोबाइल पर गाने बजाए और मुझे नाचने को कहा।
मैं भी बेहया औरत अपने ही ननदोई जी के सामने गाने पर ऐसे नाचने लगी जैसे कोई तवायफ हूं।

सुट्टा मारकर हम दोनों में नशा छा गया था।

अब ननदोई जी ने उठकर मुझे पकड़ लिया और मेरे चूचे दबाते हुए मेरे होंठ चूमने लगे।
मुझे उनकी मूंछें बहुत अच्छी लगती है तो मैं भी उनके मुंह में जीभ डालके उनको चुम्बन देने लगी।

जल्द ही अशोक जी ने मेरी साड़ी उतार दी और मेरा ब्लाउज भी!
मैंने झट से अपना ब्रा खोलकर अपनी चूचियों को आजाद कर दिया और अशोक जी के मुंह में दे दिया।

अब अशोक ने जी मेरी चूची को चूसते हुए एक हाथ मेरी पेटीकोट में डाल दिया।
मैंने उस दिन पैंटी नहीं पहनी थी।

मेरी गीली चूत देखकर उन्होंने कहा- साली रांड़ पहले से ही तयार है तेरी चूत!
मैं भी पूरे जोश में थी तो मैं बोली आपकी मूंछें, आपकी बॉडी और आपके लन्ड के ख्वाब भर से ही मेरी मुनिया पानी छोड़ती है मेरे राजा!

अशोक जी ने एक खींच के थप्पड़ मेरे मुंह पर लगाया और कहा- राजा नहीं कुतिया, मालिक बोल। आज तू रांड है मेरी!

उनके इस करारे चांटे से मेरी आंखों से आंसू निकल आए।
और मैं कुछ बोल पाती उन्होनें और दो चार चांटे मेरे मुंह पर जड़ दिए।

उनके इस बर्ताव से मैं हक्कीबक्की रह गई।
और मुझे आगे का मंजर बहुत ही भयानक लगने लगा।

वे मुझे आज पक्की रण्डी बनाने के मूड में थे।
लेकिन मैं भी इस के लिए अपने आप को तैयार करने लगी।

मैंने उनके हाथ से सुट्टा लिया और उसे मारने लगी.
तब मैंने कहा- मालिक आप मुझे रण्डी बनाना ही चाहते हैं तो, इस रण्डी को दारू तो पिलाओ।

“हां मेरी जान, सबका इंतजाम किया गया है; आज तेरी रात यादगार बनेगी। बस अपने छेदों को बचाकर रखना।” उन्होंने कहा।

मुझे पता लग गया था क, आज मेरी चूत और गांड फटने वाली है।
और मैं कितनी लन्डखोर औरत हूं आपको पता है ही!

तो मुझे यह अनुमान हुआ तो था मगर जैसी बातें अशोक जी कर रहे थे उससे यह भी अंदाज़ा था कि आज कुछ अलग स्टाइल में चुदाई होगी।

अब ननदोई जी ने मुझे नीचे बैठाया और अपना पैंट खोलकर लन्ड बाहर निकाला।
मैंने घुटनों पर बैठ कर उनका लन्ड मुंह में भर लिया।
वही लन्ड जो मैंने अपनी हल्दी की रात को पहली बार चूसा था।

उनके तगड़े और देसी लन्ड की गंध ने मुझे मदहोश कर दिया।
अशोक जी मेरे सर को पकड़ कर जोर जबरदस्ती से लन्ड को मेरे मुंह में घुसेड़ रहे थे।

मैं भी जितना हो सके उनका लौड़ा अपने हलक तक अंदर लेने लगी।
साथ ही उनकी गोटियों से खेलने लगी।

मैंने उनके लन्ड पर ढेर सारा थूक लगाकर उसे गीला कर दिया.
अब मैंने उनकी गोटियां मुंह में भर ली, उन्हें भी गीला कर दिया।

इससे ननदोई जी और भी ज्यादा उत्तेजित हो गए।
जल्द ही उन्होंने मुझे लिटाकर मेरा पेटीकोट ऊपर सरका दिया और कॉन्डम चढ़ाकर अपना लन्ड मेरी चूत पर टिका दिया।
और एक ही धक्के से पूरा लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया।

इससे मेरी चीख निकल गई।
साथ ही अशोक जी ने मुझे थप्पड़ मारना शुरू किया।

एक के बाद एक चांटे मेरे मुंह पर मारते हुए वो मुझे गंदी गंदी गालियां देने लगे।

मैं तो रोने लगी।

मगर मैं ठहरी सड़क छाप ठरकी औरत!
मैंने भी उन्हें और उकसाना शुरू किया- मालिक, और जोर से! चोदो आपकी इस रांड को!
और उन्हें चिढ़ाने के लिए मैने अपनी एक उंगली अशोक जी की गांड में डाल दी।
जिससे वे बहुत गुस्सा हुए और मुझे और जोर से चांटे मारने लगे और जोर जोर से चोदने लगे।

“साली रांड, मेरी गांड में उंगली करती है। आज रात तेरी ऐसी गांड फटने वाली है जिससे तू अपनी चूत गांड में भी उंगली नहीं कर सकती। तैयार है ना छीनाल औरत?” अशोक जी गुस्से से बोले।

ठुकाई में पीछे हटना तो मेरी मां ने मुझे सिखाया ही नहीं था।
मैंने भी कह दिया- जैसा जी चाहे वैसा करो ननदोई जी, आपकी रांड पीछे नहीं हटेगी।
“तो आज तुझे सरप्राइज मिलने वाला है मेरी रण्डी!” उन्होंने कहा।

ऐसे ही दस मिनट तक चोदने के बाद अशोक जी ने लन्ड बाहर निकाला और कॉन्डम उतारकर मेरे छाती पर आकर लंड मेरे मुंह में डाल दिया।
दो चार झटकों के साथ ही वे झड़ने लगे।

उन्होंने लन्ड को मेरे मुंह में दबाए रखा और उनका वीर्य मेरे मुंह में उतार दिया।
मैंने सारा वीर्य गटक लिया और चाट कर लन्ड को साफ किया।

मैं इससे संभल पाती कि मैंने देखा एक आदमी हमारे उस कमरे में चला आया है।

यह देख मैं चौंक गई और अपने नंगे बदन को ढकने की कोशिश करने लगी।
मैंने देखा कि उसके सर पर टोपी थी और लंबी सी दाढ़ी।
सेहत से बड़ा ही हट्टा कट्टा बिल्कुल अशोक जी जैसा!

उसके आते ही अशोक जी ने अंडरवियर पहनी और बोल पड़े- अरे राशिद भाई, आओ। कितनी देर कर दी यार! ये देख, रण्डी तैयार ही लेटी है। मेरा तो एक राउंड भी हो गया।

राशिद ने बियर की बोतलें रखते हुए कहा- अशोक भाई, बियर लाते लाते देर हुई। और क्या माल लाए हो भाई! एकदम कड़क! कहां मिली?
“अरे सलहज है मेरी अंजु! मगर अब रण्डी है अपनी … मजा करेंगे।” अशोक बोले।

मैं ऊपर से नंगी, सिर्फ पेटीकोट पहने, चित होकर लेटी थी।
मैंने समझ लिया कि इसी सरप्राईज की बात अशोक जी कह रहे थे।

अब ननदोई जी ने पास आकर मुझे एक और थप्पड़ लगाया और बोले- उठ जा रांड, जिगरी यार आया है मेरा राशिद, स्वागत नहीं करेगी उसका?

मैं झट से उठ खड़ी हुई और राशिद भाई को गले लगाया- आदाब मियां, आपकी अंजू रांड आपका स्वागत करती है।

राशिद भाई ने भी मेरी गांड और चूचे दबाते हुए कहा- भाभी जी, बहुत खुशी हुई आपसे मिल के। मगर आज रात आपको रण्डी बनाकर आपकी हालत खराब करने वाले हैं हम दोनों!
“अब यह रांड आप दोनों की दासी है, आपका हर हुक्म सर आंखों पर मेरे मालिक!” मैंने अदाये दिखाते हुए कहा।

“यही जोश आखिर तक बनाए रखना रण्डी … क्योंकि ठुकाई तो बेहिसाब होगी आज तेरी!” राशिद बोला और वो दोनों हंसने लगे।

राशिद ने अब मेरे मुंह में मुंह डाल दिया और हम लिप लॉक करने लगे।
उसके मुंह से शराब की खुशबू आ रही थी।
मैं भी उसकी दाढ़ी में हाथ घुमाते हुए उसके होंठ चूसने लगी।

थोड़ी देर बाद हम अलग हुए।
तब तक ननदोई जी ने बियर खोल कर ग्लास में भर दी।

मैंने एक दुपट्टे से अपने ऊपरी अंग को ढक लिया क्योंकि ठंड ज्यादा थी।

हम तीनों बैठ कर बियर पीने लगे।
मैंने दो घूंट में ही आधा ग्लास खत्म कर दिया।

यह देख कर ननदोई जी ने मेरे हाथ से ग्लास ले लिया और उठकर उसमें मूतने लगे।
फिर उन्होंने राशिद को ग्लास देकर उसे भी मूतने को कहा।

राशिद ने भी उसमें मूत कर ग्लास लेकर मुझे पिलाने लगा।
मैंने भी बिना कुछ कहे उन दोनों के मूत से भरा हुआ बियर का ग्लास पूरा पी लिया।

यह देखकर दोनों खिल उठे और हंसने लगे।

ज्यादा देर न करते हुए अब राशिद नीचे लेट गया और ननदोई जी ने मुझे उल्टा घुमाकर उसका लन्ड मेरी गांड में लेने को कहा। मैं झट से उल्टी होकर राशिद के खड़े लन्ड पर बैठने लगी।
मैंने धीरे धीरे से राशिद का बड़ा लौड़ा मेरी गद्देदार गांड में घुसवा लिया।

अब मैं उसके लन्ड पर उछल कूद करने लगी।
जब मैं नीचे आती तो राशिद का पूरा लन्ड मेरी गान्ड में घुसता, जिसका दर्द वही जाने जिसने अपनी गांड मरवाई हो।

अब अशोक जी हाथ में सिगरेट लेकर मेरे पास आए और मेरी जांघ और चूत पर उसके चटके देने लगे।

गांड में मूसल लन्ड की लगती मार और चूत पर जलती सिगरेट के चटके से मैं अपना आपा खो गई और मेरा मूत निकल गया।
यह देख दोनों हरामी मर्द हंसने लगे।

मैं संभल पाती, इससे पहले ही अशोक जी ने मेरे चूत में लन्ड डाल दिया।

अब मैं चीख रही थी … मगर मेरी परवाह भी कौन करता?
मेरे ही ननदोई ने मुझे रण्डी बना दिया था।

दोनों मर्द मुझे कस कर चोद रहे थे।
नीचे राशिद मेरी पीठ को दांत से काट रहा था तो आगे से अशोक जी मेरे मुंह पर चांटे मारने लगे।
सिगरेट के चटकों से मेरी जांघ और चूत में जलन होने लगी थी।

बहुत देर तक इसी पोजीशन में चोदने के बाद अशोक जी उठे।
इधर राशिद चरम गति से मेरी गांड का बाजा बजा रहा था।

अब अशोक जी ने मुझे उठाया और मेरे हाथ बांध कर मुझे कुतिया बनाकर बैठा दिया।

उन्होंने बीयर की बोतल लेकर मेरे गांड में धीरे धीरे से डालने की कोशिश चालू की।

मैं दर्द के मारे चिल्ला रही थी, रो रही थी।
मगर वे बिल्कुल बेरहमी पर उतर आए थे।

साथ ही राशिद मेरे चूतड़ों पर रस्सी से मारने लगा।
उसने अपना लन्ड मेरे मुंह में डाल दिया।

उसका लन्ड चूसते हुए मेरी गांड में फंसी बोतल से मैं असहाय हो कर फिर से मूतने लगी।

अशोक जी मेरे कूल्हों पर चमाट मार रहे थे और बोतल को अंदर बाहर करने लगे।
बोतल बाहर निकाल कर ननदोई जी ने मेरी गांड में लन्ड डाल दिया और मुझे कुतिया बनाकर चोदने लगे।

इधर राशिद बेकाबू होकर मेरे मुंह में झड़ गया।
मैं उसका पूरा पानी निगल गई।

फारिग होकर राशिद दारू पीने लगा।

इधर अशोक जी भी चरम सीमा पार गए और मेरी गांड में ही झड़ गए।

मैं अपनी सुध गंवा बैठी और मुंह के बल गिर गई।

दो लंड से चुदने के बाद मैं सीधा सुबह ग्यारह बजे ही उठी।
मेरा पूरा बदन दर्द के मारे टूटा पड़ा था।

सुबह मैंने देखा तो राशिद जा चुका था।
अशोक जी सो रहे थे।
मैं उनके पास जाकर फिर से उनके सीने पर सर रखकर सो गई।

तो यह थी मेरी दर्द भरी गांड चूत की दो लंड से चुदाई वाली खेत सेक्स कहानी।
मुझे पता है कि आप सबको यह कहानी भी बहुत पसंद आएगी, जैसी मेरी पहली कहानियां आपको अच्छी लगी।

मिलती हूं अब दोबारा किसी और नई ठुकाई की कहानी के साथ।
तब तक के लिए आपकी अंजू भाभी का प्यार भरा नमस्कार!
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