मेरी चूत गांड को रोज लंड चाहिए-2
(Meri Chut Gand Ko Roj Lund Chahiye- Part 2)
आपने मेरी हॉट सेक्स कहानी के पिछले भाग
मेरी चूत गांड को रोज लंड चाहिए-1
में मेरी चूत और गांड की चुदाई की कहानी का मजा लिया था.
आज उससे आगे मेरी हॉट सेक्स कहानी का मजा लीजिए.
उस दिन सर से चुदने के बाद मैं घर चली आयी.
उसी दिन दोपहर में पापा के मोबाइल पर सूचना मिली कि उन के किसी ख़ास दोस्त की मृत्यु हो गई है. उन्होंने मम्मी से बताया और छोटे भाई को साथ लेकर उन तीनों ने जाने का फैसला कर लिया. मैं घर में अकेली रह गई थी.
मम्मी ने घर में ही रहने की हिदायत दी और वे सब चले गए.
उसी शाम को मौसम कुछ खराब था, हल्की बारिश हो रही थी, लेकिन मुझे एक पहचान वाले के घर जाना था, जो कि थोड़ा जरूरी था. लेकिन जब मैं वहां पर पहुंची, तो पाया कि बाहर ताला पड़ा था.
मैंने सोचा कि क्या करूं. आ तो गयी हूँ. मैंने उनको फ़ोन किया. तो उन्होंने बताया कि अभी वो सब लोग डॉक्टर के यहां आए हैं और मुझे कुछ देर वहीं पर इंतज़ार करने को बोला.
मेरा मन तो नहीं था. लेकिन कुछ सामान लेना था जो उनके पास था. और वो आज ही लेना जरूरी था.
मैंने सोचा कि जब तक ये लोग नहीं आते हैं, तब तक मैं थोड़ा घूम लेती हूँ. घर जाने की जल्दी भी नहीं थी.
वहां से कुछ ही दूर पर रेलवे स्टेशन था और उससे ही पहले ट्रेन खड़ी होती थीं. जहां पर उनकी धुलाई होती थी. वहां पर हमेशा ही बहुत सन्नाटा होता था.
मैं घूमते हुए वहां चली आयी. वहां लाइट तो लगी थी, लेकिन बिल्कुल सन्नाटा था. वहीं पर एक ट्रेन खड़ी थी, जो शायद धुलने के लिए आई होगी. मैं उसी पर चढ़ गई और एक बढ़िया सी जगह देख कर ट्रेन की सीट पर बैठ कर अपने सारे कपड़े उतार दिए. मैं मोबाइल में पोर्न लगा कर एक हाथ से अपनी चुचियों को मसलने लगी और दूसरे हाथ से अपनी बुर में उंगली करने लगी.
अभी कुछ ही देर बीती होगी कि मुझे कुछ लोगों की आवाज सुनाई पड़ी. मैंने तुरंत अपने मोबाइल को बंद किया और सीट पर रख कर बाहर आकर चुपके से देखने लगी कि कौन है.
जब मैंने देखा, तो पाया कि मेरी बोगी के सामने चार लोग खड़े थे. जो शायद मजदूर थे.
चूंकि वहां पर ट्रेन से माल भी उतर कर ट्रकों से शहर जाता है, तो शायद उन्हीं माल को उतारने वाले मजदूर थे. अभी मैं देख ही रही थी, तब तक उन्हीं में से एक मजदूर मेरे डिब्बे के गेट के तरफ आने लगा, जहां से मैं ये सब देख रही थी. मैं जल्दी से अन्दर आ गयी और अपने कपड़ों को ढूंढने लगी. लेकिन वहां रोशनी कम होंने के वजह से और मेरी खुद की हड़बड़ी में मुझे वो कपड़े नहीं मिल रहे थे, जो मैंने किसी ऊपर वाली सीट पर अपने कपड़े और मोबाइल जल्दीबाजी में रख दिया था.
अब मुझे लगा कि वो आदमी गेट खोल रहा है. तो मैं जल्दी से भाग कर ट्रेन के टॉयलेट में चली गयी और वाशबेसिन के सामने एकदम किनारे सट कर खड़ी हो गयी. उस आदमी के पैरों की आवाज बढ़ती जा रही थी, वो मेरे आस पास ही था.
और कुछ ही सेकंड के बाद उसने मेरी ही लैट्रिन का दरवाजा खोला और बाहर से खड़े होकर अपनी पेंट में से अपने लंड को बाहर निकाला. मुझे उसका लंड दिखने लगा था.. जो किसी गधे का लंड लग रहा था. शायद 8 इंच से भी ज़्यादा लम्बा लंड था.
उसने एक सीधी धार लगा कर मूतना शुरू किया और साथ ही वो फ़ोन से बात कर रहा था. उसकी निगाह अब तक मुझ पर नहीं पड़ी थी.
मैं एकदम किनारे सट कर खड़ी थी. उसके पेशाब की छींटे मुझ पर भी पड़ रहे थे. तभी एकदम से मेरे पैरों पर कुछ जैसे चला गया हो, मैंने घबरा कर पैर हिला दिया. इससे थोड़ी आवाज भी हो गयी. तभी उसकी निगाह मुझ पर पड़ गई और वो मुझे देखने लगा.
अब तक मैं पूरी नंगी खड़ी थी और मेरी 32 डी की बड़ी बड़ी चुचियां उसके सामने एकदम नंगी दिख रही थीं.
उसने जैसे ही मुझे देखा, तो वो मुझसे बोला- कौन हो तुम? और यहां इस हालत में क्या कर रही हो?
मैं बिल्कुल चुपचाप खड़ी थी. तभी उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाहर खींचा और मुझे सीट की तरफ वहां ले आया जहां पर थोड़ी ज़्यादा रोशनी थी.
वो मेरी चूचियों को देखता हुआ बोला- मुझे बताओ तुम यहां क्या कर रही हो?
मैंने उसे कोई जवाब नहीं दिया.
उसने और जोर से मुझसे मेरे बारे में पूछा. जब मैं नहीं बोली, तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर सख्त आवाज में पूछा.
मैंने एकदम रोने वाला मुँह बना कर कहा- प्लीज मुझे जाने दो, गलती हो गयी. अब यहां नहीं आउंगी.
इस पर उसने बोला- ऐसे कैसे जाने दूं. तुम जैसी हसीन माल को बिना चोदे कोई कैसे छोड़ सकता है.
उसकी वासना भरी निगाहें मेरी चुचियों पर जमी हुई थीं.
मैंने उससे बोला- प्लीज मुझे जाने दो. गलती हो गयी.
इस पर वो बोला- अब गलती हुई है, तो हर्जाना तो देना ही होगा. जैसा मैं बोलता हूं, तुम वैसा करो. वरना तुमको यहीं पर बांध दूंगा और पुलिस बुला दूंगा.
उसकी ये बात सुन कर मुझे थोड़ी सी भी घबराहट नहीं हुई क्योंकि उसकी धमकी काम सेक्स की इच्छा ज़्यादा थी. और मुझे इस चीज से कोई दिक्कत भी नहीं थी.
फिर वो मेरे एकदम पास आया और बोला- बताओ क्या फैसला लिया? पुलिस को बता दूँ या तुम मेरी बात मानोगी.
इस पर मैंने जान बूझ कर नाटक करते हुए थोड़ा मुँह बना कर बोला- आप जो बोलोगे, मैं करूंगी. लेकिन कृपया करके किसी को कुछ मत बोलना.
मेरे इतना बोलने पर उसका चेहरा जैसे खिल सा गया.
उसने पहले तो मेरे होंठों को चूमना शुरू किया, जिसमें मैं भी उसका साथ अपनी पूरी उत्तेजना के साथ देने लगी. उसका हाथ मेरी गांड पर आ गया था, जिसको वो ज़ोर ज़ोर से अपने हाथों से दबा रहा था. फिर वो मेरी चुचियों को पीते हुए मेरी चूत और गांड जो चाटने लगा.
मैंने उसको सीट पर सीधे लिटा दिया उसका सिर खिड़की की तरफ कर दिया. इसके बाद मैंने तुरंत उसकी पेंट उतार कर किनारे को फेंकी और उसका लंड पकड़ लिया.
आहहह … क्या गजब का लौड़ा था. मैंने तुरंत उसको अपने मुँह में पूरा घुसाने की कोशिश करते हुए चूसना शुरू कर दिया. उसका मूसल लंड चूसने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. सुनसान जगह पर किसी अनजान आदमी का गधे जैसा लंड चूसने में सच में बड़ा मजा आता है.
अभी उसका लंड चूसते हुए मुझे कुछ देर ही हुई थी, तभी अचानक से पीछे से किसी ने मेरी गांड में इतना ही मोटा लंड पेल दिया कि मेरी जान हलक में आ गयी. जैसे ही मैंने ये जानने की कोशिश किया कि मेरे पीछे कौन है, तभी मैं जिसका लंड चूस रही थी, उसने मेरे बालों को पकड़ कर मेरा मुँह पूरा अपने मुँह में ठूंस दिया.
वो बोला- साली रंडी चूस इसको. अभी हम तेरी खींच चुदाई करेंगे. साली रांड चिंता मत कर.
अब मैं समझ गई कि ये वही चारों लोग में से दो आदमी हैं, जो बाहर खड़े थे. लेकिन अभी दो और थे, जिनका मैं इंतज़ार करने लगी.
तभी लंड चुसवाने वाला आदमी खड़ा हुआ और दूसरी तरफ अपना सिर करके मेरे नीचे लेट गया. उसने मुझे अपने लंड के ऊपर बिठा लिया और मेरी चूत में अपना लंड घुसा कर मुझे चोदने लगा.
पीछे दूसरे वाले आदमी ने मेरी गांड पकड़ी और मेरे ऊपर चढ़ गया. वो मेरी गांड में अपना लंड पेलने लगा.
मैं पहले भी सैंडविच चुदाई करवा चुकी थी. मगर ये लंड भीमकाय थे. फिर भी मैं मस्ती से उन दोनों के लौड़ों को झेलने लगी. मेरे दोनों छेदों को वे सांड से आदमी चोदने लगे.
उस ट्रेन के खाली डिब्बे में मैं किसी रंडी की तरह दो मजदूरों के लंड से चुद रही थी और मेरे मुँह से बस ‘अह्न्हन्हं … उफ़्फ़ … आहहह …’ की आवाज निकल रही थी.
तभी सामने गेट से एक और आदमी ट्रेन में चढ़ा और चुदाई देख कर बोला- ये क्या कर रहे हो तुम दोनों? ये माल किधर से मिल गया?
तब तक जो मजदूर मेरी चूत मार रहा था. उसने बोला- अरे यार आज ये रंडी छिनाल मिली है. इसके अन्दर बहुत गर्मी है. हम दोनों उसी को शांत कर रहे है. तू भी आ जा, ये छिनाल बहुत ज़्यादा चिल्ला रही है. इसके मुँह में अपना लंड डाल दे.
उसने बस इतना सुना कि और अपनी पैंट उतार दी. उसने चुदाई देख कर अपना लंड हिला कर खड़ा किया और मेरे मुँह की तरफ आ गया. उसका लंड खड़ा होने के बाद 7 इंच का हो गया था, जिसको उसने सीधे मेरे मुँह में घुसा दिया. अब वे तीनों मुझे चुदाई का मज़ा दे रहे थे.
तब तक बाहर से वो चौथे आदमी की आवाज आयी- कहां हो तुम लोग. बाहर आओ.
उसकी आवाज सुनकर जो आदमी मुझे अपना लंड चुसा रहा था, उसने उसे भी अन्दर बुला लिया. अब उन चारों ने मिल कर मुझे हर तरफ से नौंचन और भंभोड़ना शुरू कर दिया. पहले दो लंड से मैं करीब आधा घंटे तक चुदी.
इस दौरान मेरे तीनों छेदों में लंड थे. दो के लंड मेरी गांड और चुत में चल रहे थे और बाकी दो के लंड को मैंने हाथ से पकड़ कर बारी बारी से चूसना चालू कर दिया था.
मैं मस्त थी कि मेरे सभी छेद आज लंड से भरे हुए हैं. उन लोगों ने अपने लंड सभी जगह खौंसे हुए थे.
दो की चुदाई पूरी हो गई थी. उन दोनों ने अपने लंड मेरी चुत और गांड में खाली कर दिए थे.
उनमें से सभी के पास देसी दारू की दो बोतलें भी थीं. एक ने बोतल खोल कर बड़ा सा घूँट भरा और मेरे मुँह से मुँह लगा कर मुझे पिला दी.
देसी दारू का स्वाद मैंने पहली बार चखा था. मुझे बड़ा अजीब सा लगा. कुछ देर बाद वे चारों ऐसा करने लगे. मुझे नशा हो गया.
फिर उन्होंने मुझे नंगी सीट पर चित लिटा कर मेरी चुत पर दारू डाली. और बारी बारी से चुत चूसते हुए दारू पीने लगे. मुझे भी दारू की बोतल पकड़ा दी और अपने अपने लंड पर दारू डलवा कर लंड चुसाया.
मैंने उन सभी लंड से टपकती दारू पी. मुझे काफी तेज नशा हो गया था.
अब तक दो मुझे चोद चुके थे. बाकी दो ने भी मुझे सैंडविच बना कर चोदा. सभी के बड़े बड़े मूसल लंड थे, जिससे मेरी चुत और गांड खुल कर बड़े बड़े गड्डे से हो गए थे.
इस दौरान भी मैं दो के लंड चूस रही थी. कोई एक घंटे में चारों लंड मेरी चुत और गांड बजा चुके थे. दारू के नशे ने मुझे उनके मोटे और लम्बे लंड झेलने की ताकत दे दी थी.
बाद उन सबने मिल कर मेरे पूरे मुँह में अपना वीर्य गिराया और मुझे चोद चोद कर बेहोश कर दिया.
माल झाड़ने के बाद वे सब सिगरेट पीने लगे और हंसते खिलखिलाते हुए चले गए. उनके जाने के बाद मैं अपने कपड़े पहन कर जैसे तैसे सीधी होकर बैठी.
उधर उनकी सिगरेट की डिब्बी और माचिस पड़ी थी. मैंने एक सिगरेट सुलगाई और कुछ देर तक सिगरेट का मजा ले कर खुद को जाने के लिए तैयार किया.
फिर मैं वहां से चली आयी.
घर पर कोई था नहीं, तो मुझे कोई चिंता नहीं थी. मैं घर आकर बाथरूम में नहाई और खाना खा कर सो गई.
दूसरे दिन देर से सो कर उठी, तो मेरी गांड में बड़ा मस्त अहसास हो रहा था. मुझे कुलबुली सी हो रही थी और ऐसा लग रहा था कि कोई मेरी गांड फिर से मार दे.
अभी तक मम्मी पापा वापस नहीं आए थे. मैंने मम्मी को फोन लगाया तो मालूम हुआ कि वो देर रात तक वापस आएंगे.
फिर उस दिन जब मैं इंग्लिश पढ़ने गयी.
तो मैंने सर से कहा- आज मुझे गांड मरवानी है.
सर ने मुझे अपने लंड पर बिठा कर मेरी चूत और गांड मारते हुए मुझे पढ़ाया. उनका लंड केवल पांच इंच का था तो भी मैंने उन मजदूरों के लम्बे लंड का अहसास करते हुए सर से अपनी गांड और चुत में उनका वीर्य डलवा लिया.
इसी तरह मैं अपने इंग्लिश के सर से रोज चुदवाने लगी. और मौका देखने लगी कि कब उस ट्रेन के पास जा कर उन मजदूरों के मोटे लंड से चुत और गांड की चुदाई का मजा ले सकूँ.
आपको मेरी हॉट सेक्स कहानी कैसी लगी. प्लीज़ मुझे मेल करें.
[email protected]
What did you think of this story??
Comments