चूत चुदवाने की हवस
(Chut Chudwane Ki Havas)
हैलो दोस्तो, आप सब कैसे हैं.. मैं रंजना हूँ.. मेरी शादी को दो साल हो चुके हैं। मेरी शादीशुदा जिंदगी काफी अच्छी है। पति की सरकारी जॉब है.. वे मुझे प्यार भी बहुत करते हैं।
मैं अपनी आपबीती पहली बार लिख रही हूँ। यह बात पिछले साल की है.. शादी के बाद मैं मायके आती-जाती रहती थी.. सो इस बार भी गई थी।
अभी मायके में आए हुए दो ही दिन हुए थे.. मैं अपने घर की छत पर थी.. तभी मेरी मोबाइल की घन्टी बजी।
मैं- हेल्लो..
‘कैसी हो मेरी जान?’
यह मेरे पति की आवाज नहीं थी.. कोई और था..
मैं बताती हूँ कौन था।
शादी से पहले ही मैं जवानी के मजे लेने लगी थी। मैं देखने मैं थोड़ी सांवली जरूर थी.. लेकिन मेरी जवानी पूरी गदराई हुई थी।
मेरी सख्त और गोल उठी हुई चूचियाँ सबको पहली नजर में ही आकर्षित कर लेती हैं।
मेरे गाँव के ही दो लड़कों सुनील और बिट्टू से मेरा टांका फिट था.. दोनों आपस में काफी अच्छे दोस्त हैं। शादी के बाद भी मेरे उनसे शारीरिक सम्बन्ध हैं और मेरे मायके आने की बात उन्हें भी मालूम रहती थी।
आज उनके लौड़े भी उछाल मार रहे थे। मैं जब भी यहाँ आती तो उनसे चुदने के लिए जरूर मिलती थी, आज भी उन्हीं का फ़ोन था।
सुनील- कैसी हो मेरी जान!
मैं- ठीक हूँ..
सुनील- तुमसे मिलने का मन कर रहा है..
मैंने इठलाते हुए कहा- मैं नहीं आ सकती।
सुनील- आ भी जाओ न.. फिर एक-दो दिन में तुम तो फिर चली जाओगी.. देखो पुरानी वाली जगह पर आ जाओ.. मैं इन्तजार कर रहा हूँ।
मैं मन ही मन मुस्कुराते हुए नीचे आई और घर पर बोल कर निकली कि मैं अपनी सहेली से मिलने जा रही हूँ।
फिर सबसे नजर बचा कर चुपके से गाँव की उस पुरानी हवेली में पहुंची.. यहाँ कोई जल्दी आता नहीं है.. वैसे तो यहाँ पर कुछ भी नहीं है.. पर अब भी एक-दो कमरे सही सलामत हालत में हैं और यहीं मैंने जवानी के कई बार मज़े लिए हैं।
आज भी उन बातों को याद करके मेरे बदन में फिर से कुछ होने लगा है।
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खैर.. मेरे वहाँ पहुँचते ही मुझे सुनील दिखा.. उसने कमरे की तरफ इशारा किया और फिर देखने लगा कि कोई आस-पास देख तो नहीं रहा है।
मैं कमरे में पहुंची.. फिर दो-तीन मिनट के बाद सुनील आया.. उसके पीछे बिट्टू भी आया हुआ था।
बिट्टू आया और उसने मुझे बाँहों में भर लिया.. अभी मैं कुछ करती.. इससे पहले पीछे से सुनील भी आया और मेरे गले पर चूमने लगा और अपने एक हाथ मेरी चूत सहलाने लगा।
उधर बिट्टू मेरी चूचियां सहलाने लगा और मेरे होंठों को चूमने लगा।
अब सुनील मेरी साड़ी उतारने लगा और साथ ही उसने मेरा पेटीकोट भी उतार दिया।
मैं अब बस ब्लाऊज और पैंटी में रह गई थी। सुनील ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और बेहताशा चूमने लगा।
बिट्टू अपने कपड़े खोल रहा था। फिर वो नंगा हो कर आया.. तब तक सुनील ने मेरे बाकी के कपड़े खोल दिए और वो मेरी चूचियों से खेलने लगा था।
मैं भी इस सेक्स के मज़े ले रही थी।
तभी बिट्टू आया और उसने मुझे नीचे लिटा दिया और मेरे बदन को चूमने लगा वो मस्ती से मेरी चूचियां दबाता रहा.. फिर वो मेरी चूत को सहलाने लगा।
मैं ‘अह्ह्ह.. अह्ह्ह..’ करने लगी तभी सुनील आया और अपना लण्ड मेरे मुँह के पास ले आया।
उसका 8 इंच लण्ड पूरी तरह खड़ा था।
उसने धीरे से लौड़े को मेरे मुँह पर दबाया.. मैंने मुँह खोल कर उसके लण्ड को अपने मुँह में ले लिया।
उधर बिट्टू मेरी चूत चाट रहा था।
अब मैं पूरी मस्ती में डूबी जा रही थी.. तभी सुनील ने अपना लण्ड मुँह से निकाला और बिट्टू को ऊपर आने का इशारा किया।
सुनील ने अपने लण्ड पर कन्डोम लगाया और उसे मेरी चूत पर रख दिया।
फिर एक ही झटके में उसने अपना आधा लण्ड मेरी चूत में उतार दिया।
‘अह्ह्ह्ह्ह.. आराम से.. आअह्ह ह्हह्हह.. मेरी चूत..’
अभी मैं कुछ और कह पाती.. तभी बिट्टू मेरे ऊपर आ गया और अपना लण्ड मेरे मुँह में पेल दिया और वो मेरी चूचियों से खेलने लगा।
सुनील मेरी चूत में दमदार झटके लगा रहा था।
‘अह्ह्ह.. आराम से.. अह्ह्ह्ह ह्ह्ह..’
मैं भी मजे ले रही थी।
सुनील जोर-जोर से धक्के मार कर मेरी चूत चोद रहा था।
बिट्टू के लण्ड को मैं हाथ में लेकर सहला रही थी.. पूरा तन गया था।
उधर सुनील ने मुझे पलट कर मुझे घुटनों पर झुका दिया और मेरे पीछे से चूत में लण्ड डाल कर चोदने लगा।
बिट्टू ने सामने से लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया।
मेरी चूचियाँ बीच हवा में हिल रही थीं सुनील ने झुक कर मेरे लटकते चूचे पकड़ लिए और अपनी मुठ्ठी में भर कर दबाने लगा।
वो साथ में हचक कर मेरी चूत चुदाई भी कर रहा था।
‘अह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह..’
मैं पूरे जोश में आ गई थी- अह्ह्ह्ह्ह.. जोर से.. और जोर से.. अह्ह्ह्ह मेरे राजा.. बजा मेरा बाजा.. अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह..
यह सुन कर सुनील खुश हो गया और वो और तेजी से चुदाई करने लगा- हह्ह्ह्ह्ह्ज्ज्ज..
इधर मैं बिट्टू के लण्ड को अपने मुँह में लिए हुई थी- म्मम्मह्ह्ह्ह ह्ह्ह..
जब भी दोनों साथ में मेरे साथ चुदाई करते.. तो मुझे ऐसे ही खूब मज़ा आता।
तभी सुनील रुक गया और बिट्टू को इशारा किया।
बिट्टू नीचे लेट गया मुझे ऊपर आने का इशारा किया।
उसका लण्ड छत की तरफ सीधा खड़ा था मैं दोनों तरफ पैर कर उसके लौड़े पर बैठने लगी।
‘अह्ह्ह्ह्ह..’
उसका लण्ड मेरी चूत में अन्दर जाने लगा.. तभी बिट्टू ने मेरी कमर पकड़ कर मुझे जोर से नीचे किया।
‘अह्ह्ह्ह्हह ह्ह्ह्ह्ह्ह…’
पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसता चला गया, मैं दर्द से छटपटा गई।
उधर सुनील सामने खड़ा होकर अपना लण्ड सहला रहा था। तुरंत ही उसका लण्ड पानी छोड़ने लगा वो दूसरी ओर को घूम गया।
इधर बिट्टू ने मेरी चुदाई शुरू कर दी, मैं उसके लण्ड पर ऊपर-नीचे हो रही थी- अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह ह्ह्ह्ह..!
वो अपने हाथों से मेरी चूत के दाने को सहलाने लगा। उसकी इस हरकत से मेरी चूत ने एकदम से पानी छोड़ दिया।
‘चप्पआश्ह्ह्ह्.. बिट्टू.. अह्ह्ह्ह्ह.. ऐसे ही.. अह्ह्ह्ह्ह.. मुझे पूरा मजा आ रहा है.. अह्ह्ह्ह्ह..’
थोड़ी देर बाद सुनील का लण्ड फिर खड़ा हो गया था। सुनील आया और उसने मेरे मुँह में अपना लण्ड लगा दिया।
नीचे बिट्टू मेरी चूत चुदाई में लगा था ऊपर सुनील मेरी मुंह में लण्ड पेल रहा था।
‘अह्ह्ह्ह्ह.. म्मम्मम म्म्मम्म..’
मेरी चूत दूसरी बार पानी छोड़ रही थी।
फिर बिट्टू जोर-जोर से धक्के लगाने लगा और शांत हो गया.. उसका रस छूट चुका था।
मैं ऊपर से हटी और उसके साइड में लेट गई।
बिट्टू लौड़े से कन्डोम उतारने लगा।
अब सुनील फिर से आया.. और वो मेरी फिर से चुदाई करने लगा।
आज फिर एक बार मेरी कामुक जवानी की प्यास खूब बुझी थी। हम तीनों ने अपनी काम वासना शांत करके अपनी अपनी राह लेने की तैयारी की।
इसके अंत में एक कहानी और शुरू हो गई थी.. जब वो दोनों पहले उस कमरे से निकले.. मैं अभी अपने कपड़े ठीक ही कर रही थी कि तभी किसी ने जोर से कहा- क्या हो रहा था यहाँ?
मैं डर गई।
वो कौन था और क्या हुआ.. अगली कहानी में आपकी राय जानने के बाद बताऊँगी।
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